Shadows Of Love - 15 in Hindi Adventure Stories by Amreen Khan books and stories PDF | Shadows Of Love - 15

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Shadows Of Love - 15

माँ ने दोनों को देखा और मुस्कुरा कर कहा—
“करन बेटा, सच्ची मोहब्बत न दौलत से हारती है, न हालात से। अनाया जैसी लड़की तेरे लिए ऊपरवाले का तोहफ़ा है। इसे खोने मत देना।”

करन चुप रहा, मगर उसके दिल में अनाया के लिए प्यार और भी गहरा हो चुका था। बस एक डर अब भी उसे रोक रहा था—आरव का।

वहीं, दूसरी ओर आरव अपने आलीशान बंगले में बैठा, अपने लोगों से खबर ले रहा था।
“तो, अनाया करन के घर तक पहुँच गई? अच्छा… अब खेल और मज़ेदार होगा। मैं इस लड़की की दीवानगी को ही उसके खिलाफ इस्तेमाल करूँगा।”

उसकी आँखों में खतरनाक चमक थी। साज़िश की नई बिसात बिछ चुकी थी।
आरव के दिमाग़ में चालें लगातार घूम रही थीं। उसने अपने सबसे भरोसेमंद आदमी विक्रम को बुलाया।

आरव ने सिगार जलाते हुए कहा—
“देख विक्रम, अब खेल आसान नहीं होगा। अनाया करन के पीछे पागल है… और करन? वो मुझे आँख उठाकर देखने की भी औक़ात नहीं रखता। लेकिन अब मैं करन की हिम्मत तोड़ूँगा। अनाया को ही उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी बनाऊँगा।”

विक्रम ने सिर हिलाया—
“आप बस हुक़्म कीजिए साहब, लड़की का इस्तेमाल करन को तोड़ने के लिए सही रहेगा।”

आरव मुस्कुराया, “नहीं… मैं अनाया को चोट नहीं पहुँचाऊँगा, बल्कि उसे इतना भ्रमित कर दूँगा कि वो ख़ुद करन से दूर हो जाए। करन अपने प्यार को खोकर बिखर जाएगा।”


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इधर करन अपने कमरे में बैठा था। माँ की बातें उसके दिल में गूँज रही थीं। लेकिन आरव का नाम आते ही उसके चेहरे पर सख़्ती आ जाती।
“मैं अनाया को अपने दिल से कभी जुदा नहीं करूँगा। लेकिन आरव जैसा आदमी… वो कुछ भी कर सकता है। मुझे मज़बूत होना पड़ेगा।”

करन ने तय कर लिया कि चाहे हालात कैसे भी हों, वो अब पीछे नहीं हटेगा।
अनाया meanwhile… अपने कमरे में करवटें बदल रही थी। उसकी आँखों में सिर्फ करन की तस्वीर थी।
“अगर करन मुझसे दूर भी जाना चाहता है तो मैं उसे जाने नहीं दूँगी। मैं उसके साथ खड़ी रहूँगी, चाहे आरव कुछ भी करे। करन को ये साबित करके रहूँगी कि मेरा प्यार उसकी ढाल है, उसकी ताक़त है।”


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अब कहानी यहाँ से दो मोर्चों पर बँटने लगी—

आरव चालाकी और साज़िश से करन को तोड़ने की कोशिश करेगा।

करन डर और हालात के बावजूद अनाया को सुरक्षित रखने के लिए मज़बूत बनेगा।

और अनाया—वो अपने प्यार की लड़ाई में किसी भी हद तक जाने को तैयार है।


आरव की अगली चाल यही थी कि वो अनाया के सामने करन की ऐसी तस्वीर पेश करेगा जिससे उसका भरोसा हिल जाए।
आरव की चालाकी अपने चरम पर थी। उसने अपने लोगों से करन की कुछ झूठी-सच्ची तस्वीरें एडिट करवाईं। तस्वीरों में ऐसा दिखाया गया जैसे करन किसी और लड़की के साथ नज़दीकियों में है।

वो मुस्कुराते हुए बोला—
“अब मज़ा आएगा… अनाया का भरोसा ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। जब भरोसा टूटेगा, तो उसका प्यार भी बिखर जाएगा।”

विक्रम ने तुरंत वो तस्वीरें पूरे कॉलेज के ग्रुप्स और सोशल मीडिया पर फैला दीं। कुछ ही घंटों में कॉलेज से लेकर पूरे शहर में करन का नाम बदनाम हो गया।

कैंटीन, क्लासरूम, गलियारों हर जगह सिर्फ यही चर्चा थी—
“अरे देखा करन की तस्वीरें?”
“वो तो बहुत सीधा-साधा बनता था… असलियत तो कुछ और ही निकली।”
“बेचारा आरव सही कहता था…”


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अनाया तक जब ये तस्वीरें पहुँचीं, तो उसके हाथ काँपने लगे। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन उसका दिल कह रहा था—
“नहीं… ये करन नहीं हो सकता। मैं उसकी आँखों में सच्चाई देख चुकी हूँ। ये सब कोई साज़िश है।”

वो करन के पास दौड़ी। करन चुपचाप कमरे में बैठा था, उसके चेहरे पर शर्म, ग़ुस्सा और दर्द सब झलक रहा था।

अनाया ने उसके सामने तस्वीरें फेंकी और काँपती आवाज़ में कहा—
“करन, ये सब… क्या है?”

करन ने बिना नज़रें झुकाए कहा—
“ये सब झूठ है अनाया। मैं कभी तुझसे ग़द्दारी नहीं कर सकता। ये आरव की चाल है।”

अनाया ने उसके चेहरे को ध्यान से देखा… और उसकी आँखों में सिर्फ सच्चाई दिखाई दी। उसने बिना देर किए करन का हाथ पकड़ लिया और कहा—
“मैं तुझ पर शक ही नहीं कर सकती करन। अब चाहे दुनिया कुछ भी कहे… मैं तेरे साथ हूँ।”


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आरव को जैसे ही पता चला कि अनाया ने तस्वीरों पर यक़ीन नहीं किया, उसका ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। उसने गिलास ज़मीन पर पटकते हुए कहा—
“ये लड़की मेरी सबसे बड़ी रुकावट बन चुकी है… अब इसे भी सबक सिखाना पड़ेगा!”

लेकिन अब पूरा कॉलेज और शहर भी आरव की गिरती हुई नीयत और उसकी गंदी चालों को समझने लगा था। उसकी इज़्ज़त मिट्टी में मिल चुकी थी।
आरव की चालें अभी भी खत्म नहीं हुई थीं। तस्वीरों के खेल में हारकर उसका ग़ुस्सा और भी भड़क चुका था। वो अपने आलीशान ड्राइंग रूम में बैठा देर रात शराब का पैग बनाते हुए सोच रहा था—

“अगर अनाया मेरे हाथ से निकल गई, तो मेरी हार पूरी दुनिया देखेगी। नहीं… अब उसे हर हाल में मेरी मुट्ठी में आना होगा। और अगर वो नहीं आई, तो मैं उसे ऐसी जगह धकेल दूँगा जहाँ से निकलने का कोई रास्ता न बचे।”


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अगले ही दिन आरव ने अपने पुराने गाँव के दोस्त रघुवीर को शहर बुलाया। रघुवीर चालाक, पैसों का लालची और दबंग किस्म का आदमी था। गाँव में उसका डर सबके सिर पर सवार था।

आरव ने उसके सामने नोटों की गड्डियाँ रखते हुए कहा—
“रघुवीर, काम आसान है। अनाया को अपने जाल में फँसाना है। उसके घरवालों के सामने रिश्ता रखना और दबाव डालना कि वही तेरी बीवी बने। तू जो दाम माँगेगा, मैं दूँगा। बस ये लड़की करन से दूर हो जानी चाहिए।”

रघुवीर ने लालच से पैसों की तरफ़ देखा और हँसते हुए बोला—
“आरव भाई, दाम ऊँचा होगा। लेकिन काम पक्का होगा। लड़की तेरे हिसाब से चलेगी।”

आरव ने मुस्कुराकर शराब का गिलास उठाया—
“पैसा मेरी जेब में भरा पड़ा है। बस काम पूरा होना चाहिए।”


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कुछ ही दिनों में रघुवीर ने शहर में एक बड़ा-सा नया बंगला खरीदा, वहीँ से वो अपनी शान दिखाकर लोगों को प्रभावित करने लगा। लोगों में चर्चा होने लगी कि कोई बड़ा ज़मींदार शहर आया है और अनाया के लिए रिश्ता लेकर आया है।

रघुवीर ने बाक़ायदा अनाया के घरवालों तक यह बात पहुँचाई।

अनाया के पापा अरजुन के पास जब ये रिश्ता पहुँचा तो वो हैरान रह गए। रघुवीर ने खुलेआम कहा—
“साहब, आपकी बेटी जैसी हसीन और समझदार लड़की को मैं अपनी बीवी बनाना चाहता हूँ। जो भी दहेज, जो भी शर्त होगी, मैं मानूँगा। बस रिश्ता पक्का कर दीजिए।”


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अब अनाया पर नया दबाव था।
करन तक ये बात पहुँची, तो उसके हाथ गुस्से से काँप उठे।
“आरव… तू कितनी भी चालें चल ले, अनाया मेरी ताक़त है, तेरी मोहर नहीं। अब तुझे उसी खेल में हराऊँगा जो तूने शुरू किया है।”
आरव की नयी चाल और करन की जंग

शहर में इन दिनों सिर्फ एक ही चर्चा थी —
“गाँव से बड़ा जमींदार आया है… रघुवीर सिंह। उसने शहर में शाही अंदाज़ में बंगला खरीदा है और अब अनाया का हाथ माँग रहा है।”

लोग हैरान थे कि इतना बड़ा आदमी सीधे अनाया पर क्यों दिल हार बैठा। लेकिन किसी को पता नहीं था कि ये सब आरव की साज़िश थी।


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रघुवीर का खेल

रघुवीर हर जगह अपना रसूख दिखाता। बड़े-बड़े लोगों को दावतें देता, महंगी गाड़ियों का काफ़िला लेकर निकलता और जहाँ जाता, अपने आदमी आगे-पीछे लेकर चलता। उसका मक़सद साफ था—
शहर को ये यक़ीन दिलाना कि वो अनाया के लायक़ है।

एक शाम वो अनाया के घर पहुँचा। अरजुन और आयरा ड्रॉइंग रूम में बैठे थे।
रघुवीर ने भारी आवाज़ में कहा—
“देखिए साहब, मैं साफ़ कहने आया हूँ। आपकी बेटी मुझे पसंद है। जो भी दहेज माँगें, जो भी शर्त रखें… सब मानूँगा। मुझे सिर्फ़ अनाया चाहिए।”

अनाया अंदर से सब सुन रही थी। उसका चेहरा लाल पड़ गया। उसने ग़ुस्से से दरवाज़ा खोला और सीधी नज़रें रघुवीर से मिलाईं—
“मुझे खरीदा नहीं जा सकता। मैं कोई सौदा नहीं हूँ कि दहेज और शर्तों में नापा जाऊँ।”

रघुवीर ज़ोर से हँसा—
“लड़की, तू अभी नासमझ है। सोच समझकर बोल। मैं जो चाहता हूँ, उसे पाने की आदत है मुझे।”

अरजुन ने बीच में कहा—
“देखिए, हमें इस बारे में सोचने का वक्त चाहिए। आप जाइए।”

रघुवीर ने गहरी मुस्कान फेंकी और बोला—
“सोचिए… लेकिन जल्दी कीजिए। वरना मैं अपने तरीक़े से काम लूँगा।”


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करन की बेचैनी

दूसरी ओर करन ये सब सुन चुका था। उसकी मुट्ठियाँ भिंच गईं। वो खुद से बुदबुदाया—
“आरव… तूने ग़लत जगह वार किया है। अब ये जंग तेरे लिए आसान नहीं होगी।”

रात भर करन सो नहीं पाया। उसके दिमाग़ में एक ही बात थी — कैसे साबित करे कि रघुवीर और आरव मिलकर खेल रहे हैं।


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अनाया का साहस

अनाया करन के पास आई। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन आवाज़ मज़बूत।
“करन, मुझे डर नहीं लगता। मैं जानती हूँ ये सब आरव की चाल है। लेकिन पापा… वो परेशान हो जाते हैं। मैं नहीं चाहती कि उनकी इज़्ज़त पर कोई बात आए। हमें आरव को बेनक़ाब करना होगा।”

करन ने उसका हाथ थामते हुए कहा—
“अनाया, अबकी बार आरव खुद अपनी चालों में फँसेगा। तू सिर्फ़ मुझ पर भरोसा रखना।”


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आरव की अगली चाल

आरव अपने बंगले में बैठा रघुवीर से मिला।
“शहर में चर्चा फैल चुकी है। अब अनाया के घरवालों पर दबाव और बढ़ाओ। और हाँ, करन को धमकी देना मत भूलना। उसे डर लगे कि अगर उसने बीच में आने की कोशिश की, तो बर्बाद कर देंगे।”

रघुवीर ने सिर हिलाया और बोला—
“चिंता मत कर भाई, कल से शहर में ऐलान करवा दूँगा कि रिश्ता पक्का है। लोग खुद अनाया पर दबाव डालेंगे।”

आरव ने शैतानी मुस्कान दी—
“शानदार। करन की हिम्मत अब टूटेगी।”


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करन का पलटवार

लेकिन करन चुप बैठने वालों में से नहीं था। उसने कॉलेज के अपने दोस्तों को इकट्ठा किया और कहा—
“हमें सबूत चाहिए। रघुवीर और आरव का रिश्ता साबित करना होगा। आरव पैसे से सब खरीद सकता है, लेकिन सच को हमेशा नहीं छिपा सकता।”

दोस्तों ने मदद करने का वादा किया। उन्होंने रघुवीर के बंगले और आरव के लोगों की निगरानी शुरू की।

कुछ ही दिनों में उन्हें बड़ी ख़बर लगी —
रघुवीर के बंगले से बाहर निकलते समय आरव और रघुवीर की मुलाक़ात की तस्वीरें खिंच गईं। साथ ही, पैसों के लेन-देन की रिकॉर्डिंग भी मिल गई।


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तूफ़ान से पहले की शांति

अब करन और अनाया के पास आरव की चालों का असली सबूत था।
करन ने गहरी साँस ली और कहा—
“आरव सोचता है कि वो हमें दबा देगा। लेकिन अब उसका सच पूरे शहर के सामने लाएँगे।”

अनाया ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
“मैं तेरे साथ हूँ, करन। चाहे जंग कितनी भी मुश्किल क्यों न हो।”

रिश्ते की ज़ंजीर

रघुवीर समझ चुका था कि सिर्फ़ पैसों और दबाव से काम नहीं बनेगा।
उसने एक चाल चली—उसने खोज निकाला कि अनाया के पिता अरजुन का बचपन का एक बहुत गहरा दोस्त शहर में रहता है, नाम था दयानाथ।

दयानाथ वही इंसान था जिसने कभी अरजुन के साथ गाँव की गलियों में खेला, स्कूल में पढ़ा और बाद में ज़िंदगी में बहुत एहसान भी किए। अरजुन उसके क़र्ज़दार थे।

रघुवीर ने दयानाथ को अपने बंगले पर बुलाया और नोटों की ढेर मेज़ पर रख दिए।
“बस इतना करना है कि अपने दोस्त अरजुन को समझाना है। कहना कि रघुवीर जैसा दमदार, अमीर और रसूखदार लड़का ही अनाया के लिए सही है। जो भी दहेज माँगें, वो मान चुका हूँ।”

दयानाथ पहले तो झिझका, लेकिन लालच और दोस्ती के एहसान ने उसकी आँखें मूँद दीं। उसने हामी भर दी।


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अरजुन का मन बदलना

कुछ ही दिनों बाद दयानाथ, अरजुन से मिलने पहुँचा।
बैठक में चाय की प्यालियों के बीच उसने धीरे-धीरे बात छेड़ी—
“अरजुन भाई, हम तो बचपन से एक-दूसरे को जानते हैं। मैं तेरा भला चाहता हूँ। देख, रघुवीर जैसा दामाद मिलना नसीब की बात है। दौलत, ताक़त, नाम–सब उसके पास है। अनाया रानी बनकर रहेगी।”

अरजुन ने कहा—
“लेकिन दयानाथ… अनाया की मर्ज़ी? वो तो इस शादी को कभी नहीं मानेगी।”

दयानाथ ने मुस्कुराकर कंधे पर हाथ रखा—
“बच्चियों की मर्ज़ी कौन देखता है? बाप का फ़र्ज़ है सही घर-बार देखना। अनाया धीरे-धीरे सब मान लेगी। तू बस ‘हाँ’ कह दे।”

अरजुन चुप हो गया। उसके ज़हन में दोस्ती का भरोसा और रघुवीर की शानो-शौकत दोनों गूंजने लगे। बहुत सोच-विचार के बाद उसने ठंडी साँस लेकर कहा—
“ठीक है… अगर तू कहता है तो, मैं ये रिश्ता मान लेता हूँ।”


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अनाया का तूफ़ान

जब ये ख़बर अनाया तक पहुँची कि उसके पापा ने रघुवीर के साथ शादी की हाँ कर दी है, उसकी आँखें सुर्ख हो गईं।
वो गुस्से और दर्द से काँपते हुए चिल्लाई—
“पापा! आपने मेरी ज़िंदगी का फ़ैसला मेरे बिना कैसे कर लिया? मैं आपकी बेटी हूँ, आपकी जायदाद नहीं!”

अरजुन ने गंभीर स्वर में कहा—
“अनाया, ये तेरे भले के लिए है। रघुवीर जैसा दामाद हर बाप नहीं पा सकता। मैं तेरा सुख चाहता हूँ।”

अनाया रोते-रोते बोली—
“पापा, ये सुख नहीं, कैद है! आप मेरी खुशियाँ क्यों कुर्बान कर रहे हैं?”

लेकिन अरजुन का चेहरा कठोर हो चुका था।
“ये मेरा आख़िरी फ़ैसला है।”


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करन का बिखरना

उधर करन को जब ये खबर मिली, उसका कलेजा फट गया।
उसने माँ के पैरों में सिर रखकर कहा—
“माँ, मैं बेबस हूँ… अनाया किसी और की होने जा रही है। मैं उसे खो दूँगा। मैं… मैं जी नहीं पाऊँगा।”

माँ ने आँसू पोंछते हुए कहा—
“करन बेटा, अगर प्यार सच्चा है तो हार मत मान। तू लड़, भले दुनिया तेरे ख़िलाफ़ हो। ऊपरवाला तेरे साथ है।”

करन के भीतर टूटे दिल के साथ-साथ एक जिद भी जन्म ले चुकी थी—
“अनाया को मैं अपनी आख़िरी साँस तक किसी और का होने नहीं दूँगा।”


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अनाया और करन का हाल

दोनों की हालत एक जैसी थी।
अनाया अपने कमरे में अकेले बैठकर रोती, सोचती—
“क्या वाक़ई मेरी ज़िंदगी का फ़ैसला मैंने खो दिया है? क्या मैं करन से जुदा हो जाऊँगी?”

करन सड़कों पर भटकते हुए अपने दर्द को दबाने की कोशिश करता, मगर हर जगह उसे सिर्फ़ अनाया की हँसी, उसका चेहरा और उसका प्यार याद आता।
मंडप का रण

शहर भर में खबर फैल चुकी थी —
“अनाया और रघुवीर की शादी तय हो गई है।”
बड़े-बड़े होटलों में बात होने लगी, कॉलेज के गलियारों में फुसफुसाहट थी।
किसी को यक़ीन नहीं हो रहा था कि पढ़ी-लिखी, अपने हक़ के लिए लड़ने वाली अनाया किसी ऐसे आदमी की दुल्हन बनेगी जिसे वो जानती तक नहीं।

लेकिन अरजुन के फैसले के आगे सब चुप थे।


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शादी की तैयारियाँ

रघुवीर ने अपने नए बंगले को रोशनी से सजवा दिया था। शेरवानी, घोड़ी, बैंड-बाजा — सब शाही अंदाज़ में।
आरव दूर खड़ा ये सब देख रहा था और अपने आप से मुस्कुराकर बोला—
“आज करन का खेल ख़त्म। अनाया अब मेरी पकड़ से कभी नहीं निकलेगी। चाहे वो रघुवीर की हो, लेकिन असल जीत मेरी होगी।”


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अनाया का विरोध

दूसरी ओर, अनाया का हाल बेहाल था।
उसने बार-बार पापा से कहा—
“पापा, ये शादी मत कीजिए। मैं करन से प्यार करती हूँ, रघुवीर से नहीं।”

लेकिन अरजुन ने सख्ती से जवाब दिया—
“अनाया! अब देर हो चुकी है। ये शादी होगी। यही तुम्हारा भला है।”

अनाया ने ज़ोर से रोते हुए कहा—
“पापा, आप मुझे जिंदा दफ़ना रहे हैं…!”

आयरा (अनाया की माँ) ने चुपचाप बेटी को गले लगाया, मगर अरजुन की ज़िद के आगे वो भी बेबस थी।


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करन का फ़ैसला

करन के दोस्तों ने उसे समझाने की कोशिश की—
“छोड़ दे करन, अब सब खत्म हो चुका है। अनाया तेरी नहीं बन सकती।”

लेकिन करन की आँखों में आँसू और आग दोनों थे।
उसने कहा—
“प्यार अगर आसान होता तो कोई भी निभा लेता। मैं आख़िरी साँस तक लड़ूँगा। चाहे मंडप ही क्यों न हो, मैं अनाया को किसी और का होने नहीं दूँगा।”


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शादी का दिन

दिन आ गया।
मंडप में ढोल-नगाड़े बज रहे थे, मेहमान जमा थे। रघुवीर शाही शेरवानी में, सोने की चेन और गहनों से लदा, घमंड से भरा बैठा था।
अरजुन गंभीर चेहरा लिए बैठे थे, मानो कोई भारी बोझ ढो रहे हों।

अनाया दुल्हन के लिबास में सजी तो थी, लेकिन आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे। उसके दिल में सिर्फ़ करन की तस्वीर थी।


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करन की एंट्री

अचानक, बैंड की आवाज़ों और शोर के बीच गेट पर हलचल हुई।
करन, सफेद कुर्ते-पायजामे में, चेहरा दृढ़ता से भरा, दोस्तों के साथ मंडप में दाखिल हुआ।

सभी मेहमान फुसफुसाने लगे—
“अरे, ये तो करन है… वही लड़का जिससे अनाया प्यार करती है।”
“अब क्या होगा?”

करन सीधे मंडप के बीच पहुँचा।
उसने सबके सामने ऊँची आवाज़ में कहा—
“ये शादी नहीं हो सकती! अनाया मेरी है, और मैं आज यहाँ उसका हक़ लेने आया हूँ!”


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टकराव

रघुवीर ग़ुस्से से खड़ा हो गया।
“ओए! तू कौन होता है बीच में बोलने वाला? ये मेरी शादी है, दफा हो जा यहाँ से!”

करन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
“शादी रिश्ते से बनती है, सौदे से नहीं। और तूने तो सिर्फ़ सौदा किया है, प्यार नहीं।”

आरव भी खड़ा हो गया, तालियाँ बजाते हुए—
“वाह करन! तू सच में बहुत जिद्दी है। लेकिन जिद्दी लोग ज़िंदगी भर हारते ही हैं। आज तेरा खेल खत्म होगा।”

करन ने मुट्ठी भिंचते हुए जवाब दिया—
“नहीं आरव… आज सच जीतेगा और तेरी हर चाल सामने आएगी।”


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शादी के बाद अनाया सुहाग सेज पर बैठी है, लेकिन उसके दिल में सिर्फ़ करन की याद है।

तभी आरव भारी क़दमों से कमरे में दाखिल होता है, और अपनी ज़हरीली मुस्कान के साथ कहता है:
“तो अनाया… आख़िरकार, मैंने जीत ही लिया। तुझे भले रघुवीर के नाम से बाँध दिया गया हो, लेकिन अब तू मेरी है। तेरे आँसू भी अब मेरी जीत हैं।”

अनाया का रोना-चिल्लाना बेअसर रह जाता है, क्योंकि आरव ने पहले ही रघुवीर और उसके घरवालों को काबू में कर रखा है।

रघुवीर पूरे शहर में झूठी अफ़वाह फैला देता है कि कल सुबह वह और अनाया हनीमून के लिए लंदन रवाना होंगे, ताकि किसी को भी सच्चाई पर शक न हो।

बाहर सब लोग “खुशियाँ” मना रहे हैं, और अंदर अनाया का दिल जैसे पत्थर बन गया है। वह खुद को एक जिंदा लाश की तरह महसूस करती है।


करन की हालत भी उतनी ही दर्दनाक है —
वो टूटा हुआ, हारा हुआ, अकेला…
“मैंने सब कुछ खो दिया… अनाया को, अपने प्यार को, अपनी ज़िंदगी को।”

राख और चिंगारी

करन का अंधेरा

शादी की रात के बाद करन अपने कमरे में बंद पड़ा था।
चारों तरफ़ अंधेरा, मेज़ पर टूटे हुए गिलास और बिखरी हुई तस्वीरें।
उसकी आँखें लाल थीं, होंठ सूखे हुए, और दिल में सिर्फ़ एक ही सवाल—
“क्यों? क्यों अनाया को मुझसे छीन लिया?”

माँ कमरे में आईं, धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा—
“बेटा, ऊपरवाले की मर्ज़ी के आगे कौन चला है? तू हार गया है, लेकिन ज़िंदगी यहीं खत्म नहीं होती।”

करन ने सुनी-अनसुनी कर दी। उसने बोतल उठाई और घूँट-घूँट पीने लगा।
“अब मैं वही करूँगा जो दुनिया मुझसे उम्मीद नहीं करती। प्यार तो मैंने हार दिया… अब मेरे पास खोने को कुछ नहीं।”

उसकी आँखों में आँसू नहीं, सिर्फ़ अंधेरा था।


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अनाया की कैद

दूसरी ओर, अनाया दुल्हन बनकर सेज पर बैठी थी।
सारी रात उसके कानों में बस आरव की ज़हरीली हँसी गूँज रही थी—
“आख़िरकार मैंने तुझे पा ही लिया, अनाया।”

उसके चेहरे से मेकअप बह गया था, लेकिन आँखें अब भी खुली थीं।
वो धीरे-धीरे खुद से बुदबुदाई—
“मैं ज़िंदा हूँ, लेकिन जिंदा होकर भी मर चुकी हूँ।”

सुबह होते ही रघुवीर ने पूरे मोहल्ले में खबर फैला दी—
“कल सुबह मैं और मेरी बीवी अनाया हनीमून के लिए लंदन जा रहे हैं!”

घर वाले हैरान रह गए, लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया।
अनाया के लिए ये खबर किसी हथकड़ी से कम नहीं थी।


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आग की चिंगारी

रात को, अकेले कमरे में बैठे अनाया के भीतर अचानक एक चिंगारी उठी।
वो अपने आप से फुसफुसाई—
“अगर मैं चुप रही तो हमेशा के लिए हार जाऊँगी। आरव की जीत सच्चाई नहीं है, ये सिर्फ़ उसकी गंदी चाल है। मुझे करन के लिए, अपने लिए, और अपनी इज़्ज़त के लिए लड़ना होगा।”

उसकी आँखों में आँसू अब भी थे, लेकिन उनमें नफ़रत और जिद की लौ भी जल चुकी थी।
उसने अपने दुपट्टे को कसकर पकड़ते हुए कहा—
“अब मैं आरव को हराऊँगी… और रघुवीर को भी। चाहे इसके लिए मुझे खुद राख से उठना पड़े।”


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आने वाला तूफ़ान

करन अपनी हार से अंधेरे रास्ते पर उतर रहा था, और अनाया अपनी कैद से निकलने के लिए बग़ावत की तैयारी कर रही थी।

दोनों की किस्मतें अब अलग-अलग दिशाओं में जा रही थीं,
लेकिन किस्मत की डोर उन्हें फिर एक जगह ला खड़ी करेगी—
जहाँ आरव और रघुवीर के खिलाफ़ सबसे बड़ा रण छेड़ा जाएगा।


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ज़ुल्म की दीवारें

शादी के कुछ ही दिनों बाद अनाया का असली इम्तिहान शुरू हो गया।
बाहर की दुनिया को दिखाने के लिए आरव हँसता-मुस्कुराता था, लेकिन कमरे के अंदर उसका असली चेहरा सामने आता।

आरव का अत्याचार

सुबह होते ही आरव ऊँची आवाज़ में चिल्लाता—
“अनाया! चाय कहाँ है? ज़रा सी बात के लिए भी तुझे समझाना पड़ता है!”

अनाया रसोई में घबराई हुई हाथ काँपते हुए चाय बनाती।
अगर जरा सी देर हो जाती तो आरव गुस्से में कप पटक देता।
“किस काम की है तू? तुझे तो सिर्फ़ अपनी खूबसूरती दिखानी आती है। अब तू मेरी बीवी है, और मेरे घर के सारे काम तुझे ही करने होंगे।”

कभी झाड़ू, कभी बर्तन, कभी कपड़े धोना—अनाया दिनभर थककर चूर हो जाती, और अगर कहीं गलती हो जाती तो आरव बिना सोचे-समझे थप्पड़ जड़ देता।

अनाया की आँखों से आँसू बहते, लेकिन वो चुपचाप सब सहती रही।
उसका दिल कहता था—
“अगर मैंने विरोध किया, तो शायद पापा और मम्मी पर भी बुरा असर पड़ेगा।”


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फोन पर नाटक

हर कुछ दिन बाद अनाया के पापा या माँ का फोन आता।
अनाया खुश हो जाती, मगर जैसे ही वो फोन उठाती, आरव पास बैठ जाता और आँखों से डर दिखाता।

“स्पीकर ऑन करो… अकेले बात करने की ज़रूरत नहीं।”

अनाया काँपते हुए स्पीकर ऑन करती और ज़बरदस्ती मुस्कुराती—
“पापा, मैं बहुत खुश हूँ। आरव बहुत अच्छा है मेरे साथ… मेरी पूरी देखभाल करता है।”

फोन के उस पार आयरा और अरजुन की आँखों में खुशी छलक पड़ती।
“देखा? हमने जो फैसला किया वो सही था। हमारी बेटी खुश है।”

लेकिन जैसे ही कॉल कटता, अनाया का चेहरा उतर जाता।
उसकी आँखों में बेबसी और दर्द का समंदर था।


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ज़िंदा लाश

दिन-ब-दिन अनाया के चेहरे की चमक खोती जा रही थी।
उसकी मुस्कुराहट झूठी थी, आवाज़ भारी थी और दिल बिल्कुल खाली।
रात को तकिए में मुँह छुपाकर वो फूट-फूटकर रोती और खुद से कहती—
“काश… पापा मेरी बात सुन लेते। काश मैं करन के साथ होती।”

लेकिन फिर आँसू पोंछकर वो चुप हो जाती।
“अब मेरी ज़िंदगी बस सहने के लिए रह गई है। मैं एक जिंदा लाश बन चुकी हूँ।”


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सच की पहली झलक

करन की ज़िंदगी मानो थम चुकी थी।
दिनभर वो बेख़याल सड़कों पर भटकता, कभी कॉलेज की गलियों में, कभी उन जगहों पर जहाँ अनाया के साथ बिताए पल उसकी आँखों में तैर जाते।
लेकिन भीतर से वो पूरी तरह टूट चुका था।

फिर एक दिन, करन की मुलाक़ात नील से हुई—जो पहले आरव का खास आदमी था, लेकिन अब आरव की चालों से परेशान होकर उससे दूर हो चुका था।

नील ने भारी आवाज़ में कहा—
“करन… मुझे तुझसे कुछ कहना है। तुझे लगता है कि अनाया खुश है, लेकिन सच इसके उलट है। आरव उसे घर में कैद करके रखता है, उससे ज़बरदस्ती सारे काम करवाता है, और फोन पर भी उसे सच बोलने नहीं देता। वो लड़की हर दिन रो-रोकर जी रही है।”

करन की आँखें हैरत और गुस्से से लाल हो गईं।
“क्या…? ये सच है?”

नील ने सिर झुका लिया—
“हाँ… और सबसे बड़ा सच ये है कि आरव ने सबको धोखे में रखा है। बाहर सबको दिखाता है कि अनाया उसकी बीवी है और खुश है, लेकिन भीतर वो उसके साथ जानवरों जैसा सलूक करता है। करन… अगर तूने कुछ नहीं किया तो अनाया धीरे-धीरे मर जाएगी।”


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करन का संकल्प

उस रात करन सो नहीं सका।
उसके कानों में नील की बातें गूंजती रहीं।
उसकी आँखों में अनाया का मासूम चेहरा, उसकी हँसी, उसकी मोहब्बत सब तैरने लगे।

करन खुद से बुदबुदाया—
“अनाया… तू अकेली नहीं है। तुझे बचाने के लिए मैं फिर लौटूँगा। अबकी बार मैं हार नहीं मानूँगा।”

उसने तय कर लिया कि चाहे हालात उसके खिलाफ हों, चाहे आरव के लोग कितने ही ताकतवर क्यों न हों, वो अनाया को इस नर्क से निकालकर ही दम लेगा।


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आरव का डर

उसी बीच, आरव को कहीं से भनक लगी कि करन फिर से सक्रिय हो रहा है।
उसने गुस्से में गिलास पटक दिया और बड़बड़ाया—
“तो करन अभी भी ज़िंदा है मेरे खेल में? अच्छा… आ जाने दे। इस बार उसे हमेशा के लिए खत्म कर दूँगा।”

उसकी आँखों में खतरनाक चमक लौट आई थी।


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👉 अब कहानी का रंग और गहरा होगा—
करन कई दिनों तक नील से जानकारी लेता रहा—
आरव कब घर से बाहर जाता है, कौन-कौन से पहरेदार उसके आसपास रहते हैं, और अनाया किन-किन वक़्तों में अकेली होती है।

आख़िरकार, एक रात मौका मिल ही गया।
आरव किसी बिज़नेस पार्टी में गया हुआ था और देर रात लौटने वाला था।
नील ने चुपके से करन को इशारा किया—
“आज… सिर्फ आधे घंटे का समय है। संभलकर जाना।”


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मुलाक़ात का पल

करन भारी दिल से आरव के घर के पीछे की दीवार फाँदकर अंदर पहुँचा।
उसके कदमों की आहट तक अनाया के कमरे तक नहीं पहुँची थी।
वो धीरे से खिड़की के पास पहुँचा और धीमे स्वर में बोला—
“अनाया…”

अनाया चौक गई।
उसने खिड़की खोली तो जैसे उसकी साँसें रुक गईं।
“करन…?!” उसकी आँखों से आँसू बह निकले।
उसने काँपते हाथों से जाली पकड़ी और फूट पड़ी—
“तू… तू यहाँ कैसे आया? अगर आरव ने देख लिया तो… वो तुझे मार डालेगा।”

करन की आँखें भीग गईं, लेकिन उसमें अडिग जज़्बा था।
“तेरे लिए आया हूँ अनाया। तू कैसी है…? तू रोज़ फोन पर कहती है कि तू खुश है… लेकिन तेरी आँखें सच बता रही हैं।”

अनाया सिसकते हुए बोली—
“करन… मैं रोज़ झूठ बोलती हूँ… पापा-मम्मी को सच बता नहीं सकती। आरव मुझे अकेले फोन तक करने नहीं देता। वो मुझे मारता है, काम करवाता है, अपमान करता है… मैं बस एक खिलौना बनकर रह गई हूँ। करन, मैं अब और नहीं जी सकती।”


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दिल की पुकार

करन ने हाथ बढ़ाया और अनाया की उंगलियाँ अपनी उंगलियों में कस लीं।
“नहीं अनाया… तू हार नहीं मान सकती। मैं हूँ न। मैं तुझे इस नर्क से निकालकर ले जाऊँगा। चाहे मुझे अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े।”

अनाया की आँखों में पहली बार उम्मीद की एक हल्की सी चमक आई।
वो धीरे से बोली—
“करन… तुझसे दूर होकर मैंने जाना कि असली मोहब्बत क्या होती है। मैं तुझसे आख़िरी साँस तक प्यार करूँगी।”

दोनों की आँखों से आँसू बहते रहे, पर दिल को जैसे थोड़ी राहत मिली कि वो एक-दूसरे को अब भी अपना मानते हैं।


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तूफ़ान का आगाज़

लेकिन किस्मत को शायद ये मंज़ूर नहीं था।
अचानक सीढ़ियों पर किसी के कदमों की आहट गूँजी।
नील हड़बड़ाकर फुसफुसाया—
“करन! आरव लौट आया है… अब भाग यहाँ से!”

अनाया का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
उसने करन का हाथ कसकर पकड़ लिया—
“नहीं… तुझे कुछ नहीं होना चाहिए। जा करन… प्लीज़ जा!”

करन ने भारी मन से अनाया की उँगलियाँ छोड़ीं और फुसफुसाया—
“जल्द लौटूँगा… वादा है।”

और वो खिड़की से कूदकर अंधेरे में गुम हो गया।

आरव दरवाज़ा खोलकर कमरे में घुसा।
उसने अनाया की भीगी आँखें देखीं और शक से घूरने लगा।
“क्यों…? ये आँसू किसलिए हैं?”

अनाया ने काँपते हुए चेहरा दूसरी ओर फेर लिया—
“कुछ… कुछ नहीं।”

आरव की आँखें सिकुड़ गईं।
“कुछ गड़बड़ है… और मैं पता लगाकर रहूँगा।”
शक की दीवारें

आरव रातभर चैन से नहीं सो पाया।
अनाया की भीगी आँखें, काँपते होंठ और झूठे बहाने उसके दिमाग़ में घूमते रहे।
सुबह होते ही उसने अपने आदमियों को बुलाया।

“ध्यान से सुनो… घर के चारों तरफ नज़र रखो। कोई भी अंदर या बाहर बिना मेरी इजाज़त के न जाए। और हाँ… अनाया पर खास नज़र रखनी है। उसके हर कदम, हर आहट की खबर मुझे चाहिए।”

आदमी सिर झुकाकर चले गए।
आरव खिड़की पर खड़ा सोचता रहा—
“मुझे धोखा देने की हिम्मत? अगर करन अभी भी ज़िंदा है और मेरे खिलाफ खड़ा होना चाहता है, तो उसे मिटा दूँगा।”


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अनाया पर शिकंजा

उस दिन से अनाया की ज़िंदगी और मुश्किल हो गई।
आरव हर पल उसके पीछे-पीछे रहने लगा।
फोन आता तो स्पीकर पर ही बात करवाता।
बाज़ार जाना हो तो उसके साथ उसके लोग खड़े रहते।

एक रात, जब अनाया अकेली बैठकर रो रही थी, आरव अचानक कमरे में घुसा।
उसने उसकी ठुड्डी पकड़कर जबरदस्ती ऊपर किया।
“किसके लिए रो रही हो? हाँ? कौन है वो?”

अनाया की आँखों से आँसू बह निकले, मगर होंठ बंद रहे।
आरव ने ज़हरीली मुस्कान के साथ कहा—
“बोलती नहीं? कोई बात नहीं… मैं खुद पता लगा लूँगा।”


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करन का संघर्ष

दूसरी ओर, करन छुप-छुपकर नील से खबर ले रहा था।
नील ने बताया—
“आरव अब पूरी तरह शक में है। उसने पूरे घर पर पहरा बैठा दिया है। अब तुझसे मिलना पहले से कहीं ज़्यादा मुश्किल हो जाएगा।”

करन ने मुट्ठियाँ भींच लीं।
“कोई बात नहीं। अनाया तक पहुँचने का रास्ता मैं निकालूँगा। अगर आरव सोचे कि डराकर मुझे रोक लेगा तो ये उसकी सबसे बड़ी भूल होगी।”


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नई चाल

आरव ने अपने आदमी राघव को बुलाया।
“मुझे पता है करन अभी भी आसपास मंडरा रहा है। तू जाल बिछा… ताकि जब वो अगली बार मिलने आए, वो जिंदा वापस न जाए।”

राघव मुस्कुराया—
“समझ गया साहब। अगली बार वो खुद चलकर मौत के मुँह में आएगा।”

आरव ने धीरे-धीरे आँखें बंद कीं और ठंडी हँसी हँसी—
“अब खेल और दिलचस्प होगा। करन… तेरे लिए ये मुलाक़ात आख़िरी होगी।”

मौत का जाल

करन का दिल बेचैन था।
पिछली मुलाक़ात के बाद से उसे अनाया की सूरत चैन नहीं लेने दे रही थी।
उसने तय किया—
“चाहे कितना भी खतरा क्यों न हो, मुझे उससे मिलना ही होगा।”

नील ने उसे चेतावनी दी—
“करन, आरव ने तेरे लिए जाल बिछाया है। उसके आदमी हर तरफ़ निगरानी कर रहे हैं। अगर तू पकड़ा गया तो इस बार बचना नामुमकिन है।”

करन ने गंभीर नज़र से कहा—
“नील, मोहब्बत मौत से बड़ी होती है। अगर अनाया तक पहुँचना मेरी आख़िरी साँसों की कीमत पर है… तो मैं तैयार हूँ।”


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कहानी अभी बाकी है 👉🏻👉🏻👉🏻👉🏻👉🏻