Sone ka Pinjra - 17 in Hindi Adventure Stories by Amreen Khan books and stories PDF | सोने का पिंजरा - 17

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सोने का पिंजरा - 17

सच्चाई का दंगल"

हवेली की ऊँची छतों से झूलते झूमरों की सुनहरी रोशनी में सब कुछ शाही दिखाई दे रहा था, लेकिन उस चमक के पीछे छिपा अंधेरा और चालाकियाँ ज्यादा खतरनाक थीं.

कबीर ने अपनी रेड वाइन का आखिरी घूँट लिया और क्रिस्टल ग्लास को धीरे से संगमरमर की मेज पर रख दिया. उसकी आँखें एक शिकारी की तरह चमक रही थीं—ठंडी, संयमित, और बेहद खतरनाक.

आंटी सुनीता उसकी बगल में खडी थीं. उनकी उँगलियाँ काँप रही थीं, पर आवाज में सख्ती थी—
कबीर, ये लोग आसानी से नहीं हारेंगे. यहाँ जितनी दौलत है, उतना ही जहर भी छिपा है।

कबीर मुस्कुराया, आंटी, जहर का जवाब जहर से ही देना पडता है।




हवेली का जाल

इसी बीच, जारिन और जेरेफ अपनी भारी- भरकम सिक्योरिटी के साथ अंदर दाखिल हुए. उनके पीछे काले कपडों में लिपटे गार्ड्स की लम्बी कतार थी. फर्श पर गूँजते उनके बूटों की आवाज पूरे हॉल को जैसे हिला रही थी.

जेरेफ ने ठंडी नजर डाली और कहा,
कबीर, तू सोचता है कि तूने हमें मात दे दी? असली खेल तो अब शुरू होगा।

जियाना ने अपनी हँसी दबाते हुए आईना सँवारा और सेरिन को आँख मारी. उसी वक्त, अचानक पूरे हॉल की लाइटें एक पल को झपकीं और फिर बिजली- सी cut गई.

हॉल घोर अंधेरे में डूब गया.

चारों ओर से फुसफुसाहटें, ठंडी हवाएँ और गार्ड्स के हडबडाए कदमों की आहट सुनाई देने लगी.




कबीर का दांव

अंधेरे में सिर्फ कबीर की आवाज गूँजी—
तुम सब सोचते हो कि दौलत ही असली ताकत है. लेकिन मैं साबित कर दूँगा कि दिमाग की चालाकी और सही वक्त की चोट हर लक्जरी से बडी होती है।

अचानक तेज रोशनी चमकी. छत से नीली किरणें निकलकर पूरे हॉल को उजाले में डुबो गईं.

सभी की नजरें ऊपर उठीं—वहाँ छोटे- छोटे ड्रोन मंडरा रहे थे. हर ड्रोन पर लगे कैमरे लाइव स्ट्रीम कर रहे थे.

कबीर ने मुस्कुराते हुए हाथ उठाया,
आज की ये दावत सिर्फ हवेली तक सीमित नहीं है. तुम्हारा हर चेहरा, हर चाल अब बाहर की दुनिया देख रही है. मीडिया, स्टॉक मार्केट और पावर गेम के बडे लोग सब कुछ लाइव देख रहे हैं।




हडकंप

जारिन का चेहरा सफेद पड गया.
ये. ये तूने क्या किया?

कबीर ने जवाब दिया,
तुम्हारी असलियत उजागर करना. तुम्हारे गुनाह, तुम्हारे सौदे, और तुम्हारे झूठ सबके सामने लाना।

जेरेफ ने गुस्से से हाथ उठाया और अपने गार्ड्स को इशारा किया, खत्म कर दो इसे!

लेकिन तभी फर्श से धुएँ का बादल उठने लगा. सफेद धुआँ इतनी तेजी से फैल गया कि गार्ड्स अपनी बंदूकें तक ठीक से देख नहीं पाए.

धुएँ के बीच से कबीर, अरहान और वेरिका निकल आए—सुनियोजित कदमों से, जैसे उन्हें हर रास्ता पहले से पता हो.




धोखा या नाटक?

जियाना ने हडबडाते हुए चिल्लाया, ये कैसे मुमकिन है? हमारे सारे नक्शे, सारी प्लानिंग—सब गलत कैसे हो गई?

सेरिन ने फोन उठाया, पर स्क्रीन पूरी तरह ब्लैक थी.
सिस्टम. सिस्टम हैक हो गया!

कबीर ने ठंडी हँसी हँसते हुए कहा,
तुम्हारे सारे टेक्नोलॉजी के खिलौने मेरे सामने बेकार हैं. जब दिमाग ही तुम्हारे हर कदम को कंट्रोल कर रहा हो, तो मशीनें क्या करेंगी?




खून का पहला छींटा

इसी बीच अचानक गोली चली.
एक गार्ड ने बिना सोचे- समझे ट्रिगर दबा दिया. गोली हवा चीरती हुई अरहान की बाँह से छूकर निकल गई.

वेरिका चीख पडी—
भाई!

लेकिन अरहान ने खून रोकते हुए कहा,
मैं ठीक हूँ. ये बस शुरुआत है।

उसकी आँखों में गुस्से की आग थी.




हवेली का सच

अचानक, दीवार पर टँगी एक पुरानी पेंटिंग खिसककर पीछे छिपा हुआ सीक्रेट दरवाजा खोल देती है.

सबकी नजरें उस दरवाजे पर टिक जाती हैं.

कबीर मुस्कुराकर आगे बढता है.
यही है वो जगह, जहाँ से इस हवेली की असली कहानी शुरू होती है।

दरवाजे के पीछे लंबा अँधेरा गलियारा था, जिसके अंत में सोने की चमकती तिजोरियाँ और पुराने दस्तावेज रखे थे.

कबीर ने दस्तावेज उठाए और सबके सामने फेंक दिए.
ये हैं हवेली की असली डील्स. जारिन और जेरेफ, तुम्हारी सारी काली कमाई और गैरकानूनी धंधे यहीं छिपे थे. अब ये लाइव सबके सामने हैं।




आखिरी मुकाबला

जेरेफ का चेहरा क्रोध से लाल हो गया.
उसने अपनी बंदूक निकाली और कबीर पर तान दी.

तेरा खेल अब यहीं खत्म!

हॉल में सन्नाटा छा गया.

लेकिन जैसे ही जेरेफ ने ट्रिगर दबाने की कोशिश की, पीछे से किसी ने उसका हाथ पकड लिया.

वो थी—आंटी सुनीता.

उनकी आँखों में अब डर नहीं था, बल्कि एक आग थी.
सालों तक तुम्हारे डर में जीया है. अब और नहीं!

उन्होंने झटके से बंदूक अपनी ओर खींच ली और गोली ऊपर झूमर में जा लगी.

झूमर टूटकर जमीन पर गिरा. काँच के टुकडे, सोने की कडियाँ और क्रिस्टल मोती हर तरफ बिखर गए.




क्लाइमैक्स की चिंगारी

चारों तरफ हडकंप मच गया.

गार्ड्स चीखते- चिल्लाते इधर- उधर भागने लगे.
धुएँ और टूटे झूमर के बीच कबीर ने एक धमाकेदार ऐलान किया—

अब ये हवेली सिर्फ दौलत का महल नहीं रहेगी. ये उन सबका कब्रिस्तान बनेगी, जिन्होंने इंसानियत को बेचकर अमीरी खरीदी है!




धमकी और धुआँ

जारिन और जेरेफ आखिरी बार एक- दूसरे को देखते हैं. उनकी आँखों में अब डर है.

जियाना और सेरिन हडबडाकर भागने लगती हैं, लेकिन कबीर की आवाज गूँजती है—
भागकर कहाँ जाओगे? दुनिया अब देख रही है. तुम्हारा हर पाप कैमरे में कैद हो चुका है. चाहे तुम छिप भी जाओ, तुम्हारा नाम मिट चुका है।

हवेली की दीवारों से धुएँ के बादल उठने लगे. बाहर पुलिस और मीडिया की गाडियाँ सायरन बजाती पहुँच चुकी थीं.




आखिरी पल

कबीर ने अरहान और वेरिका की ओर देखा.
अब खेल का अगला दौर हमारी जीत से शुरू होगा।

अरहान ने खून से सनी बाँह उठाकर मुस्कान दी.
वेरिका ने आँसू पोंछे और बोली,
आज हवेली ने पहली बार असली इंसाफ देखा है।




सस्पेंस का मोड

लेकिन तभी.

भीड और धुएँ के बीच से एक अजनबी साया बाहर आता है. काले कोट में लिपटा, चेहरे पर नकाब, और हाथ में पुराना डायर.

उसने भारी आवाज में कहा—
कबीर, तूने खेल तो जीता है. लेकिन असली दुश्मन अभी सामने नहीं आया।

कबीर की मुस्कान गायब हो गई.
उसकी आँखें सिकुड गईं.

तुम. कौन हो?

साया धीरे- धीरे आगे बढा और बोला—
मैं वो हूँ, जिसने ये हवेली बनाई. और अब मैं ही इसका आखिरी मालिक बनूँगा।




हवेली का नया खेल

हॉल के टूटे झूमर और धुएँ के बीच नकाबपोश आदमी की परछाईं और गहरी होती चली गई. हर किसी की साँसें थम गईं. बाहर पुलिस और मीडिया सायरन बजाते खडे थे, लेकिन अंदर हवेली के इस काले खेल का नया दौर शुरू होने वाला था.

कबीर ने कदम आगे बढाया, उसकी आवाज अब ठंडी और धारदार थी—
अगर तू सच में इस हवेली का मालिक है, तो ये सब षड्यंत्र क्यों? अपना असली चेहरा दिखा।

नकाबपोश ने धीरे- धीरे हाथ उठाया और चेहरे से नकाब उतार दिया.

सबके होश उड गए.

वो शख्स कोई अनजान नहीं, बल्कि विराज था—हवेली का असली वारिस, जिसे सालों पहले मरा हुआ माना गया था.




विराज की वापसी

अरहान और वेरिका की आँखों में आँसू आ गए.
पापा. आप जिंदा हैं?

विराज की नजरें ठंडी थीं, उनमें अपनापन नहीं, बल्कि एक अजीब- सी नफरत थी.
हाँ, मैं जिंदा हूँ. लेकिन जिस परिवार ने मुझे धोखा दिया, जिसने मुझे मरने के लिए छोड दिया—उसके लिए अब मेरे पास सिर्फ बदला है।

कबीर चौंका.
मतलब ये सब खेल. तुम्हारा था?

विराज ने कडवी हँसी हँसी.
जारिन, जेरेफ, जियाना, सेरिन—ये सब मेरे प्यादे थे. मैंने उन्हें पाला, ताकि एक दिन हवेली के हर कोने पर मेरा कब्जा हो।




टूटता परिवार

सारा, जो अब तक खामोश खडी थी, अचानक बोल पडी.
विराज! तुमने अपने बच्चों तक को मोहरे बना दिया? ये बदला नहीं, पागलपन है।

विराज ने चीखते हुए कहा—
चुप रहो! मैंने सब कुछ खोया था—तुम्हारा साथ, दौलत, इज्जत. अब मैं ये सब वापस लूँगा, चाहे इसके लिए खून क्यों न बहाना पडे।

अरहान ने घायल बाँह से पिता की ओर इशारा किया.
पापा, ये रास्ता गलत है. दुश्मन बाहर हैं, लेकिन आप. आप तो खुद हमें खत्म करना चाहते हो।

वेरिका रोते हुए बोली—
पापा, हमारे लिए आप भगवान थे. अगर यही आपका सच है, तो हम Kiss पर भरोसा करें?




हवेली का अँधेरा सच

विराज ने मेज पर रखा सोने का डायर उठाया और उसके पन्ने पलटने लगा.
इस डायर में हवेली का असली इतिहास है. यहाँ लिखी हर डील, हर गुनाह, हर रिश्वत मेरे हाथ में है. तुम सब सोचते हो कबीर बहुत चालाक है? लेकिन असली खिलाडी मैं हूँ. कबीर, तूने मेरा खेल बिगाडा—अब तुझे इसकी कीमत चुकानी होगी।

कबीर ने ठंडी मुस्कान दी.
विराज, तू जितना चाहे बडा खिलाडी बन, लेकिन तेरी सबसे बडी गलती यही है—तू अपने ही खून को भूल गया।




पुलिस और मीडिया की एंट्री

तभी हवेली के दरवाजे धडाम से टूटे और पुलिस अंदर घुस आई. कैमरों की फ्लैशिंग लाइट्स, मीडिया की चिल्लाहटें—पूरा हॉल अब एक युद्धक्षेत्र जैसा लग रहा था.

कमिश्नर अरमान ने चीखते हुए कहा—
सब हथियार नीचे रखो! ये हवेली अब पुलिस की निगरानी में है।

लेकिन विराज जोर से हँस पडा.
कमिश्नर, तुम्हें लगता है मैं इतना आसान शिकार हूँ? ये हवेली मेरी है, और यहाँ का हर दरवाजा, हर गार्ड, हर कोना मेरे इशारे पर चलता है।

उसने ताली बजाई—और अचानक छत से धुआँ छोडने वाले उपकरण चालू हो गए.




मौत का खेल

धुआँ फैलते ही गार्ड्स ने गोलियाँ चलानी शुरू कर दीं. पुलिस भी जवाबी फायरिंग में उतर आई. चारों ओर गोलियों की गडगडाहट गूँजने लगी.

जियाना और सेरिन ने भागने की कोशिश की, लेकिन वेरिका ने उन्हें रोक लिया.
अब भागकर कुछ नहीं मिलेगा. सच सामने आ चुका है।

जेरेफ ने हथियार उठाकर अरहान पर तान दिया, पर कबीर बिजली- सी तेजी से कूद पडा और जेरेफ को जमीन पर गिरा दिया. दोनों में भयानक हाथापाई होने लगी—कुर्सियाँ टूटने लगीं, शीशे बिखरने लगे.




सुनीता का बलिदान

इसी अफरा- तफरी में एक गोली सीटी बजाती हुई चली और सीधे कबीर की ओर बढी.

लेकिन बीच में आ गईं—आंटी सुनीता.

गोली उनके सीने में धँस गई.

कबीर चीख पडा—
आंटी!

सुनीता मुस्कुराईं, खून खाँसते हुए बोलीं—
कबीर. मैंने जिंदगी डर में गुजारी. लेकिन मौत बहादुरी से मिली. जीत तुम्हारी हो.

और उनकी साँसें थम गईं.

कबीर की आँखें खून से भर गईं. उसने जेरेफ को जमीन पर पटक दिया और गरजते हुए कहा—
अब खेल खत्म!




विराज बनाम कबीर

धुआँ छँटते ही कबीर और विराज आमने- सामने आ गए.

विराज ने बंदूक तानी.
तूने मेरी हवेली को रणभूमि बना दिया. अब या तो तू बचेगा या मैं।

कबीर ने जवाब दिया—
अगर तुझे सच में जीतना है, तो बंदूक छोड और मर्द की तरह सामने आ।

विराज चीखा और दोनों में भयंकर लडाई छिड गई. मुक्कों, लातों और गुस्से से हॉल हिलने लगा.

कभी कबीर दीवार से टकराता, कभी विराज जमीन पर गिरता. लेकिन दोनों की आँखों में एक ही आग थी—जीत की.




आखिरी वार

आखिरकार कबीर ने मौका पाकर विराज को जमीन पर दबोच लिया. उसके हाथ से बंदूक छीनकर दूर फेंक दी और गर्दन पर पकड कस दी.

विराज हाँफते हुए बोला—
कबीर. तू जीत गया. लेकिन याद रख. असली दुश्मन मैं नहीं हूँ.

कबीर ने चौंककर हाथ ढीला किया.
मतलब.

विराज ने टूटी- फूटी साँसों में कहा—
इस हवेली के पीछे. कोई और है. जिसने मुझे भी मोहरा बनाया.

और उसके बाद उसकी आँखें बंद हो गईं.




सस्पेंस का धुआँ

हॉल में सन्नाटा छा गया. पुलिस ने बचे- खुचे गार्ड्स को पकड लिया. मीडिया कैमरे कबीर, अरहान और वेरिका पर टिके थे.

कबीर ने खून से सनी शर्ट में खडे होकर कहा—
ये लडाई यहीं खत्म नहीं हुई. विराज सिर्फ मोहरा था. असली खेल अभी बाकी है।

वेरिका ने धीमी आवाज में पूछा—
भैया. अगर पापा भी मोहरा थे. तो असली खिलाडी कौन है?

अरहान ने जवाब दिया—
शायद वो. जिसने हवेली को ‘सोने का पिंजरा’ बनाया।

कबीर ने टूटी आवाज में कहा—
और अब हमें उस पिंजरे की असली चाबी ढूँढनी होगी.




एक. तूफान के बाद की खामोशी

हवेली की संगमरमर की फर्श पर अब भी खून की बूंदें चमक रही थीं. टूटे झूमर के टुकडे, बिखरे कागज, और जली हुई लकडी की गंध हवा में फैली थी. बाहर मीडिया का शोर कम हो चुका था, लेकिन अंदर हर चेहरा थकान और सदमे से भरा था.

कबीर दीवार से टिककर खडा था, उसका चेहरा धुएँ से काला हो चुका था. अरहान की बाँह पट्टी से बँधी थी, वेरिका आँसुओं से भरी आँखों से अपने पिता—विराज—की निस्पंद देह को देख रही थी.

कमिश्नर अरमान ने गंभीर आवाज में कहा—
अब खेल साफ है. विराज ही इस हवेली के पीछे का मास्टरमाइंड था।

कबीर ने धीमे स्वर में जवाब दिया—
नहीं कमिश्नर. ये तो बस पहला पर्दा था. असली मास्टरमाइंड अभी भी छुपा हुआ है. विराज खुद आखिरी साँस में कह गया—‘मैं मोहरा हूँ। ’”

अरमान चुप हो गया. हवा में ऐसा तनाव था मानो अभी कोई नया तूफान उठने वाला हो.




दो. रहस्यमय दस्तावेज

कबीर ने टेबल पर बिखरे दस्तावेज उठाए. डायर के पन्नों पर अजीब कोड, गुप्त हस्ताक्षर और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के नाम दर्ज थे.

अरहान ने पूछा—
ये सब क्या है?

कबीर ने गहरी साँस ली.
ये हवेली सिर्फ दौलत का घर नहीं. ये एक सोने का पिंजरा है. यहाँ से पूरी दुनिया में गैरकानूनी व्यापार, हथियारों की डीलिंग और सत्ता का खेल चलता है. विराज उसका हिस्सा था. लेकिन असली मालिक कोई और है।

वेरिका काँपती आवाज में बोली—
तो पापा ने हमें क्यों नहीं बताया?

कबीर की आँखें सिकुड गईं.
क्योंकि पिंजरे की चाबी उसके पास भी नहीं थी।




तीन. अंधेरे से आई Call

इसी बीच कबीर का फोन बज उठा. स्क्रीन पर अनजान नंबर चमक रहा था.

कबीर ने रिसीव किया. दूसरी तरफ से भारी, धातु जैसी आवाज आई—
कबीर. तूने विराज को हरा दिया. बधाई हो. लेकिन ये मत समझ कि तू जीत गया. असली खेल तो अब शुरू होगा।

कबीर ने गुस्से से कहा—
कौन है तू? सामने आ!

आवाज हँस पडी—
मुझे सब ‘खिलाडी’ कहते हैं. मैं वही हूँ जिसने इस हवेली को बनाया, इस दौलत को जोडा और हर शख्स को मोहरे की तरह चलाया. विराज मेरा प्यादा था, और अब तू भी मेरे खेल में शामिल हो चुका है।

Call cut गई.

हॉल में सन्नाटा छा गया.




चार. नया खतरा

कमिश्नर अरमान ने चिंता से कहा—
अगर ये सच है, तो खतरा और बडा है. ये खिलाडी कोई आम आदमी नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे ताकतवर हस्तियों में से होगा।

कबीर ने दृढ स्वर में कहा—
जो भी है, मैं उसे खोजकर बाहर लाऊँगा. चाहे उसके पीछे कितनी भी ताकत क्यों न हो।

अरहान ने सिर हिलाया.
भाई, हम भी साथ हैं. ये सिर्फ बदला नहीं. अब हमारी जिम्मेदारी है।

वेरिका ने आँसू पोंछे और ठंडे स्वर में कहा—
अगर पापा ने हमें मोहरा बनाया, तो हम अब किसी के प्यादे नहीं बनेंगे. हम खिलाडी को उसके खेल में हराएँगे।




पाँच. हवेली का गुप्त तहखाना

कबीर ने दस्तावेजों में एक नक्शा पाया. उसमें हवेली के नीचे बने गुप्त तहखाने का जिक्र था.

तीनों नीचे उतरे. लोहे के भारी दरवाजे खोलते ही अंदर अँधेरा और सडांध की गंध फैली. वहाँ पुराने कंप्यूटर, हथियारों के बक्से और गुप्त फाइलें रखी थीं.

कंप्यूटर चालू होते ही स्क्रीन पर एक वीडियो चला. उसमें खिलाडी का चेहरा नकाब से ढका था.

अगर ये वीडियो तुम्हें मिल रहा है, तो समझो तुम मेरी बिसात पर आ चुके हो. हवेली सिर्फ शुरुआत थी. अगला खेल शहर की संसद, देश की राजनीति और दुनिया के बाजारों में होगा. क्या तुम मुझे रोक पाओगे, कबीर?

स्क्रीन ब्लैक हो गया.

अरहान की मुट्ठियाँ भींच गईं.
ये सिर्फ हवेली की जंग नहीं. ये पूरी दुनिया के लिए खतरा है।




छह. सत्ता का जाल

अगले दिन खबरें हर चैनल पर चल रही थीं—

हवेली कांड का खुलासा—दुनिया की सबसे बडी काली डील का पर्दाफाश।
विराज का नाम सामने, लेकिन असली मास्टरमाइंड अभी भी अज्ञात।

राजनीति में भूचाल आ गया. कुछ मंत्री इस्तीफा दे रहे थे, कुछ एक- दूसरे पर आरोप मढ रहे थे.

कबीर ने अखबार फेंकते हुए कहा—
खिलाडी सिर्फ दौलत और हथियारों तक सीमित नहीं. उसका हाथ सत्ता में भी है. यही वजह है कि वो इतना ताकतवर है।

वेरिका ने धीमी आवाज में कहा—
तो हमें उसकी जड तक पहुँचना होगा. चाहे इसके लिए हमें राजनीति की गहराइयों में क्यों न उतरना पडे।




सात. धोखे की परतें

इसी बीच हवेली में एक नया मेहमान आया—आरव.

वेरिका का बॉयफ्रेंड.

वो चिंतित चेहरे के साथ बोला—
वेरिका, मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ. मुझे भी खिलाडी के बारे में कुछ जानकारी है।

कबीर ने शक भरी नजरों से उसे देखा.
कौन- सी जानकारी?

आरव ने धीरे- धीरे कहा—
खिलाडी सिर्फ एक इंसान नहीं. वो एक संगठन है. ‘सर्प सिंडिकेट’। और मैं. उसके खिलाफ सालों से लड रहा हूँ।

वेरिका हैरान रह गई.
तुमने मुझे कभी क्यों नहीं बताया?

आरव ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
क्योंकि सच बताने का सही समय अब आया है।




आठ. हवेली से बाहर

कबीर, अरहान, वेरिका और आरव ने हवेली छोडने का फैसला किया. बाहर निकलते ही उन्हें पता चला कि उनके पीछे नजर रखी जा रही है.

काली गाडियों का काफिला उनका पीछा कर रहा था. सडकों पर तेज रफ्तार का पीछा शुरू हुआ. गोलियों की आवाजें, टूटती गाडियाँ और जलते टायर—शहर की सडकों पर अफरा- तफरी मच गई.

कबीर ने गाडी मोडते हुए कहा—
ये खिलाडी हमें आसानी से नहीं छोडेगा. लेकिन हम भी अब भागेंगे नहीं।




नौ. खिलाडी की झलक

आखिरकार वे एक सुनसान गोदाम पहुँचे. वहाँ दीवार पर बडा स्क्रीन लगा था. स्क्रीन पर खिलाडी का नकाबपोश चेहरा फिर दिखाई दिया.

कबीर, तू जितना भागेगा, उतना फँसेगा. तूने सुनीता को खोया, अब सोच अगर अगली बार तेरे अपनों की बारी आई तो?

स्क्रीन पर वेरिका की तस्वीरें फ्लैश हुईं.

कबीर की आँखों में आग भडक उठी.
अगर तूने मेरी बहन को छूने की कोशिश भी की, तो मैं तेरी पूरी दुनिया जला दूँगा।

खिलाडी हँसा—
देखते हैं, कबीर. खेल अभी शुरू हुआ है।




दस. नया संकल्प

गोदाम के अंधेरे में खडे चारों ने एक- दूसरे की ओर देखा.

कबीर ने हाथ उठाया—
अब ये सिर्फ परिवार की लडाई नहीं. ये इंसाफ की जंग है. हम खिलाडी के हर मोहरे को तोडेंगे, उसकी हर चाल उलटी करेंगे. और अंत में उसे उसी पिंजरे में कैद करेंगे जो उसने दुनिया के लिए बनाया है।

अरहान ने घायल बाँह उठाई.
हम तैयार हैं।

वेरिका ने दृढ स्वर में कहा.
ये पिंजरा अब टूटा जाएगा।

आरव ने ठंडी मुस्कान दी.
लेकिन याद रखना—खिलाडी तुम्हारी सोच से भी ज्यादा खतरनाक है।




सस्पेंस का अंत नहीं.

बाहर आसमान पर बिजली चमकी. हवा में धूल और तूफान उठने लगा.

कहानी यहाँ रुकी, लेकिन सवाल हवा में गूंजता रहा—

आखिर खिलाडी कौन है?
क्या आरव सचमुच उनका साथी है या वो भी खिलाडी का हिस्सा है?
और क्या सोने का पिंजरा कभी टूट पाएगा?





अब आगे

हवेली का सच और सुनीता की असली चाल

हवेली के संगमरमर के फर्श पर खून की मोटी परत जम चुकी थी. सुनीता आंटी की निस्पंद देह वहीं पडी थी. चारों ओर गार्ड्स, जारिन और जेरेफ के आदमी चौकन्ने खडे थे. हवा में अब भी बारूद की गंध तैर रही थी.

अरहान ने जमीन पर घुटने टेक दिए और सुनीता आंटी का चेहरा अपनी गोद में रखा. उसकी आँखों से गुस्से और दर्द की लकीरें साफ झलक रही थीं.

अरहान: आंटी. आपने क्यों. हमें अकेला क्यों छोड दिया?

कबीर ने अरहान का कंधा पकडा. उसके चेहरे पर न दर्द था न आंसू, बल्कि एक अजीब ठंडा आत्मविश्वास.

कबीर: मत भूलो, अरहान. सुनीता कभी साधारण औरत नहीं थीं. उनकी मौत सिर्फ मौत नहीं, खेल की नई चाल है।

वेरिका ने हैरान होकर कबीर की तरफ देखा.

वेरिका: आप कहना क्या चाहते हैं?

कबीर ने जेब से छोटा- सा पेन ड्राइव निकाला — वही जो सुनीता आंटी की कलाई पर बंधी चूडी के अंदर छिपा था.

कबीर: ये. उनका आखिरी तोहफा है. मरने से पहले वो हमें सबसे बडा राज देकर गई हैं।




पेन ड्राइव का सच

कबीर ने हवेली की दीवार पर लगे पुराने प्रोजेक्टर सिस्टम को चालू किया. स्क्रीन पर कोडेड फाइल्स और वीडियो रेकॉर्डिंग्स उभर आईं.

वीडियो में सुनीता आंटी बोल रही थीं, उनकी आवाज काँप रही थी लेकिन आँखों में सख्ती थी:

सुनीता( वीडियो में)
कबीर. अगर तुम ये देख रहे हो, तो समझ लो मैं अब इस खेल का हिस्सा नहीं रही. सालों से मैं जारिन और जेरेफ के लिए काम कर रही थी. हाँ, मैं उनकी आँखें और कान थी. लेकिन सच ये है कि मैंने जो भी किया, तुम्हारी हिफाजत के लिए किया. मैंने दुश्मनों का भरोसा जीतकर उनके सारे राज चुराए हैं. अब ये सब तुम्हारे हवाले हैं।

वीडियो में आगे हवेली का नक्शा, गुप्त कमरे, हथियारों का जखीरा और एक और बडा खुलासा सामने आया.

सुनीता:
जारिन और जेरेफ महज कठपुतली हैं. असली मालिक. कोई और है. वो परछाइयों में छिपकर खेल चला रहा है. मैंने उसका नाम खोज निकाला है. ‘साए का सम्राट’। अगर तुम जीतना चाहते हो, तो पहले उस सम्राट को गिराना होगा।

वीडियो अचानक cut गया.

सन्नाटा छा गया. हर कोई स्तब्ध खडा था.




जारिन और जेरेफ का गुस्सा

हॉल के दूसरी तरफ जारिन ने ठहाका लगाया.

जारिन: वाह सुनीता. तुमने हमें धोखा दिया? हमारे ही घर में हमें बेवकूफ बनाया?

जेरेफ की आँखें खून की तरह लाल हो गईं. उसने अपने गार्ड्स को इशारा किया.

जेरेफ: आज ही इस धोखे का हिसाब होगा. कबीर, तुम्हारा खेल यहीं खत्म कर दूँगा।

लेकिन कबीर मुस्कुराया. उसने अपने क्रिस्टल ग्लास से वाइन की आखिरी चुस्की ली और मेज पर रख दिया.

कबीर: तुम्हें अब भी समझ नहीं आया, जेरेफ? तुम्हारी हर चाल तुम्हारे मालिक तक जाती है. और अब हमारे पास उसका नाम है।




हवेली की जंग

गार्ड्स ने गोलियों की बरसात शुरू कर दी. हवेली की भव्यता अचानक जंग के मैदान में बदल गई. झूमर गिरने लगे, काँच टूटने लगे.

अरहान ने वेरिका का हाथ थामा और उसे पीछे धकेलते हुए पिस्तौल निकाली. उसकी गोलियों ने तीन गार्ड्स को वहीं ढेर कर दिया.

वेरिका ने भी पास की मेज से कैंडल स्टैंड उठाया और एक हमलावर के सिर पर दे मारा. खून की छींटें संगमरमर की दीवारों पर फैल गईं.

कबीर ने अपनी जैकेट से छिपा ब्लेड निकाला और एक गार्ड के गले पर वार कर दिया.

कबीर: यही है असली चालाकी — दुश्मन के हथियार को उसी के खिलाफ इस्तेमाल करना।




हवेली का गुप्त रास्ता

लडाई के बीच अचानक प्रोजेक्टर स्क्रीन पर एक नक्शा चमका — हवेली के नीचे गुप्त सुरंग का रास्ता.

अरहान: ये वही है जो आंटी ने छोडा था! अगर हमें साए के सम्राट तक पहुँचना है तो इसी रास्ते से जाना होगा।

वेरिका ने घबराकर कहा: लेकिन ये तो हवेली के तहखाने से निकलता है. और तहखाना. जियाना और सेरिन के कब्जे में है।

कबीर ने सिर हिलाया.

कबीर: तो फिर वक्त आ गया है, उनके खेल को तोडने का।




जियाना और सेरिन की चाल

तहखाने की ओर जाते ही जियाना सामने आ गई. उसके हाथ में रिमोट था.

जियाना: एक और कदम बढाया, तो पूरा तहखाना उड जाएगा।

सेरिन ने मोबाइल उठाकर लाइव स्ट्रीम शुरू कर दी. पूरी दुनिया उनकी चाल देख रही थी.

सेरिन: अब ये सिर्फ हवेली की लडाई नहीं. ये शो है. लोग देखेंगे, कौन जीता और कौन मरा।

कबीर ने गहरी साँस ली और मुस्कुराया.

कबीर: तुम्हें लगता है लाइव स्ट्रीम से हमें डर लगेगा? असली डर तो तुम्हें होना चाहिए. क्योंकि तुम्हारे कैमरे अब मेरे नियंत्रण में हैं।

उसने जेब से छोटा डिवाइस निकाला और बटन दबाया. अगले ही पल स्क्रीन ब्लैक हो गई. सेरिन का चेहरा सफेद पड गया.




धमाकेदार क्लाइमेक्स की शुरुआत

अचानक तहखाने की छत हिली और ऊपर से गोलियों की बौछार हुई. ये जारिन और जेरेफ के नए गार्ड्स थे.

अरहान और वेरिका ने पोजिशन ली, गोलियों और छुरों की भिडंत शुरू हुई.

जियाना ने गुस्से में रिमोट दबा दिया — लेकिन कुछ नहीं हुआ.

जियाना( हैरान) ये कैसे. बम क्यों नहीं फटा?

कबीर ने आँखें तरेरीं.

कबीर: क्योंकि आंटी सुनीता ने मरने से पहले ये भी कर दिया था. तुम्हारे सारे बम अब बेकार हैं।

जियाना चीख उठी. सेरिन पीछे हटने लगी.

लेकिन तभी.




साए का सम्राट

तहखाने के सबसे अंधेरे कोने से एक आवाज गूँजी.

कबीर.

हर कोई ठिठक गया. आवाज भारी, डरावनी और रहस्यमय थी.

अंधेरे से एक नकाबपोश शख्स बाहर आया. उसके पीछे दर्जनों हथियारबंद लोग थे.

नकाबपोश: मैं ही हूँ साए का सम्राट. खेल अब असली रूप ले चुका है. सुनीता ने धोखा दिया, लेकिन अब उसकी मौत से मुझे फर्क नहीं पडता. क्योंकि मैं. खुद मैदान में उतर चुका हूँ।

कबीर, अरहान और वेरिका एक- दूसरे को देख रहे थे. खेल अब उनके सामने अपने असली मालिक को दिखा रहा था.




आखिरी टकराव का सस्पेंस

कबीर ने धीमे स्वर में कहा:

कबीर: तो अब असली बाजी शुरू होगी. तुम्हारा पर्दाफाश यहीं होगा।

साए का सम्राट हँस पडा.

सम्राट: नहीं, कबीर. तुम्हें और तुम्हारे परिवार को यहाँ से जिंदा कोई नहीं निकलने दूँगा. अब देखना. मौत का असली खेल।

तभी अचानक तहखाने की दीवारें बंद होने लगीं. पूरा कमरा लोहे के जाल में फँसने लगा.

हर कोई हडबडा गया. अरहान ने चिल्लाया: ये तो जाल है!

कबीर ने आँखें बंद कीं, और बुदबुदाया:

आंटी सुनीता. तुम्हारी आखिरी चाल क्या यही थी? या इसमें भी कोई राज छुपा है.




और यहीं पर सीन cut होता है —
तहखाने में कबीर और उसका परिवार फँसा है, सामने साए का सम्राट खडा है, और हवेली मौत के जाल में बदल चुकी है.

लोहे की दीवारें धीरे- धीरे एक- दूसरे से सट रही थीं. हवा भारी हो चुकी थी, घुटन बढने लगी. लोहे के पैनल से टकराकर गोलियों की आवाज और ज्यादा खतरनाक गूँज रही थी.

अरहान ने तुरंत अपनी पिस्तौल सम्राट की ओर तानी.
अरहान: रुको! अगर जरा भी पास आए, तो मैं गोली मार दूँगा।

सम्राट ने मास्क उतारने की जरूरत नहीं समझी, लेकिन उसकी आँखें अंधेरे में लाल अंगारों की तरह चमक रही थीं.
सम्राट: गोली चलाओगे तो ये दीवारें और तेजी से बंद होंगी. तुम्हें अपने ही जाल में मरना होगा।

वेरिका डर से कबीर की बाँह पकडकर बोली:
वेरिका: पापा. अब क्या होगा? ये दीवारें हमें कुचल देंगी।

कबीर ने शांत आवाज में कहा:
कबीर: जब तक मैं जिंदा हूँ, कोई हमें हरा नहीं सकता. याद रखो—हर जाल में एक दरवाजा होता है, बस उसे ढूँढना पडता है।




हवेली का रहस्यमय तंत्र

कबीर ने अचानक सुनीता आंटी की छोडी हुई फाइल को याद किया. उसमें हवेली के गुप्त तंत्र का जिक्र था. वह दीवार की तरफ झुककर बोला:
कबीर( धीरे) यही तो. ये दीवारें सिर्फ मौत का जाल नहीं, हवेली की रक्षा प्रणाली भी हैं. मतलब इन्हें रोका जा सकता है।

अरहान ने तुरंत दीवार पर उभरते चिन्हों को देखा.
अरहान: पापा! ये चिन्ह किसी कोड जैसे लग रहे हैं।

कबीर मुस्कुराया.
कबीर: सही कहा बेटा. ये कोड ही दरवाजा है।




सेरिन की गद्दारी का खुलासा

इसी बीच सेरिन ने सम्राट की तरफ कदम बढाए.
सेरिन: मैंने आपकी आज्ञा पूरी कर दी. अब मेरी डील पूरी कीजिए।

अरहान भडक उठा.
अरहान: तू भी गद्दार निकली?

सेरिन ने हँसते हुए कहा:
सेरिन: हाँ, मैं शुरू से सम्राट के साथ थी. सुनीता ने सच बाहर निकालने की कोशिश की, इसलिए उसे मरना पडा।

वेरिका का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
वेरिका: तेरा हिसाब मैं करूँगी।

उसने पास पडा लोहे का डंडा उठाया और बिजली की तेजी से सेरिन पर झपट पडी. दोनों के बीच जबरदस्त हाथापाई शुरू हो गई.




मौत के करीब

दीवारें अब और करीब आ चुकी थीं. हर सेकंड मौत का दबाव बढ रहा था.

जेरेफ ने जोर से चिल्लाया:
जेरेफ: सम्राट! इन्हें यहीं खत्म करो. बहुत खेल हो गया।

सम्राट ने हाथ उठाया.
सम्राट: रुको. मुझे देखना है. कबीर आखिरी चाल कैसे चलता है।

कबीर झुककर चिन्हों पर उँगलियाँ फेर रहा था. उसकी आँखों में पागलपन जैसा ध्यान था. अचानक उसने जोर से कहा:
कबीर: ये कोड सिर्फ तोडने का नहीं. ये पहेली है. और इसका हल. ‘छल’।

उसने चिन्हों को उलट कर दबाया. अगले ही पल दीवारों की गति रुक गई और एक गुप्त दरवाजा खुल गया.




असली लडाई

अरहान और कबीर तुरंत दरवाजे की तरफ बढे. वेरिका ने सेरिन को धक्का देकर बेहोश कर दिया. लेकिन जारिन और जेरेफ ने रास्ता रोक लिया.

जारिन: कहीं नहीं जा पाओगे. यही तुम्हारी कब्र बनेगी।

अरहान ने जवाब में गोली दाग दी. गोलियों और तलवारों की भिडंत से तहखाना रणभूमि में बदल गया.

वेरिका ने अरहान की पीठ कवर की, कबीर ने दोनों भाइयों पर बिजली की रफ्तार से वार किए.

सम्राट पीछे खडा सब देख रहा था, मानो शतरंज का मास्टर अपने प्यादों की बाजी देख रहा हो.




ट्विस्ट

लडाई के बीच अचानक तेज धमाका हुआ. हवेली की बिजली चली गई. अंधेरे में बस मशालों की लौ और गोलियों की चमक रह गई.

कबीर ने चीखते हुए कहा:
कबीर: ये सब दिखावा है! सम्राट, सामने आकर लडो अगर दम है।

सम्राट हँस पडा.
सम्राट: मैं पहले ही सामने हूँ, कबीर. पर मेरा चेहरा तुम तब देखोगे जब तुम जीतने के काबिल साबित होगे।




सस्पेंस भरा अंत

जैसे ही कबीर ने गुप्त दरवाजे की ओर छलांग लगाई, अचानक तेज रोशनी चारों ओर फैल गई.

एक छिपा हुआ कैमरा सिस्टम चालू हो गया. स्क्रीन पर सम्राट का नकाब धीरे- धीरे हटता दिखा.

कबीर, अरहान और वेरिका की साँसें थम गईं.

कबीर( हैरानी से) ये. ये तो नामुमकिन है.

सम्राट का चेहरा प्रकट होने ही वाला था — और सीन यहीं ब्लैक आउट हो जाता है।




कबीर: तो आखिरकार सामने आ गया. पर असली खेल अब शुरू होता है. तुम्हारा मकसद क्या है?

सम्राट ने केवल मुस्कान दी, कोई जवाब नहीं.

वेरिका ने झुकी हुई आवाज में पूछा:
तुमने हवेली, हमारे अपनों और सुनीता आंटी को क्यों निशाना बनाया? तुम्हारा असली मकसद क्या है?

अरहान ने पीछे खडे हुए जेरेफ और जारिन की तरफ देखा.
क्या ये सब तुम्हारे इशारे पर हुआ था? या हम खुद मोहरे बनकर खेल रहे थे?

सम्राट ने अपनी छाया घुमाई.
तुम सोच रहे हो कि जवाब मिल जाएगा. पर क्या तुम तैयार हो उस सच के लिए जो तुम्हें हिला देगा?

कबीर ने धीमे स्वर में कहा:
तो असली सवाल यही है — तुम कौन हो, और तुम्हारा खेल कब खत्म होगा?

क्या हम किसी मोहरे की तरह मार दिए जाएंगे, या सच में इस पिंजरे को तोड पाएंगे?

तभी स्क्रीन पर अचानक सुनीता आंटी का चेहरा उभर आया.

सुनीता( वीडियो में) जो भी तुम्हें दिख रहा है, उससे ज्यादा खतरनाक सच अब सामने आने वाला है. क्या तुम तैयार हो इसे झेलने के लिए?

तीनों एक- दूसरे को देखने लगे.

कबीर( धीरे) तो सवाल वही है. असली खिलाडी कौन है? और अगली चाल कौन चलाएगा?

सारा तहखाना जैसे इस सवाल के जवाब की प्रतीक्षा कर रहा हो. स्क्रीन ब्लैक हो गई, केवल चीखती हुई हवेली की गूंज रह गई.



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