Demon The Risky Love - 87 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 87

Featured Books
Categories
Share

दानव द रिस्की लव - 87

मैं खुद से ज्यादा तुम्हे प्यार करता हूं...

अब आगे..................

जैसे ही विवेक के आंसू की बूंद अदिति के आंखों पर गिरती है वैसे ही उसके शरीर में हरकत शुरू हो जाती है..... अचानक हुई हरकत से विवेक सोच में पड़ जाता है और उसके होश में आने का इंतजार करने लगता है..... धीरे धीरे अदिति की आंखें खुलने लगती है लगभग उसे होश आ रहा था और विवेक बेसब्री से उसके होश में आने का इंतजार कर रहा है.......
धीरे धीरे अदिति होश में आ चुकी थी और अपने सामने विवेक को देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और जल्दी से उसके गले लगकर सिसकारियां भरने लगती है... उसके ऐसे बिहेव से विवेक पूछने के लिए दूर कर रहा था लेकिन अदिति और कसके उसे पकड़ लेती है.......
विवेक अदिति को अपने सीने से लगाकर उसके बालों पर हाथ फेरते हुए कहता है....." अदिति पता है तुमने मुझे कितना परेशान किया है...." अदिति उसकी बात का कोई रिप्लाई नहीं देती .... विवेक उसकी घबराहट भरी सांसों को महसूस कर रहा था इसलिए उसे अपने से दूर करके अपने दोनों हाथों से उसके चेहरे को पकड़ते हुए कहता है....." कुछ बोलो अदिति तुम्हारा यूं चुप रहकर सिसकारियां भरना मुझे बैचेन कर रहा है......"
अदिति रोते हुए पूछती है....." तुम ..…मुझसे प्यार... करते हो न....."
विवेक उसके इस सवाल पर उसे गौर से देखते हुए कहता है...."  मैं खुद से भी ज्यादा तुम्हें प्यार करता हूं अदिति..और तुम्हें कभी धोखा देने के बारे में सोचा भी नहीं है...." 
अदिति फिर से उससे चिपक जाती है.... उसकी ऐसी हालत देखकर विवेक अंदर ही अंदर काफी गुस्से में आ जाता है लेकिन अदिति को शांत करने के लिए उसके माथे पर किस करता है लेकिन तुरंत उसके फिर से अदिति के को जाने के डर ने उसे अब पीछे कर दिया..... विवेक को अपने से दूर जाते देख अदिति उसे रोकने के लिए कसकर उसे पकड़ती हुई कहती हैं....." विवेक मुझसे दूर मत जाओ वो तक्ष तुम्हें..."
विवेक उसके होंठों पर उंगली रखते हुए उसे शांत रहने के लिए कहकर धीरे धीरे उसके पास पहुंच जाता है, , अदिति ने विवेक की शर्ट को कसकर पकड़ रखा था ,, 
विवेक उसके डर को कम करने के लिए अब बिना देर की उसके होंठों को अपने होंठों से एक peck किस करके उसे रिलेक्स करता है.......
उधर तक्ष पूरी जानकारी को हासिल करने के लिए हितेन के घर पहुंच चुका था ...... हितेन अभी मेडिसिन लेकर लेटा हुआ था की अचानक किसी की आहट से उसकी नींद खुल जाती है और अपने सामने तक्ष को देखकर डर जाता और बेड पर सिकुड़ते हुए हकलाते हुए पूछता है.... "क...क्.. क्यूं...अ आ...ए ...ह ..ओ...य.. हां...."
तक्ष उसके डर को देखकर हंसने लगता है जोकि हितेन के लिए और भी डर बढ़ा रहा था......तक्ष बिल्कुल उसके पास पहुंच जाता है , उसके पास आने से हितेन चादर को अपने मुंह तक ले आया है और न देखने की कोशिश करता है लेकिन तक्ष गुस्से में उसे चादर को पकड़कर दूर फेंक देता है...और उसपर चिल्लाते हुए कहता है...." तुझे मरने का बहुत शौक है....."
हितेन डरते हुए कहता है...." न.. न ..ही ..."
तक्ष उसी तरह गुस्से में उससे कहता है...." तूने विवेक से बात करने की कोशिश की है....."
हितेन न में सिर हिलाता है लेकिन तक्ष गुस्से में उससे कहता है....." फिर उसे कैसे पता चला कि जो अदिति उसके साथ है वो अदिति नहीं है...."
हितेन उसकी बातों को समझ नहीं पा रहा था इसलिए उससे पूछता है...." त तु ...म....क...हना...क .. क्या..चा..ह..ये....हो.....?.."
तक्ष पहले ही काफी गुस्से में लग रहा था और उसके इस तरह हकलाने से चिढ़ते हुए कहता है....." तू जानवरों की बोली बोलना बंद करेगा या नहीं....साफ साफ बता नहीं तो...."
हितेन घबराते हुए कहता है....." तुम क्या कह रहे हो मुझे कुछ नहीं पता...?.."
तक्ष उसके चेहरे को पकड़ते हुए कहता है....." तुझे नहीं पता... मैं याद दिलाऊं.... तेरे अलावा कोई नहीं जानता कि मैं यहां अदिति के रूप में हूं तो तूने उस विवेक को क्यूं बताया....." तभी कुछ याद करते हुए कहता है...." पता तो उस नौकरानी को भी है कहीं इसका मतलब ये सब उसने ही किया है...अभी तक तक्ष का रूप नहीं देखा इन्होंने अब मैं दिखाता हूं ,, मेरे रास्ते में आने वाले का मैं क्या करता हूं..."
हितेन उससे रिक्वेस्ट करते हुए कहता है....." देखो मैंने कुछ नहीं किया है न ही अभी तक विवेक से बात की है तो तुम मुझे क्यूं मारना चाहते हो... छोड़ दो मुझे...."
तक्ष ललचाई नज़रों से उसकी तरफ देखते हुए कहता है..." छोडूंगा तो नहीं बस तेरी सारी यादों को कैद कर लूं उसके बाद तुझे खा जाऊंगा.... तेरा मांस मुझे अच्छे से पचे जाएगा...."
हितेन उससे बचने के लिए भागने लगता है लेकिन तक्ष रात के समय में और भी खूंखार हो रहा था जिससे बचना हितेन के लिए मुश्किल होता जा रहा था....तक्ष हितेन की इस पकड़म पकड़ाई से तंग आ चुका था इसलिए उसने उसके सिर को पकड़ कर जोर से दिवार पर मार दिया , जिससे हितेन वहीं खून से लथपथ जमीन पर गिर गया....तक्ष उसके दिमाग से अबतक की यादों को देखकर कर कहता है...." विवेक उस रूद्राक्ष शक्ति की वजह से इतना उछल रहा है...इस अघोरी को बाद में देखूंगा पहले इस विवेक को भी इसके दोस्त की तरह खा जाऊंगा....."
उधर विवेक के किस करने के बाद डर जाता है कहीं अदिति फिर से बेहोश न‌ हो जाए इसलिए उससे तुरंत दूर हो जाता है....
 इधर तक्ष हितेन की तरफ उसे खाने के लिए बढ़ता है तभी अचानक वो जोर से गिरता है जैसे किसी ने उसे पकड़कर कर खींचा हो ....तक्ष वहीं बेहोश हो जाता है....
 
..........….............to be continued..............
आखिर ऐसा क्या हुआ तक्ष के साथ जिससे वो बेहोश हो जाता है.....?
जानने के लिए जुड़े रहिए......