Tera Mera Safar - 20 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | तेरा मेरा सफ़र - 20

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तेरा मेरा सफ़र - 20



छह महीने बीत चुके थे। वही होटल, वही लॉबी, वही पुरानी खिड़की — मगर कियारा अब कुछ और थी।
वो अब सिर्फ़ टीम की एक जूनियर मैनेजर नहीं, बल्कि खुद पर यक़ीन रखने वाली औरत थी।
अयान के जाने के बाद उसने बहुत कुछ सीखा — इंतज़ार को संभालना, खामोशियों को समझना, और अपने एहसासों को मज़बूती में बदलना।

वो हर दिन अपने काम में दिल लगाती, क्योंकि अयान ने कहा था —

> “अगर मैं हूँ, तो तुम्हारी मुस्कान भी होगी।”
और शायद उसी मुस्कान ने उसे हर मुश्किल में संभाले रखा।



एक शाम होटल के लॉबी में एक नई टीम आई। सबके बीच जब एक जाना-पहचाना नाम सुनाई दिया —
“Mr. Ayaan Khanna, International Project Head.”
कियारा का दिल एक पल को रुक गया।
उसने सोचा — क्या ये वही है? या बस कोई हमनाम?
लेकिन जब उसने मुड़कर देखा… वो सच में वहीं था।
अयान — वही नज़रें, वही सुकून, बस अब उनमें एक नया आत्मविश्वास था।

वो दोनों कुछ पल तक बिना बोले एक-दूसरे को देखते रहे।
कोई सवाल नहीं, कोई सफ़ाई नहीं — बस एक लंबा, थमा हुआ एहसास।
अयान ने मुस्कुराकर कहा, “तुम अब और भी बेहतर लग रही हो… पहले से ज़्यादा अपने जैसी।”
कियारा ने हल्के से जवाब दिया, “और आप… पहले से ज़्यादा पूरे लग रहे हैं।”

दोनों हँसे — वो हँसी जिसमें राहत थी, यादें थीं, और शायद एक नई शुरुआत की मंज़ूरी भी।

कुछ देर बाद वो दोनों होटल की उसी टेरेस पर गए, जहाँ उन्होंने आख़िरी बार साथ वक्त बिताया था।
वो जगह अब भी वैसी ही थी — बस आसमान कुछ साफ़ लग रहा था।
अयान ने कहा, “जानती हो, वहाँ रहते हुए हर दिन कुछ न कुछ याद दिलाता था कि मैं अधूरा हूँ।”
कियारा ने धीरे से कहा, “कभी-कभी अधूरापन ही बताता है कि पूरा होना किससे है।”

अयान ने उसकी तरफ देखा, “मैंने बहुत सोचा, बहुत समझा…
मुझे अहसास हुआ कि रिश्ते वक्त के भरोसे नहीं टिकते,
वो उस भरोसे पर टिकते हैं जो दो दिल एक-दूसरे को देते हैं — भले ही मीलों दूर हों।”

कियारा की आँखों में नमी थी, पर उसमें अब डर नहीं था।
वो बोली, “शायद इसलिए रूह के रिश्ते कभी खत्म नहीं होते।
वो बस वक्त से थोड़ी दूरी ले लेते हैं — ताकि लौटने पर और गहराई पा सकें।”

अयान ने मुस्कुराकर उसका हाथ थामा — वही एहसास, वही सुकून।
“मैं अब कहीं नहीं जा रहा, कियारा,” उसने कहा।
“अब जो प्रोजेक्ट शुरू करना है… वो ज़िंदगी का है, और पार्टनर तुम।”

कियारा कुछ पल चुप रही — फिर उसके होंठों पर एक मुस्कान आई जो रूह तक उतर गई।
“आप देर से आए, पर अब सही वक्त पर हैं,” उसने कहा।
अयान ने हल्के से सिर झुकाया, “क्योंकि अब मैं तुम्हारे साथ हूँ — वहीं, जहाँ दिल को अपना घर मिला।”

हवा में बारिश की हल्की खुशबू थी।
वो दोनों टेरेस की रेलिंग के पास खड़े थे —
नीचे शहर की लाइट्स चमक रही थीं, और ऊपर आसमान में चाँद जैसे गवाही दे रहा था कि कहानी अब अधूरी नहीं रही।

उस रात कियारा ने अपनी डायरी का आख़िरी पन्ना खोला —

कलम थोड़ी काँपी, पर दिल स्थिर था।

> “कभी-कभी ज़िंदगी हमें वक़्त की दूरी पर भेजती है,
ताकि हम अपने एहसासों की सच्चाई पहचान सकें।
आज वो लौटा नहीं — बल्कि जो अधूरा था, पूरा करने आया।
अब ये कहानी किसी इंतज़ार की नहीं,
बल्कि उस रूह की है जिसने आखिरकार अपना घर पा लिया।”

उसने डायरी बंद की, मुस्कुराई, और खिड़की से आसमान की ओर देखा।
बारिश की बूँदें फिर गिरने लगीं — जैसे हर बूँद कह रही हो,
“अब रूहें मिल चुकी हैं…”




✨ The End

“कुछ कहानियाँ वक्त से नहीं, रूह की सच्चाई से पूरी होती हैं।”❤️🫰