❤️ एपिसोड 7 – जब मौन बोल पड़े
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1. बिना शब्दों का न्योता
नैना को आरव का मैसेज मिला:
"आज कुछ मत कहना... बस साथ चलो।
एक शाम, जहाँ शब्द चुप रहें और दिल बोले।"
नैना ने कोई उत्तर नहीं दिया,
लेकिन शाम होते-होते वो उसके सामने खड़ी थी —
हल्के गुलाबी सूट में, आँखों में थकी हुई गहराई,
और होंठों पर — एक असली, खामोश मुस्कान।
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2. कदमों की बातचीत
आरव और नैना बिना बोले शहर के पुराने हिस्से की तरफ चल पड़े।
फुटपाथ पर बिखरी पत्तियाँ,
ठंडी हवा और हल्का गुलाबी आसमान।
उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई —
फिर भी हर कदम कुछ कहता रहा।
आरव ने नैना को देखा —
उसके चेहरे पर ना कोई बनावट थी,
ना कोई जबरन हँसी।
बस एक सुकून…
जो शायद किसी अपने की मौजूदगी से आता है।
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3. झील का किनारा – मौन की पनाह
वो दोनों झील के किनारे पहुँचे।
नदी चुप थी, लेकिन उसकी लहरों में एक धीमा संगीत था।
आरव बैठ गया एक पत्थर पर।
नैना ने अपना दुपट्टा समेटा और उसके बगल में बैठ गई।
कुछ देर तक दोनों बस पानी को देखते रहे।
आरव ने उसके करीब एक किताब निकाली —
"रूमी की कविताएँ"।
एक पंक्ति पढ़कर उसने नैना की तरफ किताब बढ़ाई:
> "Silence is the language of God. All else is poor translation."
नैना ने किताब बंद कर दी और पहली बार उसकी आँखों में बिना किसी डर के देखा।
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4. पहली बार – नैना ने आरव को छुआ
हवा थोड़ी ठंडी हो चली थी।
आरव ने अपना शॉल उसके कंधे पर डालना चाहा,
लेकिन इस बार नैना पीछे नहीं हटी।
बल्कि उसने आरव की उंगलियों को हल्के से पकड़ लिया।
कोई शब्द नहीं,
लेकिन वो पकड़ कह रही थी —
"मैं अब डरती नहीं, कम से कम तुमसे नहीं।"
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5. मौन का आलिंगन
आरव की बाँहों में नैना धीरे-धीरे सिमट गई।
उसने अपने सिर को उसके कंधे पर रखा —
साँसें धीमी, आँखें बंद।
आरव ने उसके बालों को हल्के से छुआ,
जैसे कोई भीगी किताब के पन्ने पलटता है।
आरव ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला,
लेकिन नैना ने उँगली उसके होंठों पर रख दी:
"बस मौन रहने दो… आज शब्द ज़रूरी नहीं हैं।"
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6. जब होंठ चुप थे, पर दिल पुकारने लगे
चाँद अब पूरी तरह चमक रहा था।
आरव ने धीरे से नैना की ठुड्डी उठाई।
उनकी आँखें मिलीं —
गहराई से, बिना काँपे।
आरव के होंठ करीब आए…
बहुत धीरे…
जैसे पूछ रहे हों —
"क्या मैं...?"
नैना ने आँखें बंद कर लीं —
उत्तर बिना शब्दों के मिल गया।
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7. पहला चुंबन – धीमा, पर आत्मा को छूता हुआ
उनके होंठ मिले —
न किसी हड़बड़ी में,
न किसी ज़िद में।
बस एक ऐसी मुलाक़ात,
जिसे दो आत्माएँ बरसों से ढूंढ रही थीं।
किसिंग धीमी थी, भावुक थी —
ना कोई उत्तेजना,
बल्कि एक गहराई, एक वादा।
आरव की उंगलियाँ नैना की गर्दन के पास की त्वचा को छू रही थीं —
लेकिन बहुत मर्यादित ढंग से,
जैसे वो उसकी भावनाओं की नब्ज़ को पढ़ना चाह रहा हो।
नैना ने भी आरव के चेहरे को दोनों हाथों से थामा,
और उस चुंबन को थोड़ी देर और लंबा किया —
शायद उस खालीपन को भरने के लिए
जो उसने वर्षों तक अकेले झेला था।
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8. चुंबन के बाद – सिर्फ मौन नहीं, एक नई बात
किसिंग के बाद दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे की बाहों में बैठे रहे।
नैना ने पहली बार कहा:
"आरव… मैं तुमसे डरती नहीं।
मैं खुद से भी अब डरना नहीं चाहती।
आज मैंने अपने डर को चुपचाप बाँट दिया है तुमसे —
और वो अब उतना भारी नहीं लगता।"
आरव ने धीमे से कहा:
"मुझे किसी उत्तर की तलाश नहीं थी, नैना।
मैं तो सिर्फ तुम्हारी ख़ामोशी को सुनना चाहता था।
और आज… वो सबसे सुंदर गीत बन गई है।"
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9. लौटते हुए – बदल चुका था कुछ
जब वो वापस लौटे,
तो उनके बीच कोई बड़ी बात नहीं हुई।
लेकिन नैना अब आरव का हाथ खुलकर पकड़ रही थी —
पहली बार बिना काँपे।
उसने आरव की बाँह में खुद को सटाया —
बिलकुल वैसे जैसे कोई टूटे हुए रिश्ते में फिर से भरोसा करने की हिम्मत करे।
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10. नैना की डायरी उस रात
> "मैंने आज अपने भीतर के मौन को बोलते सुना।
और उसके शब्द नहीं थे…
सिर्फ एक चुंबन था, जिसमें भरोसा था, अपनापन था, और सुकून था।"
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🔚 एपिसोड 7 समाप्त – जब मौन बोल पड़े