दोनों की नज़दीकियाँ बढ़ने लगीं...
अगस्त्य: देखा... यही वो वजहें हैं, जिनकी वजह से तुम ये कहानी नहीं जान सकती हो।
रात्रि (धीरे से): पर मैं जानना चाहती हूँ।
अगस्त्य (फिक्रमंद आवाज में): तुम्हें हॉस्पिटल चलना चाहिए।
रात्रि अगस्त्य से थोड़ा पीछे हटी और कार फिर स्टार्ट की।
थोड़ी देर में वो दोनों सय्युरी के घर पहुँचे।
रात्रि: आ गए।
अगस्त्य (अपनी आँखें दिखाते हुए): अब तुम यहीं मेरा वेट करना! मैं आता हूँ।
रात्रि (मुँह टेढ़ा करके): तो तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे पीछे आऊँगी?
अगस्त्य (कार से बाहर निकलते हुए): हाँ!
...और वो चला गया।
रात्रि (कार की सीट पर हाथ मारते हुए): इसे क्या मैं जासूस लगती हूँ?
अगस्त्य डोर पर खड़ा होकर डोरबेल बजाता है, रात्रि उसे कार के अंदर से देख रही है।
तभी सय्युरी ने दरवाज़ा खोला।
वो एक लंबी ब्लैक सिल्क की शर्ट में है, उसकी टाँगें किसी चाँदी की तरह चमक रही हैं। ऊपर की तीन बटन खुले हैं, जिससे उसकी क्लीवेज का अच्छा-खासा हिस्सा नज़र आ रहा है।
रात्रि की नज़र उस पर पड़ी... उसके तो मानो होश ही उड़ गए। आँखें फटी की फटी रह गईं। और उन्हीं आँखों में ग़ुस्सा उमड़ने लगा।
रात्रि (मन में): अच्छा... तो ये है इसकी प्लानिंग?
सय्युरी ने अगस्त्य का हाथ पकड़ा और उसे अंदर ले गई।
अगस्त्य बिलकुल बेपरवाह सा, बिना उसकी तरफ देखे अंदर चला गया।
रात्रि (नाक फुलाते हुए, ग़ुस्से में): मेरे अंदर तो इसे कैक्टस 🌵 के पेड़ दिखते हैं! उसके साथ बड़े मजे से चल दिया! अब इनकी डेट तो मैं बनाती हूँ!
वो कार से निकली और ज़ोर से कार का दरवाज़ा बंद किया। फिर उसके घर का गेट खोलने लगी — पर वो तो लॉक था।
रात्रि: अब क्या करूँ? वो लोग अंदर क्या कर रहे होंगे??
(उसके दिमाग में उल्टे-सीधे इमेजिनेशन आने लगे...)
इमेजिनेशन में —
सय्युरी और अगस्त्य एक साथ हँस रहे हैं। सय्युरी उसके गालों को छूते हुए अगस्त्य से लिपट जाती है। अब वो दोनों करीब आने लगते हैं... और करीब... और...
इमेजिनेशन टूटती है
रात्रि: नहीं! नहीं! नहीं! छी... छी... क्या-क्या सोच रही है तू रात्रि! Stop it! और अंदर जाने का रास्ता देख!
रात्रि इधर-उधर देखने लगी और घर के पीछे पहुँची। वहाँ एक काँच की दीवार है, पर्दे लगे हैं, पर इतना दिख रहा है कि अंदर क्या हो रहा है।
अंदर —
अगस्त्य और सय्युरी सोफे पर बैठे कुछ बात कर रहे हैं।
रात्रि (क्यूरियसली): ये क्या बात कर रहे हैं?
वो काँच में अपने कान लगा कर सुनने की कोशिश करती है, लेकिन कुछ सुनाई नहीं दे रहा।
अंदर —
सय्युरी, अपनी टाँगों पर टाँगें रख कर, उन्हें एक्सप्लोर करने की कोशिश कर रही है। पर अगस्त्य का ध्यान उस पर नहीं है।
अगस्त्य: तो अब बताओ... तुम्हारा यहाँ आना कैसे हुआ? और अगर तुम यहीं थी तो अब तक क्यों नहीं आई?
सय्युरी: मेरा मकसद आज भी वही है जो तब था। लेकिन मुझे प्रणाली को ढूँढने के लिए ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। तुम्हारे मीडिया वाले कारनामों ने ही उसे मेरे सामने ला दिया। और मैं अब यहाँ इसलिए आई हूँ कि...
बाहर —
रात्रि का हाथ एक गमले से टकरा गया और वो गिर गया।
अंदर —
सय्युरी और अगस्त्य बाहर देखने लगे।
रात्रि घबरा गई और साइड में छिपने की कोशिश की... पर अपने हाथ और दुपट्टे को न छिपा पाई।
अगस्त्य की नज़र उस दुपट्टे पर पड़ी... और उसे समझते देर न लगी कि बाहर रात्रि उन्हें देख रही है।
सय्युरी देखने के लिए कदम बढ़ाती है —
तभी अगस्त्य उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींच लेता है।
रात्रि वापस उन्हें देखने लगती है।
सय्युरी अगस्त्य के सीने से टकरा जाती है और मौके का फ़ायदा उठा कर उसे बाहों में भर लेती है।
अगस्त्य बिना कुछ बोले, उसी हालत में उसका चेहरा दूसरी तरफ कर देता है।
रात्रि (ग़ुस्से में, दीवार पर हाथ मारती है)
अगस्त्य उसे धीरे-धीरे उसी दीवार के पास लाता है और उसे उससे सटा देता है —
(उसी दीवार के पीछे छिपी हुई है रात्रि — सय्युरी उसे नहीं देख सकती)
सय्युरी: शायद वहाँ कोई है...
अगस्त्य (धीरे से उँगलियाँ उसके होठों पर रखते हुए): Shhhhhh...
वो अपने हाथों को सय्युरी की गर्दन पर घुमाने लगता है। सय्युरी पूरी तरह उसके बस में है।
वो उसके गालों के पास आने के बहाने, साइड में लगे पर्दे को हल्का हटाता है और रात्रि को देखता है।
रात्रि की आँखों में टूटे हुए दिल के आँसू हैं... होंठों पर ढेर सारे शिकवे...
अगस्त्य उसे आँखों से जाने का इशारा करता है।
रात्रि की आँखों में रुके आँसू अब बहने लगते हैं...
...और वो अपने हाथों से आँसू पोंछते हुए बाहर आ जाती है।
रात्रि (रोते हुए): जो करना है करे ये... मुझे क्या? मैं ही बेवकूफ थी जो सोच बैठी कि हमारे बीच कुछ है... (फिर से रोने लगती है)
दूसरी तरफ —
रात्रि के जाते ही अगस्त्य ने चैन की साँस ली और फौरन सय्युरी से दूर हो गया।
अपने बाल ठीक करने लगा।
सय्युरी, जो अब भी उसके नशे में थी, उसका ध्यान टूट गया।
सय्युरी (ग़ुस्से में): What the hell!
अगस्त्य: क्या हुआ? तुम्हें सच में लगा कि मैं तुम्हें किस करने वाला हूँ? (और अपने कपड़े ठीक करने लगा)
सय्युरी: You...
अगस्त्य (बात काटते हुए): और हाँ...! दोबारा मेरे सामने इस चीप ड्रेस में आई तो अच्छा नहीं होगा!
...और जाने लगता है।
सय्युरी पीछे से आवाज देती है: तो तुम यहाँ मेरा चेहरा देखने आए थे?
अगस्त्य रुक गया।
मुड़ा, और उसकी तरफ आते हुए बोला:
अगस्त्य (अचानक बेहद ग़ुस्से में): देखो! मैं तो भूल ही गया था कि मैं यहाँ ये कहने आया था कि...
अगर मुझे तुम रात्रि के आस-पास भी दिखी — तो मेरा वो रूप देखोगी, जो... I'm sure, तुम देखना नहीं चाहोगी!
...वो मुड़कर जाने लगा।
जाते-जाते —
अगस्त्य: रात्रि से दूर रहना!
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