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( >💜💜💜 Oye hoye केसे हो मेरे यारों और उनकी बहनों उम्मीद है कुंवारी ही होंगी मेरे लिए 😜 चलो मेरे छोटे से मजाक को साइड में रख next ep में आगे पढ़ो,,,,
और जिस आदमी को लेकर वो सुनिता पर इल्जाम लगाए जा रहा था वो भी वही आराम से खड़े होकर तमाशा देख रहा था। सही समझे ये और कोई नहीं राहु ढोढरे ही था।
भीड़ जमा हुए तमाशे का मजा ले रही थी तो वही एक नन्ही सी जान अपनी नन्हीं बड़ी बड़ी आखों से अपनी खुशियों से भरी दुनिया उजड़ते देख रही थी। लेकिन समझ कुछ नहीं पा रही थी आखिर छोटी बच्ची ही तो थी। 
एक बच्चा पैदा होने के बाद अपने मम्मी पापा के साथ उनकी उंगली पकड़ चलना सीखता है लेकिन मस्ती को वो भी नसीब नहीं हुआ प्यार मिला पापा का लेकिन वो प्यार प्यार ही कहा जब मम्मी पापा अलग अलग हो गए हा बटवारा जरुर कह सकते हैं। क्युकी कभी प्यार पापा के तरफ़ से मिलता तो मां के तरफ से मुंह फेर लेता और जब मां के तरफ से मिलता तो पापा के तरफ से इसे बटवारा न कहे तो और क्या कहे।
अंत में फैसला हो गया की इस अत्त्याचारी रिश्ते को खत्म कर देने का और उस फैसले में फसी थी नन्हीं मस्ती की खुशियां उसकी जिंदगी उसे चुनना था मम्मी या पापा? आखिर किसके साथ रहेगी वो ? 
पता नहीं उस समय ये सवाल पूछने पर उस बच्ची को कुछ समझा भी या नही? लेकिन आखों से झरना जरुर बहने लगा था और,, और वो अपने नन्हे कदमों से जल्दी जल्दी डग भरते हुए सुनिता जी की ओर मम्मी मम्मी कर लपकी कोई कुछ नहीं कह पाया क्योंकि ये तो होना ही था आखिर दूध पीता बच्चा अपनी जीते जी मां से कब तक दूर रह सकता हैं। 
वर्तमान
"और मेरी मम्मी की मजबूरी का फायदा उठाकर तुम मम्मी को अपने साथ लेकर चले गए दुनिया के नजर में हीरो बनते हुए हूं" मस्ती उस मनहूस दिन की वाक्य खत्म करते हुए बोली।
राहु अकड़ से हस्ते हुए बोला "तो पूछ न अपनी मां से क्यू आई मेरे साथ? मना कर देती सबके सामने ही" 
सुनिता जी दात पिस्ते हुए बोली "मजबूर थी मैं और ये बात तुम भी बहुत अच्छे से जानते हो इसलिए ज्यादा अकड़ दिखाने की जरुरत नहीं कोई फर्क नहीं है तुममें और वनुच में" 
"ए सुनिता मुझे अपने उस*# पति से मत तोल समझी मेरे सामने उसकी कोई औकात नहीं अगर होती तो अपने बीवी बच्ची को ऐसे नही छोड़ता,,और तुम दोनो को तो मेरा अहसान मानना चाहिए लेकिन पर तुम दोनो अहसान फरामोश साली*,,," वो इससे आगे बोलता की डबल तड्डाक की आवाज आई और राहु लड़खड़ाते हुए जमीन पर लोट गया।
और ये डबल तमाचा रसीद किया था इस बार दोनो मां बेटी ने मिलकर साथ में 
राहु खुद को संभालते हुए उठ बैठा और गुस्से में उन सबको देखा की उसका गुस्सा हवा हो गया क्युकी वो सभी आखों से अंगारे बरसाते हुए उसे घुर रहे थे । राहु समझ गया गाली देना उसे  बहुत भारी पड़ने वाला है।
"तुम्हें तो,,," सुनिता जी राहु की बदसुलूकी कही गई बात सुन गुस्से के मारे फूटने वाली थी की 
उससे पहले मस्ती ही फुट पड़ी "साले बेवड़े आदमी,,दारू पीकर रोज तुम आते थे और मेरी मम्मी पर लांछन लगाते थे वो भी मेरे सामने एक बच्ची के सामने,, अरे तुम्हे तो शर्म भी नहीं आई इतनी छोटी बच्ची के सामने दारू पीकर गाली गलौज कर तमाशा करते हुए,, या तक की इतने नीचे गिर गए की तुम्हारी नियत भी खराब हो गई की 4 साल की बच्ची के साथ गलत करने की कोश,," इतना बोल मस्ती चुप रह गई उसका जी घुटने लगा वो मनहुस दिन याद कर अंदर ही अंदर वो न जाने कितनी बार मर चुकी हैं। 
वही अब तक मस्ती के मुंह से खुद की गिरी हुई हरकत का वाख्यान सुन राहु का चेहरा फक्क से पीला पड़ा हुआ था। तो वही बाकी सब पुरी नफ़रत से राहु को घुर रहे थे। 
मस्ती खुद को संभालते हुए भर्राई आवाज में
आगे बोली "छे मुझे तो,, मुझे तो अब खुद की जुबान से नफरत हो रही ये सब कहकर" 
वही सुनिता जी का भी सब्र का बांध टूट गया। "अरे हरमखोर सड़े हुए नाली के कीड़े मस्तानी तुम्हारे अपनी बेटी की उम्र की थीं इतने नीचे गिरने से पहले तुम्हारी रूह न कापी? इतना ही काफी न था तुम्हारे लिए की अब फिर बेशर्मों की तरह मुंह उठाए चले आए,, ये बोलने की सब कुछ सुलझा लेते हैं हिम्मत भी कैसे की निहायती बेशर्म आदमी"
इतना बोल सुनिता जी अपने बहते आसू को पोंछ गहरी सांस लेकर आगे बोली "बहुत सह लिया हमने तुम्हारा जुल्म,,अब मुझसे नहीं होता अब हमे बक्स दो,, जीने दो मुझे और मेरे बच्चों को,,,बच्चों जानें के लिए बोलो इस महान पुरुष को यहां से,,बोलो इसे जैसे आया है वैसे चला जाए ना जाए तो अपने तरीके से इज्जत के साथ विदा करो मैं जा रही आराम करने अपने रूम में,, जब रूम से निकलू तो मुझे इस आदमी का नामो निशान नहीं दिखना चाहिए ok" वो उस पर अपनी सारी भड़ास निकाल बड़े रौब से अपने रूम की ओर बढ़ गई।
तीनो अंगूठा दिखाकर "Ok mom" 
सुनीता जी को जाता देख राहु चीखने लगा "सुनिता रुको तुम ऐसे नही जा सकती,,रू,,रूको मुझे बात,," तभी 
रियू मनीष  मस्ती साथ में दरवाज़ा छेक कर बोले "शश ए चुप,,, आवाज नीचे चिल्लाने का नही क्या,," 
राहु नासमझी से "क्या,,?" 
मनीष झुंझलाकर "क्या,,क्या,,,? बहरा है क्या? सुना नही मम्मी जी ने क्या कहा अब क्या उनकी कही बात को मैं दोबारा रिपीट करू?"
राहु खीजते हुए "कोई ज़रूरत नहीं और,,और तुम बच्चो को बड़ो के मामले में नही घुसना चाहिए मस्ती का तो छोड़ो ही उसकी मां ने कुछ ज्यादा ही सर पे चढ़ा रखा है लेकिन क्या तुम दोनो के मां बाप ने भी कोई ज्ञान संस्कार नहीं दिया?" 
मनीष गुस्से में बौखलाते हुए "साले बेवड़े पहले तू अपना ज्ञान संस्कार देख न आया बड़ा हमको सिखाने" 
तो रियू भी उसे काली आंखो से घुर कर "दादा जी ज्ञान संस्कार की बात तो कर ही मत तू क्युकी हम अच्छे से जानते है किसके साथ कैसा व्यवहार करना है" 
मस्ती दात पिस्ते हुए "कैसा बेअकल आदमी है बे तू,,जब तेरी ही नजरों में किसी के इज्जत की कोई कीमत नहीं और उम्मीद पालता है की वो लोग तेरी आरती उतारे " 
मनीष झुंझलाहट से  "और क्या,,,साले तुझे समझ में क्यू नही आता यहां किसीको को तुम्हारी कोई जरुरत नहीं फिर क्यू गला फाड़ रहे जाकर अपने बीवी बच्चों को संभालो ना क्यू यहां माथा पच्ची करने को रुके हो" और तंग आकर माथा पीटने लगा। 
राहू अब भी सबको हैरान और गुस्से भरे नजरों से घुर रहा था।
जो किसी को बर्दास्त नही हो रहा था 
तीनो दात पिस्ते हुए "अगर बेज्जती का कोटा पूरा हो गया तो निकलो मेरे घर के दरवाज़े से" 
राहु आंखे बड़ी बड़ी कर उन्हे घूरा तो रियू भी आखों से आग का गोला फेकते हुए घुर कर बोली "ए दादा जी सच में बड़े बेशर्म आदमी हो अब भी खड़े हो कोई और होता तो अब तक खड़े खड़े मर गया होता" 
"चुप,,तुम लोगों की मेरे सामने कोई औकात नहीं और मस्ती जो अभी खड़ी हो ना तुम मेरी बदौलत वरना अपने उस दो कौड़ी के बाप के पास सड़ रही होती" फिर रियू की ओर गुस्से में देख "और तू बत्तमीज लड़की बहुत जुबान चलती है तेरी रुक तुझे तो,,," राहु गुस्से में रियू की तरफ़ बढ़ने लगा की मनीष मस्ती सामने आकर अल्ट्रा सीमेंट की दीवार बन खड़े हो गए।
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( >💜💜💜 हे हे हे यारों और उनकी बहनों  मैं बता दूं राहु का चैप्टर क्लोज हो कर रही हू अगले ep मे तो मिलते हैं जल्द ही next ep के साथ।