MUZE JAB TI MERI KAHAANI BAN GAI - 10 in Hindi Love Stories by Chaitanya Shelke books and stories PDF | MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 10

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MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 10

Chapter 10: एक नई शुरुआत, एक पुरानी साज़िश

 

मुंबई की सुबह कुछ अलग थी — बादलों से ढकी, हवा में ताजगी और दिलों में एक नई उम्मीद। आरव और काव्या अब एक-दूसरे के साथ काम ही नहीं, ज़िंदगी भी बाँटने लगे थे।

आरव की स्क्रिप्ट अब एक वेबसीरीज़ का रूप ले चुकी थी और उसका पहला एपिसोड रिलीज़ होने ही वाला था। दोनों की मेहनत रंग लाने लगी थी।

काव्या ने अपनी एक नई पहचान बना ली थी — ग्लैमर से अलग, असली। और आरव? अब उसे सिर्फ एक स्ट्रगलर नहीं, एक विज़नरी राइटर कहा जाने लगा।

लेकिन... हर कहानी में एक मोड़ होता है।


पहले एपिसोड की लॉन्च पार्टी थी। पूरी टीम खुश थी, मीडिया का ध्यान उन दोनों पर था। लेकिन एक शख्स दूर खड़ा सब देख रहा था — रणविजय।

उसकी आँखों में ईर्ष्या थी, और होंठों पर एक चालाक मुस्कान।

“तू सोचता है ये बस यूँ ही इतनी जल्दी हिट हो गया?” उसने एक पत्रकार से कहा, “किसी दिन सच्चाई सामने लाऊँगा — वो दिन दूर नहीं।”


पार्टी के बाद, आरव और काव्या एक टेरेस पर बैठकर चुपचाप शहर की रौशनी देख रहे थे।

“यार,” आरव ने कहा, “कभी लगता है ये सब सपना है।”

“तो फिर मत जाग,” काव्या हँसी, “क्योंकि मैं भी उसी सपने का हिस्सा बनना चाहती हूँ।”

दोनों की आँखों में एक स्थिरता थी — एक भरोसा।


लेकिन अगले ही दिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। उसमें किसी ने आरोप लगाया था कि आरव की स्क्रिप्ट पूरी तरह चोरी की गई है। वीडियो में कुछ मेल-

जोल के क्लिप्स, कुछ पुराने ड्राफ्ट्स के स्क्रीनशॉट थे।

ट्रोल्स ने आरव को घेर लिया। काव्या पर भी सवाल उठने लगे — “तुम्हें नहीं पता था?”, “क्या तुम भी शामिल थीं?”

आरव ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस कहानी को उसने दिल से लिखा था, अब उस पर उंगलियाँ उठ रही हैं।

काव्या ने दरवाज़े के बाहर खड़े होकर कहा, “तू जब अपनी कहानियों को सच्चाई से लिखता है, तो इस झूठ की दुनिया से डरता क्यों है?”

आरव ने धीमे से दरवाज़ा खोला, उसकी आँखें लाल थीं।

“क्योंकि लोग अब सच नहीं पढ़ते, सिर्फ हेडलाइन देखते हैं।”


काव्या ने तब एक फैसला लिया। वो उस पत्रकार से मिली जिसने वीडियो शेयर किया था। सबूत मांगे — ठोस। लेकिन वहाँ सिर्फ एक नाम सामने आया: रणविजय।

उसी रात, काव्या ने एक लाइव इंटरव्यू रखा। उसने सबके सामने बताया कि ये कहानी पूरी तरह आरव की है, और जो स्क्रीनशॉट्स थे वो एक पुराने कॉलेज प्रोजेक्ट के हैं — जिसे रणविजय ने कभी असाइनमेंट के तौर पर जमा किया था।

“वो कहानी तब भी आरव की थी। तब नाम नहीं था, आज है — फर्क सिर्फ पहचान का है, नीयत का नहीं।”

इंटरव्यू ने इंटरनेट पर आग की तरह फैल गई। लोगों का नजरिया बदलने लगा। #SorryArav ट्रेंड करने लगा।


अगली सुबह, आरव ने अपनी पुरानी डायरी उठाई और लिखा:

“ये लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं थी — ये मेरी सच्चाई, मेरे प्यार और मेरे विश्वास की थी। और इस बार, मैंने सब कुछ जीता — लेकिन अकेला नहीं।”

काव्या पास बैठी थी। उसने डायरी पढ़ी और मुस्कराकर 

कहा, “अब आगे क्या लिखेगा?”

आरव ने उसकी आँखों में देखा, “अब सिर्फ हम लिखेंगे। कहानी अब सिर्फ मेरी नहीं रही।”

और इस तरह, हर तूफान के बाद जैसे आसमान साफ होता है, उनके रिश्ते का आसमान अब पहले से ज़्यादा चमक रहा था।