(छाया और काशी परीक्षा की टेंशन में थे, लेकिन नंदिता की मदद से संभल गए। परीक्षा के बाद परिवार संग घूमने के दौरान विशाल ने होटल बुलाया, जहाँ किसी और लड़की के साथ देखकर छाया आहत हुई। घर लौटने पर बिना आवेदन के नौकरी का कॉल आया। इंस्पेक्टर ठाकुर के आश्वासन पर छाया सिंघानिया इंडस्ट्रीज पहुंची, जहाँ उसकी असली बॉस माहेश्वरी सिंघानिया निकली। छाया का इंटरव्यू सफल रहा और उसे नौकरी मिल गई। ऑफिस में उसने फाइलों का विश्लेषण किया और अशोक जी हैरान रह गए। रात को छाया ने विशाल और माहेश्वरी के रिश्ते का रहस्य खोजा। पुलिस स्टेशन में ठाकुर बक्सीर को पकड़ने की कोशिश में जुटे हैं। अब आगे)
गलतफहमी और प्यार की डोर
सिंघानिया हाउस
विशाल अपने मोबाइल में छाया के नंबर को देख रहा था। तभी उसका फोन बजा।
उसने फोन उठाया -"हां बोल यार! डिस्को, आज नहीं। मेरा मन नहीं है। तू टीना के साथ चला जा। क्या? "
थोड़ी देर रूककर उसने बात सुनी और हंसकर बोला- "कितनी ड्रामा करता है तू। आता हूं।" उसने सीधे नीचे जाकर दरवाज़ा खोला तो सामने उसकी मां माहेश्वरी सिंघानिया खड़ी थी। मां ने पूछा - कहीं जा रहे हो?
विशाल ने बिना देखे जवाब दिया - "डिस्को जा रहा हूं।"
मां ने किचन की तरफ इशारा करते हुए कहा - "लेकिन मैं तो खाना बना रही हूं। तब तक विशाल कार तक जा चुका था।"
कार का दरवाजा खोलकर वह बोला- "खाना खाकर आऊंगा।"
.....
एंजल डिस्को
चारों ओर शोर शराबा और मस्ती मे नाचते हुए लोग , देखकर लग ही नहीं रहा था कि रात के 1:30 बज रहे थे।
तभी एक लड़की काली रंग के शार्ट्स पर बेसुध होकर नाच रही थी। अचानक ही उसने महसूस किया कि कोई उसे छू रहा है। पहले उसे लगा कि शायद यह ज्यादा भीड़ की वजह से है। वह उस भीड़ से हटकर अलग नाचने लगी। तभी भीड़ से निकलकर 5-6 लड़के उसके साथ जोर जबरदस्ती नाचने लगे। उस लड़की ने उस लोगों के बीच से हटने की कोशिश की तो एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके साथ कुछ करता, उससे पहले किसी ने उसका काॅलर पकड़कर अपनी ओर खींच लिया और उसके मुंह पर एक जोरदार मुक्का मार दिया। वह विशाल था।
ऐसा होते ही बाकी लड़कों ने विशाल को घेर लिया। उसने एक एक करके सबको पीट डाला। तभी एक लड़के ने विशाल के सिर पर कांच की बोतल मारने की कोशिश की, तभी आग्रह ने उसके हाथ को पकड़कर मरोड़ दिया।
सभी लड़के मिलकर उन दोनों पर हमला करते, मैनेजर के लाए बांउसरों ने सभी लड़कों को दबोच लिया।
लड़की ने विशाल को "थैंक्यू" कहा तो विशाल ने उसको मुस्कुराते हुए देखा और "इट्स ओके" कहा। उसे देखते ही विशाल चौंक गया और बोला - "तुम?"
आग्रह ने चौंककर कहा- "तू इसे जानता है?" यह सुनकर विशाल इधर-उधर देखने लगा।
उस लड़की ने कहा-" ये मुझसे प्यार करते हैं और मैं इनकी जिंदगी हूं।"
आग्रह को कुछ समझ नहीं आया तो उसने हैरानी से कहा- क्या? आग्रह उस लड़की को दो मिनट रुकने का इशारा करके विशाल को कोने में ले गया। और बोला - "तेरा और छाया का सीन खत्म।"
विशाल ने चिढ़कर बोला - "शट अप"। विशाल ने उस दिन की सारी घटना बताई जब छाया की जगह उसने ग़लती से उस लड़की को प्रपोज किया था। आग्रह ने विशाल को गुस्से से देखकर कहा -" तू छाया को प्रपोज करने वाला था और तूने मुझे नहीं बताया।" रोने का नाटक करते हुए उसने विशाल के कंधे पर सिर रख दिया। विशाल को अचानक कुछ याद आया और वह भागकर वापस गया तो वह लड़की वहां पर नहीं थी। उसने दुबारा उस लड़की को खो दिया।
विशाल जोर से चिल्लाया - SHIT. विशाल के इन रिएक्शन पर आग्रह बोला - "उस लड़की के जाने का इतना दुःख।"
विशाल ने सिर पर हाथ रखकर कहा- " वह लड़की ही छाया को बता सकती थी कि सच क्या है?"
आग्रह जोर से हंसने लगा और बोला - "मेरे प्यारे नादान दोस्त! अगर तू इस लड़की को छाया के पास ले जाएगा तो तुझे क्या लगता है कि क्या बोलेंगी? वही न जो अभी अभी बोली।" और फिर उस लड़की की टोन में बोला "ये मुझसे प्यार करते हैं और मैं इनकी जिंदगी हूं।" तब विशाल ने समझ आया कि वह क्या ग़लती कर रहा था? विशाल ने अपनी ग़लती का एहसास हुआ - "अरे हां यार! ये तो मैंने सोचा ही नहीं। तो फिर अब मैं क्या करूं?"
तभी वहां टीना आ गई और विशाल से कहा- "अपनी दिल की बात तुम खुद उसे बता दो।" विशाल को आग्रह और टीना की बात सही लगी। उसने छाया से बात करने की ठानी और वहां से जाने लगा। तभी आग्रह ने उसे रोका और कहा -"इस बार कुछ भी बोलने से पहले चेहरा जरूर देख लेना।" यह बोलते ही आग्रह और टीना जोर जोर से हंसने लगे।
विशाल ने समय का ध्यान नहीं किया। उसने छाया को मैसेज किया- "कल कालेज के पास वाले खन्ना रेस्टोरेंट 10 बजे मिलते हैं।" छाया की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। कार के साइट में उसने फोन को रखकर कार स्टार्ट कर दी।
यहां छाया ने विशाल का मैसेज तो देख लिया लेकिन जवाब नहीं दिया। एक बार मन में विशाल से दूर जाने के लिए ठान लेने के बावजूद वह दूसरी बार विशाल से अपमानित हुई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि विशाल उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है? पास आने पर दूर कर देना और दूर जाने पर पास आ जाना यह सब क्या था? उसने सोच लिया कि वह विशाल से आर या पार बातचीत करेगी। वह विशाल के साथ बहुत सोच समझकर बात करना चाहती थी क्योंकि अब विशाल सिर्फ वह लड़का नहीं था जिसे वह पसंद करती थी बल्कि उसके बाॅस का भी बेटा है।
विशाल अगले दिन खन्ना रेस्टोरेंट में 9:30 बजे ही पहुंच गया। इस बार उसने तामझाम में ज्यादा मेहनत नहीं की। वह बस बैठकर छाया का इंतजार किया। छाया अपने सही समय पर पहुंच गई। विशाल ने वेटर से चाय मंगवाई। छाया ने हैरानी से कहा- "तुम चाय कब से पीने लगे?" विशाल से मुस्कुराते हुए कहा -"अभी से।"
विशाल कुछ कहता, उससे पहले ही छाया ने बोलना शुरू किया- "मैं जानती हूं कि तुम क्या कहना चाहते हो?"
विशाल सुन रहा था। "तुमने एक गलतफहमी के चलते मुझे ग़लत समझा और सच का पता लगने पर खुद ही सच्चाई सामने ले आए। तुम एक अच्छे इंसान हो। मैंने तुम्हें पसंद किया, प्यार किया, तो जरूरी नहीं कि तुम भी मुझसे प्यार करो।"
विशाल ने कहा- "तुम मेरी बात क्यों नहीं सुनती।" छाया ने बीच में ही बोल पड़ी -"वैसे वो लड़की बहुत सुंदर है। तुम्हारी उसके साथ जोड़ी बहुत जमेगी।" ये सुनते ही विशाल को छाया पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया। उसने गुस्से को काबू करते हुए कहा - "जैसा तुम सोच रही हो, वैसे कुछ भी नहीं है।" तभी वेटर चाय लेकर आ गया।
छाया ने झट से चाय ली और फूंक मारकर धीरे धीरे पी गई। छाया ने चेहरे पर मुस्कान लाकर कहा- "चिंता मत करो। तुम दोनों के बीच में मैं कभी नहीं आऊंगी।" यह सुनते ही विशाल जोर से चिल्लाया- "बोलने से पहले सोचती नहीं हो क्या? जो मुंह में आ रहा है, बोली जा रही हो"। उसकी आवाज बहुत तेज थी।
आसपास सब लोग उन्हें ही देख रहे थे। विशाल खड़ा हो गया और उसने सबकी तरफ देखकर "साॅरी" बोला। छाया ने कहा -"कहो, क्या कहना है?"
...
1. क्या विशाल और छाया की गलतफहमी सुलझ पाएगी, या उनका प्यार नए संघर्षों में फँस जाएगा?
2. वह अनजानी लड़की विशाल और छाया के बीच में दीवार तो नहीं बन जाएंगी?
3. प्यार में आहत छाया बिखर जाएंगी या और मजबूत बनेगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की"