bond of love - 10 in Hindi Love Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 10

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बन्धन प्यार का - 10

जब हिना ने डांस नही किया तो वह उसका हाथ पकड़कर नाचने लगा।हिना हंसती रही वह उसे नचाने कि कोशिश करता रहा।वहा से बाहर निकले तो नरेश बोला,"डिनर करोगी?
"तो क्या भूखे पेट सुलाने का इरादा है
"नही,"नरेश बोला,"भूखे पेट तो मुझे भी नींद नही आती।चलो
और वे एक रेस्तरां में आ गए थे।इस रेस्तरां में वेस्टर्न और इंडियन दोनों तरह का खाना मिलता था।नरेश ने मेनू देखकर खाने का आर्डर दिया था।
"हाय,"वे खाना खा रहे थे तभी नरेश का सहकर्मी आया था।नरेश ने भी उसके अभिवादन का उत्तर दिया था।
वेटर खाने की प्लेटे रख गया था।वे दोनों खाने लगे।खाना खाने के बाद नरेश ने कॉफी मंगवायी थी।
औऱ जब वे रेस्तरां से बाहर आये तो मेट्रो स्टेशन की तरफ जाते समय नरेश ने हिना से पूछा था,"तुम रहती कहा हो?
"लेविशिम,"हिना ने अपने घर का पता उसे बताया था।और वे बाते करते हुए मेट्रो स्टेशन पर आ गए थे।और फिर वे अपने अपने घर चले गए थे।
नरेश कई बार जब वह हिना के साथ होता तब कोई उनके बारे में पूछता तो झूठ भी बोल देता।वह यह नही बताता था कि नौकरी कर रहे है।वह कहता हम पढ़ने के लिए आये है।
और एक दिन नरेश कम्पनी से निकलते ही हिना के कमरे पर जा पहुचा
"नरेश तुम?"वह नरेश को देखकर बोली थी
"मुझे देखकर आश्चर्य हो रहा है।"
"सिर्फ आश्चर्य नही खुशी भी हो रही है
"कोई परेशानी तो नही हुई
"गूगल जो हैं"नरेश बोला"क्या कर रही हो
"खाना बनाने की तैयारी
"मतलब मैं सही समय पर आया हूँ
"कैसे
"तुम्हारे हाथ का बनाया खाना खाने को तो मिलेगा
"खाना तो मैं रोज खिला दूंगी।आ जाया करो
"रोज आने लगा तो दुखी हो जाओगी
"औरत खाना बनाने से कभी दुखी नही होती।उसे खिलाकर खुशी होती हैं
"क्या बना रही हो
"तुम बताओ वो ही बना लुंगी
"वेजिटेरियन हूँ।
"डोंट वरी।मैं भी शाकाहारी ही पसन्द करती हूँ।बताओ क्या खाओगे
"जो भी तुम बना लोगी
और हिना ने दाल चावल सब्जी बनाई थी।वह रोटी सेकने लगी तब बोली"रोटी सेक रही हूँ।गर्म गर्म खाना खाओ
"नही"नरेश बोला,"तुम बना लो।साथ साथ खायेंगे
और नरेश और हिना ने साथ बैठकर खाना खाया था।खाने के बाद नरेश बोला,"तुमने खाना बहुत ही लजीज और स्वादिष्ट बनाया था
"थैंक्स
"इस सन्डे को लन्दन आयी चलते है
"जैसी तुम्हारी मर्जी
और नरेश जाने लगा तब हिना बोली,"रूम पर पहुच कर मुझे फोन कर देना
"अच्छा
और नरेश चला गया था।हिना ने भी बाकी काम निपटाया और फिर वह भी बिस्तर में आ गयी थी।वह मोबाइल हाथ मे ले रही थी तभी नरेश का फोन आ गया
"पहुँच गये
"हा"नरेश बोला"क्या कर रही हो
"लेटी हूँ
और कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे
सन्डे को नरेश ने सुबह ही हिना को फोन कर दिया था।और हमेशा की तरह दोनों मेट्रो स्टेशन पहुँच गए थे।वहां से वे दोनों लन्दन आयी देखने के लिए गए थे।
लन्दन आई
मतलब लन्दन की आँख।इस जगह से पूरे लन्दन शहर को देखा जा सकता है।लन्दन आई टेम्स नदी के south किनारे पर एक विशाल पहिया है।साल में30 लाख से ज्यादा पर्यटक इसे देखने और इसमें बैठने के लिये आते है। आने वाले पर्यटकों में देशी के साथ विदेशी भी होते हे।नरेश और हिना ने भी पहिये में बैठकर शहर को देखा था।बेहद रोचक अनुभव था।रोमांचित करने वाला।और काफी देर तक मस्ती करने के बाद वे लोटे थे