उधर ईशान और तानिया गाड़ी में बैठकर साहिल के भेजे हुए लोकेशन पर जा ही रहे होते है, तभी ईशान को किरण का फोन आता है। किरण ने उसे घर पर बुलाने के लिए फोन किया होता है क्योंकि उसके मम्मी पापा ने बुलाया होता है। क्योंकि उन्होंने आज ही पंडित जी को बुलवाकर शादी की तारीख तय करवा ली थी! वेदना जी और गोपाल जी भी वही होते है, और वो बच्चो को सरप्राइज़ देने के लिए बुलाने वाले होते है। तभी किरण, ईशान को फोन करती है तो ईशान मना कर देता है, घर आने के लिए!
किरण - ईशान, मैने कहा ना कि जल्दी से तानिया को लेकर घर आओ, एक जरूरी काम है!
ईशान - सिमरन दीदी से जरूरी कुछ नही है, मेरे लिए!
किरण - एक मिनट, तुम घर नही आ रहे हो, इसके पीछे सिमरन दीदी वजह है। फिर ईशान मन में सोचता है कि इससे पहले की किरण दीदी और कुछ सोचे, उन्हे सब बता देना चाहिए! फिर वो किरण को सब बता देता है कि सिमरन दीदी का किडनैप हुआ है और उन्हे विपिन पर शक है। किरण जैसे ही यह सब सुनती है,उसे तो भरोसा हो जाता है कि विपिन ने ही किया होगा सिमरन का किडनैप! और उसे लग गया था कि वो किस हद तक गिर सकता है, इसलिए सिमरन को बचाना जरूरी था। फिर वो ईशान को बोलती है कि;
किरण - तुम रुको ईशान, मैं जो लोकेशन भेज रही हुं, वहां पर आओ! फिर किरण जल्दी जल्दी में अपने पैरेंट्स और साहिल के पैरेंट्स को सब बताकर निकल जाती है। घर पर भी अब सभी लोग चिंता में थे, पर गोपाल जी और राजीव जी फिर भी संबल रखे हुए थे और सुहाना जी और वेदना जी को भी सांत्वना दे रहे थे। पर कही न कही गोपाल जी को लग रहा था कि कही इसमें राजीव जी और सुहाना जी का हाथ तो नही?
पर गोपाल जी अभी कुछ कहना नही चाहते होते है, क्योंकि सुहाना जी और राजीव जी भी उतना ही दुखी लग रहे थे, जितना कि वो खुद थे! इधर किरण ईशान को लोकेशन भेज देती है, और ईशान उसे,साहिल को भी भेज देता है और बता देता है कि शायद किरण को कुछ पता है, इसलिए उसने हमे उस लोकेशन पर बुलाया है। किरण वहा पर पहुंच चुकी थी, तभी वो देखती है कि साहिल की गाड़ी आ रही है। जैसे ही साहिल गाड़ी रोककर उससे बाहर निकलता है तो किरण से पूछता है कि;
साहिल - कहां पर है सिमरन ?
किरण - मैं पक्का नही कह सकती हूं साहिल, लेकिन यही पर विपिन की एक प्राइवेट जगह है, जिसके बारे में किसी को भी नही पता है। उसने एक दिन ड्रिंक करते हुए मुझे उस जगह के बारे में बताया था, जब मैं सिमरन को या बाकी किसी को अगर नुकसान पहुंचाना चाहूं तो यह जगह परफेक्ट है। पर मुझे उसकी एक्जैक्ट लोकेशन नही पता है।
साहिल - चलो, हम ढूंढने की कोशिश करते है, हो सकता है कि हमे सिमरन यही मिल जाए! पर किरण, अगर यह तुम्हारी कोई चाल हुई तो मैं तुम्हे छोडूंगा नही!
किरण - अभी इन सब का वक्त नही है, चलो पहले सिमरन दीदी को ढूंढ ले! फिर साहिल और किरण वहां आस पास सुनसान जगहों पर सिमरन को ढूंढने लगते है।
इधर सिमरन अभी भी चेयर पर बंधी हुई होती है,पर थकान के मारे उसकी आंख लग गई होती है। विपिन उसके सामने बैठा होता है, और उसे लस्टी आंखों से देख रहा होता है। तभी सिमरन की आंख खुलती है और वो देखती है कि विपिन उसे ही देखे जा रहा है तो उसे गंदा फील होता है और वो अपनी नजरें फेर लेती है।
विपिन - क्या जान, मैं तो तुम्हारे उठने का इंतजार कर रहा था, और तुम मुझसे नज़रें फेर रही हो, दिस इज नॉट फेयर ना!
सिमरन - अपना मुंह बंद करो समझे! तुम्हारे एक एक शब्द से घिन आती है मुझे! और वो विपिन के सामने थूकती है। इससे विपिन को गुस्सा आ जाता है। वो सिमरन के पास जाकर उसका मुंह जोरो से पकड़ता है और वो बोलता है कि;
विपिन - अच्छा, अब घिन आने लगी मुझसे! उस दिन भी साहिल के सामने मैडम बहुत इतरा रही थी, आज देखता हुं कि तुझे कौन बचाता है। मुझे बर्बाद करने चली थी, तूझे ही किसी के सामने मुंह दिखाने लायक नही छोडूंगा, रुक!
सिमरन - देखो विपिन, मेरे पास आने की कोशिश मत करना! इससे अच्छा तो मुझे मार दो! सिमरन ने घबराते हुए कहा। क्योंकि सिमरन यह जानती थी कि जो इंसान उसे मारने की कोशिश कर सकता है, उसका कोई भरोसा नहीं है, वो जो कह रहा है, वो कर सकता है। विपिन उसकी बातों को इग्नोर करता हुआ उसके पास आता है, और चेयर पर थोड़ा सा झुक जाता है।
फिर वो सिमरन के और नजदीक आने की कोशिश करता है, तभी पीछे से दरवाजा जोर से खुलता है और साहिल अंदर आ जाता है।
क्रमश :