"क्या किसी इंसान की दोहरी पर्सनैलिटी भी हो सकती है...?
कोई इतना अलग भी हो सकता है...?"
प्रकृति की रात इन्हीं सवालों की चुप खामोशी में बीती।
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अगली सुबह – रघुवंशी मीडिया
जैसे ही प्रकृति ऑफिस पहुंचती है, सामने वही लड़का खड़ा होता है — सर्द आँखों और तल्ख आवाज़ के साथ:
"Miss Prakriti Sharma, you're late! Ye office hai apke ghar ka garden nahi..."
उसके लहजे में ठंडापन कम, और कोई पुराना ज़ख्म ज़्यादा झलक रहा था —
मानो वो किसी और पर नहीं, खुद पर गुस्सा हो।
"I'm sorry sir, I'll be on time from tomorrow."
प्रकृति ने बेहद शांत लहजे में जवाब दिया और अपनी फाइल्स लेकर submission room की ओर बढ़ गई।
उसकी चाल में हल्की घबराहट थी — पर चेहरे पर वही प्रोफेशनल शांति।
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Meeting Room – पहला टकराव
सभी डिपार्टमेंट हेड्स मौजूद हैं।
प्रकृति का प्रोजेक्ट पिच चालू है — वो पूरे कॉन्फिडेंस के साथ अपना आइडिया एक्सप्लेन करती है।
आरव, अपनी घमंडी मुस्कान के साथ कहता है:
"Tumhara data toh theek hai… lekin clarity missing hai — jaise tumhari priorities."
वंशिका, पिछली रात का डांस याद कर जलन में बोलती है:
"You are a fresher, you need to work harder..."
रिद्धान अब तक चुप था।
उसने सबकी बातें सुनीं — फिर खड़ा होकर बोला:
"The meeting is over. You may go."
सब उठ जाते हैं।
लेकिन जैसे ही प्रकृति निकलने लगती है, पीछे से एक धीमी आवाज़ आती है:
"The presentation was good."
बस, इतना ही काफी था उस सुबह के लिए।
प्रकृति की नज़रों में एक हल्की सी चमक आई — जो उसने खुद से भी छुपा ली।
"मैं क्यों शर्मा रही हूँ?" वो खुद से बुदबुदाई।
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Backroom Twist – रहस्य के दरवाज़े
जैसे ही उसे याद आया कि फोन submission room में रह गया है, वो वापस जाती है।
अंदर से धीमी, मगर भारी आवाज़ आती है —
"रिद्धि अब ठीक है… तुम बताओ, उसका कुछ पता चला?"
(फोन के दूसरी तरफ कोई और था, शायद कोई और सच्चाई…)
अचानक वो गरज उठता है:
"PHOTO?! कौन सी फोटो? कौन है वो?! नाम चाहिए मुझे!"
प्रकृति का दिल धड़क उठता है। उसका हाथ काँपता है और फोन गिर जाता है।
रिद्धान पलटता है — उसकी आँखों में एक ऐसी आग थी जो खुद उसे भी जला सकती थी।
"तुम्हें उन्होंने भेजा है...? Rajvardhan Raghuvanshi की जासूसी के लिए?"
वो गुस्से में उसकी तरफ बढ़ता है।
प्रकृति डर के मारे पीछे हटती है — तभी उसका पैर फिसलता है।
एक पल का झटका — और वो उसके बाज़ुओं में थी।
रिद्धान ने उसे बिल्कुल वैसे थामा — जैसे किसी टूटते हुए सपने को सहेज लिया जाए।
और प्रकृति ने उसकी ब्लेज़र की कफ को वैसे भींचा — जैसे कोई मासूम बच्चा डर से मां का आँचल पकड़ ले।
कुछ सेकेंड... कोई कुछ नहीं बोला।
दोनों की साँसें आपस में उलझ गई थीं।
फिर दोनों धीरे-धीरे एक-दूसरे से दूर हुए।
awkward silence. लेकिन कुछ कहे बिना बहुत कुछ कहा जा चुका था।
प्रकृति अपना फोन उठाने बढ़ी — तभी उसकी नजर टेबल पर पड़े उस रुमाल पर गई।
रुमाल पर वही R का निशान…
वही जैसा basement वाले आदमी के पास था।
उसने देखा — रिद्धान उसे उठाकर अपने चेहरे पर लगा रहा था।
"क्या…? क्या वही आदमी... Mr. Raghuvanshi ही थे??"
प्रकृति की सोचें उलझने लगीं।
तभी रिद्धान ने चुटकी बजाई —
"You need something?"
"हा..? नहीं... सॉरी सर!"
वो हड़बड़ाकर निकल जाती है।
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Ridhaan’s Side – Under Surveillance
रिद्धान उसी basement की रात को याद करता है —
फिर dance floor का वो लम्हा।
उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैर जाती है — पर बस पल भर के लिए।
फोन vibrate करता है।
एक मैसेज — Private Investigator.
PHOTO — Coffee shop. Prakriti. किसी और लड़की के साथ।
उसकी आंखें लाल हो जाती हैं।
"अच्छा तो वो तुम ही हो लेकिन क्यों?"
वो तुरंत कैफेटेरिया की ओर जाने लगता है। क्योंकि ये लॉन्च टाइम है
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वो कैफेटेरिया की ओर जाने ही लगता के तभी उसे print room से आवाज़ आती है।
वहीं थी प्रकृति। अकेली।
उसका गुस्सा उबलने लगता है।
वो सीधा अंदर घुसता है — प्रकृति का हाथ ज़ोर से पकड़ता है और stairwell की ओर खींच ले जाता है।
दीवार से टिका देता है — आँखों में ज्वाला।
"तुम ही क्यों......?
दीवार को अपने बंद मुठ्ठी से दबाता हुआ,
तुम सेंट फ्रांस कॉलेज में थी न???
प्रकृति की आंखे आंसुओं से भरी हुई और बहुत डरी हुई, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा,
वो अपनी दबी हुई आवाज में बोलती है: ह...ह....ह...हां....लेकिन हुआ क्य......?
उसकी बात को बंद करते हुए उसका चेहरा पकड़कर, पास आता है —
हाथ उठाता है…
तभी किसी ने उसका हाथ थाम लिया।
(कट टू ब्लैक – अगला सीन suspenseful silence में डूबा हुआ...)
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क्या है सेंट फ्रांस कॉलेज में????
क्या हुआ था?
क्या ये दोनों एक दूसरे को जानते हैं?
कौन है ये जिसने रिधान रघुवंशी का हाथ पकड़ा???
जानने के लिए मिलते है अगले पार्ट में.....