Demon The Risky Love - 89 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 89

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दानव द रिस्की लव - 89

अब आगे..........
विवेक जैसे ही काॅल कट करता है तभी इशान उससे पूछता है..... " क्या हुआ विवू...?.."
" भाई अब तो प्रोब्लम शुरू हुई है...?..." 
" तू बातें घूमा क्यूं रहा है...?.... क्या बात है क्लियर बोल...?.." इशान थोड़ा रूडली पूछता है
विवेक उदासी भरे शब्दों में कहता है...."  भाई मैं हितेन के घर जा रहा हूं... वहां कि सिचुएशन  कुछ ठीक नहीं है अभी अभी उसके पापा का काॅल था और उन्होंने घर आने के लिए कहा है..."
इशान उससे कहता है......" मैं भी चलता हूं तेरे साथ ..." इशान के साथ चलने की बात सुनकर सुविता जी उन्हें रोकते हुए कहती हैं....." तुम दोनों कल सुबह जाना वहां अभी यहीं रहो,,,, वैसे भी बहुत कुछ हो रहा है हमारे साथ,,, मैं नहीं चाहती तुम दोनों किसी मुश्किल में पड़ो और उसकी मां विवू को कितना सुनाया था बेवजह......"
इशान विवेक की तरफ देखता है और इशारे में कहता है कि अब मां को तो तू ही समझा सकता है..... विवेक सुविता जी से कहता है....." बड़ी मां उस टाइम आंटी हितेन को लेकर काफी टेंशन में थी इसलिए कह दिया...और अभी अंकल की आवाज से लग रहा था जैसे हितेन ठीक नहीं है इसलिए मैं देखकर आ जाऊंगा....."
आदित्य जिसने अदिति के सिर को अपनी गोद में रखा हुआ था बस दोनों की बातें सुनते हुए कहता है...." विवेक तुम्हें जाना चाहिए...."
विवेक आदित्य को देखकर हां में सिर हिलाता है फिर अदिति को देखते हुए उससे कहता है...." भाई आप टेंशन मत लेना अदिति अब ठीक है वो सिर्फ बेहोश है अब वो उस तक्ष के वश में नहीं है....."
विवेक के विश्वास को देखकर आदित्य कहता है...." मुझे पता है विवेक तुम बोल रहे हो तो अदिति ठीक ही होगी ,,, बस तुम हितेन का ध्यान रखना।...
आदित्य की बात सुनकर विवेक जाने के लिए आगे बढ़ता है तभी इशान को रोकते हुए कहता है....." भाई आप यही रहो ...भाई के पास इनको आपकी जरूरत है अभी और मां और बड़ी मां भी परेशान हैं इसलिए मैं अकेला जाऊंगा ,,,..."
विवेक की बात मानते हुए इशान उसके दोनों कंधों को पकड़कर कहता है....." ठीक है तू जा मैं हूं यहां पर और कुछ भी जरूरत हो तुरंत काॅल करेगा मुझे..."
" ओके भाई...." 
विवेक हितेन के घर जाने के लिए चला जाता है ....सुविता जी आदित्य के पास जाकर कहती हैं....." बेटा कुछ खा ले तू भी तो हाॅस्पिटल से आया था,,, ऐसे बिना खाना खाए रहेगा तो कमजोरी आ जायेगी....."
आदित्य अदिति को देखकर कहता है....." आंटी जी इसने भी तो कबसे कुछ नहीं खाया होगा , एक बार इसे होश आ जाए फिर मैं इसे कुछ खिलाकर ही खा लूंगा...."
सुविता जी आदित्य के चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहती हैं..." तुझ जैसा भाई बड़े नसीबों वालों को मिलता है,, अपनी छोटी बहन की इतनी चिंता आजकल कोई नहीं करता..."
आदित्य मुस्कुराते हुए कहता है....." आप शायद नहीं जानती लेकिन अदिति भी मेरी कितनी केयर करती है इसलिए आप ये भी कह सकती है इस जैसी बहन हर किसी को नहीं मिलती..."
सुविता जी बस मुस्कुरा कर रह जाती है और आदित्य को रुम में छोड़कर सब चले जाते हैं लेकिन जाते जाते सुविता जी आदित्य को समझाते हुए जाती है......" बेटा तू परेशान मत होना हम सब यही है बस तुझे कुछ चाहिए तो एक आवाज लगाना,,, सर्वेंट तुझे वो चीज दे देंगे......" 
आदित्य अदिति के पास ही बैठ बैठे आंखें बंद कर लेता है और नीचे हाॅल में सुविता जी और मालती जी सोफे पर बैठी हुई बातचीत करने लगती है.......
उधर विवेक हितेन के घर पहुंचता है.... उसके घर के बाहर लगी भीड़ और पुलिस कैब और एंबुलेंस को देखकर विवेक सोच में पड़ जाता है....." आखिर यहां हुआ क्या है...?..."
विवेक कार से बाहर निकलकर घर की तरफ बढ़ता है , लोगों की भीड़ आपस में खुसरफुसर कर रही थी जिनकी हल्की सी बात विवेक तक पहुंचती है...." पता नहीं कैसा जानवर है...?.." विवेक सबकी बातों को अनसुना करते हुएअंदर पहुंचता है,,, सबकी नजरें उसपर आकर टिक जाती है... हितेन की मां रोते हुए उसके पास आकर गुस्से में कहती हैं....." ये सब तेरी वजह से हुआ है..."
विवेक हैरानी भरी नजरों से देखते हुए पूछता है....." आखिर बात क्या है अंकल ....???... यहां पुलिस क्यूं है और उसके रुम के बाहर इस तरह क्यूं खड़े हैं सब.....??."
हितेन के पापा के चेहरे पर डर होने की वजह से वो ढंग से कुछ कह भी नहीं पाते बस हाथो के इशारे से हितेन के कमरे की तरफ दिखाते हैं..... जिससे विवेक को कुछ समझ नहीं आता इसलिए वो बिना अब किसी से कुछ पूछे सीधा हितेन के रुम की तरफ जाता है .....
विवेक कमरे में एंटर होता है और वहां का मंजर देखकर एक बार के लिए वो भी डर जाता है क्योंकि तक्ष अपने भयानक पिशाच रूप में वहां बेहोश पड़ा था और हितेन दिवार के किनारे बेसुध पड़ा था जिसके सिर खून बहने के कारण पूरा फर्श लाल हो रखा था......
विवेक अपने डर को कंट्रोल करता हुआ जल्दी से हितेन के पास जाकर उसे उठाकर बाहर लाया है.... हितेन के बाहर लाते ही उसकी मां को रोना शुरू हो जाता है,,,, विवेक जल्दी से उसे एंबुलेंस में लेटाकर उन्हें उसे हाॅस्पिटल ले जाने के लिए कहता है और खुद वापस अंदर हितेन के कमरे की तरफ जाता है,,, सबको बाहर जाने के लिए कहकर खुद रुम में पहुंचने वाला ही था कि तभी कोई उसे वापस बाहर खिंचता है......
विवेक पीछे मुड़कर देखता है तो एक छ: फुट लम्बे चौड़े वाइल्ड लाइफ आफिसर उसे पकड़े हुए थे.... विवेक कुछ कहता इससे पहले ही वो बोलना शुरू करते हैं....." देखिए हमें आने में देर हो गई इसलिए साॅरी अब आप उस जानवर से दूर रहिए जैसा कि हमें पता चला है,,, हम उसे काबू में करने की पूरी कोशिश करेंगे बस आप पीछे रहिए...." तभी एक पुलिस कांस्टेबल धीरे से आकर उससे कहता है जिसे सुनकर वो आफिसर विवेक की तरफ हैरानी भरी नजरों से देखते हुए पूछते हैं......
 
......................to be continued..............