Yashaswini - 26 in Hindi Fiction Stories by Dr Yogendra Kumar Pandey books and stories PDF | यशस्विनी - 26

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यशस्विनी - 26

कोरोना महामारी के दौर पर आधारित लघु उपन्यास यशस्विनी: अध्याय 26  

          आखिर कोरोना के काले साए ने यशस्विनी को भी अपनी चपेट में ले लिया। पिछले लगभग डेढ़ महीने से यशस्विनी लगातार कोविड वार्डों और क्षेत्रों के दौरे पर रहती थी और कई बार जाने-अनजाने संक्रमित लोगों के नजदीक से भी गुजरती। इसके अलावा दिनभर की भागदौड़ और थकान के कारण उसके शरीर पर भी विपरीत असर पड़ा होगा।आज दोपहर जब एंटीजन टेस्ट किया गया तो उसका परिणाम पॉजिटिव निकला।उसे स्वादहीनता और गंधहीनता जैसे लक्षण भी नहीं थे।हल्की खांसी, जुकाम और बुखार जैसे अन्य लक्षण भी दूर-दूर तक नहीं थे।शाम को उसके मोबाइल पर एंटीजन टेस्ट के पॉजिटिव होने का संदेश आया और वह थोड़ी देर के लिए अवाक रह गई। उसे भी कोरोना है और चीन के वुहान शहर से सात महीने पहले शुरू हुआ यह संकट अब घर-घर तक पहुंच गया है।वह एसिम्पटोमेटिक है अर्थात बिना लक्षण वाली मरीज...।

      स्वास्थ्य विभाग की कोविड टीम देर शाम को एंबुलेंस लेकर घर पहुंच गई और यह भी संयोग था कि उसी समय रोहित अचानक यशस्विनी के घर पहुंच गया।यशस्विनी घर में अकेली थी और मेडिकल टीम उसे अस्पताल ले जाकर भर्ती कराना चाहती थी, ताकि उसका समुचित इलाज हो सके। मेडिकल टीम को वहां देखकर रोहित सारा माजरा समझ गया। यशस्विनी अस्पतालों की भीड़भाड़ वाली स्थिति जानती थी….क्षमता से अधिक रोगियों के कारण सबकी समुचित देखरेख हो पाना संभव नहीं है, इसलिए वह घर में ही आइसोलेशन में रहना चाहती है लेकिन यहां भी तो वह अकेली ही है…

उसने टीम से कहा, "मैं होम आइसोलेशन में रहना चाहती हूं….।"

मेडिकल टीम के सदस्य ने कहा,"वह तो ठीक है लेकिन आपके साथ यहां कौन रहेगा?" 

   इस पर रोहित ने तपाक से कहा,"अगर यशस्विनी अस्पताल में भर्ती नहीं होना चाहती हैं तो वह होम आइसोलेशन में रहेंगी और अटेंडेंट का काम मैं कर लूंगा क्योंकि मैं हूं उनका रिलेटिव…."

  मेडिकल टीम के एक सदस्य ने यशस्विनी और रोहित को कई अवसरों पर रोगियों की सेवा करते हुए देखा था। अतः उन्होंने इस बारे में आगे और पूछताछ नहीं की। उन्होंने इतना ही कहा कि हम कल आकर तुम्हारी भी जांच करेंगे और टीम के सदस्यों ने होम आइसोलेशन का फॉर्म व कोविडरोधी दवाइयों की किट सुरक्षित दूरी पर रख दी। रोहित ने कहा कि वे होम केयर वाले डॉक्टर से यह फार्म भरवाकर और अन्य विवरण वाली प्रविष्टि कर कोविड-19 टीम को व्हाट्सएप करेंगे….. मेडिकल टीम ने जाते-जाते दरवाजे पर लाल रंग का कोविड चेतावनी पोस्टर भी लगा दिया। 

  मेडिकल टीम के जाते ही यशस्विनी रोहित पर नाराज हो गई कि आपने यहां रहने का प्रस्ताव क्यों दिया? मेरे साथ आप स्वयं को रिस्क में क्यों डाल रहे हो? लेकिन रोहित ने उसकी एक नहीं सुनी।अंततः यशस्विनी जरूरी सामान लेकर अंदर वाले कमरे में तुरंत शिफ्ट हो गई।जब कक्ष को व्यवस्थित करने और बिस्तर लगाने के लिए रोहित ने अंदर आने की कोशिश की तो यशस्विनी ने उसे भीतर से चिल्लाकर रोक दिया और कहा, "रोहित, आप दरवाजे के बाहर से ही मेरी सेवा करें।" यह कहती हुई वह मुस्कुरा उठी।

रोहित ने यशस्विनी से कहा,"अगर तुम्हें थोड़ा भी असामान्य लग रहा हो यशस्विनी तो हम लोग तुरंत अस्पताल चलेंगे,मुझसे कुछ भी छुपाना नहीं।"

 "अरे बाबा,नहीं छिपाऊँगी क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?"

" ऐसी बात नहीं है,यशस्विनी,यह बीमारी है ही इतनी खतरनाक कि अब तुम्हें हर पल ऑब्जरवेशन में रहना होगा … 14 दिनों तक और हर घंटे अपने बुखार,ऑक्सीजन लेवल और पल्स की जांच करती रहनी होगी…. मैं अभी मार्केट गया और यह सब सामान व फल वगैरह लेकर आया….।"

  रोहित ने यशस्विनी के लिए रात में बड़े मनोयोग से रोटियां बनाईं लेकिन यशस्विनी को अब थोड़ा असामान्य लगने लगा था। रात को 9:30 बज रहे थे। थर्मामीटर ने 100 क्रॉस किया लेकिन ऑक्सीमीटर की जांच में ऑक्सीजन लेवल 98 पर था जो बहुत बढ़िया था और पल्स भी अभी तक नॉर्मल थी।उसने जब रोटी खाने में अनिच्छा जाहिर की तो रोहित तुरंत दलिया बनाकर ले आया ।एक छोटी कटोरी में यशस्विनी ने थोड़ा सा ही दलिया पिया।रोहित

यशस्विनी के रोकने के बाद भी उसे भोजन कराने और दवाइयां निकालकर देने कुछ सेकंड के लिए तेजी से कक्ष में आया और सब व्यवस्था कर तुरंत लौट गया। इस वजह से यशस्विनी नाराज हो गई।

  रोहित ने कमरे के बाहर से ही अपने हाथ और शरीर के अन्य अंगों को पूरी तरह से सैनिटाइज कर बताया और कहा, देखो मैं डबल मास्क पहने हुए हूँ…...। यशस्विनी ने रोहित से यह शपथ ली कि वह 14 दिनों तक कक्ष के भीतर प्रवेश नहीं करेगा और उसने पानी गरम करने के लिए इंडक्शन चूल्हे,कुछ बर्तनों और भाप मशीन को कमरे के भीतर ही मँगवा लिया।

  रोहित कक्ष के बाहर ही एक आराम कुर्सी पर पसर गया और वह वहीं से बीच-बीच में यशस्विनी से बातें करने लगा।यशस्विनी ने उसे बार-बार कहा कि दूसरे कमरे में जाकर सो जाओ, लेकिन वह नहीं माना।रोहित महेश बाबा को यशस्विनी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देना चाहता था लेकिन यशस्विनी ने मना कर दिया कि आज नहीं, कल सुबह मैं उन्हें फोन करूंगी और उन्हें इसकी जानकारी दूंगी।

    रात्रि 12:00 बजे के बाद रोहित और यशस्विनी दोनों को झपकी आने लगी,लेकिन रोहित हर दो घंटे में एक बार फीवर,ऑक्सीजन लेवल और पल्स की जांच करवाना चाहता था….. अर्ध निद्रा की अवस्था में रोहित का ध्यान कुंडलिनी जागरण की ओर चला गया ….एक स्त्री और पुरुष …..नहीं…. रोहित ने सोचा स्त्री-पुरुष क्यों?.... विवाह के बाद केवल पति और पत्नी ही आध्यात्मिक जागरण के लिए और जनकल्याण के लिए कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने की कोशिश करें…... ध्यान अवस्था में थोड़ी दूरी पर बैठकर दोनों एक दूसरे के मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें…. ऐसे में पति और पत्नी दोनों की धनात्मक ऋणात्मक शक्तियां सर्पाकार जुड़ जाती हैं... जिस प्रकार पिंगला और इड़ा नाड़ियों का सुषुम्ना से मेल होता है और यह एक से दूसरे चक्र में होती हुई सहस्रार तक पहुंचती है, जहां चेतना है आनंद है, स्वास्थ्य है ,प्रेम ही प्रेम है,प्रेम का साम्राज्य है……

(क्रमशः) 

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय