Adhure ishq ki puri dastan - 6 in Hindi Love Stories by Nirali Ahir books and stories PDF | अधूरे इश्क की पूरी दास्तान - 6

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अधूरे इश्क की पूरी दास्तान - 6

इतना जोर देकर पूछने पर आकाश ने बोला तुमने सही सोचा है में नीलिमा से बेहद प्यार करता हु वो भी आज कल से नहीं बचपन से,बचपन से हम साथ साथ बड़े हुए है।जब में छोटा था में अपनी मम्मी से यही कहता था कि मम्मा में जब बड़ा होगाऊंगा तो नीलिमा से ही शादी करूंगा ओर मेरी मम्मी पापा भी नीलिमा को पसंद कर चुके थे।में अंकल आण्टी से बात करने ही वाला था पर उसी दिन मेरे नीलिमा को नैना से बात करते सुना।

नीलिमा नैना से कह रही थी नैना पता नहीं क्यू प्रीतम जब भी मेरे साथ होता हैं मुझे अच्छा लगता है ऐसा लगता हैं कि वो बस मेरे साथ ही रहे दूर जाए ही ना तभी नैना ने कहा नीलिमा तुम तो प्रीतम को दिल में बसा चुकी लगती हो लेकिन इतनी जल्दी कैसे?तभी नीलिमा ने बोला जब से में उसे पहली बार मिली मतलब कि पहेली बार टकराई थी,मुझे अच्छे से याद है वो दिन उस दिन विष्णु मुझे डांट रहा था खरी खोटी सुना रहा था पर प्रीतम चुपचाप खड़ा बस मुझे ही देखे जा रहा था! ये बात कहते हुए नीलिमा के गालों पर शर्म की लाली छा गई और बोली पता है नैना उस दिन के बाद प्रीतम जब भी मेरे सामने आता है मेरे दिल की धड़कने ट्रेन से भी तेज दौड़ने लगती है,मेरे होठों पे अपने आप ही मुस्कुराहट आ जाती है और में उसकी ओर खींची चली जाती हु।

पीछे आकाश खड़ा होकर सब सुन रहा है इस बात से बिल्कुल बेखबर नीलिमा अपने दिल का हाल नैना के सामने बया कर रही थी।....तभी विष्णु बोला तो तुमने नीलिमा को सच्चाई क्यू नहीं बताई कि तुम भी उसे प्यार करते हो वो भी बचपन से?तभी आकाश की आंखों में आंसू छलक पड़े और बोला ये जानते हुए भी कि वो प्रीतम से प्यार करती हैं उसे अपना हमसफर बना चुकी है कैसे बताता उसे? ओर उसका दिल कैसे दुखता?आंसू पोछते हुए आकाश ने प्रीतम की ओर देखा और बोला देख यार में उससे प्यार करता हु वो तुमसे,में बस तुम्हारी मदद करके उसे खुश देखना चाहता था में जानता हु प्रीतम भी नीलिमा से पहेली नजर से प्यार करता है।के उसे पा न सकूं तो क्या हुआ पर तुम दोनों को पास लाकर में उसे उसके हक की खुशी तो दे सकता हूं!

ये सब सुन कर प्रीतम और विष्णु दोनों की आंखों में आंसू आ गए,विष्णु आकाश के गले लग गया ओर बोला मुझे माफ कर देना आकाश मैने तुम्हारे बारे में बहोत गलत सोचा प्रीतम ने भी बोला है आकाश मैने भी तुम्हारे बारे में ना जाने क्या क्या सोच लिया था मुझे भी माफ कर देना ओर तुम्हारा में दिल से शुक्रगुजार हु कि तुमने मेरी हेलो करने की सोची।ये सुन आकाश ने बोला अरे यार हम दोस्त है ओर दोस्तों की बीच ये माफी आभार ये सब शोभा नहीं देता ऐसा कहके तीनों दोस्त गले लग गए,अलग होते हुए आकाश ने बोला लोग सच कहते है अगर दूसरों की खुशी के बारे में सोचो तो आपको दोगुनी खुशियां मिलती हैं,मैने तो सिर्फ नीलिमा को तुमसे मिलकर उसे खुशी देना चाहा पर उसके साथ साथ मुझे तुम जैसे एक नहीं दो दो दोस्त भी मिल गए।

फिर आकाश ने गंभीर होते हुए बोला प्रीतम विष्णु तुम दोनों को मुझे एक प्रोमिस करना होगा दोनों ने चौंकते हुए आकाश की ओर देखा और बोले कैसा प्रोमिस ?आकाश ने समझाते हुए कहा तुम दोनों कभी भी नीलिमा को ये बात नहीं बताओगे जो हमारे बीच अभी हुई है।प्रीतम ने कहा पर आकाश.....आकाश ने बात काटते हुए कहा पर वर कुछ नहीं प्रीतम प्लीज़ तुम प्रोमिस करो उसे कभी नहीं बताओगे!प्रीतम ओर विष्णु ने प्रोमिस किया कि वो ये बात कभी भी नीलिमा को नहीं बताएंगे। और फिर तीनों कैम्पस की ओर चल दिए। उस तरफ नीलिमा अभी भी उसी उलझन में थी कि वो क्या करे,तभी ये तीनों वहां आ पहुंचे।

नीलिमा अभी भी हाथ में वो कागज ले खड़ी थी और सोच रही थी कि ये किसने दिया।उन तीनों को वहां देख नीलिमा हड़बड़ा गई उसने जल्दी से कागज वाले हाथ को पीछे छुपा लिया ओर बोली आकाश, विष्णु, प्रीतम तुम तीनों एक साथ क्या बात है? आकाश ने कहा कुछ नहीं हम तो ऐसे ही साथ आए हैं।क्यों दोस्तों के साथ घूमना हमारे कॉलेज में मना है?ये कह आकाश विष्णु की ओर देख के हसने लगा।नीलिमा ने दोनों की ओर देखते हुए कहा तुम भी बिल्कुल विष्णु की तरह हसी मजाक करने लगे हो,ओर बताओ तुम तीनों की इतनी गहरी दोस्ती कब से हो गई? विष्णु ने कहा तू समझ लो कि अभी अभी ओर फिर आकाश की ओर देखते हुए बोला क्यू आकाश सही कहा ना? ये सुन आकाश बोला हा हा क्यू नहीं।नीलिमा ने प्रीतम की ओर देखा तभी प्रीतम ने नीलिमा की ओर देखा जैसे ही दोनों की आंखे मिली नीलिमा की आंखे शर्म से झुक गई और गल शर्म से लाल हो गए वो वहां से दौड़कर हंसती हुई चली गई।ये देख विष्णु ओर आकाश ने छेड़ने के अंदाज से प्रीतम से कहा वाह क्या आंखों का जादू है। तभी आकाश ने एक शायरी सुनाई।


" "तेरी आंखों से आंख मिली और मिलते ही झुक गई।

कुछ ऐसा जादू सा है तेरी आंखों में जो बिना कहे ही चैन तक छीन गए।।" "