भ्रम राक्षस – (आगे की कहानी)
अब त्रिपुर राज ने पार्थ को बेहोश कर दिया था और एक घर में बाँधकर रखा था।
और असली भ्रम राक्षस अभी भी जंगल में था।
उस जंगल में त्रिपुर राज ने एक घेरा बना दिया था, जिससे वह बाहर न आ पाए।
लेकिन भ्रम राक्षस बहुत चालाक था।
उसने अपना एक अंश बाहर छोड़ दिया था, जो एक गाय के शरीर में घुस जाता है।
गाय अब राक्षस बन चुकी थी।
एक लड़की उस गाय को खाना खिलाने जाती है, लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि वह गाय अब राक्षस है।
वह गाय उस लड़की पर ही हमला कर देती है और उस लड़की के शरीर को फाड़कर फेंक देती है।
अब वह गाय शहर में चली जाती है।
यह बात त्रिपुर राज को पता चल जाती है।
अपने मानसिक शक्तियों से वे अपनी शिष्या लीलावती को तुरंत गिरनार से शहर की ओर भेज देते हैं।
और यहाँ गाय का उद्देश्य निलेश और जय को मारकर पार्थ को वापस उठाना था।
भ्रम राक्षस उसे नियंत्रित कर रहा था।
गाय अब निलेश और जय के घर की ओर पहुँच चुकी थी।
निलेश और जय उसे एक सामान्य गाय समझ चुके थे।
वहीं दूसरी ओर वह राक्षस जंगल में उत्पात मचा रहा था।
जंगल के आदिवासी उस पर हमला करते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं होता।
वे उसे रोकने की कोशिश करते हैं, पर कुछ भी नहीं हो पाता।
आदिवासी किले के सरदार जोमनोंगुंग और पूरे किले ने एक बड़ा सा लोहा जलाकर राक्षस पर वार किया, जिससे वह राक्षस थोड़ी देर के लिए बेहोश हो गया।
लेकिन वापस उठकर उसने सारे आदिवासियों को मार डाला।
और वहीं दूसरी ओर गाय निलेश और जय के पास पहुँच चुकी थी।
अब वह उन्हें मारना चाहती थी।
गाय निलेश पर हमला कर देती है, लेकिन तभी वहाँ लीलावती आ जाती है और अपने मंत्रों की शक्ति से उसे रोक लेती है।
लेकिन गाय इतनी ताकतवर होती है कि वह लीलावती पर हमला कर देती है।
जय एक आरी से गाय के गले पर वार कर देता है और अचानक गाय वहीं पर ढेर हो जाती है।
गाय में से एक अंश जय के मुँह के अंदर गिर चुका था।
अब समस्या यह है कि क्या त्रिपुर राज, जय, निलेश और लीलावती उस राक्षस को मारकर पार्थ को ठीक कर पाएँगे?
क्या वह राक्षस रुकेगा क्या होगा ओर दुविधा बढ़त जा रही थी . वहीं दुसरी तरफ पार्थ उठ कर वहां से भाग जाता हे . गाय का सर को कटा हुआ देखकर जय को बोहोत तकलिफ होती हे . वो ऐसा नहीं करना चाहता पर वो मजबुर था . उसकी आंखों से आसुं आने लगते हे . वो रोने लगता हे की तभि उसकि आंखें लाल रंग की हो जाती हे . राक्षस की कुछ शक्ति उसके अंदर आ जाती हे . वह देखता हे की पार्थ कहा हे . जैसे उसके अंदर कोई दीव्य दृष्टी आगइ . हो . वह देखता हे की पार्थ जंगल की ओर बढ़ रहा हो . और यह द्रष्य बोहोत ही अनोखा था . पार्थ वापस भ्रम राक्षस के पास पोहोच गया था.
Iss kahani ko sirf padhiye mat feel ki jiye apne andar ek video banai jaise ko series ho .
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To be continue……
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