the cursed door in Hindi Short Stories by Dhiru singh books and stories PDF | शापित दरवाज़ा

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शापित दरवाज़ा

धीरु एक सीधा-सादा मगर मजबूत इरादों वाला लड़का था, जिसकी ज़िंदगी में एक सुकून भरी सादगी थी, लेकिन उसके दिल में हमेशा कुछ बड़ा करने की चाहत थी, कुछ ऐसा जो उसके वजूद को साबित कर दे, मगर उसे ये नहीं पता था कि उसकी किस्मत उसे ऐसी रहस्यमयी और डरावनी मोहब्बत की तरफ ले जाएगी जिससे उसकी आत्मा तक हिल जाएगी, और इसी कहानी में कोमल वर्मा नाम की एक खूबसूरत मगर रहस्य में डूबी लड़की की एंट्री होती है, जो न सिर्फ धीरु की जिंदगी बदल देती है बल्कि उसे एक ऐसी सच्चाई से रूबरू कराती है जिसे जानकर कोई भी आम इंसान अपनी जान से हाथ धो बैठे।

धीरु को पहली बार कोमल वर्मा मिली थी एक लाइब्रेरी में, उसकी आंखों में किताबों जितनी गहराई और रहस्यमयी स्याही थी, उसके चेहरे पर एक मासूम उदासी जो किसी कहानी को बयां कर रही थी, मगर कोई शब्दों में नहीं, उसकी मौनता में दर्द था, और उस दर्द ने धीरु को खींच लिया उसके पास, पहली बार किसी की आंखों में धीरु को खुद के सवालों के जवाब मिलते लगे, धीरु ने जब पहली बार कोमल से बात की तो उसने सीधा पूछा, "तुम कौन सी किताब ढूंढ रही हो?" कोमल ने बिना उसकी तरफ देखे कहा, "जिसमें लिखा हो कि डर में भी मोहब्बत होती है, और मोहब्बत में मौत भी।" यह सुनते ही धीरु के अंदर कुछ टूट सा गया, और वहीं से शुरू हुई दोनों की मुलाकातों की एक रहस्यमयी कड़ी।

धीरु ने जल्द ही जान लिया कि कोमल साधारण लड़की नहीं थी, वह कुछ छिपा रही थी, कुछ ऐसा जो उसके अतीत से जुड़ा था, और इस अतीत का दरवाजा खुलता था एक पुराने शापित किले में, जहां उसके परिवार की जड़ें जुड़ी थीं, कोमल के पूर्वजों का एक राज था उस किले से, जो किसी समय में राजा का गुप्त कारागार था, जहां असंख्य निर्दोष लोगों को मारा गया था, जिनकी आत्माएं अब भी उस जगह को शापित किए बैठी थीं, कोमल ने कभी वहां जाने की कोशिश नहीं की, लेकिन अब उसके सपनों में कोई उसे पुकार रहा था, और धीरु को ले जाना चाहता था उस अंधेरे में, धीरु ने जब ये सब सुना तो वह डर गया, मगर कोमल से उसका लगाव अब मोहब्बत में बदल चुका था, और मोहब्बत में डरने का हक नहीं होता।

एक रात जब बारिश बहुत तेज़ थी, बिजली लगातार कड़क रही थी, कोमल धीरु को लेकर उस किले की तरफ निकल गई, धीरु ने पूछा, "ये कहां ले जा रही हो?" कोमल ने बस मुस्कुराकर कहा, "तुम कहते थे ना कि मोहब्बत को समझना है, चलो आज मैं तुम्हें मेरी मोहब्बत की सजा दिखाती हूं।" दोनों जब उस शापित किले के अंदर पहुंचे तो वहां की दीवारें जैसे कराह रही थीं, हवा में अजीब सी सरसराहट थी, और घड़ी की सूई एकदम बंद हो गई थी, किले के अंदर एक बड़ा दरवाज़ा था जिस पर खून से लिखे अक्षर थे – “इसे खोलना मतलब अपनी रूह गिरवी रखना”।

कोमल ने उस दरवाज़े की ओर देखा और बुदबुदाने लगी, उसकी आंखें लाल होने लगीं और चेहरे पर एक अलग सी शक्ति उतरने लगी, धीरु घबरा गया, "कोमल ये क्या हो रहा है?" कोमल ने कांपती आवाज़ में कहा, "मेरे अंदर कोई और भी है धीरु... मेरी नानी की आत्मा, जो यहीं मरी थी और जिसने मुझे ये ताकत दी कि मैं उस दरवाजे को खोल सकूं, मगर इसके बदले मुझे किसी की मोहब्बत की बलि देनी होगी।" धीरु ने जोर से उसका हाथ पकड़कर कहा, "तो ले लो मेरी जान... मगर खुद को मत खो देना कोमल।" यह सुनते ही दरवाज़ा धीरे-धीरे खुलने लगा, और जैसे ही दरवाज़ा पूरी तरह खुला, एक ज़ोरदार चीख सुनाई दी और सब कुछ काला हो गया।

जब धीरु को होश आया, वह अकेला था, कोमल कहीं नहीं थी, और सामने दरवाज़े के अंदर एक विशाल कमरा था जिसमें अनगिनत आत्माएं लटक रही थीं, हवा में डर की बू थी और फर्श पर लाल रंग से लिखा था – “अब तेरा भी इंतज़ार है”। धीरु ने पूरी ताकत से चिल्लाया, “कोमल... कोमल कहां हो तुम?” तभी पीछे से किसी ने उसका हाथ थामा, वह कोमल थी मगर उसकी आंखें अब इंसानों जैसी नहीं थीं, वह अब आधी आत्मा बन चुकी थी, उसकी आवाज़ गूंजती हुई आई, “तुम मुझसे प्यार करते हो ना? तो अब मेरे साथ यहां रहो... हमेशा के लिए...”।

धीरु ने एक पल के लिए उसकी आंखों में देखा, फिर उसे गले लगा लिया और कहा, “अगर तू आधी आत्मा बन गई है, तो मैं आधा इंसान बन जाऊंगा, ताकि हम पूरे हो जाएं...” यह कहते ही किले के अंदर एक ज़ोरदार भूकंप आया, दरवाजे बंद होने लगे, दीवारों से खून बहने लगा, और आत्माएं चीखने लगीं, मगर कोमल और धीरु अब एक-दूसरे की बाहों में थे, बिना किसी डर के, जैसे मोहब्बत ने मौत को भी मात दे दी हो।

कुछ साल बाद... गांव वाले अब भी उस किले के पास नहीं जाते, पर कहते हैं कि हर पूर्णिमा की रात वहां से एक गीत की आवाज़ आती है, जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को लोरी सुना रहा हो, और एक लड़की की हंसी गूंजती है, जो अब डरावनी नहीं लगती... वो हंसी अब मोहब्बत की निशानी बन गई है।