Sachchai ki takat l wishdom of puja in Hindi Moral Stories by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | सच्चाई की ताकत । बुद्धीमानी का पूजा

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सच्चाई की ताकत । बुद्धीमानी का पूजा

लोक कथा: "सच्चाई की ताकत"

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

सीख:

ईमानदारी और सच्चाई की कोई कीमत नहीं होती, वह इंसान को असली दौलत देती है। दौलत जो चोरी या छल से मिले, वह कभी टिकती नहीं। असली सफलता तो वही है जो सही रास्ते से मिले।
"बुद्धिमानीका १० चिन्ह – जसले जीवन बदल्न सक्छ…"

१. कम बोल्छन्, बढी सुन्छन्।
शब्दको होइन, मौनको पनि शक्ति बुझ्छन्।
बोल्नुभन्दा बुझ्नुलाई प्राथमिकता दिन्छन्।

२. दोस्रोको विचारलाई सम्मान गर्छन्।
अझै सिक्न बाँकी छ भन्ने सोच राख्छन्।
सबै कुरा आफूलाई थाहा छ भन्ने भ्रममा बस्दैनन्।

३. क्रोधलाई नियन्त्रण गर्न सक्छन्।
उत्तेजनामा निर्णय लिँदैनन्,
शान्ति र धैर्य उनीहरूको असल अस्त्र हो।

४. आफ्नो समय, ऊर्जा र शब्द व्यर्थमा खर्च गर्दैनन्।
जुन ठाउँमा परिवर्तन सम्भव छैन,
त्यहाँ मौन बस्न जान्दछन्।

५. सत्यको पक्ष लिन्छन्, भीडको होइन।
सत्यका लागि एक्लिन पनि तयार हुन्छन्,
जसले गर्दा उनीहरूलाई समयपछि सबैले सम्झन्छन्।

६. जसले सम्मान दिन्छ, त्यसलाई सम्मान फर्काउँछन्।
तर जसले घमण्ड देखाउँछ,
त्यसलाई मौनमै उत्तर दिन्छन्।

७. हर समय सिक्न तयार हुन्छन्।
कहिले बालकबाट त कहिले वृद्धबाट —
जीवनलाई विद्यालय ठान्छन्।

८. माफ गर्न जान्दछन्, तर बिर्सँदैनन्।
अघिल्लो चोटले फेरि घाउ नदियोस् भनेर
अनुभवलाई पाठ बनाउँछन्।

९. बोल्दैनन् कि उनीहरू कति सक्षम छन् —
तर उनका कर्महरू आफैँ बोल्छन्।
उनीहरूलाई प्रमाण दिनुपर्दैन, समयले दिन्छ।

१०. आफ्नो खुसी अरूमा खोज्दैनन्।
शान्त मन, सरल हृदय र सेवाको भावना —
यही नै तिनीहरूको साँचो परिचय हो।

बुद्धिमानी पढाइले होइन, बुझाइले आउँछ।
किताबले होइन, व्यवहारले देखिन्छ।
त्यसैले बुद्धिमान बन्न सिकौं —
बोल्नुभन्दा अघि सोचौं,
ब्युझाउनुभन्दा अघि सुतेका मन बुझौं।कभी-कभी ज़िंदगी हमें इतना तोड़ देती है…  
कि इंसान को खुद पर भी शक होने लगता है।  
लेकिन वही ज़िंदगी हमें वो मोड़ भी देती है…  
जहाँ से उड़ान शुरू होती है।

ये कहानी है आदित्य की…  
एक ऐसे लड़के की जिसने ज़मीन से आसमान तक का सफर तय किया –  
लेकिन बिना शॉर्टकट, बिना किसी चमत्कार के।  
सिर्फ अपने हौसले, मेहनत और विश्वास के दम पर।

आदित्य सिंह – बिहार के एक छोटे गाँव का लड़का।  
पिता खेती करते थे, माँ गृहिणी थीं।  
घर में टीवी नहीं था, मोबाइल नहीं था…  
बस था तो एक सपना – IAS बनना।

जब वो अपनी माँ से कहता, "मैं अफसर बनूंगा…"  
तो माँ मुस्कुरा देतीं… और कहतीं,  
"तू कुछ भी कर सकता है, बेटा… तू मेरा शेर है।"

गाँव वाले हँसते थे, दोस्त मज़ाक उड़ाते –  
"तू IAS?"  
लेकिन आदित्य के कानों में सिर्फ माँ की बात गूंजती –  
"तू कर सकता है…"

12वीं के बाद उसने ग्रेजुएशन किया – गाँव में रहकर ही।  
कोचिंग नहीं थी… YouTube पर फ्री लेक्चर देखे।  
गाँव के छोटे पुस्तकालय में बैठकर घंटों नोट्स बनाता।

पहली बार परीक्षा दी… और फेल हो गया।  
रात को खूब रोया… अकेले… माँ के सामने नहीं।  
पर सुबह उठते ही… फिर से किताबों में झुक गया।

दूसरी बार… फिर असफल।  
तीसरी बार… सिर्फ दो नंबर से चूक गया।  
सबसे बड़ा झटका था।

लोग बोले – “अब छोड़ दे।”  
पर आदित्य ने कहा –  
"आखिरी बार सही… लेकिन इस बार जान लगा दूंगा।"

सुबह 5 बजे उठना… 14 घंटे पढ़ाई…  
सोशल मीडिया बंद… दुनिया से दूरी…  
सिर्फ किताबें, चाय, और सपना।

चौथी बार परीक्षा दी…  
हर पेपर में आत्मविश्वास था।

रिज़ल्ट आया…  
दोस्त ने फोन कर कहा – "भाई… तू टॉप 50 में है!"  
वो चुप रहा…  
फिर माँ की गोद में सिर रखकर… फूट-फूट कर रो पड़ा।  
आज उसका सपना… सच था।

गाँव में ढोल बजे…  
जिसे लोग ‘बेकार’ कहते थे… अब उसे ‘साहब’ कहा जाने लगा।  
माँ की आँखें नम थीं… लेकिन मुस्कान थी।

अब वही लोग इंटरव्यू लेने आए…  
जो कभी कहते थे – "तेरे बस का नहीं।"

ज़िंदगी में गिरना ज़रूरी है…  
क्योंकि तभी तो उड़ने का हौसला पैदा होता है।

अगर आदित्य… उस छोटे गाँव का लड़का…  
बिना साधन, बिना कोचिंग…  
देश का अफसर बन सकता है –  
तो आप क्यों नहीं?

"हार सकते हो… लेकिन हार मानना मत।"

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एक नए आदित्य को हिम्मत दे सकता है।