Ishq aur Ashq - 31 in Hindi Love Stories by Aradhana books and stories PDF | इश्क और अश्क - 31

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इश्क और अश्क - 31



उसने वन बाय वन वो पेपर्स देखे...(जैसे कोई बाप अपनी बेटी की लिए रिश्ता देख रहा हो)

अगस्त्य ध्यान से सारे पेपर्स देखते हुए:
"ये सब तो ठीक ही लग रहे हैं, कोई फ्रॉड भी नहीं है, और पैसा भी अच्छा-खासा है... रात्रि को कोई दिक्कत नहीं होगी।"

फिर उसने आगे देखा और बोला:
"इसकी कितनी गर्लफ्रेंड रह चुकी हैं?"

फिर वो फोन साइड करके सोचने लगा:
"कहीं ये रात्रि को भी तो नहीं छोड़ देगा..."

अगस्त्य ने सारे डॉक्यूमेंट्स देखे...

अगस्त्य:
"ये सब तो ठीक है, पर ये क्या है...?"

उसने थोड़ा ज़ूम इन किया तो पता चला कि ये तो ड्राइविंग लाइसेंस है।

अगस्त्य का फोन बजा:

वेदिका:
"सर, गेस्ट पहुँच गए..."

अगस्त्य (इरिटेट होकर):
"जा तो रहा हूँ... उड़ कर पहुँचूं क्या...? रखो कॉल!"

कॉल कट

उसने कार स्टार्ट की और उसे ध्यान आया कि उसने सारे पेपर्स नहीं देखे।
वो बोला:
"दो मिनट तो लगेंगे, देख लेता हूँ।"

फोन में देखना शुरू किया।
लास्ट पेज पर उसका ड्राइविंग लाइसेंस था। अगस्त्य ने उसे ध्यान से देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

उस पर नाम लिखा था —
"अविराज सहगल"

अगस्त्य (शॉक्ड होकर):
"एवी का पूरा नाम अविराज सहगल है...? वो स्टोरी, वो लोकेशन और रात्रि...?
तो ये बात है... इसलिए इसे रात्रि ही चाहिए थी!"

अगस्त्य (गुस्से में):
"इस एवी और अविराज दोनों की तो मैं...
पर ये इस वक्त मिलेगा कहाँ?"

उसने गाड़ी घुमाई और तेजी के साथ निकल गया।


---

दूसरी तरफ...

रात्रि और एवी बस रेस्टोरेंट पहुँचने वाले हैं।
वहाँ उसने पूरा एक फ्लोर सिर्फ इस डेट के लिए बुक किया है।
अच्छी जगह, अच्छा खाना और अच्छा म्यूज़िक सब है...

एवी:
"ये लो... हम पहुँच गए।"

रात्रि गेट ओपन करती है।

एवी:
"रुको..."

वो गाड़ी से उतरा, एकदम जेंटलमैन की तरह उसने रात्रि का डोर ओपन किया, अपना हाथ आगे बढ़ाया और बोला:
"Give me the honour, beautiful lady..."

रात्रि मुस्कुराई और अपना हाथ उसे दे दिया।

एवी और रात्रि रेस्टोरेंट में पहुंचे।

अचानक...

अगस्त्य (स्टाइल में):
"Hello beautiful people..."

(वो पहले से ही एवी की बुक की हुई टेबल पर बैठा हुआ था और उसका वेट कर रहा था।)

एवी और रात्रि शॉक्ड 😲😲

रात्रि (मन में):
"ये यहाँ क्या कर रहा है...?"

अगस्त्य:
"Sorry girl... अब भी ये डेट होगी... पर तुम्हारे और इसके साथ नहीं,
अगस्त्य और एवी की। So... तुम जा सकती हो।"

एवी (चिल्लाते हुए):
"वेटर...!"

वेटर (डरते हुए):
"Sorry सर... मुझे माफ़ कर दीजिए... मैंने इन्हें बहुत रोका, पर ये नहीं रुके।"

अगस्त्य (स्टाइल में):
"जाने दे इसे... मर्द है तो मुझसे बात कर न..."

एवी (गुस्से में):
"तो अब तुझसे ही बात होगी!"

इतना बोलकर उसने अगस्त्य को एक पंच कर दिया।
अगस्त्य की नाक से खून निकलने लगा।

अगस्त्य:
"छः... छः... छः... मैंने तो सोचा था पहले तुझसे मुँह से बात करूँगा,
पर तुझे यही चाहिए तो ठीक है।"

इतना बोलकर उसने एवी का कॉलर पकड़ा और एक ज़ोरदार पंच उसके मुँह पर मारा।

अगस्त्य:
"नाह... मुँह पर नहीं, वरना शूटिंग खराब होगी।"
(बोलकर उसने उसके पेट पर वार किया)

रात्रि को इस बार भी नहीं पता कि ये सब हो क्यों रहा है।

दोनों में अच्छी-खासी लड़ाई हो रही है —
कभी कोई किसी को टेबल पर पटकता, तो कभी कोई जमीन पर।

रात्रि (चिल्लाती है):
"अगस्त्य... ये तुम क्या कर रहे हो?"

अगस्त्य (रुकते हुए):
"इसके साथ डेट मना रहा हूँ... दिखता नहीं, लड़ रहा हूँ?"

अगस्त्य ने एवी को उठाया और उससे धीरे से बोला:

अगस्त्य:
"मुझे पता चल गया है तू कौन है... अब जल्दी से रात्रि को यहाँ से जाने को बोल,
वरना तेरी कहानी मैं उसे बताता हूँ..."

एवी:
"तू है कौन?"

अगस्त्य:
"मैं जो भी हूँ... तेरे पास ज़्यादा वक्त नहीं है... भेज इसे!"

एवी (रात्रि से):
"रात्रि... तुम घर जाओ, मैं ठीक हूँ।"

रात्रि (घबराई हुई):
"पर मैं कैसे..."

एवी:
"मैं ठीक हूँ... मुझे पता है, तुम मुझे इस हालत में नहीं देख सकती...
प्यार करती हो..."

इतना सुनकर अगस्त्य ने उसे एक और पंच मारा।

अगस्त्य:
"इतना टाइम नहीं है मेरे पास... जल्दी!"

एवी:
"जाओ..."

रात्रि पीछे देखती हुई जाती है,
और अगस्त्य का फोन भी बार-बार बज रहा है।


---

अगस्त्य:
"अब बोल... क्यों किया तूने ऐसा?"

एवी (पलटकर वार करते हुए):
"क्या किया मैंने...? और तू होता कौन है?"

अगस्त्य:
"रात्रि से दूर रह!"

एवी (हँसते हुए):
"मैं उससे दूर रहूँ...? जिस लड़की से मैं प्यार करता हूँ...? और तू होता कौन है ये बोलने वाला?"

अगस्त्य (तीखी मुस्कान के साथ):
"मैं वर्धान हूँ...!"

एवी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
उसने उसका कॉलर छोड़ दिया और दो कदम पीछे हट गया।

एवी (फटी आँखों से):
"वर... वर्धान...? पर कैसे?"

अगस्त्य:
"जैसे तू!"

एवी:
"पर..."

अगस्त्य:
"तो अब मेरी बात मान... और उससे दूर रह!"

एवी (लहज़ा बदलते हुए):
"पर मैं क्यों दूर जाऊँ उससे...? अगर उसे पहले का कुछ याद है तो वो हूँ मैं...
तेरा तो उसे नाम भी याद नहीं!"

अगस्त्य:
"अच्छा... तो अब समझ आया कि वो तेरे साथ क्यों है —
क्योंकि उसे लगता है कि तू उसका अच्छा दोस्त है!"

एवी:
"जो भी हो... कम से कम मुझे पहचानती तो है वो!"

अगस्त्य:
"तो इस पहचान वाले की करतूत मैं याद दिलाऊँ उसे...?
नहीं न...?
तो अगर चाहता है कि वो तुझसे नफ़रत न करे,
तो अब उससे दूर रहेगा तू!
Is that clear to you?"

इतना बोलकर वो पलट कर अपने कोट के बटन बंद करता है और जाने लगता है।

एवी (पीछे से):
"चल मेरी करतूत तो छोड़...
पर अगर उसे तेरी करतूत याद आ गई तो...?"