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*प्रतीक्षा* प्रतीक्षा की हर राह पर ना कोई रुका, ना कोई ठहरा। प्यार में हलचल थी, पर जवाब में सिर्फ़ ठुकराहट। दर्द ने चुपचाप कहा — शायद ये कोई संजोग है, जो बस थोड़ा दूर… मेरे जज़्बातों के पार खड़ा है। _Mohiniwrites
"सागर से पूछा..." सागर से पूछा — क्यों उछला तू? जहाँ भी रहा, तेरे चलने से मेरा साथ क्यों बहा? किसने भेजा प्यार बनकर जो बढ़कर उतरा दिल में? कोई तो चढ़ा सपना — जो जीवनभर थमा रहा, बिना थमे, बिना कहे हर साँस में जमा रहा। एक आग सी है — जो दूर कहीं धधकती रही, पर शायद वही मेरे भीतर भी जलती रही। फिर मेरे दरिया में उतरा सावन, बूंदों की बरसात बनी कविता। सावन में गरज थी, सावन में कोई भीगा भी था... शायद वही — जो कभी गया ही नहीं। _Mohiniwrites
सपना बनकर रह गया वो दूर कहीं... सपना बनकर वो रहा दूर कहीं, फर्क क्या पड़ता — जिस गली में तेरे कदम न आए, मैंने भी रुख मोड़ लिया। शायद तुझसे ख़फा रहा, या फिर खुद से भी — मगर मेरे प्यार से भरी इन आँखों ने तेरे होने को अब भी महसूस किया। क्या तुझे छू गया मेरा मौन वजूद? क्या दिल का धड़कना तेरे लिए अब भी बेमतलब रहा? मैं तो बस यूँ ही तेरी रूह में उतर गया था, और तू... शायद भूल ही गया मुझे या फिर तक़दीर ने.. तेरे हिस्से की मेरी मोहब्बत मुझसे ही छीन ली। _Mohiniwrites
चाहत के धागे" साथ कोई दे हमारा, चाहत के धागों से संवारे कोई। ज़ज़्बा था दिल में सावन जैसा, पर कभी खुलकर बरसे नहीं कोई। हमसे पराया हुआ ये जहाँ, रूठे रिश्तों का टूटा किनारा। दिल के कोने में चुप एक आवाज़, जिसे हर बार खुद से ही हारा। जब सहारा छूटा, तो कोई पास भी बुलाने न आया। क़दम रुके नहीं, पर हर मोड़ पर, ज़माने ने रास्ता ही बदलाया। चाहत का दरिया बहता रहा, अरमानों में डूबा कोई। अधूरा रहा मैं, बेवफ़ा न कोई, फिर भी हर बार... छूटा कोई। _Mohiniwrites
🌙 Suhani Raat 🌙 “Chupke se aayi vo pariyon ki Rani, Pyaar se bhari raat ne kholi ek kahani… Dil ke armaan liye koi raah chali, Saanson mein basa ek dilbar chhupi gali. Moh ke is jadoo mein rooh bhatakti gayi, Har raat ek nayi aah le kar chalti gayi. Roz dil jalaya, har khwab mein khoye, Jahan milte nahi the, bas dil se roye. Na takraye yun hi, na tha yeh gumaan, Yeh do roohon ka tha purana pehchaan. _Mohiniwrites
*Dream* मैंने उसे विदा किया था, पर शायद दिल ने नहीं। मौन का अर्पण अधूरा था, कुछ अश्रु, कुछ मौन, और अपूर्ण स्पर्श। मैंने दूसरों को मर्यादा सिखाई, पर खुद की पीड़ा को न समझ पाई। फिर वो लौटा… एक और बार बिछड़ने, शायद ये अंतिम बार हो। इस बार, मैं पूर्ण समर्पण करना चाहती हूँ — रूह का उपहार शांति से भरा अंतिम मौन, एक सम्पूर्ण विदा। _Mohiniwrites
*A Soul Journey* Ek Dream.. "उसने मेरा इंतज़ार किया था..." वो पल आया — ज़िंदगी की एक नई राह सामने थी, मैं भागी… पर कुछ पल देर हो गई। वो वहाँ था — नज़रों से दूर, लेकिन दिल के सबसे करीब। वो आगे बढ़ गया, उस सफ़र पर जो हमारी तक़दीर के नक्शे में लिखा था। पर कदम ठिठक गए — मेरे बिना वो रास्ता अधूरा लगा। वो लौटा — जैसे मेरी रूह की पुकार सुन ली हो। मैंने भी फिर एक और मोड़ लिया, नई राह, नया रास्ता चुना… पर उसकी मौजूदगी की परछाई अब भी साथ थी। मैंने पलट कर देखा — वो दूर खड़ा था… शायद सोच रहा था, क्या मैं उसके बिना चल पाऊँगी? या क्या वो मेरे बिना कहीं गया ही नहीं? 🌙 "सफ़र बदला, रास्ते बदले… पर दिल अब भी उसी मोड़ पर ठहरा है।" _Mohiniwrites
Tu Mera Tha.. Vo sanam tha, meri baahon mein, Jal gaya khwab, chhod gaya dhoon mein. Dard se dard mita nahi, Jism se rooh juda si hui kahi. Jadoo sa tha, par ho gaya fanaa, Sitamgar tha, par dil ne chaha. Mayusi ke is intezaar mein, Aankhon se dard chhalak gaya Tu mera tha — meri jaan, Dhadkan, pyaas, aur bepanah armaan _Mohiniwrites
तेरी यादों का सावन गिरे,मेरे गालों पर सोंधी सी खुशबू महके तेरे ख्यालों पर कई दिन,मास उड़े देख हवा संग अभी तो आ..बैठ मेरी चाहत के,डाल पर!! _Mohiniwrites
चार दीवारी कोई राज़ सँभाले, मेरे ही जैसा कोई नीरव जो पास है, पर शब्दों से परे है, धड़कनों में बसी एक चाहत की लौ है। समाज से परे हैं हम दोनों, ना रस्में, ना दस्तूर, ना कोई मोहर, फिर क्यों ये फासले पिघलते नहीं, कब, कैसे, क्यों — ये जवाब मिलते नहीं। तूने ठुकराया नहीं, पर अपनाया भी कब? जब दिल से जुड़े थे, तो जुदा क्यूँ हुए हम? मैं तो तेरी मोहब्बत पे फिदा था हर पल, फिर तू दूर क्यूँ हुआ, बिन कहे, बिन छल? चाहत अधूरी, पर सच्ची सी लगती है, तेरी ख़ामोशी अब मेरी तक़दीर सी लगती है। फिर भी... तेरे एहसास में मैं आज भी ज़िंदा हूँ, बेवजह नहीं, पर तुझसे अब भी रिश्ता सा जुड़ा हूँ।
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