*प्यार वो था…*
न तो कोई तोफ़ा था, न किसी से माँगा,
बस ख़ुद-ब-ख़ुद मेरी राहों में उतर आया।
यादों की आहट ने जब कदम छुए,
ख़ामोशी भी जैसे कुछ कहने लगी।
फना थी हर डगर, मगर जाने कहाँ से
एक रौशनी सी मेरी साँसों में समा गई।
लज्जा की नर्मी, दिल की हल्की कंपन,
उसी पल वो मेरे सीने में घर कर गया।
हम चाहने लगे उसे इस कदर,
कि हमारी चाहत में ही
वो हमेशा ज़िंदा रह गया।
_Mohiniwrites