नेपाल की गाथा in Hindi Motivational Stories by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | नेपाल की गाथा

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नेपाल की गाथा


शेरों की मिट्टी — नेपाल की गाथा"

✍️ राजु कुमार चौधरी के जज़्बे से प्रेरित


हिमालय की छाँव में,

जहाँ हवाएँ भी बोलती हैं,

मिट्टी में छुपा है वो इतिहास,

जो हर दिल को झंकृत करती है।


गोरखों की तलवार नहीं,

उनकी धड़कन में है आग,

हर कदम उनकी जमीन पर,

है शेरों की आवाज़।


न कभी हार मानी, न कभी झुका,

रक्त में बहती है आज़ादी की नदियाँ,

हर प्राण यहाँ है समर्पित,

मातृभूमि के लिए अपनी लड़ाई में।


ब्रिटिश के कदम थमे यहाँ,

गोरखा के गर्जन से धरती काँपी,

यहाँ की मिट्टी ने सुनाई कहानी,

शौर्य की, जो अमर हो गई।


नेपाल नहीं सिर्फ एक देश,

यह तो स्वतंत्रता की मिसाल है,

जहाँ हर दिल में बसी है वो बात —

कभी न झुकने का जज़्बा,

"कभी न झुका नेपाल – गोरखों की गाथा"


✍️ राजु कुमार चौधरी द्वारा


> हिमगिरी के आँचल में बसा,

एक देश है बलिदानों का।

न किसी ने जंजीर पहनाई,

न कोई शिकारी बना शिकार का।


ये वो भूमि है वीरों की,

जहाँ गोरखा पैदा होता है।

तलवार नहीं, गर्जना से ही

दुश्मन का दिल रोता है।


ब्रिटिश आए घोड़े लेकर,

सोचा था जीत लेंगे सब कुछ।

पर नेपाल की माटी ने बोला —

"यहाँ लड़ाई होती है सच्ची, न साजिशवाली साजिश!"


सुगौली की स्याही से,

नक्शे में कुछ धब्बे आए।

पर आज़ादी की आत्मा

फिर भी न झुकी, न मिट पाई।


न ताज गया, न राज गया,

न खुद्दारी की बात गई।

गोरखा बोला —

“मातृभूमि के लिए तो जान भी सौगात है भाई!”


न कभी मुग़ल, न तैमूर आया,

न ब्रिटिश बन सका मालिक।

ये नेपाल है —

यहाँ हर बच्चा भी जन्म से स्वतंत्र सैनिक।





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> 🌄 नेपाल कोई देश नहीं, एक प्रेरणा है।

🌪️ यहाँ न गुलामी आई, न आज़ादी गई।

🚩 क्योंकि यहाँ के लोग लड़


🇳🇵 "गोरखा का खून – नेपाल की आज़ादी की कहानी"


✍️ लेखन: राजु कुमार चौधरी


भाग 1: हिमालय के साए में जन्मा एक स्वाभिमान


सन 1814 —

हिमालय की गोद में बसा एक छोटा, लेकिन स्वाभिमानी देश — नेपाल।


यहाँ के लोग खेत में किसान, और युद्ध में शेर होते थे।

हर बच्चा जब जन्म लेता, माँ कहती —


> "बेटा, ज़िंदा रहो तो देश के लिए… और मरो, तो भी देश के लिए!"




इस कहानी का नायक — वीर बहादुर सिंह — गोरखा सैनिक।

उसकी आँखों में आग थी, सीने में देशभक्ति, और हाथ में तलवार।

उसका सपना था — नेपाल को किसी का गुलाम नहीं बनने देना।



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भाग 2: अंग्रेज़ी चाल और गोरखा की ढाल


ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चारों तरफ साम्राज्य फैला रखा था।

भारत, बर्मा, श्रीलंका — सब उनकी मुट्ठी में थे।


पर जब उन्होंने नेपाल की तरफ देखा —

उन्हें लगा, “ये तो छोटा सा पहाड़ी देश है, इसे तो एक हफ्ते में झुका देंगे।”


गलती कर बैठे साहब लोग!


गोरखा सैनिकों ने कहा —


> “तुम बंदूक लाओ, हम हिम्मत लाएंगे।

तुम बारूद लाओ, हम भरपूर जज़्बा लाएंगे!”





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भाग 3: गोरखा युद्ध – जब ज़मीन हिली और इतिहास चिल्लाया


1814 में अंग्रेज़ों ने हमला किया।

लेकिन पहाड़ों की घाटियों से आवाज़ आई —


> “यहाँ हर पत्थर भी दुश्मन के लिए गोली बन जाएगा!”




वीर बहादुर सिंह ने अपनी छोटी सी टुकड़ी के साथ अंग्रेज़ों की फौज को रोक लिया।

कुरसे की पहाड़ी लड़ाई में अंग्रेज़ जनरल गिलेस्पी मारा गया —

ब्रिटिश अखबारों ने लिखा:


> “गोरखा सैनिक नहीं, बवंडर हैं!”





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भाग 4: संधि, लेकिन समर्पण नहीं


दो साल की लड़ाई के बाद, अंग्रेज़ थक गए।

उन्होंने सुगौली संधि की पेशकश की।


कुछ ज़मीन गई — हाँ,

लेकिन नेपाल की आज़ादी बची रही।


राजा ने कहा:


> "हम ज़मीन खो सकते हैं, पर आत्मसम्मान नहीं।

गुलामी का एक इंच भी हमें मंज़ूर नहीं!"





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भाग 5: आज़ादी की मिसाल – आज का नेपाल


आज भी, जब कोई बच्चा नेपाल में पैदा होता है,

उसकी नसों में गोरखा का खून दौड़ता है।


वीर बहादुर सिंह की गाथा आज स्कूलों में पढ़ाई नहीं जाती —

क्योंकि वो किताबों में नहीं, लोगों की रगों में ज़िंदा है।


और अंग्रेज़?

उन्होंने बाद में गोरखा सैनिकों को अपनी सेना में भर्ती करना शुरू कर दिया,

क्योंकि जो जीत न सके — उसे साथ रखना ही बेहतर समझा।



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📚 राजु कुमार चौधरी

✍️ लेखक | कवि | कहानीकार

📍प्रसौनी, पर्सा, नेपाल


"हर शब्द में जादू, हर कहानी में रहस्य"

यहाँ आपको मिलेंगी —

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🎯 सीख क्या है?


> "जिस देश में हिमालय है और दिलों में आग है —

उसे कभी कोई गुलाम नहीं बना सकता।"ना नहीं, मरना जानते हैं — पर झुकना नहीं।कभी न हार मानने का हाल है।