Shadows Of Love - 16 in Hindi Adventure Stories by Amreen Khan books and stories PDF | Shadows Of Love - 16

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Shadows Of Love - 16

कहानी आगे—

रात का अंधेरा गहराता जा रहा था।
सन्नाटे में बस झींगुरों की आवाज़ और कभी-कभी कुत्तों का भौंकना सुनाई दे रहा था।

आरव ने अपने गुर्गों को इशारा किया—
“याद रखना, करन जाल में फँसना चाहिए… उसके पास बच निकलने का कोई रास्ता न बचे।”

गुर्गे अंधेरों में घुल गए, हर मोड़ पर, हर दीवार के पीछे, मौत की परछाइयाँ तैनात थीं।


---

उधर करन ने नील की ओर देखा।
“अगर मैं वापस न लौटा… तो अनाया को सच बता देना। उसे ये यकीन दिला देना कि मेरा प्यार आख़िरी साँस तक उसके साथ था।”

नील की आँखें भर आईं—
“पागल है तू करन… लेकिन तेरा जुनून ही तेरी पहचान है। जा… और संभलकर जा।”


---

करन ने धीरे-धीरे उस पुरानी हवेली की ओर कदम बढ़ाए जहाँ अनाया को कैद किया गया था।
हर कदम के साथ खतरे की आहट साफ़ सुनाई दे रही थी, पर उसका दिल सिर्फ़ अनाया के नाम की धड़कन दोहरा रहा था।

अचानक, झाड़ियों से सरसराहट हुई।
करन ने तुरंत चाकू खींच लिया।
तीन नकाबपोश गुर्गे झपट पड़े।

“यहीं खत्म हो जाएगा तेरा किस्सा, करन!”

लेकिन करन भी तैयार था।
पहले वार को उसने चकमा देकर एक को धराशायी कर दिया, दूसरे की गर्दन पर पकड़ जमाकर उसे बेहोश कर दिया।
तीसरा गुर्गा भागा—सीधे आरव को खबर देने।


---

हवेली के भीतर…
अनाया जंजीरों से बंधी, रो रही थी।
“हे खुदा… करन को मेरी वजह से कुछ न हो…”

उसी पल आरव अंदर आया, उसके होंठों पर ठंडी मुस्कान थी।
“अनाया… अब तू देखेगी अपने उस हीरो की मौत। आज करन तेरे सामने तड़प-तड़प कर दम तोड़ेगा।”

अनाया चीख उठी—
“आरव! तू चाहे कितने भी जाल बिछा ले, करन का हौसला तेरे खौफ से बड़ा है।”

आरव हँस पड़ा—
“बस कुछ ही देर में तुझे यकीन हो जाएगा कि मौत मोहब्बत से बड़ी होती है।”


---

हवेली के दरवाज़े पर कदमों की आहट गूँजी।
करन अंदर आ चुका था—
आँखों में आग, दिल में तूफ़ान।

और आरव ने ताली बजाई—
“आ ही गया तू, करन। स्वागत है… मौत की दहलीज़ पर।”


---

👉🏻 अब टकराव शुरू होने वाला है।
क्या करन इस मौत के जाल को तोड़ पाएगा?
क्या अनाया तक पहुँचकर उसे बचा पाएगा?

कहानी यहीं से और खतरनाक मोड़ लेगी…
 हवेली की भिड़ंत

करन ने दरवाज़ा पूरी ताक़त से खोला।
हॉल की झिलमिलाती मोमबत्तियाँ और टूटी-फूटी दीवारें खामोशी में खौफ़ भर रही थीं।
बीच में आरव खड़ा था, हाथ में पिस्तौल, और पीछे जंजीरों में बंधी अनाया।

अनाया की आँखों में करन को देखते ही चमक आ गई—
“करन…!”

आरव हँसा—
“तेरी मोहब्बत को सलाम, जो मौत के मुँह में घुसकर भी तुझे यहाँ ले आई। लेकिन आज तू जिंदा नहीं जाएगा।”

करन ने धीमे, लेकिन ठोस शब्दों में कहा—
“आरव, मोहब्बत को कभी बंदूक से नहीं हराया जा सकता। तू जितना चाहे वार कर ले, मैं तब तक हार नहीं मानूँगा जब तक अनाया आज़ाद नहीं होती।”


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आरव ने इशारा किया और उसके गुर्गे अंधेरे से निकल आए।
चारों तरफ़ से करन पर हमला हुआ।
लाठियाँ, चाकू, लोहे की ज़ंजीरें—पर करन का जोश खून से भी ज्यादा गरम था।

उसने पहला वार झेलकर भी दूसरे गुर्गे को ज़मीन पर पटक दिया।
तीसरे को कुर्सी से मारकर गिरा दिया।
खून बह रहा था, लेकिन करन रुकने को तैयार नहीं था।

अनाया चिल्लाई—
“करन, संभलकर!”


---

अब सिर्फ़ आरव और करन आमने-सामने थे।
आरव ने पिस्तौल तान दी।
“बस, अब खेल खत्म।”

करन ने अपनी आँखें सीधी उसकी आँखों में डाल दीं—
“तू मोहब्बत को मार नहीं सकता आरव। अगर गोली चलानी है… तो पहले मेरे सीने पर चला।”

हवा में सन्नाटा छा गया।
आरव की उँगली ट्रिगर पर थी…
अनाया की साँसें थम चुकी थीं…

और तभी—

(कहानी यहाँ और भी बड़ा मोड़ ले सकती है:
👉🏻 या तो पिस्तौल चलती है, और कोई अनपेक्षित मोड़ आता है…
👉🏻 या नील अचानक पहुँच जाता है और खेल बदल जाता है।)
गहरी खामोशी हवेली की दीवारों से चिपकी हुई थी। आरव की उँगली ट्रिगर पर कसी हुई थी और करन की आँखें निर्भीक होकर उसकी आँखों से भिड़ी थीं। अनाया की साँसें थम चुकी थीं, उसकी आँखों से आँसू बहते हुए ठंडी ज़ंजीरों पर गिर रहे थे।

अचानक, गूंजती हुई आवाज़ के साथ गोली चली। लेकिन निशाना आरव पर ही था।

गोली उसके कंधे को चीरती हुई निकल गई। आरव चीख उठा और पिस्तौल उसके हाथ से गिर पड़ी। करन ने मौके का फायदा उठाकर आरव पर झपट्टा मारा। दोनों ज़मीन पर गिर पड़े। ज़ंजीरों की खनक, खून की बूंदें और कराहों के बीच हवेली का माहौल और डरावना हो गया।

आरव ने ज़मीन से उठते ही करन का गला दबोच लिया। उसकी आँखों में पागलपन साफ़ झलक रहा था।
“तू सोचता है मुझे हराकर अनाया को ले जाएगा? मैं उसे कभी किसी का नहीं होने दूँगा… कभी नहीं।”

करन ने पूरी ताक़त लगाकर आरव को धक्का दिया और पास पड़ी कुर्सी से वार कर दिया। आरव बुरी तरह लड़खड़ा गया, लेकिन अब भी खड़ा था।

उसी वक़्त, हवेली के दरवाज़े ज़ोर से खुले। नील और उसके साथ दो-तीन भरोसेमंद लोग अंदर आ गए। उनके हाथों में बंदूकें थीं।

नील ने चिल्लाकर कहा—
“करन, पीछे हट! ये खेल अब और लंबा नहीं चलेगा।”

आरव ने घायल कंधे को पकड़कर ठंडी हँसी हँसी—
“तो ये सब मिलकर मुझे रोकेंगे? तुम सबको नहीं पता… इस हवेली के तहखाने में क्या छिपा है। आज अगर मैं हार भी गया, तो तुम सबकी मौत तय है।”

नील ने इधर-उधर नज़र दौड़ाई। उसने देखा कि हवेली के अंधेरे हिस्सों से धुआँ उठ रहा था। कहीं न कहीं आग लगाई गई थी।

करन समझ गया कि आरव हार मानने वाला नहीं है। उसने अनाया की जंजीरें तोड़ दीं। अनाया लड़खड़ाती हुई उसके गले लग गई।
“करन… मुझे पता था तू आएगा। लेकिन ये आग… ये सब क्या है?”

आरव ज़मीन पर खड़ा होकर पागलों की तरह हँस रहा था—
“ये हवेली तुम्हारी क़ब्र बनेगी। तुम सब यहीं जलकर राख हो जाओगे।”

धुएँ से पूरा हॉल भर गया। जलती लकड़ियों की चटक आवाज़ और गिरती छत की किरचें मौत का मंज़र बना रही थीं। नील ने इशारा किया—
“करन, जल्दी! अनाया को लेकर निकलो। मैं इसे रोकता हूँ।”

करन ने अनाया का हाथ कसकर पकड़ा और बाहर निकलने की ओर बढ़ा। लेकिन आरव अचानक खड़ा हुआ और उसने नील पर झपट्टा मारा। दोनों आग और धुएँ के बीच गुत्थमगुत्था हो गए।

करन बाहर की ओर बढ़ा लेकिन अनाया चीख पड़ी—
“नहीं करन, नील को छोड़कर मत जाओ!”

करन के कदम रुक गए। उसने देखा नील और आरव की लड़ाई मौत और ज़िंदगी का खेल बन चुकी है।

आग अब तेज़ी से फैल रही थी। हवेली की छत टूट-टूट कर गिरने लगी थी।

करन को एक पल में फैसला करना था—
क्या वो अनाया को सुरक्षित बाहर निकालकर नील को आरव के हवाले छोड़ दे…
या फिर अंदर जाकर आग के बीच अपने भाई जैसे दोस्त को बचाने की कोशिश करे और सबकी जान दांव पर लगा दे।

बाहर मौत का धुआँ, अंदर मौत का खेल। और बीच में खड़ा करन—मोहब्बत और दोस्ती की कसौटी पर।

करन की साँसें तेज़ चल रही थीं। बाहर निकलने का रास्ता सामने था, लेकिन पीछे नील की चीखें उसे रोक रही थीं। अनाया ने उसका हाथ कसकर पकड़ा—
“करन… बाहर चलो, ये आग सबको निगल जाएगी।”

करन ने उसकी आँखों में देखा।
“अनाया, मोहब्बत पूरी तभी होती है जब दोस्ती अधूरी न रहे। मैं नील को मरने नहीं दूँगा।”

उसने अनाया को धक्का देकर बाहर की ओर बढ़ाया।
“भागो अनाया! मैं वापस आऊँगा।”

अनाया चीख पड़ी—
“करन…!”

लेकिन करन ने उसकी बात नहीं सुनी और आग और धुएँ में फिर से छलांग लगा दी।


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हवेली के भीतर मौत नाच रही थी। छत की बड़ी-बड़ी लकड़ियाँ जलकर गिर रही थीं। नील और आरव अब भी लड़ रहे थे। नील की कमीज़ आग की लपटों से झुलस चुकी थी, लेकिन उसकी पकड़ ढीली नहीं हुई थी।

करन ने अंदर घुसते ही पास पड़ी लोहे की छड़ उठा ली और सीधा आरव की तरफ़ झपट्टा मारा।
छड़ उसके सिर पर लगी और आरव कराहकर गिर पड़ा।

नील हाँफते हुए ज़मीन पर बैठ गया।
“करन… तू पागल है… क्यों आया?”

करन ने उसका हाथ पकड़कर कहा—
“क्योंकि तू सिर्फ़ दोस्त नहीं, भाई है।”


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आरव धीरे-धीरे खड़ा हुआ। उसका चेहरा खून और धुएँ से लाल हो चुका था, लेकिन उसकी आँखों में अब भी पागलपन था।
“तुम दोनों सोचते हो मुझे मार दोगे? ये हवेली तो आग से भस्म होगी ही… और तुम दोनों भी यहीं जलकर राख हो जाओगे।”

उसने अचानक अपनी जेब से चाकू निकाला और करन पर टूट पड़ा।
नील ने बीच में आकर वार झेला। चाकू उसकी बाँह में गहराई तक धँस गया।

नील दर्द से चीख उठा, लेकिन उसने आरव को पकड़कर कसकर थाम लिया।
“करन… खत्म कर इसे! वरना ये फिर लौटेगा।”

करन ने काँपते हाथों से लोहे की छड़ उठाई।
आरव धुएँ और आग के बीच अब भी करन की ओर गुर्राते हुए देख रहा था।
“मार मुझे… अगर हिम्मत है तो।”

करन की आँखें खून से भर आईं। उसने पूरी ताक़त लगाकर वार किया। छड़ सीधे आरव के सीने पर लगी। आरव ने एक आख़िरी चीख मारी और जलती लकड़ी के साथ आग की लपटों में गिर पड़ा।

उसकी चीखें धीरे-धीरे सन्नाटे में बदल गईं।


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करन और नील ने मुश्किल से खुद को सँभाला। धुएँ ने साँस लेना मुश्किल कर दिया था। करन ने नील को कंधे पर डाला और बाहर की ओर दौड़ पड़ा।

बाहर हवेली धधकते inferno में बदल चुकी थी। अनाया दूर खड़ी रो रही थी। करन और नील को देख वह भागकर आई और करन के गले लग गई।
“करन… मैंने सोचा था तुम दोनों मुझे छोड़कर चले गए…”

करन ने हाँफते हुए कहा—
“अनाया… मोहब्बत और दोस्ती को कोई आग नहीं जला सकती।”


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पीछे हवेली की दीवारें धड़ाम से गिरीं। आग और धुएँ के बीच आरव की आख़िरी हँसी गूँज रही थी, जैसे उसकी आत्मा भी मोहब्बत और नफ़रत की लड़ाई हारते-हारते अमर हो गई हो।

रात का आसमान लाल चमक से भर चुका था।
अनाया करन के सीने से लिपटी थी, और नील पास बैठा कराह रहा था।

लेकिन यह अंत नहीं था।
क्योंकि करन जानता था—आरव की परछाइयाँ इतनी आसानी से खत्म नहीं होंगी। हवेली के खंडहर में शायद उसकी आख़िरी साँसें दबी रह गई हों… या शायद कोई नया खेल जन्म ले चुका हो।


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रात गहरी और सन्नाटेदार थी। पहाड़ों के बीच बसे उस कस्बे में हवाओं की सीटी और झींगुरों की आवाज़ ही बस गूंज रही थी। करन खिड़की के पास बैठा बाहर देख रहा था। नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। अनाया उसके पास आई और धीरे से बोली, “अब तो सब खत्म हो चुका है, करन। हमें नया जीवन शुरू करना चाहिए।”

करन ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में थकान और बेचैनी साफ झलक रही थी। “खत्म? अनाया, मैं जानता हूँ वो अभी भी जिंदा है। मैंने उसकी आँखों की आग देखी थी। ऐसा इंसान इतनी आसानी से मौत को गले नहीं लगाता।”

अनाया का दिल सहम गया। उसने उसकी बाँह पकड़ ली। “लेकिन अगर वो सचमुच लौट आया तो? हम कहाँ तक भागते रहेंगे?”

करन ने गहरी सांस ली। “इस बार भागना नहीं है। अगर आरव ज़िंदा है, तो अब उसका खेल यहीं खत्म होगा।”

दूसरे कमरे से नील की खाँसी सुनाई दी। करन उसके पास गया। नील की चोट अब भी पूरी तरह भरी नहीं थी। उसकी आँखें लाल थीं लेकिन होशो-हवास कायम था। उसने करन को देखते ही कहा, “कल बाज़ार में मैंने भी किसी को देखा था… जली हुई त्वचा वाला… आँखों पर काला चश्मा। मैं तुझे बताना नहीं चाहता था ताकि तेरा डर और न बढ़े। लेकिन अब लगता है कि अनाया सच कह रही है।”

करन की रगों में खून खौलने लगा। “तो वो यहीं आसपास है। हमसे खेल रहा है।”

अगली रात फिर वही हुआ। खिड़की पर एक और पत्थर आ गिरा। इस बार पत्थर पर एक कागज़ बंधा था। उस पर लिखा था—
“करन, मौत की राख से मैं लौट आया हूँ। मोहब्बत का जो दावा करता है, उसे मौत का असली चेहरा दिखाना अब मेरी ज़िम्मेदारी है। मिलते हैं उसी जगह जहाँ सब शुरू हुआ था।”

करन ने कागज़ मुट्ठी में मसल दिया। अनाया डर से सिहर उठी। “मत जाओ करन, ये उसकी चाल है।”

नील ने करन की ओर देखा। “चाल तो है, लेकिन अगर तू नहीं गया तो वो हमें चैन से जीने भी नहीं देगा। अब भागना बंद कर। मुकाबला करना होगा।”

करन की आँखों में दृढ़ निश्चय साफ दिख रहा था। “ठीक है। अगर खेल वही चाहता है, तो खेल होगा। लेकिन इस बार अंत मैं लिखूँगा, आरव नहीं।”

रात का अंधेरा और गहरा होता जा रहा था। दूर कहीं पहाड़ों की तलहटी में टूटा-फूटा मंदिर था। वहीं से सब शुरू हुआ था। और वहीं अब आखिरी बार आरव और करन की टक्कर तय थी।

करन ने अनाया की ओर देखा। “तू डरी मत। मैं वादा करता हूँ इस बार तुझे हमेशा के लिए आज़ाद कर दूँगा।”

अनाया की आँखों से आँसू बह निकले। उसने करन का हाथ पकड़ लिया। “मैं तेरा साथ छोड़ने के लिए नहीं हूँ। अगर तू जाएगा तो मैं भी तेरे साथ चलूँगी।”

नील ने धीरे से सिर झुका दिया। “तो तय हो गया। हम तीनों मिलकर इस बार उस परछाई का अंत करेंगे।”

लेकिन उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि टूटा-फूटा मंदिर केवल एक मुलाक़ात की जगह नहीं, बल्कि एक ऐसा जाल था जिसमें आरव ने पहले से ही अपनी मौत से भी ज़्यादा खतरनाक खेल बिछा रखा था।
पहाड़ों के नीचे फैला टूटा-फूटा मंदिर आधी रात को किसी कब्रिस्तान से कम नहीं लग रहा था। टूटी मूर्तियाँ, दीवारों पर उगी काई, और हवा में गूंजती हुई डरावनी सरसराहट। करन, अनाया और नील वहाँ पहुँचे तो जगह चारों तरफ़ अजीब सी खामोशी में डूबी हुई थी।

करन ने चारों ओर नज़र दौड़ाई। उसकी आँखें हर छाया को परख रही थीं। “सावधान रहना, ये जगह आरव की बनाई हुई है। यहाँ हर पत्थर मौत बन सकता है।”

नील ने बंदूक को और कसकर पकड़ लिया। “अगर वो सचमुच जिंदा है, तो अबकी बार मैं उसे अपने हाथों से खत्म करूँगा।”

अनाया का दिल धड़क रहा था। उसकी उँगलियाँ करन के हाथ को कसकर थामे थीं। उसे लग रहा था जैसे अंधेरे में कोई उन्हें घूर रहा हो।

अचानक मंदिर के गर्भगृह से धीमी हँसी की आवाज़ आई। ठंडी, पागलपन से भरी हँसी।
“आ ही गए मेरे मेहमान… तुम्हारा स्वागत है।”

करन की रगों में बिजली दौड़ गई। आवाज़ वही थी—आरव की।

धुएँ से घिरा एक साया धीरे-धीरे अंधेरे से बाहर निकला। उसका चेहरा आधा जला हुआ था, आँखें लाल और खून से भरी, और होंठों पर वही पागलपन की मुस्कान।
“करन, देख लिया? मौत भी मुझे मिटा नहीं पाई। मैं राख से उठ खड़ा हुआ हूँ। अब मेरी बारी है तुम्हें और तेरी मोहब्बत को मिटाने की।”

अनाया ने डर से करन की ओर देखा। “वो सचमुच ज़िंदा है…”

आरव ने दोनों हाथ फैलाए और चिल्लाया—“ये मंदिर तुम्हारी कब्र बनेगा!”

अचानक दीवारों से दर्जनों नकाबपोश आदमी निकल पड़े। लोहे की छड़ें, तलवारें और आग की मशालें लिए। मंदिर का हर कोना अब मौत का मैदान बन गया।

नील ने गोली चलाकर एक को गिराया। करन ने पास पड़े पत्थर से दूसरे को धराशायी कर दिया। अनाया एक खंभे के पीछे छिप गई, लेकिन उसकी आँखें करन पर ही टिकी रहीं।

लड़ाई शुरू हो चुकी थी। चारों तरफ़ खून, चिल्लाहट और गूंजती आवाज़ें।

आरव हाथ बाँधकर खड़ा था, उसकी मुस्कान और गहरी हो रही थी। “लड़ ले करन, जितना लड़ सकता है। लेकिन अंत तय है… तेरे खून से मेरी बदला पूरा होगा।”

करन ने एक गुर्गे को गिराते हुए गरजकर कहा—“आरव! मैं तेरे पागलपन का अंत करूँगा। मोहब्बत मौत से बड़ी है और आज तुझे ये यकीन दिलाऊँगा।”

आरव ने तलवार उठाई और सीधा करन की ओर झपटा। दोनों की टक्कर से मंदिर की दीवारें तक काँप उठीं। तलवार और छड़ी की टकराहट से चिंगारियाँ उड़ने लगीं।

नील भी तीन गुर्गों से भिड़ा हुआ था। उसके ज़ख्म फिर से खुल गए थे, लेकिन उसने हार मानने से इंकार कर दिया।

अनाया काँपती हुई खड़ी थी, लेकिन उसने पास पड़ी मशाल उठा ली। उसकी आँखों में डर नहीं, गुस्सा था। “आरव, इस बार तेरा अंत मैं देखूँगी!”

मंदिर अब रणभूमि में बदल चुका था। मौत की छाया हर तरफ़ थी, और बीच में खड़ा करन अपनी मोहब्बत और दोस्ती दोनों की रक्षा के लिए लहू-पसीना एक कर रहा था।
मंदिर के भीतर आग और खून की गंध घुल चुकी थी। तलवारों की टकराहट और चीखों से चारों ओर गूंज मच गई थी। करन ने एक गुर्गे को जमीन पर पटककर उसकी तलवार छीन ली और आरव की ओर दौड़ पड़ा। आरव ने भी पूरी ताक़त से अपनी तलवार लहराई। दोनों की टक्कर से ऐसी आवाज़ आई जैसे पुराना मंदिर चीख उठा हो।

नील तीन गुर्गों से लड़ते-लड़ते लहूलुहान हो गया था, मगर उसकी आँखों में हार का नाम नहीं था। उसने एक-एक कर सबको गिराया और करन की ओर देखने लगा। “करन… खत्म कर इसे!” उसने पूरी ताक़त से पुकारा।

अनाया खंभे के पीछे खड़ी काँप रही थी, मगर उसके हाथ में अब भी मशाल थी। उसकी आँखें सिर्फ करन पर टिकी थीं। हर वार के साथ उसकी साँसें जैसे रुक रही थीं।

आरव करन पर टूट पड़ा। उसने करन की तलवार को झटक कर उसके कंधे में गहरा वार कर दिया। खून छलक पड़ा। करन दर्द से कराहा लेकिन गिरा नहीं। उसने पलटकर ऐसा वार किया कि आरव की तलवार छूट गई।

आरव ज़मीन पर गिरते ही हँस पड़ा। उसकी हँसी अब भी वैसी ही थी—पागलपन से भरी, डरावनी। “तू सोचता है मुझे मार देगा और सब खत्म हो जाएगा? नहीं करन… मेरी परछाई तेरी मोहब्बत को हमेशा सताएगी। मौत मेरा अंत नहीं, मेरी शुरुआत है।”

करन ने उसकी गर्दन पर तलवार रख दी। उसकी आँखों में खून उतर आया था। “तूने मेरी मोहब्बत, मेरी दोस्ती, सबको आज़माया है। आज तेरा अंत होगा।”

आरव ने आँखें मूँद लीं और कहा, “तो कर दे… मार मुझे। लेकिन याद रखना, मैं तेरी मोहब्बत के बीच हमेशा रहूँगा। मेरी राख भी तुझे चैन से जीने नहीं देगी।”

करन ने पूरी ताक़त से तलवार चलाई। वार सीधा आरव के सीने में धँस गया। आरव ने आख़िरी बार चीख मारी, उसकी आँखें फैल गईं और फिर उसकी साँस थम गई।

नील ज़मीन पर गिरकर हाँफने लगा। अनाया दौड़कर करन के पास आई और उसके खून से सने कंधे को थाम लिया। उसकी आँखों से आँसू बह निकले। “करन… अब तो सब खत्म हो गया न?”

करन ने थकी हुई आवाज़ में कहा, “हाँ अनाया… अब सब खत्म हो गया।”

लेकिन मंदिर की दीवारों में कहीं गहराई से फिर वही ठंडी हँसी गूँजी, जैसे हवा में घुलकर कह रही हो कि आरव की परछाई सचमुच कभी खत्म नहीं होगी।

करन, अनाया और नील मंदिर से बाहर निकले। पहाड़ों पर सुबह की पहली किरणें उतर रही थीं। उनके शरीर थकान और ज़ख्मों से टूटे हुए थे, लेकिन उनकी आँखों में अब भी ज़िंदा रहने की चमक थी।

मगर करन जानता था कि मोहब्बत और मौत की इस जंग का कोई असली अंत नहीं है। आरव भले मर गया हो, लेकिन उसकी परछाई उनका पीछा करती रहेगी।
सुबह की किरणें पहाड़ों पर बिखर चुकी थीं। टूटा हुआ मंदिर अब खंडहर जैसा लग रहा था। हवा में अब भी धुएँ और खून की गंध तैर रही थी। करन, अनाया और नील तीनों चुपचाप बाहर निकले। करन का कंधा ज़ख्मी था, नील की बाँह अब भी लहूलुहान थी और अनाया का चेहरा आँसुओं से भीगा हुआ।

तीनों सड़क किनारे पहुँचे ही थे कि वहाँ दो गाड़ियाँ रुकीं। दरवाज़ा खुला और अनाया के पिता, अर्जुन बाहर आए। उनके साथ उनकी पत्नी आयरा और परिवार के कुछ लोग भी थे। अनाया अपने पापा को देखते ही उनके गले लग गई और फूट-फूटकर रो पड़ी।

अर्जुन ने उसे कसकर थाम लिया। “बेटी, अब मैं सब जान चुका हूँ। आरव कौन था, उसने तुझ पर और करन पर कैसे ज़ुल्म किए, सब मेरी आँखों के सामने है। मुझे अफ़सोस है कि पहले तुझे समझ न पाया।”

अनाया ने काँपते हुए कहा, “पापा… मैंने सब सहा, लेकिन करन ने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा। वही मेरी ढाल बना।”

अर्जुन की नज़र करन पर गई। करन थका हुआ, खून से सना लेकिन सिर ऊँचा किए खड़ा था। अर्जुन ने धीमे स्वर में कहा, “आज से तू मेरा बेटा है करन। तूने जिस तरह मेरी बेटी की रक्षा की है, अब उसकी ज़िंदगी तुझ पर ही भरोसे में होगी।”

करन की आँखें भर आईं। वो झुककर बोला, “आपका भरोसा ही मेरे लिए सबसे बड़ी जीत है।”

नील पास खड़ा था। आयरा उसके ज़ख्मों को देख रो पड़ी। “ये सब मेरी बच्ची और इस घर को बचाने के लिए झेला है इसने। नील, अब तू अकेला नहीं है, तू भी हमारा है।”

उस पल पहली बार लगा कि लड़ाई का कोई मायना था। मोहब्बत, दोस्ती और रिश्ते सब एक धागे में बंध गए थे।

लेकिन ठीक उसी समय, सड़क के किनारे से किसी ने उन पर नज़र गड़ाई। गाड़ियों के पीछे खड़ी भीड़ में से एक आदमी धीरे से मुस्कराया। उसके होंठों पर ठंडी मुस्कान थी और हाथ में बंद फोन, जिसमें आरव की जली हुई तस्वीर सेव थी।

उसने बुदबुदाया, “आरव का बदला मैं लूँगा… खेल अभी खत्म नहीं हुआ है।”

वो भीड़ में गुम हो गया। किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन करन के दिल को अजीब सी बेचैनी घेर गई। जैसे हवा में कोई अनजानी सरगोशी अब भी बाकी हो।

उस रात अर्जुन ने सबको अपने नए घर ले जाकर ठहराया। परिवार ने पहली बार चैन की सांस ली। मगर करन खिड़की पर खड़ा रात के अंधेरे को देख रहा था। उसकी आँखों में सवाल था—क्या सचमुच आरव का अध्याय बंद हुआ, या कोई नया खतरा जन्म ले चुका है?

अनाया उसके पास आई और उसका हाथ पकड़ लिया। “डर मत करन। अब सब ठीक हो जाएगा।”

करन ने हल्की मुस्कान दी, मगर उसके दिल में आवाज़ गूँज रही थी—
“खेल अब और बड़ा होगा।”
कुछ दिन शांति से बीते। हवेली की लड़ाई के बाद सबको लगा था कि तूफ़ान थम चुका है। अनाया अब अपने घर में सुरक्षित थी, अर्जुन ने उसकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। आयरा उसकी हर साँस पर पहरा देती और नील करन का साया बनकर हर पल उसके साथ रहता।

लेकिन करन के दिल को अब भी चैन नहीं था। वो अक्सर रात को जागकर खिड़की से बाहर अंधेरे में झाँकता रहता। उसे लगता कोई परछाई उसका पीछा कर रही है। कभी गली के मोड़ पर खड़ा आदमी अचानक गायब हो जाता, कभी सुनसान सड़क पर बाइक का शोर सुनाई देकर भी कोई नज़र नहीं आता।

एक शाम अर्जुन के पुराने दोस्त पुलिस इंस्पेक्टर वर्मा मिलने आए। उन्होंने चुपचाप अर्जुन को अलग ले जाकर कहा—
“तुम्हें सावधान रहना होगा। आरव की मौत के बाद शहर में एक नया नाम उभर रहा है। लोग उसे ‘साया’ कहते हैं। कोई नहीं जानता वो कौन है, लेकिन उसकी चालें बहुत ख़तरनाक हैं। और उसने साफ़-साफ़ कहा है कि उसका अगला निशाना करन और तुम्हारा परिवार है।”

अर्जुन के चेहरे पर सख़्ती छा गई।
“कौन है ये आदमी? आरव से उसका क्या रिश्ता?”

वर्मा ने धीमी आवाज़ में कहा, “खबरें हैं कि वो आरव का सगा भाई है। बचपन से ही परदे के पीछे रहा, लेकिन शहर की अंडरवर्ल्ड उस पर भरोसा करती है। अब वो बदला लेने आया है।”

उसी समय, घर की छत पर एक परछाई खड़ी सब सुन रही थी। हाथ में पुरानी चेन पकड़े, जिसकी नोक खून से जमी हुई थी। वो हल्की हँसी हँसते हुए फुसफुसाया—
“आरव… अब तेरे अधूरे काम मैं पूरा करूँगा।”

रात गहरी हुई तो करन को अचानक बाहर से अजीब सी आवाज़ सुनाई दी। वो तुरंत बाहर निकला। हवाओं में अजीब सर्दी थी। आँगन के बीचोबीच एक काला लिफ़ाफ़ा पड़ा था। करन ने उसे उठाया। अंदर बस एक काग़ज़ था जिस पर लिखा था—

“मौत कभी दरवाज़ा खटखटाकर नहीं आती। मैं जब चाहूँगा, तब तुम्हारी साँसें थम जाएँगी।
– साया”

करन ने काग़ज़ कसकर मुट्ठी में दबा लिया।
उसने तय किया, अब भागना नहीं है। अगर ‘साया’ आरव से भी ज़्यादा खतरनाक है तो उसे सामने लाना ही होगा।

अनाया उसके पास आई। उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था।
“करन, ये सब फिर से शुरू मत होने देना… मैं अब और सह नहीं पाऊँगी।”

करन ने उसकी हथेलियाँ थाम लीं।
“डर मत अनाया। आरव खत्म हो गया था, और अब ‘साया’ भी ज़्यादा देर तक छिपा नहीं रह पाएगा। मैं तुझे कसम देता हूँ, चाहे मुझे अपनी जान भी देनी पड़े… तुझे कभी कुछ नहीं होने दूँगा।”

अंधेरे में कहीं दूर से एक ठंडी हँसी गूँजी, जैसे साया खुद उनकी बात सुन रहा हो।
रात घनी और सन्नाटे से भरी थी। हवेली के आँगन में सब सो चुके थे, बस करन खिड़की पर खड़ा आसमान देख रहा था। उसकी आँखों में बेचैनी साफ झलक रही थी। हवा में अजीब सा डर था, जैसे कोई बहुत पास होकर भी दिखाई नहीं दे रहा हो।

अचानक पीछे से एक हल्की सी सरसराहट सुनाई दी। करन ने मुड़कर देखा—पर कोई नहीं था। तभी उसकी नज़र ज़मीन पर पड़ी। सफेद काग़ज़ पर खून से लिखा था—

“मौत आ चुकी है… बस तुझे छूना बाकी है।”

करन ने तुरंत नील को आवाज़ दी। दोनों बाहर भागे। हवेली के दरवाज़े पर एक परछाई खड़ी थी। लंबा कद, काले कपड़े, चेहरे पर नकाब। उसकी आँखें अंधेरे में भी आग की तरह चमक रही थीं।

नील ने दबी आवाज़ में कहा—
“करन… यही है साया।”

साया ने ठंडी हँसी हँसते हुए कहा—
“आख़िरकार हम आमने-सामने आ ही गए। तू वही है जिसने मेरे भाई को मिटा दिया। आरव के लिए तुझे मिटाना ही होगा।”

करन ने आगे बढ़कर कहा
“तेरा भाई गुनहगार था। मैंने उसे इसलिए मारा क्योंकि वो इंसान नहीं, जानवर बन चुका था। और अगर तू भी उसी रास्ते पर चला, तो तेरा अंजाम भी वही होगा।”

साया की आँखों में पागलपन उतर आया। उसने चाकू निकालकर ज़मीन पर घसीटा।
“तू मौत की कीमत नहीं समझता करन। अब मैं तुझे हर रोज़ मरते देखूँगा। पहले तेरा खून, फिर तेरी मोहब्बत… और आख़िर में तेरा नाम भी मिटा दूँगा।”

अनाया ऊपर बालकनी से ये सब देख रही थी। उसके हाथ काँप रहे थे। वो चिल्लाई—
“करन, सावधान!”

और उसी पल साया ने हमला कर दिया। चाकू बिजली की तरह करन की तरफ़ बढ़ा। करन ने अपनी पूरी ताक़त लगाकर उसका हाथ रोका। दोनों की आँखें आमने-सामने थीं।

नील बीच में कूदा और साया को धक्का देकर अलग कर दिया। ज़मीन पर गहरी खरोंचें पड़ गईं।
साया ने हँसते हुए कहा—
“आज तुझे बचा लिया गया… लेकिन अगली बार तेरी साँसें भी नहीं बचेंगी।”

वो परछाई की तरह दीवार पर चढ़ा और अंधेरे में गुम हो गया।

करन ने नील की ओर देखा।
“ये आदमी आरव से भी ज़्यादा खतरनाक है। इसे हराना आसान नहीं होगा।”

अनाया नीचे दौड़कर आई और करन को गले लगा लिया।
“मुझे डर लग रहा है करन… अगर ये तुझे छीन ले गया तो मैं जी नहीं पाऊँगी।”

“डर मत अनाया। ये साया चाहे कितना भी अंधेरा लाए… मैं तेरा उजाला बनकर तेरे साथ रहूँगा। चाहे मेरी जान क्यों न चली जाए।”

उस पल हवेली की हवा और भारी हो गई। क्योंकि सबको पता था—
असली जंग अब शुरू होने वाली थी।
रात बीत गई, मगर हवेली के आँगन में पसरे डर ने किसी को चैन से सोने नहीं दिया। करन जागता रहा, नील पहरेदारी करता रहा और अनाया खिड़की से बाहर आसमान ताकती रही। सबको एहसास था कि अब साया सिर्फ़ ताक़त से नहीं लड़ेगा, बल्कि दिमाग़ और चालबाज़ी से उन्हें तोड़ेगा।

सुबह अर्जुन ने पूरे परिवार को इकट्ठा किया। उनकी आँखों में गुस्सा और चिंता दोनों थे।
“मैं सब समझ चुका हूँ। आरव मर चुका है, लेकिन उसका भाई… ये साया… वो और भी ख़तरनाक है। हमें परिवार को बचाना होगा। करन, तू अब अकेला नहीं है। ये लड़ाई मेरी भी है।”

करन ने सिर झुकाकर कहा, “अंकल, ये मेरी मोहब्बत की लड़ाई है। लेकिन आपकी ताक़त मेरे साथ होगी तो मैं अजेय हो जाऊँगा।”

नील ने धीरे से कहा, “करन, साया सिर्फ़ हाथों से नहीं लड़ेगा। वो तेरे दिल को, तेरे दिमाग़ को, तेरी मोहब्बत को तोड़ने की कोशिश करेगा। हमें हर कदम सोच-समझकर रखना होगा।”

दिन बीतने लगा। मगर हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगीं।

एक शाम अनाया अपने कमरे में अकेली थी। अचानक आईने पर धुंधली परछाई उभर आई। जैसे किसी ने उँगली से लिखा हो—
“तू अब मेरी है।”

अनाया चीख पड़ी। सब दौड़े आए, मगर आईना साफ था। करन ने उसका काँपता हुआ हाथ थाम लिया।
“ये खेल शुरू हो चुका है। साया चाहता है तुझे डर लगे। मगर मैं तुझे कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।”

रात को हवेली के बाहर पेड़ों पर अजीब से निशान बने पाए गए। खून से लिखे शब्द—
“हर सांस गिनी जा चुकी है।”

पुलिस आई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इंस्पेक्टर वर्मा ने अर्जुन से कहा, “ये आदमी किसी और स्तर पर काम करता है। इसे पकड़ना आसान नहीं होगा। लेकिन हमें हर कोने पर पहरा बढ़ाना होगा।”

अगली सुबह नील और करन बाज़ार से लौट रहे थे। गली के बीचोबीच एक बच्चा खड़ा था, जिसके हाथ में लाल गुब्बारा था। बच्चे ने मासूमियत से कहा,
“भैया, ये गुब्बारा आपके लिए है।”

करन झुका ही था कि नील ने उसका हाथ रोक लिया। गुब्बारे पर खून से लिखा था—
“तेरे लिए ये तोहफ़ा है… मौत का।”

गुब्बारा फटा और अंदर से राख जैसी काली धूल उड़ने लगी। चारों तरफ़ अफरातफरी मच गई। करन ने बच्चे को गोद में उठाकर सुरक्षित जगह पहुँचाया, मगर उस काली धूल ने पूरे इलाके को डरा दिया।

नील ने दाँत भींचते हुए कहा, “ये आदमी हमें डराने के लिए मासूम बच्चों तक को इस्तेमाल कर रहा है। अब इसे रोकना ज़रूरी है।”

उस रात करन और अनाया एक-दूसरे के साथ बैठकर बातें कर रहे थे। अनाया रोते हुए बोली,
“करन, मुझे लगता है साया सिर्फ़ तुझसे बदला नहीं लेना चाहता। वो मुझे भी अपने जाल में फँसाना चाहता है। उसकी आँखें… उसकी परछाई… मुझे हर जगह महसूस होती है।”

करन ने उसका चेहरा थाम लिया,
“अनाया, सुन। तुझ पर मेरा हक़ है, तेरी हिफ़ाज़त मेरा फ़र्ज़ है। चाहे साया लाख चालें चले, तुझे छू भी नहीं पाएगा। जब तक मेरी साँसें चल रही हैं, तू सिर्फ़ मेरी है।”

अनाया उसकी बाँहों में सिमट गई। मगर खिड़की के बाहर अंधेरे में वही परछाई खड़ी थी। उसकी आँखें ठंडी और लाल थीं। 

वो बुदबुदाया,
“करन, तू कितना भी पहरे दे ले… धीरे-धीरे मैं तुझे तेरी मोहब्बत से ही दूर कर दूँगा। वो तेरी नहीं, मेरी बनेगी।”