"सौंदर्य एक अभिशाप !"
(पार्ट -१)
खूबसूरती सबको पसंद होती है।
लोग शरीर की सुंदरता पर मोहित हो जाते हैं।
पुराने जमाने में भी ऋषि मुनियों भी अप्सराओं से मोहित हो गये थे।
खैर वह पुराने जमाने की बातें हैं।
अब अप्सरा कहां दिखाई देती है।
फिल्मी हिरोइन अप्सराओं से कम नहीं है ऐसा सब लोग मानते हैं।
राजा शाही जमाने में राज कुमारी सब से ज्यादा खूबसूरत होती है ऐसा मानते हैं।
सुंदर होना अच्छी बात है लेकिन सुंदरता पर अभिमान करना नहीं चाहिए।
सीधे सादे लोग भी सुंदर होते हैं ।
सुंदरता अमीरों की जागीर नहीं है।
मन और विचार सुंदर होना चाहिए।
चलिए पुराने जमाने की कहानी पढ़िए।
चित्रा नाम की एक राजकुमारी थी। वह दिखने में बहुत सुंदर थी। पूरे राज्य में उसके जैसी कोई दूसरी सुंदर लड़की नहीं थी।
विक्रमनगर राज्य के राजा विक्रम सिंह के एक पुत्र जयवीर सिंह और एक पुत्री चित्रा थी। माता तारामती उन दोनों से बहुत प्यार करती थी।
इस अत्यधिक प्रेम और सुंदरता के कारण चित्रा में थोड़ा अभिमान आ गया था।
भाई जयवीर सिंह हमेशा उससे कहते थे कि रूप का अभिमान करना अच्छा नहीं है।
भाई जयवीर सिंह भी सुंदर थे।
राजकुमारी चित्रा अपनी दासियों और दो सहेलियों के साथ प्रतिदिन सुबह राज्य के बगीचे में टहलने जाती थी।
राजकुमारी प्राकृतिक सौंदर्य को निहारती और प्रसन्न होती थी।
राजकुमारी चित्रा की एक सहेली का नाम लता था और दूसरी सहेली का नाम सुवर्णा था।
लता और सुवर्णा भी सुंदर थीं।
लेकिन उन दोनों में अभिमान नहीं था।
राजकुमारी चित्रा प्रतिदिन सुबह शीशे में अपना चेहरा देखती और मन ही मन सोचती कि पूरे राज्य में मुझसे सुंदर कोई नहीं है। लता और सुवर्णा सुंदर तो दिखती हैं, लेकिन मेरी जितनी सुंदर नहीं।
लता और सुवर्णा राज दरबार के दरबारियों की बेटियाँ हैं।
राजकुमारी चित्रा बगीचे में घूमते समय हमेशा कहती कि मैं इस बगीचे की सुंदरता से भी अधिक सुंदर हूँ।
दासियाँ राजकुमारी की हाँ-हाँ में प्रशंसा करतीं।
लेकिन लता और सुवर्णा को यह पसंद नहीं था।
एक बार लता ने कहा था कि राजकुमारी, प्रकृति की सुंदरता ही सुंदरता है। हम हर दिन नई सुंदरता देखते हैं। यह सुंदरता हमेशा के लिए दिखती है। जब हमारी सुंदरता तभी तक है, जब तक हम युवा हैं।
मध्यम आयु या वृद्धावस्था में सुंदरता मायने नहीं रखती, बल्कि मानवीय संस्कृति और प्रकृति महत्वपूर्ण होती है।
लेकिन अभिमान से भरी राजकुमारी को यह पसंद नहीं था और वह अपनी दोनों सहेलियों का अपमान करती रहती थी।
राजकुमार जयवीर सिंह ने राजकुमारी चित्रा की सहेलियों लता और सुवर्णा को देखा था। वह उनके स्वभाव और संस्कृति से आकर्षित हुआ, लेकिन अपनी बात नहीं कह सका, क्योंकि वह एक राजकुमार था, जबकि वे दोनों दरबारियों की बेटियाँ थीं।
विक्रम नगर के पड़ोस में शांति नगर था। इसके राजा जालिम सिंह अपने नाम के अनुरूप गुणवान थे। वह विक्रम नगर के सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले नगरवासियों को अक्सर परेशान करता था। जालिम सिंह जानता था कि वह युद्ध में विक्रम सिंह को हरा नहीं पाएगा। इसीलिए वह उन्हें परेशान करता था।
जब से जालिम सिंह को राजकुमारी चित्रा की सुंदरता की खबर मिली थी, तब से वह उसे देखने के लिए व्याकुल था।
(राजकुमारी चित्रा को अपने रूप के अभिमान के कारण क्या परिणाम भुगतने होंगे? राजकुमारी चित्रा का अभिमान तोड़ने वाला कौन होगा? राजशाही काल में जो होता था, वह आज के युग में देखने को नहीं मिलता?)
- कौशिक दवे