hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • कौन दिलों की जाने! - 17

    कौन दिलों की जाने! सत्रह नियति की विडम्बना! एक दिन पूर्व आलोक और रानी ने प्रभु स...

  • फैसला - 4

    फैसला (4) मै निष्प्राण - सी हो गई, जैसे हाथ - पाँव से जान ही निकल गई बहुत डर गई...

  • डेढ़ कमरा

    सुबह से ही कमर में तेज दर्द है।क्या नाम है इस नामुराद बीमारी का?सियाटिका!हां वही...

मुख़बिर - 30 By राज बोहरे

मुख़बिर राजनारायण बोहरे (30) मुकदमा अदालत में मुकदमा चला था । तब तक छह महीने बीत चले थे, आरंभ में बीहड़ में सिंह के समान बेधड़क भटकते बागी अब चूहों से लगने लगे थे । सो हमारी हिम्मत भ...

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कौन दिलों की जाने! - 17 By Lajpat Rai Garg

कौन दिलों की जाने! सत्रह नियति की विडम्बना! एक दिन पूर्व आलोक और रानी ने प्रभु से प्रार्थना की थी कि उनके जीवन में किसी प्रकार के विषाद के लिये कोई स्थान न हो, उनका प्रेममय सम्बन्ध...

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योगिनी - 4 By Mahesh Dewedy

योगिनी 4 अगले दिन योगासन की अंतिम क्रियाओं- अग्निसार प्राणायाम, भा्रमरी प्राणायाम, एवं शांतिपाठ- से पूर्व स्वामी जी ने मीता को अपने निकट बुला लिया एवं उससे इन क्रियाओं को कराने को...

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फैसला - 4 By Divya Shukla

फैसला (4) मै निष्प्राण - सी हो गई, जैसे हाथ - पाँव से जान ही निकल गई बहुत डर गई थी तभी उनका हाथ मेरे कंधे से होता हुआ मेरे वक्ष को टटोलने लगा तो अचानक बिजली के करेंट सा लगा मुझे और...

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डेढ़ कमरा By Satish Sardana Kumar

सुबह से ही कमर में तेज दर्द है।क्या नाम है इस नामुराद बीमारी का?सियाटिका!हां वही!एलोपेथिक,होम्योपैथिक,आयुर्वेदिक, यूनानी,नेचुरोपैथी सब करके देख लिया।कोई फर्क नहीं पड़ा।फिर भी नुस्खे...

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मास्टर मस्त, शिक्षा पस्त By Vijay Vibhor

जब से इस धरती पर जीवन का विकास हुआ है तभी से जीवों में अपने वजूद को संभालने या बनाए रखने की कोशिश जारी रखी है, इस विकास में मनुष्य ने बाजी मार ली और सबसे ज़्यादा विकास किया| इस विक...

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संस्कार By Kishanlal Sharma

"मेरे बेटे को आपकी बेटी पसंद है"राजेेश औऱ सुुुनीता पति पत्नी थे।उनके दो बेटियों रचनाऔरसीमाा थी।दोनो बहनों की उम्र मे दोसाल का अंतर था।कॉलेज की पढाई पूरी होते ही राजेश ने रचना के लि...

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महत्वाकांक्षा - 1 By Shashi Ranjan

महत्वाकांक्षा टी शाशिरंजन (1) साक्षात्कार के बाद कोलकाता से खुशी खुशी मैं वापस लौट रहा था । राजधानी एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी के जिस केबिन में मैं चढा, उसमें पहले से एक और आदमी मौज...

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संबल By Dr Dilbagh Virk

संबल “मम्मी, मुझे नहीं जाना खेलने| मैं नहीं जाऊँगी|” – सुनीता ने रुआँसी-सी होते हुए अपनी माँ से कहा| “तो अपने पिता जी से कह| मुझे नहीं पड़ना तुम्हारे झमेले में|” – कोमल ने कहा| “मुझ...

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औघड़ का दान - 10 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

औघड़ का दान प्रदीप श्रीवास्तव भाग-10 जब एक सुबह उसे उबकाई आने लगी। और बाद में चेक कराने पर उसकी प्रिग्नेंसी कंफर्म हो गई। उसने मन ही मन धन्यवाद दिया बाबा को, सीमा को। उसे पूरा यकीन...

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भटके हुये लोग By Rajesh Bhatnagar

भटके हुये लोग “अब क्या खून पियेगा मेरा ? शरीर मे दूध बचा हो तो तुझे पिलाऊ ? जा, मर जा जाकर कही।” “अरे कोसती क्यों है, बच्चा ही तो है, उसे क्या पाता कि तेरे शरीर में दूध बचा है या न...

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राय साहब की चौथी बेटी - 5 By Prabodh Kumar Govil

राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 5 घर तो वहीं रहना था। हां उसका सामान सब लड़के अपनी- अपनी ज़रूरत और सुविधा के हिसाब से ले गए। जिसके यहां सीधी गाड़ी जाती थी, वो बड़े -बड़े स...

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इस दश्‍त में एक शहर था - 11 By Amitabh Mishra

इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (11) गजपति और पार्वतीनंदन यानि गज्जू और पप्पू दोनों ही हिन्दी के प्रोफेसर बने पर दोनों एकदम अलग अलग प्रकृति के। गज्जू बला के पढ़ाकू हिन्दी साहित्...

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कैदी नंबर 306 रिटर्न्ड By The Real Ghost

मैं हूँ कैदी नंबर 306 | आखिर मैं कैदी क्यों हूँ ? पहले बता चूका हूँ परन्तु संक्षेप मैं फिर से बता देता हूँ | तकरीबन 2.5 साल पुरानी बात है मेरे शहर मैं एक जुर्म हो गया और पुलिस ने म...

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दूसरा सिरा By Shobhana Shyam

दूसरा सिरा "ये क्या हो गया सुषमा ! अभी पिछले हफ्ते तो तुझसे बात हुई थी, तू तो मुझे करवाचौथ की पूजा पर बुला रही थी और कल पता चला कि करवाचौथ के दिन ही तेरा रसोली का...

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ओ नैन्सी... ओ! By Raj Gopal S Verma

क्षितिज के उस पार, उगते सूरज की स्वर्णिम किरणों को देखने का रोमांच बहुत ही ख़ास होता है. अस्त होते प्रकाश-पुंज से भी अधिक! क्योंकि तब वह अपनी ऊर्जा को चुका कर विदा लेता है, पर अल्लस...

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नॉमिनी - 1 By Madhu Arora

नॉमिनी मधु अरोड़ा (1) तुम्‍हारी हर बार की चुप्‍पी का क्‍या अर्थ समझूं? जब जब मैं तुमसे तुम्‍हारे परिवार के बारे में कोई सवाल करती हूं या जानना चाहती हूं तुम ख़ुद को ख़ोह में क्‍यों...

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नियति By Anju Gupta

हरफनमौला निर्मिति हर महफ़िल की जान हुआ करती थीं । शादी-ब्याह हो या कोई पार्टी, रौनक तो निर्मिति के आने के बाद ही आती थी। गाना-बजाना हो, शॉपिंग हो, मेहमानों की खातिरदारी या लेनदेन का...

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सच कुछ और था...... By Sudha Om Dhingra

सच कुछ और था...... सुधा ओम ढींगरा यह कहानी मैंने लिखी नहीं, इस कहानी ने मुझे से स्वयं को लिखवाया है। ताज्जुब की बात है, पता नहीं कहाँ से यह मेरी कलम पर आ बैठी है..... और पहुँच गई ह...

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मन का क्या करूँ By Annada patni

मन का क्या करूँ अन्नदा पाटनी चौराहे पर लाल बत्ती हो गई । सारी गाड़ियाँ थम गई । ज़बर्दस्त ट्रैफ़िक था । मैंनेएसी बंद करवाया और खिड़की का शीशा उतार कर इधर-उधर नज़र दौड़ाने लगी । देखा...

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नाख़ून - 2 By Vijay Vibhor

लेकिन नहीं, माँ को तो घर में बहू चाहिए थी। बे–मन शादी के लिए हाँ कर दी थी। फिर शादी में खुद की किसी भी तरह की पसंद को थौपा भी नहीं था माँ–बाप पर। उनकी पसंद का लत्ता–कपड़ा, उनकी पसंद...

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बिट्टू का पापा By Satish Sardana Kumar

अक्तूबर का आखिरी हफ़्ता, आज इतवार है।वह सुबह सुबह उठ बैठा है।ठंड लगती है सुबह,वह फिर भी पंखा बंद नहीं करता।पत्नी बगल में चादर ओढ़े लेटी है।वह लाइट जलाता है।पत्नी ने पूछा है,"क्या बजा...

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तेरा साथ है कितना प्यारा By Deepti Khanna

"ओ मेरी सोनपरी आज गुमसुम क्यों बैठी हो तुम भला , कहां गए तुम्हारे सारे खेल खिलौने , गुड्डे गुड़िया ?" वह चुप खड़ी , अपनी चीनी आंखों से तक देख ती रही मुझे । वह कहती ," मां कब दोगे व...

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केशव एंड शर्मा - 082 - Gender equility By The Real Ghost

केशव : नमस्कार मिश्रा जीमिश्रा : नमस्कार मिश्र जीकेशव : और सुनाइये क्या चल रहा हैमिश्रा : बस सब बढ़िया लड़के ने आर्मी जॉइन जॉइन कर ली है और लड़कियां अभी पड़ रही हैकेशव : लड़कियों में भी...

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आहुति By Shobhana Shyam

आहुतिशिल्पी के दिल में धधकती आग इतनी तेज थी कि फायर प्लेस भी उससे हाथ ताप रहा था| फायर प्लेस से ज्यादा लपटे तो उंसके जीवन मे उठ रही थी। पता नहीं जो उसने किया वो उन लपटों पर पानी का...

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और सूरज डूब गया By Rajesh Bhatnagar

और सूरज डूब गया राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़को को रौंदते ट्रकों की आवाज़ंे हाइवे के सुनसान वातावरण को जैसे सोते से झकझोर कर बार-बार उठा देती और सड़क भारी भरकम ट्रकोें के टायरों से बार-बा...

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मुख़बिर - 30 By राज बोहरे

मुख़बिर राजनारायण बोहरे (30) मुकदमा अदालत में मुकदमा चला था । तब तक छह महीने बीत चले थे, आरंभ में बीहड़ में सिंह के समान बेधड़क भटकते बागी अब चूहों से लगने लगे थे । सो हमारी हिम्मत भ...

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कौन दिलों की जाने! - 17 By Lajpat Rai Garg

कौन दिलों की जाने! सत्रह नियति की विडम्बना! एक दिन पूर्व आलोक और रानी ने प्रभु से प्रार्थना की थी कि उनके जीवन में किसी प्रकार के विषाद के लिये कोई स्थान न हो, उनका प्रेममय सम्बन्ध...

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फैसला - 4 By Divya Shukla

फैसला (4) मै निष्प्राण - सी हो गई, जैसे हाथ - पाँव से जान ही निकल गई बहुत डर गई थी तभी उनका हाथ मेरे कंधे से होता हुआ मेरे वक्ष को टटोलने लगा तो अचानक बिजली के करेंट सा लगा मुझे और...

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डेढ़ कमरा By Satish Sardana Kumar

सुबह से ही कमर में तेज दर्द है।क्या नाम है इस नामुराद बीमारी का?सियाटिका!हां वही!एलोपेथिक,होम्योपैथिक,आयुर्वेदिक, यूनानी,नेचुरोपैथी सब करके देख लिया।कोई फर्क नहीं पड़ा।फिर भी नुस्खे...

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मास्टर मस्त, शिक्षा पस्त By Vijay Vibhor

जब से इस धरती पर जीवन का विकास हुआ है तभी से जीवों में अपने वजूद को संभालने या बनाए रखने की कोशिश जारी रखी है, इस विकास में मनुष्य ने बाजी मार ली और सबसे ज़्यादा विकास किया| इस विक...

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"मेरे बेटे को आपकी बेटी पसंद है"राजेेश औऱ सुुुनीता पति पत्नी थे।उनके दो बेटियों रचनाऔरसीमाा थी।दोनो बहनों की उम्र मे दोसाल का अंतर था।कॉलेज की पढाई पूरी होते ही राजेश ने रचना के लि...

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औघड़ का दान - 10 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

औघड़ का दान प्रदीप श्रीवास्तव भाग-10 जब एक सुबह उसे उबकाई आने लगी। और बाद में चेक कराने पर उसकी प्रिग्नेंसी कंफर्म हो गई। उसने मन ही मन धन्यवाद दिया बाबा को, सीमा को। उसे पूरा यकीन...

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भटके हुये लोग By Rajesh Bhatnagar

भटके हुये लोग “अब क्या खून पियेगा मेरा ? शरीर मे दूध बचा हो तो तुझे पिलाऊ ? जा, मर जा जाकर कही।” “अरे कोसती क्यों है, बच्चा ही तो है, उसे क्या पाता कि तेरे शरीर में दूध बचा है या न...

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राय साहब की चौथी बेटी - 5 By Prabodh Kumar Govil

राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 5 घर तो वहीं रहना था। हां उसका सामान सब लड़के अपनी- अपनी ज़रूरत और सुविधा के हिसाब से ले गए। जिसके यहां सीधी गाड़ी जाती थी, वो बड़े -बड़े स...

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इस दश्‍त में एक शहर था - 11 By Amitabh Mishra

इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (11) गजपति और पार्वतीनंदन यानि गज्जू और पप्पू दोनों ही हिन्दी के प्रोफेसर बने पर दोनों एकदम अलग अलग प्रकृति के। गज्जू बला के पढ़ाकू हिन्दी साहित्...

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कैदी नंबर 306 रिटर्न्ड By The Real Ghost

मैं हूँ कैदी नंबर 306 | आखिर मैं कैदी क्यों हूँ ? पहले बता चूका हूँ परन्तु संक्षेप मैं फिर से बता देता हूँ | तकरीबन 2.5 साल पुरानी बात है मेरे शहर मैं एक जुर्म हो गया और पुलिस ने म...

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दूसरा सिरा By Shobhana Shyam

दूसरा सिरा "ये क्या हो गया सुषमा ! अभी पिछले हफ्ते तो तुझसे बात हुई थी, तू तो मुझे करवाचौथ की पूजा पर बुला रही थी और कल पता चला कि करवाचौथ के दिन ही तेरा रसोली का...

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ओ नैन्सी... ओ! By Raj Gopal S Verma

क्षितिज के उस पार, उगते सूरज की स्वर्णिम किरणों को देखने का रोमांच बहुत ही ख़ास होता है. अस्त होते प्रकाश-पुंज से भी अधिक! क्योंकि तब वह अपनी ऊर्जा को चुका कर विदा लेता है, पर अल्लस...

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नॉमिनी - 1 By Madhu Arora

नॉमिनी मधु अरोड़ा (1) तुम्‍हारी हर बार की चुप्‍पी का क्‍या अर्थ समझूं? जब जब मैं तुमसे तुम्‍हारे परिवार के बारे में कोई सवाल करती हूं या जानना चाहती हूं तुम ख़ुद को ख़ोह में क्‍यों...

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नियति By Anju Gupta

हरफनमौला निर्मिति हर महफ़िल की जान हुआ करती थीं । शादी-ब्याह हो या कोई पार्टी, रौनक तो निर्मिति के आने के बाद ही आती थी। गाना-बजाना हो, शॉपिंग हो, मेहमानों की खातिरदारी या लेनदेन का...

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सच कुछ और था...... By Sudha Om Dhingra

सच कुछ और था...... सुधा ओम ढींगरा यह कहानी मैंने लिखी नहीं, इस कहानी ने मुझे से स्वयं को लिखवाया है। ताज्जुब की बात है, पता नहीं कहाँ से यह मेरी कलम पर आ बैठी है..... और पहुँच गई ह...

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मन का क्या करूँ By Annada patni

मन का क्या करूँ अन्नदा पाटनी चौराहे पर लाल बत्ती हो गई । सारी गाड़ियाँ थम गई । ज़बर्दस्त ट्रैफ़िक था । मैंनेएसी बंद करवाया और खिड़की का शीशा उतार कर इधर-उधर नज़र दौड़ाने लगी । देखा...

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नाख़ून - 2 By Vijay Vibhor

लेकिन नहीं, माँ को तो घर में बहू चाहिए थी। बे–मन शादी के लिए हाँ कर दी थी। फिर शादी में खुद की किसी भी तरह की पसंद को थौपा भी नहीं था माँ–बाप पर। उनकी पसंद का लत्ता–कपड़ा, उनकी पसंद...

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बिट्टू का पापा By Satish Sardana Kumar

अक्तूबर का आखिरी हफ़्ता, आज इतवार है।वह सुबह सुबह उठ बैठा है।ठंड लगती है सुबह,वह फिर भी पंखा बंद नहीं करता।पत्नी बगल में चादर ओढ़े लेटी है।वह लाइट जलाता है।पत्नी ने पूछा है,"क्या बजा...

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"ओ मेरी सोनपरी आज गुमसुम क्यों बैठी हो तुम भला , कहां गए तुम्हारे सारे खेल खिलौने , गुड्डे गुड़िया ?" वह चुप खड़ी , अपनी चीनी आंखों से तक देख ती रही मुझे । वह कहती ," मां कब दोगे व...

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केशव एंड शर्मा - 082 - Gender equility By The Real Ghost

केशव : नमस्कार मिश्रा जीमिश्रा : नमस्कार मिश्र जीकेशव : और सुनाइये क्या चल रहा हैमिश्रा : बस सब बढ़िया लड़के ने आर्मी जॉइन जॉइन कर ली है और लड़कियां अभी पड़ रही हैकेशव : लड़कियों में भी...

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आहुति By Shobhana Shyam

आहुतिशिल्पी के दिल में धधकती आग इतनी तेज थी कि फायर प्लेस भी उससे हाथ ताप रहा था| फायर प्लेस से ज्यादा लपटे तो उंसके जीवन मे उठ रही थी। पता नहीं जो उसने किया वो उन लपटों पर पानी का...

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और सूरज डूब गया By Rajesh Bhatnagar

और सूरज डूब गया राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़को को रौंदते ट्रकों की आवाज़ंे हाइवे के सुनसान वातावरण को जैसे सोते से झकझोर कर बार-बार उठा देती और सड़क भारी भरकम ट्रकोें के टायरों से बार-बा...

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