Chapter 3
पूरे 18 घंटे के सफर करके वह लोग इंडिया आ गए इंडिया
एयरपोर्ट दिल्ली
वह लोग जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर निकल रहे थे। लोग उन्हें मुड़ मुड़ कर देख रहे हैं क्योंकि, दो इतने हैंडसम आदमी और उनके साथ दो क्यूट क्यूट से बच्चे बहुत ही सुंदर और रेयर नजारा है🥰🥰। खासकर लड़कियां तो वह दो क्यूट से प्यार से टेडी जैसे बच्चों को देखकर अपने बॉयफ्रेंड और पति को कहा रही थी काश हमारे भी बच्चे ऐसे हों।
आर्य और सन्नवी शिवाय और प्रणय के गोद में सो रहे थे क्योंकि बच्चे थक चुके थे।
Abb आगे
आर्य , सन्नवी दोनों शिवाय और प्रणय के गोद में सोए हुए है ।।
जैसे शिवाय एयरपोर्ट से बाहर आता है तो उसे रिसीव करने के लिए कार आता है।
शिवाय , सन्नवी ,प्रणय और आर्य चारों के चारों कार में बैठ जाते हैं और सीधा हॉस्पिटल के लिए निकल जाते हैं , कार सीधा कार सीधा अस्पताल की ओर चल देता है
सिटी हॉस्पिटल
इंट्रोडक्शन ऑफ़ शिवाय'एस फैमिली
शिवाय का पूरा नाम शिवाय अनुज कपाड़िया है। कपाड़िया इंडस्ट्री का छोटा वारिस है! शिवाय के दादा जी का नाम अर्णव कपाड़िया है और दादी का नाम खुशी कपाड़िया है।
शिवाय के बड़े पापा नाम रमन कपाड़िया और बड़ी मॉम का नाम इशिता कपाड़िया। शिवाय के मॉम का नाम पायल कपाड़िया और डैड का नाम अनुज कपाड़िया है। पायल और अनुज की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई है, तब शिवाय दस साल का था।
शिवाय के बड़े भाई का नाम वनराज कपाड़िया और भाभी का रुचिता कपाड़िया है ।
शिवाय की बहन का नाम पालकी कपाड़िया है और शिवाय की बुआ का नाम सिमरन कपाड़िया है।
शिवाय के बड़े पापा का बेटा है वनराज कपाड़िया।इशिता कपाड़िया ने शिवाय को अपने बच्चे की तरह पाला है, जितना प्यार उन्होंने वनराज कपाड़िया और पालकी कपाड़िया से किया है उतना ही प्यार उन्होंने शिवाय को भी किया है।
शिवाय बचपन से ही अपने बड़े पापा से कुछ ज्यादा ही अटैच है। रुचिता और वनराज का एक प्यार सा बेटा है, छोटा सा गोलू मोलू सा बच्चा , कौरव। कौरव की उम्र 10 साल है।
अस्पताल के अंदर का दृश्य।
अस्पताल के वीआईपी ऑपरेशन थिएटर के बाहर कुछ लोग परेशान खड़े हैं। जिन में तीन औरत और दो आदमी हैं। तभी वह लोग कदमों की आवाज सुनते हैं ,तो उस आवास की ओर देखते हैं तो सामने शिवाय को आते हुए देखते है।
इस वक्त शिवाय ने ब्लैक हाई नेक टी-शर्ट और लॉन्ग कोट की ब्लैक पैंट के साथ पहना हुआ है। शिवाय को देखते ही सभी के चेहरे पर परेशानी में भी मुस्कान आया हुआ है।
शिवाय को देखकर, शिवाय की बड़ी मां उस से गले लगते हुए उसे बोलती है, शिवू देखना तेरे पापा को क्या होगा या है।देख ना उन का ऑपरेशन हो रहा है , उन्हें अभ तक बाहर नहीं लाए हैं। पिछले 3 घंटे से डॉक्टर उन का सर्जरी कर रहे हैं। शिवाय अपने बड़ी मां को संभालते हुए बोलता है कुछ नहीं होगा बड़ी मां। बड़े पापा ठीक हो जाएंगे
वह ठीक हो जाएंगे। आप जानती हो ना की वह कितने स्ट्रांग है। ऐसी छोटी मोटी सर्जरी उन का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। शिवाय अपनी बड़ी मां को स्वतान्ना दे रहा है तभी उसकी नजर इशिता जी के पीछे पड़ती हैं जहां उसका पूरा परिवार उसे ही देख रहा है।
शिवाय ने अपने आप को अपनी बड़ी मां से अलग कर- कर अपने दादा- दादी जी के पैर पर हाथ रखकर उन से आशीर्वाद लेता है। दादा और दादा जी भी शिवाय को बाड़े प्यार से आशीर्वाद देते हैं , एक तरफ उनका पोता 5 साल बाद अपने घर, अपने देश आया है और दूसरी तरफ उनका बेटा हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत के बीच में लड़ रहा है। इस सिचुएशन में उन्हें कैसे रिएक्ट करें समझ में नहीं आ रहा है।
शिवाय दादा ,दादी जी के बाद अपने बड़े भाई वनराज के पास जाता है, तो वह अपने भाई (वनराज) को बिना कुछ कहे उसे गले लगाता है। शिवाय के गले लगते ही वनराज ने अपना धैर्य खो दिया है ।वह आंखें बंद कर कर शिवाय से गले लग जाता है। उसके आंखों के कोने से लगातार आंसू बह रहे थे
शिवाय ने कहा आई एम सो सॉरी भाई जब आपको मेरी जरूरत पड़ी मैं आपके पास नहीं था आई एम सो सॉरी शिवाय ने यह बात बड़ी इमोशनल होकर बोला।
क्योंकि वनराज को सच में शिवाय की जरूरत थी। क्यों कि अब तक वह खुद को परिवार के लिए संभाल रखा हुआ था कि वह किसी को भी बीकार ने ना दे। पर शिवाय के गले लगाने से उसकी हिम्मत जवाब दे जाती है और वह अपने इमोशंस से कंट्रोल खो देता है। वनराज के आंखों में नमी आ जाती है, वनराज अपने रुंधे गले से बोला
छोटे पापा का 3 घंटे से सर्जरी हो रहा है पर उनके हेल्थ में सुधार नहीं आ रहा है।
शिवाय अपने भाई के हालात देखकर उसके दिल में दर्द होता है।
शिवाय बोला ,कुछ नहीं होगा उन्हें आप परेशान मत हो।
इतना बोल कर वह अपनी भाभी के पास जाता है उन से आशीर्वाद लेता है। उस की भाभी उसे बड़े प्यार से गालों पर हाथ रख कर बोलती है। ऐसा क्या हुआ हम से देवर जी आप हम सबसे रूट कर चले गए।
शिवाय रुचिता जी की बात सुनकर शिवाय बोलता है भाभी यह समय यह सब बात करने का टाइम नहीं है।हमें बड़े पापा की हालत को देखना है , शिवाय की बात सुनकर रुचिता चुप हो जाती हैं।
तभी उन सबके कानों में एक मासूमियत भारी आवाज आता है।
आप सब क्यों रो रहे हो। उस की आवाज को सुनकर सब का ध्यान उसकी तरफ जाता है।
सब देखते हैं कि उनके सामने दो छोटे छोटे क्यूट से एक जैसे ही दिखने वाले बच्चे हैं और वह बहुत ही ज्यादा क्यूट है । उन दोनों को देखकर सब को ऐसा लग रहा है जैसे किसी बड़े से फैक्ट्री में दो छोटे से गुड्डा गुड्डी हो। क्योंकि वह दोनों बहुत ही क्यूट लग रहे थे।सान्नवी और आर्य के आंखों का रंग गोल्डन ब्राउन है और गोरा रंग चाबी से गाल है। तभी सन्नवी शिवाय के पास जाती है और बोलती है डेड यह सब लोग क्यों रो रहे हैं।
जब सब लोग उस बच्ची के मुंह से शिवाय के लिए डेड सूनथे हैं तो हैरान रह जाते हैं और अपने सवालिया निगाहों से
शिवाय की तरफ देखते हैं। पर शिवाय उनको कुछ नहीं बोलता है और अपने घुटनों के बल बैठ जाता है और सान्नवी से कहता है आपके बाड़े दादा जी
बीमार हो गए हैं और उन्हें अस्पताल लाया है और उनका ट्रीटमेंट चल रहा है ना इसलिए सब उनके लिए परेशान है।
यह बात सुनकर सान्नवी अपना मुंह छोटा सा कर लेती हैं। जैसे उसे समझ आ गया हो कि सब परेशान क्यों है। वह अपने छोटे छोटे कदम लेकर
वही पर खड़ी इशिता जी के पास जाती है और बोलती है बड़ी दादी जी ,दादा जी को कुछ नहीं होगा वह ठीक हो जाएंगे, मैं और भाई गॉड से प्रे करेंगे ,डेढ़ ने बताया था की छोटे बच्चों के विश्व जल्द से पूरी करती है साथिया सब बड़ी मासूमियत और तोतलाते हुई बोल रही है।। सन्नवि की बात सुनकर इशिता जी का दिल में गर्माहट होने लगता है और उन्होंने सन्नवि को अपनी गले लगा लिया और उसके चेहरे पर चूमने लगी। पर उनके जेहन ह यह सवाल आता है कि क्या यह बच्ची सच में शिवाय की ही है। इससे पहले वह आगे कुछ सोच पाती उनकी नजर सन्नवि के मासूम चेहरे पर पर जाती है फिर भी वह कुछ नहीं बोलती है क्योंकि यह सब बात करने का टाइम और जगह नहीं है। फिर भी वह आर्य और सन्नवी को देखकर खुश हो जाती है।
तभी आर्य खुशी और अर्णव जी के पास जाता है उन की आशीर्वाद लेते हुए कहां कि पायल लागू ग्रेट ग्रैंड दादा जी और दादी जी। उस की इस हरकत पर खुशी जी और अरनव जी का दिल फुल लिखित हो जाता है। और वह उसे आशीर्वाद देते हुए कहा थे है सदा सुखी रहो और उसे गले लगाते हैं।
फिर आर्य बड़ी दादी (इशिता जी) के पास जाता है बोलता है डॉन'टी वरी बड़ी दादी, बड़े दादू को कुछ नहीं होगा। अगर आप ऐसा ही रोती रहोगी तो आप भी बीमार पड़ जाओगी आर्य ने यह बात बड़ी समझदारी के साथ कहा।
आर्य की ऐसी समझदारी बात सुनकर इशिता जी उसे गले लगा लेती है। क्योंकि उन्हें आर्य में उनका छोटा सा शिवाय दिखाई दे रहा था। शिवाय भी बिल्कुल बचपन में आर्य की तरह समझदार बारी बातें करता था।
उसे भी सन्नवी की तरह उस के चेहरे पर चूमने लगती है और उसके गले लगाते हुए रोती है। आर्य को तो पहले उनका यू चूना अच्छा नहीं लगता , फिर भी वह कुछ नहीं बोलता है आर्य उन्हें शांत करने की कोशिश करता है और उनके फेस पर अपने नन्हे नन्हे हाथ से आंसू पोछते हुए बोलता है डोंट वाली बाली दादी जी दादा जी को कुछ नहीं होगा। इतना बोलकर वह वनराज और रुचिता के पास जाता है और उनके भी पैरों को छूथे हुए बोला पाय लागू बड़े पापा ,बड़े मम्मी। रुचिता और वनराज जी भी उसके सर पर हाथ रख देते हुए बोलते हैं आशीर्वाद देते हैं।
सान्नवी भी आर्य कॉपी की करने की कोशिश करती है और सब के पास जाकर आशीर्वाद लेती है।
तभी प्रणय भी आपन इंट्रोडक्शन देता है कि वह शिवाय का असिस्टेंट है और अपने बॉस के साथ ही 24 घंटे रहता है । सबी भी उसकी बात को
सुनते हैं।तभी ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुलता है और डॉक्टर बाहर आते हुए कहते हैं कि उन की हालत अभी स्टेबल है। उन्हें कुछ घंटे में होश आ जाएगा।
यह बात सुनते ही सबकी सांसों में सांस आ जाती है। क्योंकि पिछले 3 घंटे से रमन जी का ऑपरेशन चल रहा था। सबके चेहरे पर ना बताने वाली मुस्कान आ जाता है।
तभी एक अस्पताल स्टाफ में से खाने की ट्रॉली लाता है। यह देखकर प्रणय कहता है कि मुझे लगा कि अब तक किसी ने कुछ नहीं खाया होगा इसलिए मैंने फ्रूट और जूस ऑर्डर कर दिए हैं।
उसकी बात सुनकर शिवाय ने भी उसका साथ देते हुए कहा हां दादा, दादी, बाडि माँ, भैया ,भाभी आप सब खा लीजिए।इतनी देर से आप लोगों ने कुछ नहीं खाया होगा। पर उन लोगों का मन बिल्कुल खाने का नहीं था।
तो सान्नवी और आर्य एक दूसरे को इशारे में कुछ कहते हैं और धीरे से ट्रॉली के पास जाकर उसे धक्का लगाते हैं।
वह ट्रॉली उन से थोड़ा सा ज्यादा बड़ा था और बारी भी था तो मैं ढक्कल ने में थोड़ी मुश्किल हो रही थी, पर वहां खड़े लोगों को उन दोनों की हरकत के बारे में कुछ समझ नहीं आ रहा था।
तभी वह दोनों खुशी के पास जाते हैं और एक जूस का क्लास निकल कर देते हैं और बोलते हैं की दादा जी दादी जी थोड़ा सा जूस पी लीजिए अगर आप खाओगे पियोगे नहीं तो बड़े दादाजी का ध्यान कैसे रखोगे ।।आपको भी हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ जाएगा इतना बोलता है वह दोनों उसे ग्लास उन दोनों को दे देते हैं।
उन दोनों की इस बात पर सब को बहुत प्यार आता है और वह दोनों (खुशी जी अरनव जी ) दोनों को मना नहीं कर पाते इसलिए वह जूस का ग्लास लेते हैं। ऐसे ही कर के सान्नवी और आर्य सबको जूस का ग्लास पकड़ा देते हैं और सभी की बात मन नहीं करते उनके दिल रखने के लिए सपने जूस का गिलास लेकर जूस पीना शुरू करते है।
क्या है सन्नवी और आर्य के सच्चाई।
घर वालों के सवालों का क्या जवाब देगा शिवाय।
रमन जी के होश आने बाद क्या होगा।
spoil alert
अप-कमिंग चैप्टर में हीरोइन की एंट्री और रमन जी का होश कपाड़िया फैमिली का इमोशनल मोमेंट।
यह सब जानने के लिए पड़ी है कहानी का अगला चैप्टर।
क्या घर वाले अपना पाएंगे बच्चों को? क्या कैसे देगा शिवाय अपने परिवार के सवालों का जवाब।
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