दिल नहीं मूरत तेरी,
पर तुझे ऐसे दिल में बसाया है
जैसे हरि ने कोई रौशनी
मेरे सीने में उतारी हो।
क़दर तेरी इस तरह करूँ,
ऐ सनम,कि तू ख़ुद पूछ बैठे ..
आख़िर मैं इस दिल के लिए
इतना ख़ास क्यों हूँ?
मेरे प्यारे पलों की ख़ुशबू
जो प्यार से उठ रही है,
कौन है जो यूँ मेरी रूह को छूकर
मुझसे हमेशा कहता है
*तू ही है मेरा दिलबर।*
_Mohiniwrites