Bandhan - 59 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 59

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 59

chapter 59


वह जैसे तैसे कर कर अपने दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी उसने कसकर अपनी मुट्ठी बंद कर ली थी और साथ में आंखों को भी। शशांक किसी से फोन पर बातें कर रहा था, वही दुर्गा अपने नोटबुक में कुछ लिख रही थी तो वही का‌ कार्तिक शिवाय के कान पाक रहा था और शिवाय का पूरा फोकस सामने ड्राइविंग पर था। 

सभी लोग अपने-अपने काम में बिजी थे कि उनके कानों में आरोही की दर्द भरी आवाज पड़ती है.....अ्अ्अ।
तो सभी का ध्यान आरोही की तरफ जाता है। 

अब आगे 

प्रेजेंट में 

कार्तिक अपनी बात को खत्म करता है। उसकी बात सुनकर वनराज दुर्गा से सवाल करता है 🤨 आखिर क्या मिलाया तुमने आरोही के ड्रिंक में जो उसकी हालत ऐसी हो गई?

"नहीं नहीं मैंने ऐसा कुछ नहीं मिलाया था ,जो उसकी हालत खराब कर दे, वह आरोही के विटामिन के दवाई थी। जो शशांक ने मुझे यह कह कर दिया कि वह जैसे तैसे कर कर आरोही को बिना पता चले विटामिन की दवाई खिला दे क्योंकि आरोही की तबीयत खराब थी। और वह दवाई खाने के लिए तैयार नहीं थी,,। दुर्गा हड़बड़ा  कर अपने हाथों को और गर्दन को  ना में हिलाकर बोल रही थी।

वनराज ,दुर्गा को अपनी आंखों छोटी  कर कर घूर 
😠 रहा था। जिसकी वजह से दुर्गा ने अपने गले को चिमटा कर कहां "सच्ची , कसम से भाई मैंने उसके ड्रिंक में सिर्फ विटामिन की दवाई मिलाई थी,,।

"तो उसकी हालत एकाएक  खराब कैसे हो गई? एक बार फिर से वनराज ने सवाल किया। 

इस बार दुर्गा बोली ,
फ्लैशबैक 

आरोही की दर्द भरी आवाज सुनकर सभी का ध्यान आरोही की तरफ जाता है तो वह लोग देखते हैं कि आरोही का पूरा शरीर पसीने से लथपथ हो गया था, उसके हाथ पैर कांप रहे थे। वह अपने आंखों को जोर से बंद कर कर सीसक रही थी।

अचानक आरोही की ऐसी हालत देखकर सभी लोग घबरा गए थे ।शिवाय के मानव धड़कन ही बंद हो गया था। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। 

तभी कार्तिक शिवाय से बोला "ब्रो जल्दी कार को अस्पताल की तरफ लेकर चलो। आरोही को अर्जेंट मेडिकेशन की जरूरत है।

उसकी बात सुनकर शिवाय कार को अस्पताल की तरफ मोड़ देता है पर कहते हैं ना की जब वक्त खराब चल रहा है तो सब कुछ ख़राब  ही होता रहता है। उन लोगों को अभी भी ट्रैफिक का सामना  करना पड़ रहा था। ना वह लोग आगे जा सकते थे ना ही पीछे। इतना ज्यादा ट्रैफिक था ।

किसी को समझ नहीं आ रहा था कि वह लोग क्या करें। दुर्गा आरोही का पसीना पहुंच रही थी तो वही शशांक आरोही को  स्वातान ना दे रहा था कि वह उसे कुछ नहीं होने देगा वह लोग जल्दी हॉस्पिटल जाएंगे।

शिवाय जैसे तैसे कर कार को ट्रैफिक से बाहर लाने की कोशिश कर रहा था। कुछ देर बाद शिवाय की मेहनत रंग लाई ,वह जितनी जल्दी हो सकता था- उतनी जल्दी कार को चला रहा था।

इसी बीच आरोही का दर्द और ज्यादा बढ़ गया था वह शशांक का हाथ पकड़कर ,एक ही बात बोल रही थी," भाई बहुत दर्द हो रहा है उसने एक हाथ को अपने पेट पर दबा रखा था जैसे वह दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है।

शिवाय आरोही की दर्द भरी आवाज को सुन रहा था और अपने हाथों को स्टेरिंग व्हील पर बेबसी की वजह से , जोर से कस रहा था।।

आधे घंटे में ही अस्पताल पहुंच जाते हैं, शशांक एक पल गवार बिना ही आरोही को गोद में उठाकर अस्पताल के अंदर जाता है। तो वही कार्तिक डॉक्टर, डॉक्टर कहकर चिल्ला रहा था।

शेखावत स्वास्थ्य केंद्र। 

यह हॉस्पिटल कार्तिक के फैमिली का ही था।

तभी डॉक्टर रोली आती है; वह कार्तिक को इतना घबराया देखकर उसे पूछती है, कि क्या हुआ वह ऐसे क्यों चिल्ला रहा है तो कार्तिक उसे पूछता है  आंटी मां कहां है? वह मेरी एक फ्रेंड की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई है ,प्लीज मां को जल्दी बुलाये।

रोली जी की नजर आरोही पर पड़ती है। तब वह जल्दी से वार्ड बॉय को स्ट्रेचर लाने को कहती है और आरोही को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट करने के लिए बोल देती है। व्हाट बाय बी होली जी की बात मानकर आरोही को इमरजेंसी में शिफ्ट करता है।

रोली कार्तिक और बाकी तीनों से बोलती है...... कि संजना जी अभी हॉस्पिटल में अवेलेबल नहीं है वह किसी और पेशेंट को देखने के लिए आउट ऑफ स्टेशन गई है। और उन्हें चिंता करने के लिए मना करती है और खुद जाकर आरोही का चेकअप करती है।

इमरजेंसी वार्ड का दरवाजा बंद होता है और बाकी सब लोग चिंता करते हुए बैच पर बैठ जाते हैं।
कार्तिक सबकी हालत खराब देख कर बोला चिंता मत करो आंटी गई है ना वह आरोही का अच्छे से चेकअप करेगी। 

कुछ समय बाद। 

रोली वार्ड से बाहर निकलती है, जिसे देखकर चारों के चारों डॉ के पास जाते हैं। और उनसे बिना रुके सवाल करने लगते हैं। 
आरोही को क्या हुआ है? 
उसकी हालात ऐसे कैसे हुई है? 
वह बेहोश क्यों है, उसे होश कब तक आएगा?
क्या कुछ सीरियस है। अदी सवाल कर रहे थे।

डॉक्टर सबको शान करती है और बोली, मैं अभी कुछ नहीं बोल सकती हूं। पर इतना जरूर कहूंगी कि जितना सीरियस तुम लोग सोच रहे हो उतना सीरियस कुछ नहीं हुआ है। 
और बाकी की बात में रिपोर्ट्स आने के बाद ही बता सकती हूं।

उनकी बात सुनकर सब राहत की सांस लेते हैं।। आज का दिन उन का अस्पताल में ही बीता था ,क्योंकि अभी तक आरोही को होश नहीं आया था और ना ही डॉक्टर ने कुछ बताया था।

तभी एक डॉक्टर आकर उनसे कहती है देखिए पेशेंट के साथ एक ही इंसान रुक सकता है बाकियों को घर जाना होगा। किसी का भी मन आरोही को इस तरह छोड़ कर जाने का नहीं था पर अस्पताल के रूल्स को बदला नहीं जा सकता था जिसकी वजह से शशांक को छोड़कर सभी लोग वहां से जा चुके थे। यह बात अभी तक तरुण को नहीं पता थी कि आरोही हॉस्पिटल में एडमिट है।


जैसे ही कार्तिक दुर्गा और शिवाय घर के लिए निकल गए थे लेकिन आधे रास्ते में शिवाय को कुछ याद आता है तो वह उन लोगों को घर जाने के लिए बोल देता और खुद रिटर्न हॉस्पिटल के लिए आता है।

रोली के वार्ड में 

डॉक्टर होली अपने चेयर पर बैठी हुई थी और उनके सामने शशांक बेचैन होकर बैठा हुआ था। 
शशांक पूछता है डॉक्टर क्या हुआ है आरोही को उसे अब तक होश  क्यों नहीं आया है क्या रिपोर्ट में कुछ सीरियस है। यह सवाल करते हुए शशांक की जुबान लड़खड़ा  रही थी उसके आंखों में डर की हल्की-हल्की झलक नजर आ रही थी।

डॉक्टर रोली शशांक को पहले पानी देती है और उसे शांत करती है फिर वह अपनी बात शशांक के आगे रखती है।

देखिए पेशेंट को ,अभी के लिए  ज्यादा सीरियस इशू नहीं है बट अगर इस चीज को और नेगलेक्ट करोगे तो आगे जाकर पेशेंट के लिए बहुत ही ज्यादा डेंजरस हो सकता है।

शशांक डॉक्टर की बात सुनकर ज़ाल जाता है उसे समझ नहीं आ रहा था कि ,यह डॉक्टर बोल क्या रही है एक बार वह बोलती है कि सीरियस इशू नहीं है तो दूसरी बार बोलती है कि डेंजरस हो सकता है , आखिर यह डॉक्टर कहना क्या चाहती है?

रोली जी को समझ आता है कि शशांक उसकी बातों को नहीं समझ पाया तो वह शशांक को एक्सप्लेन करती है कि आरोही को ovary cyst hua Hai।

अभी भी शशांक उनकी  बात पले नहीं पड़ी वह अपनी सवालिया निगाहों से उन्हें देखता है तो वह उन्हें सिस्ट के बारे में समझा रही थी।

देखो सिस्ट एक लिक्विड या सॉलिड टाइप का स्ट्रक्चर होता है जो आरोही के ओवरी में है। यह एक नॉर्मल सी बात है क्योंकि यह कैसे हरसो में से 10 लड़कियों को होता ही है। cysts की वजह से आरोही को पीरियड्स डिले आना, यह पीरियड्स में दर्द होना फ्यूचर में बच्चे ना होने का प्रॉब्लम होता है। 
अगर अर्ली स्टेज में इसका ट्रीटमेंट किया जाए तो अच्छा होगा लेकिन फ्यूचर में थोड़ी सी दिक्कत होती है। 

जिसके लिए हमें आरोही की एक छोटी सी सर्जरी करनी होगी, सर्जरी में हम सिस्ट को आरोही के ओवरी से निकाल देंगे तो उसे आगे कोई प्रॉब्लम नहीं होगा वरना आज जैसी हालत उसकी हुई है वैसे ही हर बार उसकी हालत होगी।

शशांक सर्जरी का नाम सुनकर ही घबरा गया था... जिसे देखकर रोली उसे बताती है कि यह सर्जरी बहुत बड़ी  नहीं है , और ना ही इसे आरोही को कोई जान का खतरा होगा।
डॉक्टर की बात सुनकर शशांक एक लंबी सांस लेता है और खामोश होता है।
डॉ शशांक को रिपोर्ट्स पास करती है और साथ में एक फॉर्म देती है अगर तुम लोग सर्जरी के लिए तैयार हो तो इस फॉर्म को भर देना।
एक pause लेकर आगे बाद बढ़ती है। हां......... अगर सर्जरी के लिए तैयार हो तो यह फॉर्म सुबह ही भर देना क्योंकि 12:30 बजे तक मेरा अपॉइंटमेंट किसी और पेशेंट के साथ है।

शशांक अपना गर्दन हिलाकर वहां से कशमकश में चला जाता है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। 

लेकिन जैसे ही वह वार्ड से बाहर आता है तो उसे सामने शिवाय खड़ा दिखता है उसके हाथ में एक पैकेट था। जिसे शशांक इशारे में पूछता है कि यह पैकेट क्या है और इसमें क्या है?

शशांक के सवाल का शिवाय एक टूक जवाब देता है ........."खाना ,,और शशांक को देए कर वहां से चला जाता है।

शशांक खाना लेकर आरोही के वार्ड में जाता है और वहां बैठकर खाना खाता है। 

यहां दूसरी तरफ 

शिवाय टैक्सी से घर जा रहा था और वह कुछ सोच रहा था उसने अपना एक हाथ  टैक्सी के शीशे पर टिकाते हुए सर को लगाता है। वह मन ही मन कुछ सोच कर ठान लेता है। उसके चेहरे पर एक चमक आती है।

कुछ समय में शिवाय घर पहुंच जाता है और अपने रूम में जाता है जहां पर दुर्गा और कार्तिक उसका इंतजार कर रहे थे। 

शिवाय उन दोनों को मन की बात बताता है जिसे सुनकर दुर्गा कार्तिक एक साथ चीलाते हैं....... क्याय्य्य्य 

शिवाय ने ऐसा क्या कहा जिसकी वजह से कार्तिक और दुर्गा ने ऐसे रिएक्ट किया? 
क्या शशांक मान जाएगा आरोही के सर्जरी के लिए जाने के लिए पढ़िए अगला चैप्टर।
लाइक कमेंट और रिव्यू देना ना भूले। और कहानी अच्छी लगे तो  कॉन से सपोर्ट जरूर करना।

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