Bandhan - 64 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 64

Featured Books
Categories
Share

बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 64

लक्ष्मी जी बिना हिचकी चाय इच्छा है तरुण की शादी के सारे रस्मों की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार होती है। वह चाहे कितनी भी लालची हो पर उन्होंने तरुण और वीर को भी अपने बच्चों जैसा ही प्यार दिया है। वह तरुण और वीर से यशी और तारा जैसा या जितना प्यार नहीं करती पर उनसे प्यार तो करती है। और उनका भी कोई बेटा नहीं है तो वह तरुण के शादी की रस्मों को निभाने के लिए तैयार थी।

उनके बात सुनकर जया जी भी बहुत खुश होती है। 

अब आगे

कपाड़िया मेंशन 

आज की राखी (रक्षा बंधन) कपाड़िया खानदान के लिए बहुत ही ज्यादा स्पेशल थी।

 आज घर के सारे जेंट्स में अलग-अलग रंग के पर ट्रेडिशनल कुर्ते पैजामा पहना हुआ था। तो वही सारी लेडिस ने साड़ी पहना हुआ था। पालकी दुर्गा और सांची नेक जैसा सूट पहना हुआ था जिसका रंग अलग था पर डिजाइन बिल्कुल से। 

दुर्गा ने अपने बालों को हल्के कार्ल कर कर खुला छोड़ दिया था, तो वही सांची ने अपने बालों की फ्रेंच चोटी बनाई हुई थी, तो वही पालकी ने बीच का मन निकालकर साइड चोटी बंधी हुई थी। 
तीनों ने हल्का-फुल्का मेकअप किया था।

सारे घर में आज संवि की एक्साइटमेंट भरी आवाज गूंज रही थी। जो घर को और भी ज्यादा खुशनुमा बना रहा था। आज किसी ने भी सुबह से कुछ नहीं खाया था यहां तक की किसी ने एक घूंट पानी का भी नहीं पिया क्योंकि सब लोग राखी बांधने के बाद ही कुछ खाना चाहते थे।

सोफे पर लाइन से वनराज ,कश्यप, शिवाय और अद्वितीय बैठे हुए थे, थोड़ी दूरी पर कौरव और  आर्य बैठे हुए थे। तो वही दुर्गा, सांची और पालकी अपनी-अपनी राखी के थल को अच्छे से सजा रहे थे। तो वही खुशी जी उर्मिला जी के साथ मिलकर संवि के  थल को सजा रहे थे।

अर्णव जी अपने पूरे परिवार को एक साथ मिलकर त्यौहार को सेलिब्रेट करते देखकर इमोशनल हो रहे थे। 

वही रमन जी और शेखर जी के आंखें नाम थी उन्हें अपने परिवार को एक साथ देखा कर ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई सपना देख रहे हो।

तभी वहां कार्तिक की आवाज आती है लेडिस एंड जैंटलमैन आपकी इंतजार का समय समाप्त हुआ आज का स्टार (अपनी एक उंगली को चारों तरफ घूमते हुए) इस महफिल में चमकने के लिए आया है। वह यह सब बड़े स्टाइल से बोलते हुए अंदर आता है। उसकी बात सुनकर दुर्गा मुंह बनाती है तो बाकी सब को हंसी आती है। 

उसके पीछे-पीछे Mr and Mrs Shekhawat शेखावत भी आते हैं.।। वह लोग अपने बेटे की नौटंकी देखकर बस अपने सर को बेबसी में हिलाने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे।

दुर्गा सबको राखी बांधने के लिए बैठने के लिए कहती है उसके बाद वह स्पीकर पर गाने चला देती है।( बैकग्राउंड सॉन्ग फूलों का तारों का सबका कहना है एक हजारों में मेरी बहना है।)

उसके बाद सभी लोग एक लाइन में बैठ जाते हैं ।
पहले, पालकी  अपने  भाइयों को राखी बनती है, कश्यप और अद्वितीय के साथ पालकी का पहला राखी था तो शिवाय के साथ 5 साल बाद।

 पहले वह वनराज और कश्यप को राखी बांधती है उसके बाद शिवाय की तरफ जाती है।

 जैसे ही पालकी शिवाय को राखी बांध रही थी वैसे बहुत ही ज्यादा इमोशनल हो रही थी। वह अपने आए आंखों की नमी को अपनी पलकों से छुपा कर शिवाय को राखी बांध रही थी। उसने शिवाय के हाथ(कलाई) में एक साथ छे रखिए बांधी थी, पांच राखी तो पिछले 5 साल की रखी थी जो उसने शिवाय के लिए अपने हाथों से बड़े प्यार से बनाया था। और छठवीं राखी कल रात को बनाया हुआ था।

पालकी  बड़ी सफाई से अपनी आंखों की नमी को छुपा कर अद्वितीय को राखी बनती है। अद्वितीय के अंदर अलग सी मिक्सड इमोशन फील हो रही थी, उसे यह सब बड़ा अच्छा भी लग रहा था पर अटपटा भी लग रहा था। आखिर में वह कार्तिक को राखी बनती है जो बड़े चाव से बैठ हुआ था। कार्तिक के चेहरे पर की चमक छुपाई नहीं चुप रही थी उसकी आंखों में एक्साइटमेंट साफ-साफ नजर आ रहा था। 

पालकी के राखी बांधने के बाद अब सांची की बारी थी, वह भी एक-एक कर कर सबको लाइन से राखी बांध रही थी। हर साल वह सिर्फ कश्यप और अद्वितीय को ही राखी बनती है पर इस साल वह अपने सारे भाइयों को राखी बांध रही थी। और उसे बोनस में कार्तिक जैसा चुलबुला इंसान भाई के रूप में  मिल गया,जो उस की तरह शरारती था।

तभी उसकी नजर प्रणय पर पड़ती है जो एक साइड ठहरकर अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर सबको देख रहा था। तो वह प्रणय को भी बुलाती है राखी बंधवाने के लिए। 

पहले तो प्रणय बहुत ही ज्यादा मना करता है पर सांची के ज़िद के  सामने उसे हर ही मानना पड़ता है। आखिर में वह प्रणय को राखी बांधकर मान जाती है।

उसके बाद दुर्गा सबको राखी बनती है दुर्गा को राखी बांधते देखकर कार्तिक वहां से धीरे से खिसक जाता है। उसकी ऐसी हरकत देखकर सभी को हंसी आ रही थी पर सभी ने अपने हंसी को कंट्रोल कर रखा हुआ था।
 
दुर्ग पाल की और सांची की राखी बांधने के बाद वह तीनों अपने भाइयों की एक साथ आरती करते हैं उसके बाद गिफ्ट सेशन की बारी आती है। 
तो सभी ने पहले 21000 ,21000 का शगुन दिया।

वनराज ने तीनों को (दुर्गा, पालकी, सांची) अपने कंपनी में 1% का शेर दिया था। जिसकी मंथली इनकम 10 लाख थी, जो ऑटोमेटिक उनके बैंक अकाउंट में डिपॉजिट हो जाएगा। 

 कश्यप ने उन तीनों को एक जैसी डिजाइन वाली डायमंड की पेंडेंट दिया था जिसके पीछे उन तीनों के नाम लिखे हुए थे। 

 शिवाय ने दुर्गा को स्पोर्ट बाइक दिया था, तो वही सच्ची और पालकी को अपने रेस्टोरेंट के डायमंड कार्ड दिया था। इस कार्ड की वैल्यू शिव के हर रेस्टोरेंट में थी। और शिवाय ने अपने लाइफ में पहली बार इस कार्ड को किसी को दिया था। यहां तक यह कार्ड कार्तिक या दुर्गा के पास भी नहीं था। 
 तो वही अद्वितीय ने  वर्ल्ड की सबसे बड़ी लग्जरियस ब्रांड का परफ्यूम गिफ्ट किया था।

तो वही कार्तिक ने सांची, पालकी को शेखावत फार्मास्यूटिकल में बना हुआ मेकअप प्रोडक्ट्स दिया था।(जिसमें फेस वॉश से लेकर मेकअप सेटिंग स्प्रे तक सब कुछ था) यह प्रोडक्ट्स जो no  केमिकल से बना हुआ था इसमें सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स ही उसे किए हुए थे जिसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता था।।

तो लास्ट में प्रणय की बारी थी उसने तो किसी के लिए कुछ गिफ्ट नहीं लिया था क्योंकि उसे नहीं पता था कि उसे भी कोई राखी बधेगा पर उसने  सांची और दुर्गा से वादा किया कि उन्हें जो चाहिए वह बता दे वह उन्हें ला देगा। प्रणय के चेहरे पर हल्की शर्म और झिझक दोनों थी। जिसकी वजह से उसकी नाक और माता हल्का-हल्का लाल हो चुका था।

उसकी ऐसी हालत देखकर सांची और दुर्गा उसे कहते हैं कि वह गिफ्ट अगली बार दें दे। और जो वह देगा वह उन दोनों को बहुत पसंद आएगा।

उन दोनों की बात प्रणय के दिल को छू जाती है।
तभी उन सबके कानों में संवि की गुस्से भरी आवाज आती है आप सब ने तो राखी सेलिब्रेट कर ली अब मेरे और बिग ब्रो और आर्य की बारी है। पर आप लोग तो बात करने में बिजी हो। और हमें लोगों को भूल गए। तथा'एस नॉट फेयर इतना बोलकर वह अपने दोनों हाथों को फोल्ड करती है। 

संवि इतनी क्यूट हरकत देखकर सबके दिल में उसे जोर से गले लगाने का मन कर रहा था और उसके गालों को काटने का मन कर रहा था। क्योंकि उसके छोटे-छोटे गाल मोतीचूर के लड्डू  जैसे फूले हुए थे।।

उसकी बात सुनकर सभी लोग बात करना बंद कर देते हैं।

"अच्छा ठीक है चलो दादी अम्मा आप भी अपना राखी का प्रोग्राम जल्दी से कंप्लीट करो , क्योंकि हम सब के पेट में अब चूहेे डिस्को कर रहे हैं ,, दुर्गा चिढ़ाने के अंदाज में संवि से कहती है।

दुर्गा को अपने आप को ऐसे चीढ़ते देखकर संवि के फूले हुए गाल और भी ज्यादा फूल जाता हैं।

 तभी उसकी नजर दरवाजे से आई हुई आरोही पर जाती है तो वह दौड़कर आरोही के पास जाती है और उसके पैर को गले लगाते हुए उसको सब की शिकायत करने लगती है।
आरोही उसे अपने आप से अलग कर कर उसको अपने गोद में उठाती है। 

संवि अपनी आंखों में घुसा लेकर अपनी छोटी-छोटी उंगली को सबके तरफ करते हुए बोलती है "प्रीटी लेडी आपको पता है यह सब लोग मुझे कितना परेशान कर रहे हैं, खासकर (दुर्गा की तरफ इशारा करते हुए) दुर्गा बूआ ‌।।

 तीनों बुआ ने  अपने ब्रदर्स को राखी बांध दिया और उनसे गिफ्ट भी ले लिया। अपनी चेहरे को मासूम बनाकर अपनी पलकों को बार-बार झपकाते हुए बात को आगे बढ़ती है पर यह लोग भूल गए कि, मैं अभी तक अपने ब्रदर को राखी नहीं बांधा है। और ना ही मुझे गिफ्ट मिले हैं।
 
इसकी शिकायत सुनकर सबके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आती है। 

 संवि आरोही को उम्मीद भरे नजरों से देख रही थी जैसे वह चाहती थी कि आरोही सबको उसे(संवि को) इग्नोर करने पर डांट लगाएं।

आरोही उसकी नजरों को समझ कर सब की तरफ अपने आंखों को बड़ी-बड़ी कर कर अपने आवाज में भारीपन लाते हुए बोलती हैं "आप सब की हिम्मत कैसे हुई प्यारी सी संवि को इग्नोर करने की, अभी तक उसने  अपने भाइयों को राखी नहीं बांधा ना ही उनसे गिफ्ट लिया है, पर आप लोग तो बात करने में ही बिजी हो,, that's not fair everyone यह तो नाइंसाफी है। आरोही की बात सुनकर संवि अपने गार्डन को ऐसे ऊपर नीचे कर रही थी जैसे आरोही जो बोल रही है वह सही है।

आरोही की बात सुनकर सभी लोग संवि से माफी मांगते हैं कि नेक्स्ट टाइम से संवि को इग्नोर नहीं करेंगे। 

तभी उर्मिला जीव ने याद दिलाती है की मूरत निकालने में कुछ ही समय है। मुहूर्त निकल जाए इससे पहले ही रखी बंदो ।

उनकी बात सुनकर आरोही संवि को अपने गोद से उतरती है, और उसे आर्य और कोयर को राखी बांधने के लिए कहती है।
लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि उसने देखा था कि बुआ ने अपने हाथों में थाली पकड़ कर तिलक कर कर राखी बांध उसके बाद आरती किया था। 
लेकिन उससे हाथों में थाली लेकर तिलक करने नहीं आ रहा था। 

उसे स्ट्रगल करते देखकर शिवाय उसकी मदद करने जा रहा था कि उससे पहले ही आरोही संवि के पास जाती है और घुटनों के बल बैठकर आरती के तल को पड़ती है और उसे इशारा करती है कि वह आर्य और कौरव का तिलक करें।

आरोही की बात मानकर संवि आरोही के इंस्ट्रक्शन के मुताबिक ही करती है। वह पहले दोनों को तिलक लगाती है उसके बाद उनके हाथ में राखी बनती है जो उसे सही से बंधने नहीं आ रहा था तो आरोही उसकी मदद करती है। उसके बाद वह आरोही की मदद से आर्य और कौरव की आरती करती है।।
सब कुछ होने के बाद आर्य और कार्य संवि को अपना अपना लाया हुआ गिफ्ट देते हैं।
 
उन दोनों ने संवि को गिफ्ट देने के लिए रात में अद्वितीय के हेल्प से  गिफ्ट स्टोर खुलवाया था और बहुत ही ज्यादा खोजबीन कर कर टाइम लगाकर उसके लिए गिफ्ट सिलेक्ट किया था।
कौरव ने संवि को गण का सेट देता है और साथ में एक बहुत ही बड़ा टेडी बेयर देता है जिसका रंग ग्रे कलर का था। और शगुन में₹11000 देता है जो ओबवियसली उसे रुचिता नहीं दिया है। 

आर्य ने उसके लिए किचन सेट लाया था, जो एक्चुअली में वैसा ही काम करता था जैसे घर के किचन के बर्तन करते हो। जिस पर संवि सचमुच खाना बना सकती थी। एक मिनी बाइक सेट दिया था। जिस में अलग-अलग रंग और मॉडल के बाइक्स थे।

संवि अपने गिफ्ट लेकर बहुत ही ज्यादा खुश होती है ‌। और सबको अपने गिफ्ट्स दिखने लगती है।।

सभी बच्चों की राखी होने के बाद अब बड़ों की बारी थी।
खुशी जी और उर्मिला जी के कोई भाई नहीं था जो उनके दूर के रिश्तेदार वाले भाई थे वह कब की परलोक सिधार चुके थे। जिसके वजह से वह किसी को राखी नहीं बंध पाए थे। 

तो वही मोहिनी जी और इशिता जी का भाई ने उनसे रिश्ता तोड़ दिया था। जिसकी वजह से वह अपने भाई को राखी नहीं बंद पाए थे। 
लेकिन इशिता की हर साल राम जी, सिद्धार्थ जी, नवीन जी को राखी बनती थी। 
तो इस साल भी वह तीनों को वापस राखी बांध देगी लेकिन इस साल उनके साथ मोहिनी जी भी उन तीनों को राखी बंधेगी। 
इसके वजह से वह लोग उन तीनों को राखी बांधते हैं तो वह तीनों भी उन दोनों को 71000 का शगुन देते हैं और साथ में सोने की कंगन देते हैं। 

तो वही शेखर जी और रमन जी  उदास आंखों से अपने खाली कलाई को देख रहे थे।  उन्हें अब इसकी आदत हो चुकी थी लेकिन आज अपने घर में सभी के हाथों में रखी देखकर उनका भी मन कर रहा था कि वह भी अपनी बहन से राखी बनवा ली लेकिन उनकी बहन तो कोमा में थी वह कैसे उनसे राखी बनवा सकते थे।

वह दोनों जैसे तैसे कर कर अपने उदासी को अपने चेहरे पर नहीं लाते हैं और वहां से चले जाते हैं क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनके आंखों में नमी कोई देख सके।

पर खुशी की अर्नब जी और उर्मिला जी तीनों ने अपने बेटो की आंखों में गहरी उदासी देखी थी। जिसे देखकर उनके भी दिल भर आया था। पर वह कुछ नहीं कर सकते थे। 

क्या ऐसे ही उदासी में चलेगी शेखर जी और रमन जी की राखी क्या कभी आएगा सिमरन जी को होश। 

आगे क्या होगा जाने के लिए पड़ी है अगला चैप्टर। रिव्यू ओर कमेंट करना मत भूलना। 
और हां रात में भी एक चैप्टर आएगा।