Bandhan - 78 in Hindi Drama by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 78

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 78




chapter 78


हेलो रीडर्स,

वेलकम टू टुडे’स चैप्टर!
पर उससे पहले, मुझे आप लोगों से कुछ कहना है।  23 अक्टूबर 2025, सुबह 10:30 बजे जब मैंने प्रतिलिपि खोला, तो मैंने देखा कि मुझे  गोल्डन बैच मिला है।

यह सब आप लोगों की वजह से ही संभव हुआ है। मैं सच में दिल से धन्यवाद कहना चाहती हूँ। अगर आप जैसे इतने प्यारे और सपोर्टिव रीडर्स ना होते, तो शायद मुझे यह बैच नहीं मिलता।

एक स्पेशल थैंक यू मेरी स्पेशल रीडर 😘 अर्पणा कुमारी को, जिन्होंने चैप्टर 1 से लेकर अब तक मेरे हर चैप्टर पर कमेंट किया, रिव्यू दिया, और हर चैप्टर के सवालों के जवाब patiently दिए। साथ ही, जब मैंने कुछ समय तक चैप्टर नहीं दिए (till last month), तब भी उन्होंने patiently मेरे नए चैप्टर का इंतजार किया।

थैंक यू, थैंक यू, थैंक यू so much, मिस अर्पणा कुमारी! 💖


चलिए अब , आज के चैप्टर  को शुरू करते हैं।

कहानी अब तक 

🌟पिछले चैप्टर में हम लोग पढ़ते हैं कि जया जी और अंकिता जी दोनों गुरुद्वारा माता टेखनें के लिए जाते हैं जहां वह लोग तरुण और आ रही की सगाई के बारे में बात करते हैं। 

🌟 वीर अपने भाई बहनों के साथ शॉपिंग के लिए जाती है जहां पर सभी लोग अपनी शॉपिंग में बिजी होते हैं तो वीर किसी से टकरा जाती है तो 
देखती है कि यह इसके कॉलेज के सीनियर्स होते हैं जो उसे हर वक्त परेशान करते रहते थे। 

।🌟 वीर के सीनियर्स उसे परेशान कर ही रहे थे । कि कश्यप आकर वीर को बचा लेता है।

🌟 तो आखिरी सीन में हम देखते हैं कि सक्षम को उसके स्पाई का कॉल आता है जो सक्षम को कपाड़िया मेंशन में क्या हुआ डिटेल्स देता है। 


⚡⚡अब आगे ⚡⚡


अमेरिका 


Thompson Pass — Early Dawn

रात भर से शिवाय बर्फ की मोटी चादर पर शर्टलेस पड़ा था —
नशे में, ठंड से बेपरवाह, जैसे उसे अपने जिस्म का भी एहसास नहीं हो रहा ।
उसके आसपास सर्द हवा की तेज़ सरसराहट थी,
बर्फ़ के फाहे धीरे-धीरे उसके बालों और छाती पर गिर रहे थे। 🌨️

थॉम्पसन दर्रे की ठंड हड्डियाँ जमा देने वाली थी,
पर शिवाय की रगों में बहता ज़हर (शराब का) उसे और सुन्न कर चुका था।

उसके बॉडीगार्ड्स कुछ दूर खड़े थे —
कंपकंपाते, मगर हिलने की हिम्मत किसी में नहीं थी।
किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उस आदमी को,
जिसकी आँखों में आग और दिल में तूफ़ान था,
छू भी लें या घर के अंदर ले जाएँ।
वे बस पहरा दे रहे थे, जैसे किसी राजा की नींद की रखवाली कर रहे हों। ❄️👁️


---

सुबह के 5:00 बजे।
सूरज की हल्की किरणें बर्फ़ के टुकड़ों पर झिलमिलाने लगी थीं।
ठंडी हवा के एक झोंके ने शिवाय के चेहरे को छुआ —
और वह अचानक झटके से आँखें खोल देता है।

उसकी लाल आँखें जैसे अंगारे हों।
एक पल के लिए ऐसा लगा मानो उसने पूरी रात सोया ही नहीं।
वह भारी सांसों के साथ उठकर बैठता है,
अपने सर को दोनों हाथों से पकड़ लेता है —
सिर फटा जा रहा था,
पर चेहरा अब भी उतना ही शांत, उतना ही ख़तरनाक। 💀

कुछ पल तक वह स्थिर बैठा अपने चारों ओर देखता है।
बर्फ़ की सफेद चादर, धुंध में डूबा आसमान,
और कुछ फीट दूर खड़े उसके बॉडीगार्ड्स — सब उसे घूर रहे थे।

तब जाकर उसे अहसास होता है —
वह पूरी रात खुले आसमान के नीचे, शर्टलेस,
इस बर्फ़ीली मौत में पड़ा रहा।


विला के अंदर अब भी गहरी नींद का सन्नाटा पसरा हुआ था।
हर कमरा ठंड और नींद से भरा था,
बस एक इंसान जाग चुका था — शिवाय कपाड़िया।

वह सीधा अपने कमरे में गया।
अंदर हल्की-सी रोशनी थी।
बेड पर बिजी, बच्चों को सीने से लगाकर गहरी नींद में सो रही थी।
बच्चे उसके हाथों में सिमटे हुए,
जैसे किसी परी के आसरे में हों। 💤✨

शिवाय कुछ पल वहीं खड़ा रहा —
उसकी नज़रें उन तीनों पर टिकी थीं,
पर आँखों में कोई गर्माहट नहीं थी...
बस खालीपन।

एक हल्की सांस लेकर वह मुड़ता है,
और बाथरूम के अंदर चला जाता है। 🚿

कुछ देर बाद वह बाहर निकलता है —
फ्रेश, मगर चेहरे पर वही ठंडा सन्नाटा।
ना थकान, ना नींद, बस एक mechanical calmness।

वह धीरे-धीरे जिम एरिया की ओर बढ़ता है।
सारा घर अब भी सोया हुआ है,
बस वहाँ प्रणय पहले से ही वर्कआउट कर रहा था।
लोहे के डम्बल्स की आवाज़ ठंडी दीवारों में गूंज रही थी। 🏋️‍♂️

प्रणय, शिवाय को देखते ही अपने वर्कआउट को रोक देता है —
सख्त चेहरे के साथ, हल्का झुककर कहता है,
“Good morning, sir.”

शिवाय बस सिर हिलाकर जवाब देता है,
उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं —
जैसे इंसान नहीं, पत्थर हो।

दोनों फिर अपने-अपने वर्कआउट में लग जाते हैं।
कोई बात नहीं, कोई संगीत नहीं —
सिर्फ़ मशीनों की खड़खड़ाहट और सांसों की भारी आवाज़।
पूरा माहौल धातु और सर्द हवा से भरा हुआ था। ❄️💪

दो घंटे बाद,
वर्कआउट खत्म होने पर शिवाय तौलिये से अपना चेहरा पोंछता है
और बिना भाव के पूछता है —
“रेस्टोरेंट की रिपोर्ट?”



प्रणय ने टैबलेट आगे बढ़ाया —
“सर, जैसे हमने प्लान किया था, सब कुछ वैसे ही चल रहा है…”
वह रुक गया। उसकी आवाज़ धीमी पड़ गई।
शब्द गले में अटक गए। हवा में एक अजीब-सी ठंडक तैर गई। ❄️

शिवाय ने सिर उठाया — उसकी आँखें स्थिर, पर सवाल से भरी हुई।
एक पल की चुप्पी... सिर्फ़ घड़ी की टिक-टिक सुनाई दी। ⏱️

प्रणय ने उसकी आँखों में देखा — फिर धीरे से फुसफुसाया कुछ,
जिसे सुनते ही शिवाय की खाली निगाहों में भयानक चमक दौड़ गई। ⚡
चेहरे की मांसपेशियाँ तन गईं, होंठों पर बस एक सिहरन भरी मुस्कान उभरी।

वह माहौल इतना भारी हो गया कि प्रणय के शरीर में हल्का कंपन दौड़ गया।
लेकिन उसने खुद को संभाल लिया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। 🕶️

शिवाय ने धीमी, गहरी आवाज़ में जवाब दिया —
ऐसा जवाब... जिसे सुनकर प्रणय की आँखों में भी वही डरावनी चमक लौट आई।
दोनों की नज़रों में अब सिर्फ़ एक ही बात थी — खामोश इरादा। 🔥

कुछ सेकंड की सन्नाटा...
फिर शिवाय कुर्सी से उठा, ठंडी हवा का झोंका परदों को हिलाता हुआ गुज़रा। 🌬️
“रेस्टोरेंट पर मिलते हैं,” बस इतना कहकर वह अपने कमरे की ओर चला गया।
प्रणय ने गहरी साँस ली… और बिना कुछ कहे पीछे मुड़ गया।
दरवाज़े के बंद होने की आवाज़ ने कमरे की ख़ामोशी को पूरा निगल लिया। 🚪💭


कुछ ही देर में शिवाय और प्रणय डाइनिंग टेबल पर आते हैं।

जहाँ पहले से ही आर्य और संवि बिजी के साथ गपशप कर रहे थे।

शिवाय तीनों को देखकर कहता है,

> “गुड मॉर्निंग।”



जिस पर बिजी के अलावा किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।

शिवाय के बाद प्रणय तीनों को ग्रीट करता है। इस बार संवि और आर्य भी उसे रिटर्न में ग्रीट करते हैं,

> “गुड मॉर्निंग, चाचू।”



उन दोनों का यह व्यवहार देखकर सब समझ गए कि दोनों बच्चे शिवाय को इग्नोर कर रहे हैं।

शिवाय भी समझ जाता है कि आर्य और संवि उससे नाराज़ हैं। उसने जैसे-तैसे जेट में बच्चों को समझा दिया था।

वह अपनी कुर्सी खींचकर बैठ जाता है। हल्की मुस्कान के साथ, आवाज में नरमी भरकर, दोनों से सवाल करता है—

> “क्या आप एक्साइटेड हो फिर से किंडरगार्टन जाने के लिए?”



संवि अपने दोनों हाथ जोड़कर, मुंह फुलाते हुए कहती है—

> “हम दोनों आपसे नाराज़ हैं। हम आपसे बात नहीं करेंगे।”


उसकी बातों को सुनकर शिवाय उसे अपनी गोद में लेकर बड़े प्यार से उसके बालों को सहलाते हुए पूछता है 

"आप मुझसे नाराज क्यों हो?

मैं क्या किया है?


कमरे में हल्की रोशनी थी।
टेबल पर सबकी निगाहें अपनी-अपनी प्लेटों पर टिकी थीं, तभी संवि ने अपने नन्हे हाथ सीने पर बाँधे और आँखें थोड़ी सिकोड़ते हुए शिवाय की ओर देखा।

उसके होंठ फूले हुए थे, पर आवाज़ में मासूम गुस्सा साफ़ झलक रहा था —

> “आपने हमें नींनी (नींद) में इंडिया से अमेरिका ले आए।
बड़े ग्रैंडपा, ग्रैनी, बड़े दादा-दादी, बड़े पापा, बड़ी मां, एंग्री वाले दादाजी, ब्यूटीफुल दादी और बूआ को बाय करने भी नहीं दिया।” 😠



वो कुछ सेकंड तक वहीं देखती रही, फिर मुंह और ज्यादा फुलाकर बोली —

> “और अब हमें किंडरगार्टन भी भेज रहे हो — that’s not fair!” 😤



इतना कहकर वह धीरे से शिवाय की गोद से उतरती है और सीधे बीजी की गोद में जाकर बैठ जाती है।
उसके चेहरे पर नन्ही-सी नाराज़गी थी, लेकिन आँखों में हल्की नमी भी थी — जैसे वो खुद नहीं समझ पा रही कि उसे ज़्यादा दुख किस बात का है, जाने का या किंडरगार्डन जाने का। 😔

शिवाय कुछ पल उसे देखता रह जाता है।
उसके भीतर कई भाव एक साथ टकरा रहे थे — अपराधबोध, बेबसी, और एक पिता की वो चुप पीड़ा जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

वो कुछ बोलने ही वाला था कि तभी आर्य की आवाज़ उसके कानों में पड़ी।
लड़के की आवाज़ में गुस्सा नहीं था, बस एक सच्चाई थी जो चुभ रही थी —

> “दीदी ने सही कहा है। आपने हमें बिना बताए इंडिया से ले आए।
मुझे कितना मज़ा आ रहा था इंडिया में सबके साथ रहने में… खासकर ब्यूटीफुल आंटी (आरोही) के साथ।” 😅



आर्य की मासूमियत भरी बात सुनकर माहौल एक पल को थम जाता है।
बीजी बच्चों को हल्के से सीने से लगाती हैं, और शिवाय बस चुप बैठा रहता है —
उसकी आँखों में वो नमी अब और गहरी हो चुकी थी… जैसे किसी ने उसके भीतर का सारा सुकून धीरे-धीरे छीन लिया हो। 💔

इसी बीच, दुर्गा अपने नाइट ड्रेस में ही बिखरे हुए बालों के साथ कमरे में आती है।
उसकी आँखों में अब भी नींद तैर रही थी 😴
वो जम्हाई लेते हुए सबको विश करती है —

> “गुड मॉर्निंग।”



सब लोग उसे रिटर्न में विश करते हैं।

दुर्गा कुर्सी खींचकर टेबल पर बैठ जाती है और उत्सुकता से पूछती है —

> “आप लोग किस बात पर चर्चा कर रहे हो?”



संवि तुरंत दुर्गा की तरफ़ मुड़ती है और पूरी कहानी उसे बता देती है —
कैसे शिवाय ने उन्हें नींद में ही इंडिया से अमेरिका ले आया और गुडबाय करने का मौका भी नहीं दिया। 😠

सुनते ही दुर्गा की नींद एक झटके में उड़ जाती है! 😳
उसके चेहरे पर अचानक बड़ी-सी मुस्कान फैल जाती है।

> “सही किया बेटू! ऐसे ही इस लाल बंदर को पनिशमेंट मिलनी चाहिए। Very good!” 😂



इतना बोलकर वह प्यार से संवि के छोटे-छोटे हाथों पर अपना हाथ थपथपाती है। 💖

उसकी बात सुनकर संवि की आँखें चमक उठती हैं —
वो गर्व से मुस्कुराती है, जैसे किसी ने उसकी जीत पर मुहर लगा दी हो। 😌✨

वहीं आर्य और बिजी के चेहरे पर बस हल्की-सी मुस्कान आ जाती है।
प्रणय हालात को देखकर अंदर ही अंदर हँसी रोकने की कोशिश करता है 🤭
और शिवाय… वो बस घूरकर दुर्गा की तरफ़ देखता रह जाता है।

लेकिन दुर्गा तो दुर्गा है —
उसे शिवाय की घूरती नज़रों से ज़रा भी फर्क नहीं पड़ता था।.


इसी बीच सर्वेंट टेबल पर खाना रख देता है — जिसमें प्रणय और शिवाय के लिए तो हेल्दी फूड था 🥗, वहीं आर्य, बीजी, और संवि के लिए मखन और परांठा रखा गया था 🫓🧈।

उधर दुर्गा अपनी चाय और टोस्ट ☕🍞 का इंतज़ार कर रही थी।

सर्वेंट के खाना रखते ही बीजी सबके लिए खाना परोस देती हैं।
कुछ ही देर में सब लोग डाइनिंग टेबल पर अपना-अपना ब्रेकफास्ट करने लगते हैं 🍽️।
सभी का नाश्ता लगभग खत्म ही हुआ था कि सर्वेंट बच्चों और बीजी के लिए प्रोटीन मिल्कशेक 🥤 लाती है — जिसकी रेसिपी खुद शिवाय ने बनाई थी।

सर्वेंट गिलास में मिल्कशेक डालकर बीजी और बच्चों की तरफ बढ़ा देती है।
जैसे ही तीनों अपने-अपने गिलास उठाकर पीने वाले होते हैं, तभी अचानक शिवाय के चेहरे का रंग बदल जाता है 😨।
पता नहीं उसे क्या होता है — वह झटके से आर्य के हाथ से गिलास छीनकर ज़ोर से फेंक देता है! 🫨

ये देखकर बीजी और संवि दंग रह जाते हैं 😳,
जबकि दुर्गा और प्रणय, शिवाय के एक्सप्रेशन्स को गौर से देख रहे थे —
जहाँ फिक्र और गुस्सा, दोनों एक साथ साफ झलक रहे थे 😠💢।

बीजी (चौंककर): “क्या हुआ शिवाय? तुमने इस तरह गिलास क्यों फेंक दिया?” 🫢




बीजी बड़ी फिक्र से पूछती हैं, “क्या हुआ शिवाय? तुमने इस तरह गिलास क्यों फेंका?” 😟

शिवाय उनका सवाल सुनकर कुछ पल के लिए उन्हें देखता है… फिर धीरे-धीरे अपनी नज़र बच्चों की ओर घुमाता है।
आर्य और संवि, दोनों हैरान और डर से सिमटी आँखों से उसे देख रहे थे 🥺।

वह एक पल को आंखें बंद करता है, गहरी सांस लेता है 😔 —
फिर कहता है, “कुछ नहीं बीजी… सब ठीक है।”

इतना कहकर वह माहौल बदलने के लहजे में बोलता है —
“बीजी, इन दोनों को किंडरगार्डन के लिए तैयार कीजिए। वैसे भी आज इनका टेस्ट है।” 🎒✏️

बीजी उसकी आँखों में झाँकती हैं… उन्हें समझ आ जाता है कि शिवाय कुछ छिपा रहा है।
मगर वह ज़िद नहीं करतीं — बस चुपचाप बच्चों को लेकर उनके कमरे की तरफ चली जाती हैं 🚶‍♀️👧👦।

बीजी और बच्चे जैसे ही जाते हैं, दुर्गा तुरंत शिवाय के सामने आकर उसे घूरती है 😠।

“क्या हुआ शिवाय?” वह झुंझलाहट और चिंता से भरे स्वर में पूछती है,
“तुमने इस तरह ग्लास क्यों फेंका?”

शिवाय उसकी तरफ देखता है, पर कुछ बोलने ही वाला होता है कि दुर्गा उसे रोक देती है ✋
“देखो, मैं बीजी नहीं हूं। मुझे बात घुमा कर मत सुनाओ। सीधा-सीधा बताओ — क्या हुआ है?” 😤

शिवाय (धीमे स्वर में): “इस मिल्कशेक में… बादाम था।” 🥶

ये सुनते ही दुर्गा का चेहरा एकदम सफ़ेद पड़ जाता है 😨।
उसके पैरों से जैसे ज़मीन खिसक जाती है…
क्योंकि वो जानती थी — अगर बच्चों या बीजी ने वो मिल्कशेक पी लिया होता, तो क्या हो सकता था 💀

कुछ पल के लिए कमरा सन्नाटा ओढ़ लेता है…
फिर दुर्गा का चेहरा धीरे-धीरे चिंता से गुस्से में बदल जाता है 🔥

वो तेज़ी से सर्वेंट की तरफ बढ़ती है 🚶‍♀️💢
जो अभी भी रसोई के पास खड़ा था।

“तूने बनाया था ये शेक?” वह गरजते हुए पूछती है।
सर्वेंट कुछ कहने की कोशिश करता है — “मैडम, वो तो—”

पर इससे पहले ही दुर्गा गुस्से से उसका कॉलर पकड़ती है और एक जोरदार थप्पड़ जड़ देती है 👋💥
सर्वेंट नीचे गिर पड़ता है 😧

“अगर बच्चों को कुछ हो जाता ना…” उसकी आवाज़ काँपती है, “तो तेरा नाम तक मिटा देती मैं!” 😡

पूरा घर कुछ सेकंड तक खामोश रहता है…
बस दीवारों पर शिवाय और दुर्गा की भारी सांसों की गूंज सुनाई देती है 💔
शिवाय के चेहरे पर गुस्से की लकीरें साफ़ झलक रही थीं 😡, लेकिन उसने खुद को बमुश्किल काबू में रखा।
वो कुछ नहीं बोला — बस प्रणय की तरफ आंखों से इशारा किया 👀।

प्रणय ने इशारा समझ लिया और तुरंत गार्ड्स को बुलाया।
दो गार्ड्स अंदर आते हैं और उस सर्वेंट को पकड़ लेते हैं 💪
सर्वेंट छूटने की कोशिश करता है, खुद को छुड़ाने के लिए तड़पता है —
“साहब! प्लीज़ जाने दीजिए! मैंने कुछ नहीं किया!” 😫

मगर गार्ड्स की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि उसका हर प्रयास बेकार साबित होता है।
वो शिवाय, दुर्गा, और प्रणय — तीनों की तरफ बेबसी से देखता है 😢
पर उनमें से किसी के चेहरे पर ज़रा भी तरस नहीं था।

कुछ ही पलों में गार्ड्स उसे खींचते हुए बाहर ले जाते हैं 🚪

कमरे में अब सिर्फ तीन लोग रह गए — शिवाय, दुर्गा, और प्रणय।

दुर्गा गुस्से और जिज्ञासा के बीच उलझी आवाज़ में पूछती है,
“तुम्हें कैसे पता चला कि शेक में बादाम है?” 😕

शिवाय उसकी तरफ देखता है —
ऐसे जैसे कोई गणित के सवाल पर डॉक्टर से पूछा जाए कि 2+2 कितना होता है।
उसकी भौंहें हल्की सिकुड़ जाती हैं, और चेहरे पर एक ‘सीरियस डेडपैन लुक’ आता है 😐

प्रणय ये सब देख रहा था।
वो मन ही मन सिर हिलाता है और सोचता है —
“सच में… ये डॉक्टर बनी कैसे है? वर्ल्ड के बेस्ट शेफ से पूछ रही है कि उसे कैसे पता चला कि शेक में बादाम है? 🤦‍♂️

अगर शिवाय अपने खाने को देखकर, सूँघकर, या चखकर नहीं पहचान पाएगा कि उसमें क्या है —
तो फिर शेफ कहलाने का हक भी नहीं।” 🍽️👨‍🍳

“और ऊपर से यह प्रोटीन शेक तो उसी की खुद की रेसिपी है!
उसे पता न हो, ये तो सबसे बड़ा मज़ाक होगा।” 🙄

वो धीरे से सिर को ना में हिलाता है, होंठों पर एक हल्की सी थकी मुस्कान लिए 😏

दुर्गा, जो अब तक उनकी प्रतिक्रियाएँ देख रही थी, अचानक अजीब-सी फील करती है 😬
उसे एहसास होता है कि उसने वाकई एक बेवकूफी भरा सवाल पूछ लिया।

वो खुद से बड़बड़ाती है —
“मुझे अपने सवाल पर खुद को ही थप्पड़ मार देना चाहिए था…” 😓✋

कमरा फिर से कुछ पल के लिए खामोश हो जाता है…
बस हवा में तनाव और अधूरी बातों का बोझ तैर रहा था 🌫️



थोड़ी देर पहले जो तनाव था, उसके बाद दुर्गा कोई न कोई बहाना बनाकर वहाँ से खिसक जाती है 😶‍🌫️।
कमरे का माहौल थोड़ा हल्का पड़ता है।

उसी वक्त बीजी दोनों बच्चों — संवि और आर्य — को तैयार करके नीचे लाती हैं 👧🧒।
दोनों ने आज कैज़ुअल डे-वेयर कपड़े पहने हुए थे —
उनके ऊपर ब्राउन फर वाली जैकेट्स 🧥 थीं, और कानों को ढकती हुई प्यारी-सी फर कैप्स पहनी हुई थीं 🎩❄️।

शिवाय उन दोनों को देखता है, और उसके होंठों पर हल्की मुस्कान आ जाती है 🙂
बीजी बच्चों की तरफ देखती हैं, फिर उनकी बलैया लेती हैं और कहती हैं —
“किसी की नज़र न लगे मेरे बच्चों को 👶🧿।”

फिर वह उनके गले में उनकी वॉटर बॉटल्स लटका देती हैं 🍼
और दोनों के माथे पर प्यार से चूमती हैं 💋

इसके बाद शिवाय, प्रणय, और बच्चे —
बीजी को बाय कहते हैं 👋
और “अपना ख्याल रखना बीजी” बोलकर वहाँ से निकल जाते हैं 🚗


---

कार के अंदर – सफर शुरू होता है 🚘

प्रणय ड्राइव कर रहा था,
जबकि शिवाय पीछे बैठा था, बच्चों के साथ बातचीत में व्यस्त 😊

शिवाय (शांत लेकिन सख्त टोन में):
“याद रखना… इतने दिनों बाद किंडरगार्टन जा रहे हो।
किसी तरह का स्ट्रेस नहीं लेना है, ओके?” 😌

फिर उसने संवि की तरफ देखते हुए कहा —
“टेस्ट के टाइम डरना मत।
मैंने तुम्हें इंडिया में सब सिखाया था ना —
कैसे किसी ingredient को पहचानना है,
और उसकी quality सिर्फ smell से कैसे पता चलती है 🧠👃।”

“तो बस वही याद रखना, स्ट्रेस नहीं लेना।
कोशिश करना, बाकी रिजल्ट अपने आप बोल देगा।” 💪

इसके बाद उसने आर्य की तरफ देखा —
“और हाँ, तुम्हारा डांस होमवर्क तो मैंने इंडिया में पूरा करवाया था,
तो अब बस वही परफॉर्म करना जैसा हमने प्रैक्टिस किया था 💃🕺।”

“अगर गलती से भी ताल या स्टेप्स भूल गए तो पैनिक मत करना…
बस आंखें बंद करके याद करना हमने कैसे किया था।” 🧘‍♂️🎶


---

अब बताना ज़रूरी है कि शिवाय बच्चों से इतनी डिटेल में क्यों बात कर रहा था —

क्योंकि जिस किंडरगार्टन में बच्चे पढ़ते थे,
वो कोई आम स्कूल नहीं था 🎓❌

वो एक स्पेशल एक्टिविटी-बेस्ड किंडरगार्टन था,
जहाँ बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा ध्यान उनकी skills और instincts पर दिया जाता था 🌟

इस स्कूल में हर साल सिर्फ 30 एडमिशन होते थे —
वो भी स्पेशल कैटेगरी में चुने गए बच्चों के लिए 🏅

जैसे —
संवि का सपना था कि वो अपने दादा की तरह वर्ल्ड की बेस्ट शेफ बने 👩‍🍳
और आर्य का सपना था कि वो इंटरनेशनल क्लासिकल अवॉर्ड जीते 🏆🎻

इन दोनों के सपनों को देखकर ही
शिवाय ने उन्हें इस स्पेशल किंडरगार्टन में दाखिला दिलाया था।

यहाँ बच्चों के tests सिर्फ मार्क्स के लिए नहीं,
बल्कि उनकी activities और natural abilities को समझने के लिए लिए जाते थे।
इन्हीं के आधार पर उन्हें individual training और growth techniques दी जाती थीं 📚✨

सिर्फ 2.5 साल की उम्र में ही दोनों बच्चे अपने सपनों की तरफ पहला कदम उठा चुके थे ❤️


---

कुछ ही देर में कार स्कूल के गेट के सामने रुकती है 🚦
शिवाय उतरकर दोनों बच्चों को उनके क्लास तक छोड़ने जाता है —
“ख्याल रखना अपने आप का, ओके?” वह मुस्कराते हुए कहता है 🙂

संवि और आर्य हँसते हुए “ओके पापा!” कहते हैं,
और क्लास की ओर भागते हैं 🏫💫
🔥 टीज़र 🔥

शिवाय मीटिंग रूम में बैठा था — सामने गोल मेज़, चारों तरफ उसके रेस्टोरेंट के एम्प्लॉईज़ बैठे थे 🍽️💼।
कमरे का माहौल भारी था… सन्नाटा इतना गहरा कि किसी की साँसों की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी 😶‍🌫️।

शिवाय का चेहरा ठंडा था, लेकिन उसकी आँखों में वो तेज़ और डरावनी शांति थी जो किसी तूफ़ान से पहले आती है 🌪️👁️।
वो धीरे-धीरे अपनी नज़रें चारों तरफ घुमाते हुए बोला —

“किसने… मुझे गद्दारी करने की कोशिश की?” ❄️

कमरे की हवा जैसे रुक गई।
सबने एक-दूसरे को देखना शुरू किया 👀
किसी के गले से आवाज़ नहीं निकली।

उनकी आँखों में साफ़ डर और शक था 😨
हर कोई सोच रहा था —
“आख़िर किसमें इतनी हिम्मत हुई कि उसने शिवाय कपाड़िया को धोखा देने की जुर्रत की?” 💢

शिवाय की उंगलियाँ मेज़ पर धीमे-धीमे टैप हो रही थीं — टिक… टिक… टिक…
हर आवाज़ जैसे किसी की धड़कनों पर पड़ रही थी 💣

अब सवाल सिर्फ एक था —
गद्दार कौन है? 🕵️‍♂️


---

💬 आज का चैप्टर आपको कैसा लगा?
कमेंट में ज़रूर बताइए ✍️
और ऑथर को सपोर्ट करें ❤️ स्टीकर देकर!

📖 अब कहानी में आगे क्या होगा… जानने के लिए पढ़िए अगला चैप्टर! 🔥