chapter 54 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 54

Featured Books
Categories
Share

बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 54

chapter 54,
we go to whole summary of the novel

शिवाय अमेरिका  का बेस्ट शेफ अपने बच्चों के साथ अमेरिका में कुशल जिंदगी बिता रहा था और साथ में वह किसी को 5 साल से ढूंढ रहा था। 
लेकिन अचानक उसे अपने भाई की तरफ से कॉल आता है यह कहकर कि उसके बड़े पापा को हार्ट अटैक आ गया जिसकी वजह से वह तुरंत ही अपने बच्चे और अपने असिस्टेंट के साथ इंडिया के लिए निकल जाता है। 
इंडिया आते ही वह अपने सभी परिवार से मिलता है और अपने बच्चों को परिवार से मिलवाता है जिसकी वजह से सभी के मन में बच्चों को लेकर अलग-अलग शक आता है। 
जिसकी वजह से शिवाय ने सब को आधा अधूरा सच सबको बता देता है। इसी बीच शिवाय की मुलाकात अपने पहले प्यार से हो जाती है जिसका नाम आरोही है। 
उसके बाद शिवाय और उसके बच्चे अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहने लगते हैं इस बीच बहुत सारे उतार-चढ़ाव उनके जिंदगी में आते हैं, जैसे आरोही की तरुण से सगाई, शिवाय और उसके टीम को लड़कियों की तस्करी से बचाना, शेखर जी और उनके परिवार से टकरा। 
राम जी और सिद्धार्थ जी का एक्सीडेंट। 
डॉ होली का इंडिया लौटना साथ में वनराज की पहला प्यार का लौटा अन। आरोही और बच्चों के बीच के सिमिलर आदतों की वजह से शक में आना, शिवाय का डर। फिर उनकी जिंदगी में सिमरन जी की एंट्री होती है और उनके अतीत का सच सबके सामने आता है और यह सच की सिमरन जी के पति ने ही शिवाय के मां-बाप को मार डाला था।।। पूरे 53 चैप्टर की छोटी सी समरी मैंने या लिख दी है तो अब आपको कहानी में क्या हो चुका है यह समझ में आ जाएगा। 

(वह एक्चुअली कल मैं एक Novel सुन रही थी तो उसे नोबेल की लेखक ने ऐसी समरी लिखी थी की रीडर को कंफ्यूजन ना हो कि इतने चैप्टर में क्या-क्या हुआ है सो ई थॉट की आप सबको भी मैं छोटी सी समरी बनाकर दो आई होप आपको अच्छा लगे🤞🤞।)
चलिए अब हम कहानी पर आते हैं।

शिवाय सबको सक्षम का सच बता रहा था तभी सभी के कानों में फिर से एक एंबुलेंस की आवाज आती है ।
जिसे सुनकर किसी की भी हिम्मत नहीं होती है कि वह बाहर जाकर यह देखें कि अब एंबुलेंस में कौन आ रहा है क्योंकि आज उन्हें झटका पर झटका मिल रहे थे।।
लेकिन वनराज और शिवाय बहुत अच्छे से जान देने की एंबुलेंस में फोन आ रहा है तो वह बाहर जाकर एंबुलेंस से उसे आदमी को बाहर निकलते हैं।और उन्हें घर के अंदर लाते हैं।
इस बार भी सबके चेहरे पर शॉक्ड एक्सप्रेशन थे, पर वही शेखर जी और उर्मिला जी के चेहरे पर गुस्से वाले क्योंकि जो शख्स स्ट्रेचर पर  लेटा हुआ था वह कोई और नहीं तेज जी थे।

शेखर जी बोले यह क्या बदतमीजी है शिवाय बाबा यहां क्या कर रहे हैं और तुमने किसी से पूछ कर इन्हें यहां लाए हो।(उनके आवाज में गुस्सा साफ-साफ महसूस कर सकते थे)

जिस पर शिवाय उन्हें बिना एक्सप्रेशंस के साथ जवाब देता है चाचू यह घर बड़े दादू का है और इन्हें अपने ही घर आने के लिए किसी की परमिशन की जरूरत नहीं है।। आज से बड़े दादू कपाड़िया मेंशन में ही रहेंगे बुआ जी के साथ ,उन्हें भी कितनी खुशी मिलेगी अपनी बेटी के साथ रहने के लिए।।
क्या पता इसी वजह से  वह कोमा से बाहर आ जाए।।

नहीं !😤ना मेरे पति यहां रहेंगे ना ही मेरी बेटी हम लोग हमारे घर में रहेंगे , मुझे अब किसी पर भरोसा नहीं है, यह बात उर्मिला जी बोल रही थी। 

नहीं.." आप सब लोग यही रहोगे कोई भी कहीं नहीं जाएगा सब लोग पहले की तरह एक साथ ही रहेंगे ।कम से कम ,तब तक जब तक बड़े दादू और बुआ जी को होश ना आ जाए कोई यहां से नहीं जाएगा,,। वनराज ने ऑर्डर देने के लिए के में कहा। 

तुम होते कौन हो हमें यहां जबरदस्ती रोकने वाले और तुम्हारे अंदर इतनी भी, तमीज नहीं है कि अपने परिवार और बढ़ो के साथ कैसे बात कर जाएं ।शेखर जी  उंगली उठा कर , चिल्ला कर बोलते हैं।।

इस बीच सभी लोग खुशी जी, अरनव जी ,रमन जी मोहिनी ,जी इशिता जी , रुचिता,कश्यप , अद्वितीय सांची कार्तिक दुर्गा बस इस तमाशे  को देख रहे थे। किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह किसी से भी कुछ बोल पाए। तीनों बच्चे आरोही के साथ पहले ही आरोही के घर जा चुके थे। इंद्रजीत और माया इस घर की तमाशा नहीं देखना चाहते थे ।जिसकी वजह से वह लोग कुछ बहाना कर कर बाहर चले गए थे और किसी ने भी उन्हें जाने से मन नहीं किया क्योंकि वह भी जानते थे कि अपने घर की परेशानियों में किसी को नहीं लाना चाहिए या अपने घर की परेशानी किसी को नहीं दिखानी चाहिए।।
शेखर जी की बात सुनकर वनराज बोला चाचू, "मैं किसी को ऑर्डर नहीं दे रहा हूं बस मैं चाहता हूं कि सब लोग एक साथ रहे और वैसे भी हम लोग अलग-अलग रहेंगे तो उसे सक्षम की चाल में आसानी से पढ़ सकते हैं। 
पहले ही बूआ जी को उसके कैद से छुड़ाने की वजह से वह बोकला गया होगा जिसकी वजह से वह कुछ भी करने में एक पल के लिए भी नहीं सोचेगा,,।।
...... एक गहरी सांस लेकर.... आप ही बताइए चाचू मैं कुछ गलत बोल रहा हूं आपको क्या लगता है हमें 5 साल क्यों लगे बुआ को ढूंढने के लिए? बुआ जी का मैसेज मिलते ही हम तुरंत क्यों उन्हें बचाने नहीं गए? आपको पता है,.... 😔नहीं ना!

तो प्लीज मेरी बात मान लीजिए जब तक सक्षम को हम पकड़ नहीं लेते प्लीज तब तक मान लीजिए कुछ दिनों के लिए अपनी नफरत को साइड रख कर बस परिवार के बारे में सोचिए।🙏🙏 हाथ जोड़कर निराश लेज में वनराज बोलता है।।

उसकी बात सुनकर शेखर जी या उर्मिला जी के पास कहाँने के लिए कुछ नहीं होता है। 
वह लोग थक हार कर वनराज और शिवाय की बात मान जाते हैं।।
जिसकी वजह से सब को राहत की सास आती है।।
सभी बातें क्लियर होने के बाद अर्णव जी सबको, अपने-अपने कमरे में जाने के लिए कह देते हैं। क्योंकि इतना तमाशा के बाद सब लोग थक चुके थे।। तेज़ के सारे परिवार का कमरा पहले से ही तैयार था और वह लोग अपने पुराने वाले कमरे में ही चले गए थे। जहां वह अलग रहने से पहले रहते थे। 
सबके जाते ही दुर्गा शिवाय से बोली मैं बच्चों को आरोही के पास से लाती हूं। उसकी बात पर शिवाय बस हमीं ही भर देता है।

आज का दिन जैसे तैसे कर कर खत्म होता है। रीडर आप सब को बता दूं कि आप लोगों ने मेगा को एक बार भी इसीलिए नहीं देखा क्योंकि रमन जी ने होश आने से पहले ही मेघा को मेंशन से दूर सर्वेंट क्वार्टर में रखा था और मेगा को अभी तक होश नहीं आया है।।
खुशी जी अपने कमरे में बैठी हुई थी उनके हाथों में एक पेपर था जिस पर सिटी हॉस्पिटल लिखा हुआ था। जैसे ही खुशी की उसे पेपर को खोलकर पड़ती है तो उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है!। 

आखिर ऐसा क्या पढ़ा है खुशी जी ने जिसकी वजह से उनके आगे फटी की फटी रह गई।।
कहानी में नई टीवीएस स्टार्स आने वाले प्लीज कहानी को जरूर पढ़िए।