आज मैं आपके साथ एक बहुत ही गंभीर और सुंदर विषय पर चर्चा करने जा रहा हूँ। हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी भगवान से कुछ माँगने लग जाते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि हम भगवान से कुछ माँगते हैं और बदले में यह वादा करते हैं कि अगर हमारी इच्छा पूरी हो गई, तो हम उनकी पूजा करेंगे।
लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सही तरीका है?
मेरा मानना है कि अगर भगवान से कुछ माँगना ही है, तो हमें उनकी भक्ति माँगनी चाहिए। भगवान की सच्ची भक्ति ही वह चीज है जो हमें उनके करीब ले जाती है।
श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में कहा है कि चार प्रकार के लोग उनकी भक्ति करते हैं। वह श्लोक इस प्रकार है:
चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ।।
इसका अर्थ है कि हे अर्जुन! चार प्रकार के लोग मेरी भक्ति करते हैं—आर्त (जो दुखी हैं), जिज्ञासु (जो ज्ञान चाहते हैं), अर्थार्थी (जो धन-संपदा चाहते हैं) और ज्ञानी (जो सच्चे ज्ञान को प्राप्त हो चुके हैं)।
इनमें से हममें से ज्यादातर लोग आर्त या अर्थार्थी की श्रेणी में आते हैं। श्रीकृष्ण ने यह कहा है कि इन चारों में से जो ज्ञानी और निष्काम कर्म योगी हैं, वे उन्हें सबसे प्रिय हैं।
यहाँ सवाल आता है कि निष्काम कर्म क्या होता है? बहुत से लोगों को इसका अर्थ भी नहीं पता होगा।
मैं इसे बहुत ही आसान भाषा में बताता हूँ। निष्काम कर्म का मतलब है बिना किसी कामना के किया गया कर्म। यानी ऐसा कार्य जो केवल कर्तव्य के लिए किया जाए, बिना किसी फल की इच्छा के। जो लोग इस तरह से कर्म करते हैं और भगवान की भक्ति करते हैं, वे भगवान को सबसे प्रिय होते हैं।
बात करूँ हम दुखी होते हैं, तो भगवान को याद करते हैं। हमें धन चाहिए, तो भगवान से माँगते हैं। हमें नौकरी चाहिए, तो भगवान से माँगते हैं। हम बीमार होते हैं तो भगवान को याद करते हैं।
अब सवाल यह है कि क्या हमें भगवान से कुछ माँगना चाहिए? मेरा जवाब है—हाँ, हम भगवान से कुछ माँग सकते हैं।
क्यों? क्योंकि भगवान हमारे पिता हैं। जैसे एक छोटा बच्चा रोता है और अपने पिता के पास जाता है, वैसे ही हम भी अपने दुखों में भगवान के पास जाते हैं।
मान लीजिए आप बीमार हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि "हे भगवान, मुझे ठीक कर दो।" क्या यह संभव है? जी हाँ, यह संभव है।
आपने प्रदीप मिश्रा जी के कई कार्यक्रम देखे होंगे, जहाँ ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं।
लेकिन इसका राज क्या है? इसका एक छोटा सा राज यह है कि जिस स्तर का फल आप चाहते हैं, उसी स्तर की भक्ति आपको करनी होगी।
अगर आप भगवान से सांसारिक चीजें माँग रहे हैं, जैसे धन, स्वास्थ्य या सुख, तो इसके लिए भी आपको उतनी ही गहरी भक्ति करनी होगी। लेकिन कुछ लोग उस स्तर की भक्ति नहीं करते और जब उनकी इच्छा पूरी नहीं होती, तो वे भगवान पर से विश्वास उठा लेते हैं। यह पूरी तरह से गलत है।
जब हम भगवान से कुछ माँगते हैं और वह हमें नहीं मिलता, तो हम सोचते हैं कि भगवान ने हमारी सुनवाई नहीं की। असल में हमें अपनी भक्ति पर ध्यान देना चाहिए। भगवान हमारी हर प्रार्थना सुनते हैं, लेकिन वे हमें वही देते हैं जो हमारे लिए सही होता है।
हमें यह समझना होगा कि भगवान हमारे पिता हैं, और एक पिता अपने बच्चे को वही देता है जो उसके लिए उचित है। अगर हमारी माँग पूरी नहीं हो रही, तो इसका मतलब यह नहीं कि भगवान नहीं सुन रहे।
इसका मतलब यह हो सकता है कि हमें अपनी भक्ति को और गहरा करना होगा।
अंत में मैं यही कहना चाहता हूँ कि भगवान से हमें उनकी भक्ति माँगनी चाहिए। सांसारिक चीजें तो आती-जाती रहेंगी, लेकिन भगवान की भक्ति हमें सच्चा सुख देती है। अगर हमें कुछ माँगना ही है, तो हमें निष्काम कर्म योगी बनने की प्रेरणा माँगनी चाहिए। भगवान पर विश्वास रखें, उनकी भक्ति करें, और जो भी माँगें, सच्चे दिल से माँगें।
भगवान हमारी हर प्रार्थना सुनते हैं, बस हमें अपनी भक्ति को और मजबूत करना है।
इसलिए, आज से यह संकल्प लें कि हम भगवान से उनकी भक्ति माँगेंगे और निष्काम कर्म के मार्ग पर चलेंगे। यही सच्ची भक्ति का मार्ग है और यही वह रास्ता है जो हमें भगवान के करीब ले जाएगा।
प्रार्थना
हे प्रभु,
इस लेख में मैंने अपने जीवन का सच्चा अनुभव साझा किया है। कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं जहाँ और उम्मीदें टूटने लगती हैं, दवाइयाँ असर नहीं करतीं, लोग साथ नहीं देते तनाव होता है, हम अकेले रह जाते हैं, कुछ दिखाई नहीं देता, बीमारी आती है,परिजन को खो देते हैं। उस समय सिर्फ एक ही सहारा बचता है — आपका पावन नाम।
मैंने अनुभव किया है कि जो बातें दुनिया से नहीं संभलतीं, वो आपके नाम के स्मरण मात्र से ठीक हो जाती हैं। ये कोई कल्पना नहीं, मेरा स्वयं का जिया हुआ सत्य है।
इसलिए, मैं सभी पाठकों से हाथ जोड़कर विनती करता हूँ प्रभु का नाम लीजिए, विश्वास रखिए।
अगर मेरी ये बात आपके दिल को थोड़ी भी छू गई हो, तो कृपया इस लेख को "लाइक" करिए, और संभव हो तो मुझे फॉलो भी कर लीजिए। और हाँ, क्षमा चाहता हूँ कि आज मैंने कोई कहानी नहीं लिखी, बस अपने मन की बात कह दी।