Pahli Nazar ki Khamoshi - 4 in Hindi Anything by Mehul Pasaya books and stories PDF | पहली नज़र की खामोशी - 4

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पहली नज़र की खामोशी - 4


💫 एपिसोड 4 – एक रात की खामोशी



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1. सर्द हवाओं में टूटा हुआ दिन

दोपहर के तीन बजे, लाइब्रेरी की खिड़कियों से आती ठंडी हवा ने किताबों के पन्ने उड़ा दिए थे।
नैना उन्हें समेट रही थी, लेकिन उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं।

आज वही तारीख थी…
जब आठ साल पहले उसकी माँ इस दुनिया से चली गई थीं।

हर साल की तरह आज भी उसने किसी से कुछ नहीं कहा था।
लेकिन इस बार फर्क ये था — आरव था।
कहीं दूर से सही, पर था।


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2. मैसेज नहीं… पर किसी ने महसूस किया

आरव अपने स्टूडियो में था।
वो एक इंटीरियर प्रोजेक्ट के स्केच में उलझा हुआ था,
पर बार-बार उसका ध्यान भटक रहा था —
नैना आज दिनभर खामोश क्यों थी?

उसने कोई मैसेज नहीं किया।
ना ही 'गुड मॉर्निंग', ना कोई किताब की चर्चा।

आरव ने एक हल्का-सा मैसेज टाइप किया:
"सब ठीक है?"
लेकिन भेजा नहीं।

कुछ बातें सिर्फ महसूस करने के लिए होती हैं, कहने के लिए नहीं।


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3. शाम की कॉल – एक टूटी हुई साँस

शाम के सात बजे मोबाइल बजा।
आरव ने देखा — नैना कॉल कर रही थी।

उसने रिसीव किया, और कुछ देर तक दोनों चुप रहे।
सिर्फ नैना की हल्की साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

फिर एक टूटा हुआ स्वर —
"आरव... क्या आप आज थोड़ी देर... बस चुपचाप बैठ सकते हैं मेरे पास?"

आरव ने कुछ नहीं पूछा।
केवल जवाब दिया: "मैं रास्ते में हूँ।"


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4. पहली बार नैना के घर में

नैना पहली बार किसी पुरुष को अपने घर लेकर आई थी।
छोटा-सा फ्लैट, दीवारों पर किताबें, और कोने में उसकी माँ की तस्वीर।

आरव बिना कुछ बोले भीतर आया, जूते उतारे और नैना के पास फर्श पर ही बैठ गया।

कुछ देर दोनों बस खामोशी से चाय की चुस्कियाँ लेते रहे।

नैना ने धीमे से कहा,
"आज माँ को गए आठ साल हो गए…
लेकिन कुछ दिन ऐसे होते हैं जब वो चुपचाप बहुत पास महसूस होती हैं।
और कुछ दिन... जब उनकी याद ज़हर बन जाती है।"

आरव ने कोई जवाब नहीं दिया।
उसने बस नैना की हथेली अपने हाथों में ली।


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5. सेंसुअल नहीं, सिर्फ साथ का सबसे सुंदर स्पर्श

नैना ने अपनी पीठ आरव के कंधे पर टिका दी।
उसकी आँखें बंद थीं, और सांसें गहरी।

आरव ने बस उसका सिर सहलाया — जैसे कोई माँ अपने बच्चे को सुलाती है।

ना कोई किसिंग, ना कोई उत्तेजना।
बस एक इंसान का दूसरे इंसान के घाव को चुपचाप समझना।

नैना की आँखों से एक आँसू गिरा और आरव की कलाई पर टपक गया।

आरव ने धीमे से उसकी हथेली को अपने गाल से लगाया और कहा:
"मैं बोलूंगा नहीं, बस तब तक यहीं रहूँगा जब तक तुम चाहो।"


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6. देर रात की खामोशी और खुलता दिल

रात के साढ़े बारह बजे नैना उठी और किचन से एक डायरी लेकर आई।

"ये मेरी माँ की डायरी थी।"

उसने आरव को वो पन्ना पढ़ने दिया जिसमें उसकी माँ ने लिखा था:

> "नैना खामोश है, लेकिन उसकी आत्मा बहुत तेज़ बोलती है।
कोई अगर उसे सुन सका, तो वो उसकी दुनिया बदल देगी।"



आरव ने पन्ना पढ़कर नैना की ओर देखा और सिर्फ इतना कहा:
"तुम्हारी माँ ठीक कहती थीं।"


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7. पहली बार एक गहरी झपकी – कंधे पर

आरव नैना के सोफे पर बैठा था और नैना उसके पास कुशन टिकाकर लेटी।
थोड़ी ही देर में वो उसके कंधे पर सिर रखकर गहरी नींद में चली गई।

आरव ने मोबाइल साइलेंट किया,
लैम्प का उजाला धीमा किया,
और नैना की नींद को बिना बाधित किए —
बस बैठा रहा,
एक रात की खामोशी में उसके लिए दीवार बनकर।


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8. सुबह की पहली किरण – एक नई शुरुआत

सुबह जब नैना की नींद खुली,
तो पाया आरव अब भी वहीं था।

उसने देखा — आरव ने एक नोट छोड़ा था:

> "कल रात मैंने कुछ नहीं कहा,
लेकिन तुम्हारी हर खामोशी मेरी आत्मा में उतरती गई।
और अब मुझे खुद से ज़्यादा तुम्हारा सुकून जरूरी लगता है।"




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🔚 एपिसोड 4 समाप्त – एक रात की खामोशी