1. रश्मि का मॉर्निंग मिशन
“अरे माँ! मेरी शर्ट आयरन नहीं हुई क्या?”
“बेटा, तू इतनी रात को उठती है कि सुबह तो आयरन भी डर जाती है।”
सुधा देवी की ये बात सुनकर रश्मि की नींद उड़ गई।
वो 24 साल की, भोपाल की मिडल क्लास लड़की थी — जिसने अपनी पहली नौकरी ज्वाइन करनी थी, वो भी एक छोटे-से प्राइवेट ऑफिस में जहाँ 12 लोग और एक कॉफी मशीन थी।
रश्मि जब-जब देर होती, घर में कर्फ्यू जैसा माहौल बन जाता।
पापा अख़बार में डूबे रहते, पर कान हर बात सुनते।
“सुनो सुधा, बेटी पहली बार ऑफिस जा रही है। शुभ शगुन के लिए कुछ मीठा दे दो।”
सुधा बोलीं — “सुबह-सुबह इतनी मीठी बात? क्या आज बैंक में लोन मंजूर हो गया?”
पापा मुस्कुराए — “नहीं, पर बेटी की नौकरी लगना किसी लोन मंजूरी से कम भी नहीं।”
घर हँसी से भर गया।
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2. बस की जंग और भोपाल की हवा
रश्मि स्कूटी निकालती है तो एकदम से पड़ोसी की आंटी चिल्लाती हैं —
“अरे बिटिया, तेरी स्कूटी से तो पूरा मोहल्ला जाग जाता है!”
रश्मि हँसकर बोली — “आंटी, मैं तो समाजसेवा कर रही हूँ — सबको जगाती हूँ।”
बस में पहुँचते ही भीड़ का सागर —
एक हाथ बैग पर, दूसरा टिकट वाले की तरफ।
पास खड़ी औरत बोली — “बिटिया, इतना बड़ा बैग क्यों लाती हो रोज़?”
रश्मि बोली — “इसमें तो मेरे सपने भी हैं, आंटी, वजन थोड़ा ज़्यादा है।”
सारी बस हँसने लगी।
हर रोज़ की तरह, वो खिड़की से बाहर देखती रही — वही पेड़, वही सड़कें, पर आज कुछ अलग महसूस हुआ।
उसने खुद से कहा, “शुरुआत छोटी हो सकती है, पर मैं छोटी नहीं रहूंगी।”
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3. ऑफिस की कॉमेडी
ऑफिस के गेट पर गार्ड बोला —
“पहली बार आई हैं?”
रश्मि बोली — “नहीं, कल सपना आया था कि मैं यहीं काम कर रही हूँ, आज ड्यूटी करने आई हूँ।”
पहला दिन हमेशा डरावना होता है, पर रश्मि का डर हँसी में बदल गया।
कॉफी मशीन पर उसने गलती से "Hot Milk" के बजाय "Hot Mess" बना दिया — सारा ऑफिस खुशबू से नहीं, हँसी से भर गया।
बॉस बोले — “Miss Rashmi, आप IT department में हैं, लेकिन coffee में भी innovation कर रही हैं?”
रश्मि बोली — “Sir, मैं multitasking nature की हूँ — काम और कॉमेडी साथ करती हूँ।”
सब हँस पड़े।
धीरे-धीरे ऑफिस के सब लोग उसे “Miss Sunshine” कहने लगे — क्योंकि वो किसी भी situation को मज़ाक में बदल देती थी।
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4. घर का हकीकत शो
शाम को घर लौटते ही माँ ने पूछा —
“कैसा रहा पहला दिन?”
“माँ, मैंने बॉस पर कॉफी गिरा दी।”
“हे भगवान! नौकरी गई क्या?”
“नहीं माँ, बॉस बोला — ‘Good aim!’”
पापा ने हँसते हुए कहा —
“बेटी तूने भी सोचा नहीं होगा कि कॉफी गिराकर भी लोग impress होते हैं।”
रश्मि ने माँ की मदद करते हुए कहा —
“माँ, आज मैं खाना बनाती हूँ।”
“अरे तू बना देगी तो अगली बार हम सबको छुट्टी लेनी पड़ेगी।”
रात का खाना जब पूरा परिवार साथ बैठकर खा रहा था, तभी बिजली चली गई।
मोमबत्ती की रोशनी में माँ ने कहा —
“बेटा, ज़िंदगी भी इस रोशनी जैसी है, छोटी-सी सही, पर सुकून देती है।”
रश्मि मुस्कुराई — “हाँ माँ, और ये सुकून हमें किसी मॉल में नहीं मिलेगा।”
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5. मिडल क्लास का महीना
महिने के आखिर में घर का बजट हमेशा फिल्मों से ज़्यादा ड्रामा करता था।
पापा पर्स निकालकर गिनते — “बिजली का बिल, दूध वाला, और तेरी मम्मी की दवाई…”
रश्मि बोली — “और मेरी स्कूटी का पेट्रोल?”
पापा ने कहा — “तेरे सपनों का पेट्रोल तो रोज़ भरोते हैं, स्कूटी बाद में।”
घर में पैसे भले कम थे, पर जोक कभी खत्म नहीं हुए।
रीना (छोटी बहन) बोली — “दीदी, तू सैलरी से क्या खरीदेगी?”
रश्मि बोली — “माँ के लिए साड़ी, पापा के लिए चप्पल और तेरे लिए डाटा पैक!”
रीना उछल गई — “वाह! सच्ची वाली अमीर लग रही है तू।”
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6. जिंदगी का झटका
एक दिन ऑफिस से लौटते वक़्त रश्मि की स्कूटी बंद हो गई।
सड़क सुनसान थी, बारिश हो रही थी, और पेट्रोल खत्म।
उसने खुद से कहा — “Middle class life = petrol khatam + network gone!”
एक आदमी रुका — “मैडम, मदद कर दूँ?”
रश्मि बोली — “आप पेट्रोल भरवा सकते हैं क्या?”
“हाँ, लेकिन आपको स्कूटी धकेलनी पड़ेगी।”
“फिर तो आपसे दोस्ती नहीं, जिम ट्रेनिंग हो जाएगी!”
दोनों हँस पड़े।
घर पहुँची तो भीग चुकी थी, माँ ने तौलिया देते हुए कहा —
“देखा, कितनी मेहनत करती है मेरी बेटी, बस थोड़ा बारिश में भी हँस लेती है।”
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7. प्रमोशन और परवाह
कुछ महीनों बाद रश्मि को प्रमोशन मिला।
ऑफिस में तालियाँ बजीं — पर उसके दिमाग में घर का EMI चल रहा था।
वो मुस्कुराई और बोली —
“Thanks, sir. Promotion मेरे लिए सिर्फ पोज़ीशन नहीं, थोड़ी राहत है।”
घर जाकर उसने माँ के लिए साड़ी खरीदी — वही नीली, जो माँ ने सालों पहले छोड़ी थी क्योंकि “महँगी थी।”
जब उसने साड़ी दी, माँ रो पड़ीं।
“बेटा, अब तू बड़ी हो गई।”
“नहीं माँ, बस EMI थोड़ी कम लगने लगी।”
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8. रूमाल का राज़
एक दिन माँ ने अलमारी से पुराना रूमाल निकाला —
पीला-सा, किनारों से फटा हुआ।
“याद है बेटा, जब तू स्कूल जाती थी, मैं यही रूमाल तेरे टिफिन में रखती थी।”
रश्मि ने उसे हाथ में लिया —
“माँ, अब ये मैं अपने ऑफिस बैग में रखूँगी। ताकि जब भी मुश्किल आए, याद रहे कि तुम मेरे साथ हो।”
अगले दिन ऑफिस में मीटिंग थी, सब तनाव में थे।
रश्मि ने वही रूमाल मेज़ पर रखा — जैसे कोई ताबीज़ हो।
बॉस ने पूछा — “क्या है ये?”
वो बोली — “Motivation… made in home!”
सारे लोग मुस्कुरा दिए।
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9. नया घर, पुराना दिल
दो साल बाद, रश्मि की मेहनत रंग लाई।
वो नया छोटा-सा घर ले पाई — EMI वाला ही सही, पर अब खुद का था।
घर के दरवाज़े पर पापा ने नींबू मिर्च बाँधी, माँ ने दीया जलाया, और रश्मि ने कहा —
“अब इस घर में हँसी, मेहनत और मम्मी की रोटियाँ तीनों कभी कम नहीं होंगी।”
सब हँसे —
और रश्मि ने वो रूमाल दीवार पर टाँग दिया।
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🌼 अंत:
रश्मि अब भी वही थी — हँसने वाली, गिरने पर खुद को संभालने वाली।
पर अब उसके पास एक कहानी थी, जो हर मिडल क्लास लड़की को बताती है —
कि संघर्ष में भी हँसी ढूँढना ही असली जीत है।
वो रूमाल अब पुराना नहीं था —
वो रश्मि की पहचान बन चुका था।