Salmon Demon - 3 in Hindi Horror Stories by Vedant Kana books and stories PDF | Salmon Demon - 3

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Salmon Demon - 3

गांव में सुबह की पहली किरण आई तो लोगों ने रघु के घर के बाहर अजीब माहौल देखा. दरवाजा आधा खुला हुआ था और भीतर से ठंडी हवा बाहर आ रही थी. आसपास की मिट्टी राख जैसी काली हो चुकी थी. किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि अंदर जाए.

कुछ देर बाद रघु खुद बाहर निकला. उसकी आंखें खाली थीं. चेहरे पर मिट्टी की पतली रेखाएं थीं जो मानो त्वचा के भीतर उतर चुकी हों. वह कुछ भी नहीं बोल रहा था. बस गांव वालों को चुपचाप देखता रहा और फिर धीरे धीरे खेतों की तरफ चल पड़ा. किसी ने उसका पीछा नहीं किया. सब जान गए थे कि अब वह वही रघु नहीं रहा.

इस घटना के बाद गांव में डर और तेज फैल गया. हवा हर वक्त भारी लगती थी. रात को घरों की दीवारों पर किसी के खुरचने की आवाजें आतीं. लोग एक दूसरे को समझाने की कोशिश करते लेकिन किसी की अपनी आवाज कांप जाती. बच्चे अपने सपनों में एक काली आकृति देख रहे थे. बूढ़े लोग कहते कि यह तांत्रिक की गिरी हुई आत्मा है जो अपने लिए और शरीर ढूंढ रही है.

गांव का मुखिया चिंतित हो गया. वह जानता था कि यह साधारण भूत प्रेत की बात नहीं है. उसे किसी ऐसे आदमी की जरूरत थी जिसने शक्तियों को समझा हो.

अंत में गांव के कुछ लोग पास के पहाड़ी इलाके में रहने वाले एक पुराने तांत्रिक का नाम लेकर आए. उसका नाम उदावीर था. कहा जाता था कि उसने अपने जीवन में कई बार अंधेरी शक्तियों को रोका है, पर इसके लिए वह भारी कीमतें भी चुका चुका है. वह गांव से दूर जंगल की गुफा में रहता था.

उसके पास जाना आसान नहीं था. रास्ते में लंबे पेड़ थे जिन पर सूखी लताओं की तरह जली हुई डंडियां लटकती थीं. गुफा के अंदर हर वक्त धुआं और कपूर की गंध रहती थी.

गांव वाले डरते हुए उदावीर की गुफा तक पहुंचे. अंदर दीपक की हल्की रोशनी थी. उदावीर एक पुराने पत्थर पर बैठा था. उसके बाल कंधों तक बिखरे हुए थे और आंखों में ऐसा भाव था जैसे वह वर्षों से सोया नहीं हो. गांव वालों को देखते ही वह बोला कि उन्हें आने की जरूरत नहीं थी क्योंकि वह जानता था कि अंधेरा पहले ही गांव की तरफ बढ़ चुका है. उसके शब्द सुनकर सबकी रूह कांप गई. किसी ने उसे Salmon का नाम बताया तो उसने गहरी सांस ली और कहा कि उसकी सत्ता को वह बहुत पहले पहचान चुका है.

उदावीर ने बताया कि Salmon कोई साधारण आत्मा नहीं है. वह एक अधूरी साधना से पैदा हुआ है और अब वह खुद को पूरा करने के लिए जीवित शरीर ढूंढ रहा है. अगर उसे रोका न गया तो वह पूरा गांव निगल सकता है. लेकिन उसे रोकना आसान नहीं था.

उदावीर ने कहा कि उसके लिए एक विशेष अनुष्ठान की जरूरत पड़ेगी जो सिर्फ उसी जंगल में हो सकता है जहां वह पैदा हुआ था. वहां की मिट्टी, वहां की हवा और वहां की परछाइयां ही उसके खिलाफ काम कर सकती हैं. लेकिन अनुष्ठान के दौरान सबसे डरावनी बात यह थी कि Salmon खुद सामने आएगा और उसे भगाने के लिए किसी न किसी पर हमला करेगा.

उदावीर ने गांव वालों से पूछा कि Salmon ने अभी किसे पकड़ा है. जब उन्होंने रघु, लाजो और उनके बेटे सूरज के बारे में बताया तो तांत्रिक की आंखों में चिंता फैल गई. उसने कहा कि परिवार पर कब्जा करते ही Salmon अधिक शक्तिशाली हो जाता है क्योंकि वह एक साथ कई आत्माओं से ऊर्जा खींचता है. इसका मतलब था कि अब वह पहले से ज्यादा खतरनाक है.

उदावीर ने अपना लोहा जड़ा डंडा, राख भरा पात्र और पुराने मंत्रों वाला कपड़ा लिया और गांव वालों से कहा कि वे उसे रघु के घर तक ले चलें. रास्ते में हवा अचानक ठंडी हो गई. पेड़ों पर बैठे पक्षी बिना वजह चिल्लाने लगे. गांव के चौक में पहुंचते ही उदावीर ठहर गया. उसने जमीन छुई. मिट्टी अभी भी काली और भारी थी. उसने कहा कि Salmon कहीं आसपास है और वह गांव वालों के डर को हवा की तरह पी रहा है.

सब लोग दहशत में एक दूसरे को देखने लगे. तभी दूर से किसी बच्चे की धीमी सिसकी सुनाई दी. आवाज गांव के कुएं की तरफ से आ रही थी. उदावीर ने गांव वालों को पीछे रहने को कहा और खुद आगे बढ़ गया. कुएं के पास पहुंचकर उसने देखा कि वहां कोई नहीं है. लेकिन आवाज वहीं गूंज रही थी. अचानक कुएं की गहराई से धुआं उठने लगा. धुआं धीरे धीरे इंसानी आकृति में बदलने लगा.

उदावीर ने मंत्र पढ़ना शुरू किया. हवा और भारी हो गई. धुआं कांपने लगा. पर उसी क्षण कुएं से एक लाल चमक उठी और मंत्र की आवाज दबाने लगी. गांव वाले डर से पीछे हटने लगे. उदावीर समझ गया कि यह Salmon का संकेत है. उसने गहरी आवाज में कहा कि यह लड़ाई आसान नहीं होगी. Salmon अब सीधे सामने आने की तैयारी कर रहा है.

उदावीर ने गांव वालों को घर लौटने को कहा. लेकिन वे कदम ही मुड़ पाते इससे पहले हवा में छिपी एक धीमी, टूटी हुई हंसी सुनाई दी. वह हंसी ऐसी थी जैसे कोई शरीर के भीतर से बोल रहा हो. सब समझ गए कि यह बस शुरुआत थी. Salmon को रोकने की कोशिश अब रास्ते पर आ चुकी थी, और असली संघर्ष अभी बाकी था।