Avtaar - 1 in Hindi Horror Stories by puja books and stories PDF | अवतार...... एक उनसुझा रहस्य.... - 1

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अवतार...... एक उनसुझा रहस्य.... - 1

राजस्थान का प्रतापगढ़ साम्राज्य उस साम्राज्य में अचानक से ऐसा क्या हुआ कि वहां पर से सब लोगों ने घर से निकलना ही बंद कर दिया 


उस साम्राज्य की महारानी चंद्र ने ऐसा आतंक फैलाया की लोग अपने घर से निकलने में भी डरते थे खास करके उस साम्राज्य के पुरुष और लड़के 

और वहां के लोग जीने से ज्यादा मरने की दुआ मांगने लगे 
तो


चलिए लिए चलते हैं लगभग 800 साल पहले जब प्रतापगढ़ साम्राज्य में खुशियां ही खुशियां हुआ करती थी 
इस खुशी को दुगना करने के लिए वहां के राजकुमार दक्ष हर साल एक प्रतियोगिता रखते थे जिसमें कोई भी योद्धा भाग लेकर के शक्तिशाली बन जाता था 
और उस शक्तिशाली ताबीज को हासिल कर सकता था 

जब से राजकुमार दक्ष में उस प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू किया था तब से वही ही इस प्रतियोगिता के विजेता हुआ करते थे 
पूरा मैदान बस दक्ष के जयकारों के नाम से ही कुंज रहा था 


दक्ष एक महान योद्धा की तरह मैदान में धनुष बाण लेकर के आ गया था का कट काठी और शरीर ऐसा था मानव की स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा भी उस पर अपनी जान न्योछावर कर दे 


खैर मैदान के बीच में आते ही दक्ष अपनी तलवार चलता है 
लेकिन उसके बाद जो हुआ उसको देखकर के सभी के पैरों तले से जमीन खिसक गई
वहां पर काले बादल छा गए थे और तभी एक आकाश वाणी होती है कि आने वाली एक महीने में प्रतापगढ़ राज्य में इतना  कुछ बदल जाएगा की इसके बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी और अगर राजकुमार दक्ष ने अपने कदम संभाल कर नहीं रखे तो उन्हें अपनी जान भी गवानी पड़ सकती है 

आकाशवाणी को सुनकर के सभी के चेहरे की रौनक चली जाती है 
कोई भी यह बात नहीं जानता था कि आखिरकार राजकुमार दक्ष पर ही यह मुसीबत क्यों आई 

राजकुमार दक्ष उसने आज तक कभी भी कोई भी गलत काम नहीं किया था 
उनका नाम विश्व के सबसे दानवीर राजकुमारों में गिना जाता था 
हर कोई राजकुमार दक्ष से प्यार करता था चाहे वह पक्षी हो पशु हो चाहे हवा हो पेड़ हो लेकिन ऐसा कौन है जो राजकुमार दक्ष की जान लेगा खैर इस आकाशवाणी को राजकुमार दक्ष बिन सुने ज्यादा ध्यान नहीं दिया 

अपने और अपने पिताजी के साथ राज्य के पुरोहितों के पास चले जाते हैं 
क्योंकि दक्ष के पिता ने उनकी शादी चंद्रा से तय कर दी थी 
जो कि उस साम्राज्य की सबसे खूबसूरत स्त्री और उनके प्रिय मित्र की बेटी थी 
लेकिन सभी चंद्रा के असली मकसद से अनजान था 
चंद्रा अपने राज महल के एक कक्ष में बैठी हुई तंत्र विद्या को अंजाम दे रही थी और उसके बाल हवा में लहरा रहे थे 
और उसकी आंखों में मानो खून उतर आया था 
वह धीरे-धीरे शैतानी मंत्रो का जाप किए जा रही थी 
तभी चंद्रा कहती है कि बस कुछ दिन और और फिर मेरा वह सपना जरूर पूरा होगा जिसके लिए मैंने बरसों से इस तंत्र विद्या का ज्ञान प्राप्त किया है 

उधर दक्ष अपने पिताजी के साथ चंद्रा के महल में आ गया था 
और पुरोहितों के साथ बैठा हुआ था तभी राजा विरगुप्त 

मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि मेरे बेटी चंद्रा के शादी दक्ष जैसे महान व्यक्ति योद्धा के साथ होने जा रही है 
आने वाले समय में राजकुमार दक्ष बाकी के  पवित्र राज्य हैं उसको भी अपने साम्राज्य में शामिल कर लेंगे 
और हमारा सपना पूरा हो जाएगा

सिर्फ तुम्हारा है सपना को नहीं पूरा होगा वीर गुप्त बल्की चंद्रा का सपना भी पूरा हो जाएगा 
क्योंकि उन्हें बचपन से ही ऐसे ही वीर योद्धा था से शादी करने थी अब से चंद्रा सिर्फ आपके नहीं बल्कि हमारी बेटी है 
और हम उनको अपने महल में ले जाने में और ज्यादा देर नहीं करना चाहते हम उनको जल्द से जल्द अपनी पुत्रवधू के रूप में देखना चाहते हैं 
विवाह का मुहूर्त जल्द से जल्द  निकल जाना चाहिए दक्ष के पिताजी ने उन पुरोहितों से कहा 

दोनों आपस में बात करके रहे थे तबीयत पुरोहितों में से एक पुरोहित कहता है कि लेकिन राजकुमारी चंद्रा और राजकुमार
दक्ष की कुंडली का तो आपस में कोई मेल ही नहीं है 
हमें माफ कीजिए लेकिन ऐसी कुंडली हमने आज से पहले कभी नहीं देखी 
तभी चंद्रा के पिता श्री ने बहुत ही गंभीरता से कहा कि यह आप क्या कह रहे हैं गुरुजी 

जी हां हम सत्य कह रहे हैं राजकुमार दक्ष और राजकुमारी चंद्रा की कुंडली के गुण आपस मे मेल नहीं खा रहे हैं 

इससे पहले कि वह पंडित अपनी बात पूरी कर पाता 
राजा वीरगुप्त ने उन्हें अपनी आंखें दिखा दी और वह अपनी बात पूरी किए बिना ही चुप हो जाता है 

तभी वीर गुप्त बात को पलटते हुए कहता है कि हम आखिरकार कब तक इस कुंडली को भाग्य मानेंगे 
हमें तो लगता है कि रिश्ते दिल से बनते हैं 

दक्ष के पिता श्री कहते हैं कि और हमने तो चंद्रा को अपने पुत्रवधू के रूप में स्वीकार भी कर लिया है क्या इतना काफी नहीं है इस रिश्ते को अंजाम देने के लिए 



चंद्रा को और उसके पिताजी को यह बात थोड़ी सी अजीब लगी लेकिन दक्ष के पिता श्री ने अपना जाल ऐसा फेंक की चंद्रा के पिता श्री उसे ना नहीं  कह पाए और उन्होंने चंद्रा के शादी दक्ष के साथ तय कर। दी 

अगले कुछ दिनों में राजकुमार दक्ष और राजकुमार चंद्रा की शादी हो जाती है 


इसके बाद राजकुमार दक्ष जैसे ही अपने कक्ष में जाते हैं तो वह चंद्रा को देखकर के एकदम से दंग रह जाते हैं 
क्योंकि चंद्रा वहां पर बैठे हुए कुछ सामग्रियों के साथ तांत्रिक विद्या को अंजाम देने में लगी हुई थी 
तभी राजकुमार दक्ष से गुस्से में चंद्रा से कहते हैं कि आप यह क्या कर रही हैं राजकुमारी चंद्रा 

उसके बाद राजकुमारी चंद्रा एक शैतानी हंसी हंसती हैं और कहती हैं कि मुझे पिछले पिछले में कई सालों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे और आखिरकार वह दिन आ ही गया 
तुम मर्दों ने बहुत ज्यादा शासन कर लिया है अब बारी है स्त्री के शासन की। 
इस तंत्र से मुझे वह शक्तियां मिलेंगे जिससे मैं सब कुछ हासिल कर सकती हूं 
और प्रतापगढ़ साम्राज्य की शासक भी बन सकती हूं 

इसीलिए तुम मुझे मारना चाहते हो 


नहीं इससे बहुत बड़ा कारण है तुम्हारी मौत का लेकिन अफसोस तुम उस कारण को नहीं जान पाओगे यह कहने के बाद चंद्रा शैतानी हंसी हंसने लगती है

मैं प्रतापगढ़ साम्राज्य पर कोई भी आंच नहीं आने दूंगा तभी चंद्रा हंसते हुए कहती है कि वह तो वक्त ही बताएगा लेकिन अभी तुम तैयार हो जाओ क्योंकि नक्षत्र के हिसाब से वह मुहूर्त अभी आने वाला है और उस मुहूर्त में तुम्हारी जान लेने से मुझे कोई भी नहीं रोक सकता इसके बाद चंद्रा दक्ष पर हमला कर देती है