आदित्य को मरना होगा.....
अब आगे......................
अदिति (तक्ष) गुस्से में हाथ छुड़ाती है और विवेक से कहती हैं..." दोबारा मत छुना मुझे.... मुझे तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखनी....जाओ श्रुति के पास..." अदिति से बार यही बात सुनकर विवेक गुस्से में कहता है....." तुम्हें वीडियो क्लिप भी झुठी लगी , जो तुम बार बार श्रुति श्रुति कर रही हो....." नहीं आऊंगा तुम्हारे सामने बस ..... अदिति (तक्ष) जाते हुए कहती हैं..." वहीं तुम्हारे लिए अच्छा होगा....."ये बात तक्ष ने बहुत धीरे कहीं थी इसलिए विवेक उसे नहीं सुन पाया...
अदिति के अचानक ऐसे जानें से कंचन उसे देखते हुए कहती हैं....." इसके बिहेवियर में तो बहुत चेंजिस हो रही है विवेक..." कंचन की हां में हां मिलाते हुए विवेक कहता है...." बिल्कुल कंचन...... लेकिन ये कुछ समझने के लिए तैयार ही नहीं है...."
कंचन उसे समझाती है....." डोंट वरी विवेक क्या पता अघोरी बाबा के उस दी हुई चीजों से अदिति ठीक हो जाए...."
विवेक : हां.....
कंचन : विवेक तुम अचानक कहां चले गए थे...?
विवेक : हां वो मैं अघोरी बाबा के पास ही गया था उन्होंने ये मेडिसिन दी थी.... लेकिन हितेन तो पहले ही ठीक हो गया....(हितेन के पास जाकर बैठता है).....
हितेन तो बस अभी कुछ पल हुई घटना को ही याद कर रहा था...उसे सोचकर हितेन के माथे पर पसीना आने लगता है...उसे इस तरह डरते देख विवेक उसके सामने चुटकी बजाकर उसका ध्यान हटाते हुए कहता है....." ओए डरपोक क्या सोच रहा है और कहां खो गया....उस कीड़े के बारे में तो नहीं सोच रहा है न....." लेकिन विवेक की बात पर हितेन कोई रिएक्शन नहीं देता। उसकी निगाहें तो बस थम चुकी थी ... कंचन हितेन को इस तरह देखकर सोचने लगती है ..." अभी तक तो बिलकुल ठीक था अचानक कहां गुम हो गया है , एसी भी आॅन है फिर पसीने से पूरा माथा लथपथ हो रहा है..." कंचन विवेक की तरह इशारा करती है उसका ध्यान हटाने के लिए.....
विवेक उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है...." मुझे पता है तू बहुत परेशान हो गया होगा लेकिन मैं तुझे कुछ कैसे होने देता इसलिए तेरे लिए ये मेडिसिन लेने गया था , वैसे अच्छा हुआ तुझे जल्दी होश आ गया। पता नहीं अदिति ने में सब कैसे किया....." अदिति का नाम सुनते ही हितेन के चेहरे पर डर दिखने लगा था और उसके कहे हर वाक्य उसके चारों तरफ सुनाई पड़ने लगे थे.... जिससे परेशान होकर हितेन अपने दोनों हाथों से अपने कानों को ढकता है... अचानक हितेन के ऐसे रिएक्शन से दोनों घबरा जाते हैं.... विवेक तुरंत हितेन को संभालता है और उसे लेटने के लिए कहता है लेकिन विवेक के छूते ही हितेन को बड़ा अजीब सा लगता है इसलिए उसे धक्का दे देता है और चिल्लाने लगता है...." जाओ यहां से तुम दोनो, किसी को मेरे पास आने की जरूरत नहीं है....जाओ यहां से मुझे अकेला छोड़ दो...."
हितेन के इस तरह चिल्लाने से सब अंदर आते हैं.... शालिनी हितेन को ऐसे देखकर घबरा जाती है और तुरंत डॉक्टर को बुलाने की कहती हैं....इशान डाक्टर को इंफोर्म करने के लिए चला जाता है..... थोड़ी ही देर में डाक्टर आ जाते हैं और उसे चेक करके नींद का इंजेक्शन देकर कहते हैं...." आप सब बाहर जाइए पेशेंट को रेस्ट करने दीजिए...." सब वार्ड रुम से बाहर आते हैं......
हितेन के अचानक चिल्लाने से शालिनी विवेक को घूरते हुए कहती हैं...." अभी तक तो बिलकुल ठीक छोड़कर गई थी मैं, अचानक क्या हो गया...?.." विवेक शालिनी जी को समझाते हुए कहता है..." आंटी जी हम तो सिर्फ इससे बात कर रहे थे..." कंचन भी विवेक की बात पर सहमति जताती हैं.... लेकिन शालिनी जी गुस्से में कहती हैं..." अदिति बिल्कुल ठीक कह रही थी इसे विवेक से दूर रखना चाहिए था मुझे... मैंने उसकी बात नहीं सुनी..." अदिति (तक्ष )साइड में खड़ी से सब सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है..." ऐसा ही तो मैं चाहता था.." तक्ष अपने आप से कहता है
शालिनी जी की बात विवेक को हर्ट कर देती है लेकिन विवेक चुपचाप वहां से अदिति को देखता हुआ बाहर चला जाता है.... विवेक को जाते देख सुविता जी भी घर जाने के लिए कहती हैं......सुविता जी की बात सुनकर शालिनी जी रूखे शब्दों में कहती हैं...." हां जाओ जाओ तुम्हारा बेटा थोड़ी ऐसी हालत में है...मेरी ही गलती थी जो मैंने अपने बेटे को तुम सबके साथ जाने के हां कहा , न वो जाता न ही आज इस हालत में होता...." सुविता जी हमदर्दी दिखाती हुई कहती हैं...." देखिए हम भी उसकी हालत के लिए परेशान थे इसका मतलब ये तो नहीं है की सारी गलती विवू की है...वो उसका दोस्त हैं वो ऐसा कभी नहीं चाहेगा कि उसके बेस्ट फ्रेंड को ऐसे तकलीफ हो..." शालिनी जी सुनिता जी की बात सुनकर मुंह फेर लेती है.....
सुविता जी इशान को लेकर वहां से जाने के लिए आगे बढ़ती है तभी अदिति के पास जाकर रूककर कहती हैं...." अदिति तुमसे ये उम्मीद नहीं थी...माना तुम्हारा गुस्सा विवू पर था लेकिन इस तरह तुम करोगी मुझे अच्छा नहीं लगा...." इतना कहकर सुविता जी वहां से चली जाती हैं.... कंचन और श्रुति भी वहां से अपने घर के लिए चली जाती हैं और आदित्य जबरदस्ती अदिति को ले जाता है......
आदित्य अदिति को लेकर घर पहुंचता है....
अदिति (तक्ष) तुरंत अपने कमरे की तरफ जाने लगती है तभी आदित्य उसे रोकता है....
" अदि रूक...."
अदिति (तक्ष) : क्या बात है भाई...?
आदित्य : क्या बात है..।। तूने हाॅस्पिटल में क्या किया दोनों को भड़का दिया.... तूने सोचा है कितना बुरा लगा होगा विवेक और बाकी सब को....
अदिति (तक्ष) : इसमें मेरी ग़लती नही है विवेक की है...आप खुद देखो उसके जाने से हितेन की तबीयत बिगड़ी थी न की मेरे जाने से...
आदित्य : तू कभी कोई ग़लती करती है....
अदिति (तक्ष) : बिल्कुल नहीं
आदित्य कुछ कहता उससे पहले ही उसका फोन रिंग होता है और काॅल पर बात करते हुए अपने रूम में चला जाता है...तक्ष को आदित्य की बात सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था और गुस्से में कहता है...." लगता है अब तुझे मरना होगा जल्दी..... " तभी पीछे से प्लेट गिरने की आवाज आती है तक्ष हैरानी से पीछे मुड़ता है......"तू..."
...................to be continued....................
कौन है वो शख्स जिसने तक्ष की बात सुन ली.....?
जानेंगे अगले भाग में.......
आपको कहानी कैसी लगी मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं......