Bandhan - 68 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 68

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 68

chapter 68 

शिवाय की बात सुनकर कार्तिक शिवाय के गले पर हाथ लपेटे हुए बोला देख यार यह दुनिया उधर की इधर क्यों ना हो जाए मैं तेरा जीजा बनके रहूंगा और तुझे अपना साला बना कर रहूंगा चाहे अब तेरी बहन से शादी उसकी मर्जी से हो या जबरदस्ती से मेरी शादी होगी तो सिर्फ तेरी बहन से इतना बोलकर वह भी एक आप मारकर वहां से चला जाता है।

कार्तिक की बात सुनकर शिवाय का चेहरा देखने लायक था । शिवाय ने कार्तिक की आंखों में दुर्गा के लिए पजेसिवनेस अच्छे से देख ली थी। जिसे देखकर उसे एक राहत मिलती है और वह घर के अंदर की तरफ चला जाता है। 


अब आगे 

शिवाय मेंशन के गार्डन में संवि और आर्य के साथ खेल रहा था। वह तीनों लोग हाइड एंड सीक खेल रहे थे। 

पहले संवि की बारी होती है तो संवि आपने आंखों पर पट्टी बांधकर शिवाय और आर्य को ढूंढने की कोशिश करती है तो वही शिवाय और आर्य उसके इर्द-गिर्द घूमते हैं। 

कभी वह लोग उसे आवाज देकर अपनी तरफ बुलाते तो कभी कुछ भी हलचल कर कर उसे अपने आप को  पकड़ने के लिए उकसाते हैं।

कुछ देर तक आर्य और शिवाय संवि को परेशान करते हैं लेकिन संवि भी  हार माने बिना उन दोनों को पकड़ने की कोशिश करती है और आखिर में आर्य को पकड़ लेती है।

वह आर्य को पकड़ कर उछल-उछलकर कहती हैं" कि मैं जीत गई जीत गई,,।

शिवाय संवि के जीत पर ताली बजाता है और संवि की आंखों से पट्टी निकाल कर आर्य के आंखों में बांध देता है।

इस बार संवि का टाइम था आर्य को परेशान करने का -वह बहुत ही ज्यादा आर्य को परेशान करती है ।।

तभी उसके खुराफाती दिमाग में कुछ आता है और वह शिवाय को आर्य की तरफ धक्का देती है।

जिसकी वजह से आर्य शिवाय के टांगों को ,पकड़कर कहता" है मैंने डैडी को आउट किया है डैडी आउट है अब डैडी की बारी है,,। इतना बोलकर वह अपने आंखों से पट्टी को हटा देता है।

शिवाय अपने घुटनों के बाल नीचे बैठता है  संवि शिवाय की पट्टी को उसके आंखों पर बंधती है तो वही आर्य ध्यान रखता है की पट्टी  अच्छे से बंदी हो। 

उन दोनों का काम होते ही वह दोनों शिवाय से दूर खड़े होकर शिवाय से कहते कि शिवाय की बारी है उन दोनों को पकड़ने की जिसकी वजह से शिवाय भी मुस्कुराते हुए कहता है "मैं तुम दोनों को यू 2 मिनट में पकड़ लूंगा,, कहा कर ,वह उन्हें पकड़ने के लिए आगे बढ़ता है।🫥

आर्य और संवि शिवाय के गोल-गोल घूमते हुए उसे आवाज लगाने लगते हैं डैडी मैं यहां हूं -डैडी में यहां हूं। डैडी हमें पकड़िए ऐसे ही उछलकर उछलकर वह दोनों शिवाय की युद्ध जीत घूमते रहते हैं और उसे आवाज देने लगते हैं। 

शिवाय भी अपने बच्चों को यूं मस्ती करते देखकर बहुत खुश होता है और उनके खेल में साथ देते हुए उन्हें पकड़ने की नाकाम कोशिश करने लगता है।

तभी अचानक से यह खुशनुमा माहौल एकदम बदल जाता है। अभी गार्डन में शिवाय को आर्य और संवि की कोई आवास सुनाई नहीं दे रही थी यहां तक कि उनके कदमों की हलचल तक महसूस नहीं हो रहा था।

जिसे महसूस कर कर शिवाय दोनों को आवाज  लगाने लगता है "प्रिंसेस कहां हो तुम आर्य बच्चा कहां हो यू Dada को परेशान मत करो बच्चा,,।

लेकिन कुछ देर तक भी उन दोनों का कोई आवाज नहीं आता है जिसकी वजह से शिवाय अपने आंखों से पट्टी को हटाता है।

तो वह देखता है कि उसके आसपास कोई भी नहीं था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी के अभी आर्य और संवि कहां जा सकते हैं।।

शिवाय बिना देरी करें वह उन दोनों को पूरे गार्डन में ढूंढता है। वह उन दोनों को आवाज लगने लगता है पर सामने से दोनों बच्चों में से किसी का भी जवाब नहीं आता है।

वह पूरे गार्डन को अच्छे से छान चुका था यहां तक कि उसने दो बार पूरे गार्डन में आर्य और संवि को ढूंढा पर दोनों में से कोई भी एक नहीं दिखा ऐसा लग रहा था जैसे दोनों बच्चों को जमीन निग़ल लिया हो।

वह परेशान होकर घर के अंदर जाता है और घर वालों को आवाज लगाने लगता है लेकिन कोई भी उसका जवाब नहीं देता है जिसे देखकर वह और भी ज्यादा परेशान होने लगता है अब वह भाग कर थक चुका था उसके माथे से पसीना पानी की तरह बह रहा था।

उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक से क्या हुआ कि घर वाले और बच्चे दोनों क्यों नहीं दिखाई दे रहे हैं। उसके दिल में अजीब सी घबराहट हो रही थी। 

वह मेंशन से बाहर सबको ढूंढने के लिए भाग जाता है। तभी वह गेट के बाहर आरोही को अपनी तरफ आते हुए देखता है, तो वहां गेट के पास ही खड़ा हो जाता है।

शिवाय आरोही को अपनी तरफ आते देखकर ठहर जाता है लेकिन वह जब आरोही को गौर से देखने लगता है तो उसे कुछ अजीब सा महसूस होने लगता है जैसे कुछ अनहोनी हो गई हो। 

आरोही शिवाय के सामने आकर खड़ी होती है इस समय आरोही के चेहरे पर हमेशा की तरह सौम्या मुस्कान और कोमल भाव नहीं थे। उसके एक्सप्रेशंस बहुत ही ज्यादा सीरियस थे।

शिवाय आरोही के आंखों में देखा है तो उसे उसकी आंखों में एक दर्द पछतावा और नफरत की भाव नजर आने लगते हैं। 

वह इससे पहले आरोही के भावों को समझ कर उसे कुछ पूछ पाता या बोल पाता उससे पहले ही आरोही एक जंनाटे दार थप्पड़ मारती है।।
आरोही ने इस थप्पड़ में अपना पूरा ताकत छोड़ दी थी जिसकी वजह से शिवाय का सर एक तरफ हो जाता है और उसके गालों पर आरोही के 5  उंगलियों के निशान छप जाते हैं।

शिवाय के आंखों में इस समय कंफ्यूजन था उसका दिमाग तो अभी जो हुआ उसे प्रोसेस करने की कोशिश कर रहा था।

तभी शिवाय के कानों में आरोही की एक दमदार भरी आवाज पड़ती है "तुम्हें क्या लगा मिस्टर शिवाय कपाड़िया तुम इतना बड़ा सच मुझसे छुपाओगे तो मुझे कुछ नहीं पता चलेगा।

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मुझसे मेरे बच्चों को छीनने की,,

जो दर्द तुमने मुझे दिया है अब दर्द तुम झेलने के लिए तैयार हो जाओ ।जिस तरह से तुमने मुझसे मेरे बच्चों को छीना है।

उसी तरह से मैं अपने बच्चों को अपने साथ हमेशा हमेशा के लिए तुमसे दूर लेकर जाऊंगी उन दोनों को तुमसे इतना दूर ले जाऊंगी की तुम्हें उन दोनों की शक्ल तो दूर की बात उनके नाम तक सुनने नहीं मिलेगा,,।

उसके बाद सुनकर शिवाय दंग रह जाता है उसके आंखों में हैरानी साहब झलक रही थी। शिवाय को समझ नहीं आ रहा था कि इस समय क्या हो रहा है। 
तभी उसकी नजर आरोही के पीछे पड़ती है तो वह देखता है कि आरोही के पीछे उसका पूरा परिवार शर्मा फैमिली यह तकी मल्होत्रा फैमिली खड़ी हुई है जो बड़े घींन और नफरत से शिवाय को देख रही थी। 

तभी वह देखता है कि आरोही के पीछे से आर्य और संवि आकर खड़े होते हैं। 

शिवाय अपने दोनों बच्चों को देखकर उनके करीब  जाने लगता है तो वह दोनों झट से आरोही की उंगली पढ़ते हुए कहते हैं "we hate you dad are we hate you ‌। आपने क्यों हमने हमारी मम्मी से दूर रखा डाड। अब हम आपसे कभी बात नहीं करेंगे हम हमारे मामा के साथ रहेंगे,, इतना बोलकर वह दोनों आरोही के हाथ को कसकर पकड़ते हैं और आरोही से वहां से जाने के लिए कहते हैं। 

इस समय शिवाय को अपने पैरों से जमीन खिसकते हुए महसूस हो रहा था उसे अपने बच्चों के मुंह से अपने लिए ऐसे शब्द सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसके सीने पर खोलता हुआ लावा फेक रहे हो।

वह आर्य और संवि के पास जा पाता उससे पहले ही आरोही दोनों बच्चों का हाथ पकड़ कर वहां से जाने लगती है। 

वह तीनों के पीछे जा पाता उससे पहले ही कपाड़िया फैमिली शिवाय के सामने आकर खड़े होते हैं और उसे आरोही या बच्चों के पास जाने नहीं देते हैं। 

जिसकी वजह से वह बस अपने बच्चों को आवाज दे रहा था उसकी आवाज में तड़प दर्द साफ-साफ झलक रहा था।

"प्रिंसेस प्लीज dad को माफ कर दो, आर्य प्लीज मुझे छोड़कर मत जाओ बच्चा प्लीज आप दोनों वापस dad के पास आ जाओ आपके बिना dad  कैसे रहे पाएंगे,,

लेकिन उसकि यह तकलीफ देखकर भी किसी के दिल में कोई दया की भावना नहीं आई थी। वहां खड़े सभी लोग शिवाय को अपनी खाली आंखों से देख रहे थे। 

देखते ही देखते बच्चे और आरोही शिवाय की आंखों से ओझल हो गए थे जिसकी वजह से शिवाय हार कर अपने घुटनों के बल बैठकर सीसकने ने लगता है। 

तभी वह ऊपर आसमान की तरफ देखकर जोर से आर्य और संवि का नाम चिल्लाता है। 

तभी अचानक से शिवाय की आंख खुलती है। इस समय उसके सांसें  भारी भारी हो गई थी। उसकी माथे पर पसीना साफ-साफ झलक रहा था। 
तभी शिव अपनी आंखें खोल कर देखता है तो उसे सीलिंग दिखाई देने लगती है। 

वह एक झटके से उठकर अपने चारों तरफ देखा है तो वह देखता है कि इस समय वह एक चेयर पर बैठा हुआ था और उसके हाथों में कोई फाइल थी जिसे पकड़े ही वह सो गया था।

वह जल्दी से अपने चेहरे पर से पसीने को साफ करता है और बेड की तरफ देखा है जहां पर दोनों ही बच्चे सुकून से सोए हुए थे वह जल्दी से फाइल को साइड रखकर उन दोनों के पास जाता है और उन दोनों को अपनी बाहों में लेकर कसकर पकड़ता है।

जब आर्य और संवि नींद में खुद को कसते हुआ पाते हैं तो वह हिलने लगते हैं जिसे महसूस कर कर शिवाय उन दोनों पर से अपनी पकड़ को ढीला कर देता है। वह उन दोनों के माथे को चूम लेता है। 

और उसके बाद उसे क्या होता है पता नहीं कि वह अपने हाथों में फोन लेकर किसी को फोन करता है। 

सामने वाला इंसान तीन रिंग में ही शिवाय के कॉल को उठा लेता है। वह इंसान कुछ जवाब दे पाता उससे पहले ही उसे शिवाय की दमदार आवाज आती है "आधे घंटे में जट को रेडी रखो हम यहां से निकल रहे हैं,,। इतना बोलकर शिवाय कॉल को कट कर देता है (उसने सामने वाले इंसान को कोई जवाब देने ही नहीं दिया था)

बैग (सूटकेस) में कुछ इंपॉर्टेंट सामान पैक करने लगता है। उसके बाद वह दोनों बच्चों को अपनी गोद में उठाता है। वह यह चीज बड़े आराम से कर रहा था वह पूरी कोशिश कर रहा था कि दोनों में से किसी का भी नींद ना टूटे।

शिवाय जैसे तैसे कर कर अपने कमरे का दरवाजा खोलता है और बाहर जाने लगता है तभी वह सामने प्रणय को खड़े देखता है तो वह प्रणय को अंदर से सूटकेस लाने के लिए कहाता है ।।

प्रणय बिना सवाल करें शिवाय की बात मान लेता है और उसके कमरे से जाकर सूटकेस लेता है। 

वह दोनों इस वक्त बिना शोर करे ही घर से बाहर निकल जाते हैं। वह दोनों बाहर जाकर खड़े होते हैं तो ड्राइवर कार लेकर उनके सामने आता है तो प्रणय दरवाजा खोलता है तो शिवाय दोनों बच्चों को लेकर कार के अंदर बैठ जाता है प्रणय सूटकेस को डिक्की में डालकर खुद भी कर में बैठ जाता है। 

शिवाय और प्रणय के बैठते ही ड्राइवर कार को वहां से लेकर चला जाता है। कर के जाते ही कोई और भी था जो शिवाय और प्रणय के कार का पीछा कर रहा था। यह कौन है आप कमेंट में बताना ओके।।

कार कपाड़िया मेंशन से कुछ दूरी पर आकर रुक जाती है। कार के रुकते ही शिवाय आर्य और संवि को अपने गोद में लेकर कर से बाहर आता है। 
प्रणय भी डिकी में से सूटकेस को निकलता है। 
वह दोनों को वहां खड़े होकर 2 मिनट भी नहीं हुआ कि एक जाट आता है और उनके कुछ दूरी पर रुक जाता है। 

जाट के रुकने के बाद शिवाय दोनों को लेकर जट  के अंदर बैठ जाता है। प्रणय भी उसके पीछे बैठ जाता है। 

शिवाय पायलट को वहां से निकलने का ऑर्डर दे पाता उससे  पहले ही कोई आकार शिवाय को रोकता है। 

जब शिवाय उसे इंसान को देखा है तो एक पल के लिए हैरान रह जाता है फिर  वह इंसान को नजरअंदाज कर कर पायलट को वहां से जाने के लिए ऑर्डर देता है। 

लेकिन सामने वाला इंसान बड़े जिद्दी की सम था जो सामने से हटाने की ज़हमत नहीं उठा रहा था।

कुछ देर तक उसे इंसान और शिवाय के बीच बहस चिढ़ जाती है। लेकिन आखिर में शिवाय बहस को जीतता है ।जिसकी वजह से सामने वाले इंसान को शिवाय के सामने हार मानना पड़ता है पर वह का पीछा नहीं छोड़ता और खुद भी जाकर उसे जट के अंदर बैठ जाता है। 
जिसे देखकर शिवाय ना मे ,अपना सर हिला कर बच्चों के पास जाकर बैठ जाता है।

यह जाट शिवाय का अपना पर्सनल जाट था जिसकी वजह से यह कुछ ज्यादा लग्जरियस जाट था।

कुछ ही देर में जाट हवा से बातें करते हुए अमेरिका के और बढ़ गया।।

इस समय रात के 2 :30 बज रहे थे।

शर्मा हाउस, 
                  आरोही का कमरा

आरोही अपनी बेड पर किसी डिज्नी प्रिंसेस की तरह सुकून से सोई हुई थी। उसके चेहरे पर एक मासूमियत थी जिसे देखकर किसी को भी उसे पर बेइंतहा प्यार आने लगता। तकिए पर आरोही के बाल फैले हुए थे जो उसकी खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ने का काम कर रहे थे।

आरोही ने सोने से पहले खिड़कियों को बंद नहीं किया था। जिसकी वजह से बाहर से ठंडी हवा कमरे के अंदर आ रही थी। 

हवा की वजह से आरोही के कमरे के पर्दे हील रहे थे और साथ में उसके बाल उसके चेहरे को बार-बार चूम रहे थे।

सभी कोई आरोही के बालकनी से कूद कर उसके कमरे में आता है। 
और सोई हुई आरोही को एक तक निहारने लगता है। 



कहानी में क्या होगा जाने के लिए पड़ी है अगला चैप्टर।
आखिर कौन आया है आरोही के कमरे में ?

क्या शिवाय का सपना बस सपना था या आने वाली भविष्य की कोई झलक। 

आखिर कौन था जो शिवाय का पीछा कर कर रहा था।

क्या होगा तब जब सबको पता चलेगा कि शिवाय बिन बताए ही देश छोड़कर चला गया है।

आज का चैप्टर आपको कैसा लगा यह कमेंट में जरूर बताना। 
और हां रिव्यू देना मत भूलना। 

गैस और कुछ दिन तक वेट करो मैं डेली चैप्टर अपलोड करने की कोशिश करूंगी। 
तब तक के लिए टेक केयर बाय-बाय।