Tum wo Shaam ho - 11 in Hindi Love Stories by Rekha Rani books and stories PDF | तुम वो शाम हो - 11

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तुम वो शाम हो - 11

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रेवा अब 7 साल की हो चुकी है।  
उसकी आँखों में जिज्ञासा है, उसकी बातों में मासूम सवाल —  
एक दिन उसने मिहिका से पूछा:  
> “माँ, आप पेंटिंग क्यों बनाती हो जिसमें कोई चेहरा नहीं होता?”

मिहिका चौंकी — क्योंकि वो सच था।  
उसकी कला में भाव होते थे, रंग होते थे, लेकिन चेहरा नहीं।

वो मुस्कराई और कहा:  
> “क्योंकि कुछ कहानियाँ सिर्फ महसूस की जाती हैं… देखी नहीं जातीं।”

रेवा ने फिर पूछा:  
> “क्या आपकी कहानी भी ऐसी है?”

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अयान अब एक प्रसिद्ध लेखक है — लेकिन उसने कभी अपनी और मिहिका की कहानी प्रकाशित नहीं की।

रेवा ने उसकी किताबों की अलमारी में एक पुराना पन्ना पाया —  
उसमें लिखा था:

> “वो शाम थी… जब मैंने पहली बार किसी को देखा नहीं, महसूस किया।”

रेवा ने पूछा:  
> “ये किसके बारे में है?”  
अयान ने जवाब दिया:  
> “तुम्हारी माँ के बारे में… और उस शाम के बारे में जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी।”

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रेवा ने एक स्केच बनाई —  
एक लड़की, एक लड़का, और उनके बीच एक नदी।

नीचे लिखा:  
> “क्या हर कहानी में एक पुल होता है?”

मिहिका ने वो स्केच देखी — और पहली बार, उसकी आँखें भर आईं।

उसने रेवा को गले लगाते हुए कहा:  
> “हाँ… और कभी-कभी वो पुल एक बच्चा होता है।”

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विराज अब एक फोटोजर्नलिस्ट है — और एक दिन पेरिस आया।

उसने रेवा को देखा और कहा:  
> “तुम्हारी आँखों में वही सवाल हैं जो तुम्हारी माँ की आँखों में थे।”

विराज ने मिहिका को एक खत दिया —  
> “अब जब तुम्हारी कहानी एक नई पीढ़ी तक पहुँच रही है… तो क्या तुम उसे पूरा लिखोगी?”

मिहिका ने जवाब दिया:  
> “शायद अब वक्त आ गया है।”

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रेवा ने स्कूल में एक प्रोजेक्ट बनाया —  
“मेरी माँ की कहानी”  
लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

उसने मिहिका से कहा:  
> “आपने कभी मुझे बताया नहीं कि आप और पापा कैसे मिले थे।”

मिहिका ने पहली बार रेवा को वो स्टेशन दिखाया —  
जहाँ उनकी कहानी शुरू हुई थी।

वहाँ दीवार पर अब भी एक स्केच थी —  
एक लड़की जो शाम को देख रही थी।

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अयान और मिहिका ने रेवा को अपनी पूरी कहानी सुनाई —  
- कैसे पेरिस की गलियों में एक शाम ने उन्हें बदल दिया  
- कैसे विराज एक दोस्त था, लेकिन कहानी का हिस्सा नहीं  
- कैसे रेवा उनकी मोहब्बत की सबसे खूबसूरत तस्वीर है

रेवा चुपचाप सुनती रही — और फिर बोली:  
> “अब मैं समझ गई हूँ कि आप दोनों शाम क्यों पसंद करते हो… क्योंकि उसमें सब कुछ होता है — शुरुआत, अंत, और बीच की खामोशी।”

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रेवा ने अपनी डायरी में लिखा:  
> *“मैं वो सुबह हूँ जो एक शाम से जन्मी है।  
> मेरी माँ की कला, मेरे पापा की कहानी — और मेरी आँखों में उनका प्यार।”*

एपिसोड खत्म होता है उस दीवार पर एक नई स्केच के साथ —  
तीन लोग, एक सूरज, और एक नदी जो अब पुल बन चुकी है।

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आर्या अब 9 साल की हो चुकी है।  
उसने अपनी पहली डायरी खोली — और उसमें लिखा:

> *“माँ की तस्वीरों में बारिश होती है, लेकिन कोई छत नहीं।  
> पापा की कहानियों में गलियाँ होती हैं, लेकिन कोई मोड़ नहीं।  
> और मेरी दुनिया में वो दोनों हैं — एक बूंद की तरह, जो गिरती है लेकिन टूटती नहीं।”*

जानवी ने वो पन्ना देखा — और पहली बार, उसने आर्या को अपनी पुरानी स्केचबुक दी।

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आर्या ने अपनी पहली स्केच बनाई —  
एक लड़की, जो एक किताब पढ़ रही है, और उसके पीछे एक दीवार है जिस पर सूरज उग रहा है।

नीचे लिखा:  
> “मैं वो सुबह हूँ जो एक कहानी से निकली है।”

विराज ने वो स्केच देखा — और कहा:  
> “अब हमारी कहानी तुम्हारे रंगों में साँस ले रही है।”

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आर्या को स्कूल में एक प्रोजेक्ट मिला — “मेरी प्रेरणा”

उसने सबके सामने खड़े होकर कहा:

> “मेरी प्रेरणा मेरी माँ है — क्योंकि उसने मुझे रंगों से सोचने सिखाया।  
> और मेरे पापा — क्योंकि उन्होंने मुझे खामोशी से बोलना सिखाया।  
> लेकिन मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा वो शाम है… जब मैं उनकी ज़िंदगी में आई।”

पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।

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जानवी ने आर्या को एक चिट्ठी दी — जो उसने आर्या के जन्म के दिन लिखी थी:

> *“अगर कभी तुम खुद को अकेला महसूस करो, तो मेरी दीवारों को देखना।  
> वहाँ तुम्हारा नाम है — हर रंग में, हर दरार में।”*

आर्या ने वो चिट्ठी अपनी डायरी में चिपका दी —  
> “ताकि मुझे याद रहे कि मैं सिर्फ बेटी नहीं… एक कहानी हूँ।”

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विराज ने आर्या की एक तस्वीर ली —  
वो दीवार के सामने खड़ी थी, हाथ में ब्रश, आँखों में सवाल।

उसने उस तस्वीर के नीचे लिखा:  
> “अब मेरी तस्वीरों में सिर्फ दृश्य नहीं… विरासत है।”

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रात को आर्या ने अपनी पहली कविता सुनाई:

> *“बूंदें गिरती हैं, लेकिन ज़मीन नहीं छोड़तीं।  
> दीवारें टूटती हैं, लेकिन यादें नहीं।  
> और मैं… मैं उस कहानी की सबसे प्यारी पंक्ति हूँ।”*

जानवी और विराज ने उसे गले लगाया — और पहली बार, उन्हें लगा कि उनकी मोहब्बत अब सिर्फ उनकी नहीं रही।

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एपिसोड खत्म होता है उस दीवार पर एक नई स्केच के साथ —  
तीन लोग, एक सूरज, और एक नदी जो अब पुल बन चुकी है।

नीचे लिखा है:  
> “अब मोहब्बत सिर्फ छुपी नहीं… वो बोलती है।”

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✨Writer : Rekha Rani