Three best forever - 57 in Hindi Comedy stories by Kaju books and stories PDF | थ्री बेस्ट फॉरेवर - 57

The Author
Featured Books
Categories
Share

थ्री बेस्ट फॉरेवर - 57

( _/)
( • .•)
( >💜💜💜 आरो मारो ढोकलो next ep पढ़ोनो को
जल्दी जल्दी पधारो 💜💜💜

"इसे भी अभी ही खराब होना था अब क्या करूं ?पहले घर पहुंच जाऊ फिर पापा का फोन यूज कर लूंगा " यही सोचते सोचते वो घर पहुंच गया। अब आगे,,,

मणिक जी और मिहिना जी ने अपने बेटे को देखा तो ख़ुशी से फूल ही नहीं समाए वैसे ज्यादा तर मणिक जी मनीष से सख्ती से ही पेश आते हैं पर है तो बाप ना इतने दिनों बाद अपने बेटे को देख कैसे न प्यार जताते वही मनीष भी उनके पैर छुआ तो उसके मम्मी पापा भी उसे ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद देते हुए अपने सीने से लगा लिए इसी मिल मिलाप में उसके दिमाग से मस्ती को कॉल करना है ये निकल गया।

अगले दिन संडे था मणिक जी से फिर किसी ने उधार मांगा था। पर बैंक बंद था और ऐसे जरुरत के समय उनका फोन भी साथ छोड़ दिया मतलब बैटरी ही खत्म अब ऐसे में उन्हें राहुल का ध्यान आया तो मनीष को बुलाकर बोले "बेटा तेरे दोस्त राहुल ने मुझसे पैसे लिए थे ना" 

मनीष ने कहा "हा पापा क्या हुआ आपको जरूरत है?" 

तो मणिक जी बोले "हा किसी को देने है मैं बैंक से निकाल के दे देता पर आज के दिन बंद रहता हैं फोन की बैटरी भी आत्महत्या कर चुकी हैं तू उससे बात कर और बोलना बहुत जरूरी है" 

"ठीक है" ये बोल मनीष जाने लगता हैं उसकी नजर राहुल पर पड़ी जो उनके घर के पास से गुजर रहा था।  
लेकिन उसने एक नज़र नहीं देखा क्युकी वो इग्नोर कर जा रहा था जो मनीष ने भाप लिया 
आखिर किस्मत भी उन्हे एक दूसरे से मिलवाने पर तुली थी।

मणिक जी ने भी उसे देखा तो आवाज लगाकर बुलाया और पैसे की बात की लेकिन राहुल ने ऐसा जवाब दिया की वहा मौजूद मिहिना जी मणिक जी और मनीष को जोर का झटका लगा। 

राहुल ने कहा था "कौन से पैसे? मैने आपसे कोई पैसे वैसे नही लिए? मेरी आपसे बात ही कब हुई?"
ये सुन सभी हैरान सदमे से उसे देख रहे थे तो वही मनीष के तो पैरो तले जमीन ही उड़ गई।

"ये क्या कह रहे हो मनीष के फोन में हमारी बात हुई थी तुमने बोला था ना की तुम्हारे मम्मी पापा बीमार है तो कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसे चाहिए मैंने पैसे भेजे थे मनीष को" 
फिर हैरान मनीष की ओर देख बोले "मनीष बोलो बेटा,,तुम,,तुम चुप क्यो हो? तुमने इसे पैसे दिए थे ना? बोलो ?"
लेकिन मनीष कुछ नहीं बोल पाया मानो उसकी आवाज ही छीन गई हो आज उसे राहुल का असली चेहरा दिख रहा था की वो कितना झूठा और मक्कार है वो सिर्फ़ अपने फायदे के लिए दोस्ती के रिश्ते का इस्माल किया सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए।

मनीष को को कुछ न बोलता देख मणिक जी और मिहिना जी हैरान और गुस्से में थे तो वही राहुल इस्का भी फायदा उठाते हुए कहा "अंकल इसने मुझे कोई पैसे नहीं दिए और देगा भी क्यू हमारी पेसो को लेकर कोई बात ही नहीं हुई तो " 

"झूठ,, कितना झूठ बोलेगा बेटे,,मैंने खुद तुमसे बात हुई थीं इस मामले में तुम बार बार झूठ क्यों बोल रहे हो ?" मणिक जी हैरान परेशान उसे वो बात याद दिलाते हुए बोले।

लेकिन राहुल बेशर्मी की हद पार करते हुए बोला "अरे चाचा जी मैं क्यू झूठ बोलने लगा मेरे मम्मी पापा कोई बीमार नही थे आपको जरूर बहुत बड़ी गलत फेमी हुई है या फिर किसी ने आपके साथ बहुत बड़ा fraud किया है"   

उसकी बात सुन मणिक जी गुस्से से लाल मनीष पर चिल्ला पड़े "मनीष ये क्या बोल रहा ये लड़का ? और तू चुप क्यूं है बोल? बोल ना ये तेरा दोस्त हैं भी या नहीं? मनीष,,,," 

मिहीना जी भी मनीष को झंझकोरते हुए बोली "बोल ना बिटवा पापा कुछ पूछ रहे हैं ना? बुत बने काहे खड़ा है ये राहुल झूठ काहे बोल रहा है? तेरे पापा ने दो हज़ार रुपया दिया था उसे और वो है की,,,," उनकी बात काट कर 

राहुल बीच में अपनी सफाई व्यवस्था पेश करते हुए
बोला "अरे चाची तुम भी वही बात बोल रही मैने कोई रुपया नही लिया है चाचा जी से मनीष समझा अपने मम्मी पापा को बेकार में मुझपर इल्जाम लगा रहे,,," 

"चुप,,और निकल तू मेंरे घर की चौखट से और खबरदार जो दुबारा यहां कदम भी रखा तो,, पैर ही नहीं रहेगा लकड़ी के सहारे चलते फिरोगे याद रखना अब निकल यहां से" मणिक जी उसका झुठ और खुद की बेवजह अपमान सहन ना कर पाए और गुस्से में उसे जाने के लिए बोलने लगे।
लेकिन राहुल अपनी बेशर्मी जगजाहिर करते हुए "हा हा जा रहा हूं मैं भी घर बसाने नही आया इधर अच्छा खासा अपने रास्ते जा रहा था आपने ही बिल्ली की रास्ता काट दिया मनीष मुझे लगता हैं चाचा जी को इलाज की जरूरत है गलत फेमी की बीमारी हो सकती हैं जरा जल्दी इलाज करवा देना कही बढ़ ना जाए ही ही ही " और इस तरह अपमान कर हस्ते हुए चला गया।

और मनीष कुछ नहीं बोल सका कुछ नहीं कैसे बोलता बचपन का दोस्त जो उसका जिगरी यार था मम्मी पापा के बाद उसपर भरोसा करता था जिससे पक्की दोस्ती की उम्मीद रखता था  आज उसी ने सिर्फ चंद पेसो के लिए उसके सारी उम्मीदों पर झूठ धोखे का पानी फेर दिया उसके घर में उसके सामने उसके मम्मी पापा के इज्जत को तार तार कर दिया या तक की इसका भी लिहाज न रखा की उसकी तरह उसके खुद के भी मम्मी पापा है। 

मनीष के मम्मी पापा ने मनीष को बहुत खरी खोटी सुनाया 
लेकिन फिर भी मनीष कुछ नहीं बोला बस आखों से लगातार आसू बहते चले गए अंत उसके आसू देख उनके बच्चे की भी क्या गलती ये समझ आते ही मणिक मिहीना जी चुप रह गए ।

अब पेसो की जरुरत तो थी ही इसलिए उन्होने मनीष को अपने बड़े भाई याने उसके चाचा जी के गांव जयपुर भेज दिया पैसे लेने के लिए।

वर्तमान

"घर आकर मनीष ने सारी बातें सबको बताई और इसी तरह मुझे भी पता चला और गुस्से के मारे मैं बौखला गई और रूम में जाकर फोन पटक दिया" रियू ने अपनी बात खत्म की और चुप हो गई। 
उसने मस्ती का चेहरा देखा जो भावहीन हो रखा था कुछ पता नहीं चल रहा था की सब कुछ जान कर उसके दिमाग में आखिर चल क्या रहा? 

तीन सेकेंड के चुप्पी के बाद मस्ती बोली "अब तक मैने कुछ नहीं किया था क्युकी बात सिर्फ मुझतक थी लेकिन अब इस कलमुहे ने हद पार कर दी बात मनीष और मम्मी पापा के आत्मसम्मान तक पहुंच गई और जो मेरे अपनो को तकलीफ दे उसे मैं चैन से कैसे जीने दे सकती हू" 


( _/)
( • .•)
( >💜💜💜 क्या करेंगी  हमारी हिरोइन ऐसा ? 😎😈जानने के लिए मिलते हैं जल्द ही next ep में कनेक्ट रहे स्टोरी के साथ 💜💜💜