जैसे ही ईशान, सामने से विपिन को आता हुआ देखता है तो उसे वो सब बातें याद आ जाती है, और उसका मन गुस्से से भर जाता है। इधर विपिन भी सामने से ईशान को आते हुए देखता है तो उसे भी सुबह वाली बात याद आती है, तो उसे भी गुस्सा आ रहा होता है, ईशान के ऊपर! फिर भी वो सोचता है कि अभी ईशान को इग्नोर करके जाना ही उसके लिए फायदेमंद रहेगा। तभी ईशान विपिन को सुनाते हुए बोलता है कि;
ईशान - कुछ लोगो इतने घटिया होते है कि उनकी हरकते देखकर, भगवान जी भी एक बार उसे नर्क में भेजने से पहले सोचे!
विपिन - क्या हुआ ईशान, तुमने मुझसे कुछ कहा क्या? विपिन ने भोले बनते हुए कहा।
ईशान - क्यों, मैं अकेले बात नही कर सकता क्या, अपने आप से! वैसे भी तुमसे बात करने से अच्छा है कि मैं खुद से ही बातें कर लू! ईशान ने गुस्से से भरकर बोला।
विपिन को फिर से ईशान पर बहुत गुस्सा आता है, लेकिन वो अभी कोई रिस्क नही लेना चाहता था। इसलिए वो ईशान की सभी बात इग्नोर कर देता है। उसे लगता है कि ईशान इसलिए ज्यादा गुस्सा कर रहा है, क्योंकि उसने किरण से शादी कर ली है। क्योंकि अगर ईशान के बस में होता तो वो ऐसा कभी नही होने देता, यह बात विपिन भी अच्छे से जानता था।
विपिन - करो करो,बिल्कुल खुद से बातें करना भी अच्छा होता है साले साहब! विपिन जानबूझकर ईशान को ऐसा बुलाता है ताकि उसे याद आए, कि वो भी अब इस घर का सदस्य है।
ईशान - कोई जरूरत नही है, तुम्हे मुझसे जबरदस्ती का रिश्ता जोड़ने की, समझे! और अभी यहां कोई नही है, जो तुम एक्टिंग कर रहे हो, मुझसे अच्छे से बात करने का!
विपिन - क्या साले साहब, आप भी जल्दी बुरा मान जाते है। विपिन उसे और उकसाते हुए बोला!
तभी ईशान को सिमरन की कही बात याद आती है और वो विपिन को बिना कोई जवाब दिए, वहां से सीधा अपने कमरे में चला जाता है। और विपिन उसके पीछे से अजीब victory वाली स्माइल देता है, जैसे उसने ईशान को भगाकर कोई जंग जीत ली हो।
इधर ईशान के कमरे में;
ईशान आकर अपने बेड पर बैठ जाता है, और अपने गुस्से पर काबू पाने की कोशिश करता है। तभी उसके फोन रिंग होता है। जैसे ही ईशान फोन की स्क्रीन पर देखता है तो उसे बिना उठाए साइलेंट मोड पर कर देता है। और खुद से ही बोलता है, इधर टेंशन कम है जो अब इसका फोन और आ गया, दिमाग खराब करने के लिए! तभी सुहाना जी उसके कमरे के बाहर आती है। उन्हे पता होता है कि आज ईशान बहुत खफा है सभी से, विपिन की वजह से! सुहाना जी सिमरन के लिए कैसी भी हो, लेकिन ईशान को इस तरह देखकर उन्हें दिल से दुख हो रहा था, और कही न कही विपिन पर गुस्सा भी आ रहा था। लेकिन वो इसके लिए किरण की खुशियों के आगे भी नही आ सकती है। इसलिए वो चुप चाप ईशान को देखकर चली जाती है। ईशान को नही पता था कि सुहाना जी उसे देख रही है। वो तो अपने ही खयालों में खोया हुआ था। तभी उसका फोन की स्क्रीन पर फिर से उसी नंबर से कॉल शो हो रहा था, तो वो तंग आकर फोन रिसीव करता है।
ईशान - मैं तुम्हे और कितनी बार कहूं कि मुझे फोन मत किया करो! मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है, पूजा!
पूजा - यह क्या बात हुई जान, मैने फोन किया और तुम फोन उठाते ही ऐसे बात कर रहे हो मुझसे! गलत बात है ना यह तो!
ईशान - तुम्हे अगर ऐसे ही cheezy बातें करनी हो, तो मैं फिर से फोन रख देता हूं। अभी मेरा बिल्कुल मूड नही है, तुम्हारी नौटंकी सुनने का!
पूजा - अच्छा ठीक है, लेकिन मैने आज तुम्हे ये बताने के लिए कॉल किया है, कि मैं भी इंडिया आ चुकी हूं। और अब यही रहूंगी!
ईशान - लेकिन तुम तो वही पर सेटल होने वाली थी ना? छोड़ो मुझे क्या! तुम्हे जहां रहना है, रहो! लेकिन प्लीज मुझे परेशान करना बंद करो, यार! और फ्रस्ट्रेट होकर फोन काट देता है।
इधर साहिल के घर में;
सिमरन अपने रूम में बैठी हुई थी, और ईशान की बातें याद कर रही थी। वो सच में खुश थी कि उसका भी कोई अपना है, जिसे वो अपनी फैमिली का नाम दे सकती है। क्योंकि अब उसकी पुरी फैमिली ईशान ही तो था। जब भी सिमरन बहुत खुश होती है, तो वो गाना गाने लग जाती है। तो वो खुश होकर गुनगुनाना शुरू कर देती है;
खुशियां और गम सहती है,
फिर भी ये चुप रहती है।
अब तक किसी ने ना जाना,
जिंदगी क्या कहती है॥
और वो आंखें बंद करके अपने गाने को महसूस करने लगती है।
तभी उसके कमरे के बाहर से साहिल गुजरता है, तो उसे जानी पहचानी आवाज आती है। वो आवाज सुनते ही समझ जाता है कि ये तो वही आवाज है। पर ऐसा कैसे हो सकता है? किरण यहां क्या कर रही है। और वो इधर उधर देखने लगता है। तभी वो सुनता है कि ये आवाज सिमरन के कमरे से आ रही है, तो वो उत्सुकता से कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खोलकर देखता है तो शॉक रह जाता है।
सिमरन आंखें बंद करके खुद गाना गा रही थी, और उसकी मीठी आवाज़ सीधा साहिल के दिल में उतर रही थी। सिमरन की पीठ दरवाजे को तरफ थी, इसलिए उसने साहिल को नही देखा था। इधर साहिल ने बहुत टाइम से किरण के गाने नही सुने थे, क्योंकि उसे किरण के नाम से ही नफरत होती थी। लेकिन सिमरन के गाना गाते ही, वो वही दरवाजे पर खड़ा होकर उसे आंखें बंद करके सुनने लगता है। बिल्कुल मदहोश कर देने वाली आवाज है, आखिर सिमरन की! साहिल को वैसे तो, सब समझ में आ जाता है, फिर भी वो खुशी से बोलता है कि;
साहिल - मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था, कि जिस लड़की को ढंग से बात करना नही आता है, वो इतनी अच्छी आवाज में गाना गा ही नही सकती है। वो तुम हो सिमरन, जिसने किरण के नाम पर खुद गाने गाए है, है ना!
जैसे ही सिमरन अपने पीछे से साहिल की आवाज सुनती है, वो गाना बंद करके पीछे देखती है तो साहिल दरवाजे पर खड़ा मुस्कुरा रहा था। सिमरन हड़बड़ाती हुई बोलती है कि;
सिमरन - नही साहिल, तुम गलत समझ रहे हो! मैं तो बस ऐसे ही गाना गा रही थी।
साहिल - अच्छा, वैसे यह बताओ कि मैं क्या समझ रहा हुं? देखो सिमरन, प्लीज अब झूठ मत बोलो, क्योंकि तुम बहुत कच्ची हो इसमें!
सिमरन - हां साहिल,शायद तुमने सही कहा। मैं नही बोल पाऊंगी अब झूठ! लेकिन प्लीज इस बारे में अभी किसी से भी कुछ मत कहना। यह कहते हुए सिमरन की आंखें नम हो जाती है।
यह देखते ही साहिल आगे बढ़ता है और सिमरन को अपने दोनो हाथों से कंधे से पकड़कर बोलता है कि;
साहिल - किस मिट्टी की बनी हो तुम? उन्होंने इतना बुरा किया तुम्हारे साथ, तुम्हे मारने की कोशिश की, और तुम अभी तक उनके गंदे कारनामे अपने मन में छुपाकर बैठी हो! उन्होंने तुम्हे किरण के लिए इस्तेमाल किया। मुझे तो सोचकर ही शर्म आ रही है, कि कोई कैसे अपनी एक बेटी के टैलेंट को दूसरी के लिए use कर सकते है।
सिमरन - नही साहिल,यह मेरी खुद की मर्जी थी कि नाम किरण का हो, मेरी आवाज पर! मैं बहुत प्यार करती थी अपनी बहन से.......यह बोलते हुए वो चुप हो जाती है।
साहिल - और क्या तुम्हे अपनी आवाज से प्यार नही है। भगवान जी ने इतना अच्छा तोहफा दिया है तुम्हे, और तुम इसे कैसे दूसरो को सौंप सकती हो, सिमरन? साहिल की बात सुनकर, सिमरन खुद को संभालते हुए बोलती है कि;
सिमरन - एक्चुअली उस समय मुझे नही पता था, कि वो लोग यह सब अपने फायदे के लिए कर रहे है। मैं तो ऐसे ही खुश थी, साहिल! किरण को fame चाहिए था, और मुझे गाने से सुकून मिलता था, तो यही चल रहा था। उन्होंने फिर भी मेरे साथ इतना बुरा किया। मेरी गलती ही यही थी, कि मैने उन पर भरोसा किया!
साहिल, सिमरन को ऐसे उदास देखकर उन बातों का टॉपिक छोड़कर, बात घुमाने की कोशिश करता है और बोलता है कि;
साहिल - पर कुछ भी कहो, मैं तो fan हूं तुम्हारी आवाज का! ऑटोग्राफ मिलेगा क्या प्लीज!
सिमरन यह सुनकर हंसने लगती है और बोलती है कि ;
सिमरन - बस बस, अब चने के झाड़ पर चढ़ाना बंद करो मुझे!
साहिल तो उसे हंसता देखकर ही खुश हो जाता है, और बिना कुछ बोले, बस सिमरन को ऐसे ही देखता रहता है।
क्रमश: