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( >💜💌💜Hi होलाla प्यारे प्यारे सिरफिरे दोस्तों कैसे हो कल पार्ट नही दी उसके लिए विनम्र विनम्र निवेदन है अपने प्यारे बंकू जी को क्षमा 🙏😁कर दो और लो पढ़ लो next ep.
इन दोनों का लाइव वार्तालाप किसी ने अच्छे से अपने दिमाग पर डाउनलोड कर लिया था। अब आगे,,,
और ये कोई और नहीं मस्तानी ही थी जो उनके साइड में चुपके से खड़ी उनकी सारी बातें सुन ली।
"कुछ तो है इनके बीच लोचा,,,(फिर कुछ सोच कर) बस एक बार इस ट्रिप से फ्री हो जाऊ फिर जासूसी मामले मे अपने पवित्र चरण आगे बढ़ाऊंगी,,,वो कहते है ना,,,वो वो क्या कहते,,, हा जल्दी का काम सौतन का" तभी
"अबे गवार सौतन नही शैतान आएगा"
"ही ही ही अरे हा वही,,, अबे तूऊऊऊ" मस्तानी अपने में ही बोल रही थी की अचानक रियु को देख चौंक गई।
रियु उसके सिर पर टपली मारकर "जासूसी करने के मामले मे तो तू बहुत बारीकी से जांच करती है,,,कभी पढ़ाई का भी कर लिया कर बुद्धू"
"ही ही ही हु हु हेहे,,,तभी तो अपन कमाल है" मस्तानी अजीब तरह से हस्ते हुए बोली। उसकी बचकानी बात और हरकत पे रियू हसे बीना रह ना सकी
वो भी हंसते हुए बोली "तू ना कभी नहीं सुधर सकती"
मस्तानी सीरियस टोन में "ओए चुप,,, मै बिगड़ी ही कब ? अरे यार पहले बिगड़ने तो दे फिर मारना ये डायलॉग" दोनों एक दूसरे को देखे फिर हसी का ठहाका लगा दिए।
वही सभी मोहिंता मेम का सवाल सुन अजीब और हैरान भरी नज़रों से उन्हे देखने लगे। मन में बहुत से सवाल पर सवाल खड़े हो रहे थे आखिर चल क्या रहा ? और सारे टीचर्स है हेड मास्टर मतलब प्रिंसीबल सर और मनीष कहा लापता है??? उनके दिमाग में तो इमेज भी बन गया प्रिंसिबल सर और मनीष को चलती पब्लिक ट्रेन से अगवाह कर लिया गया। तभी
"बच्चो जानता हु बहुत से सवाल उमड़ रहे होंगे तुम सबके मन में सबके जवाब मिलेंगे बस मेरी एक बात का सही सही जवाब दो" साइंस के विज्ञेंद्र सर प्यार से सबको समझाए।
विज्ञेंद्र गुरूवंत उम्र 40, ज्ञानेद्रीय के बड़े भाई और उनसे बिल्कुल उलट किस्म के ये हसमुख टाइप के है पर इनकी आंखे राज से भरी।
"देखो बच्चो रात होने वाली है तो जल्दी ये बताओ किसी को पता है ये कौन सी जगह है?" विज्ञेंद्र सर शांत भाव से पूछे तो अब सब मोहिंता मेम को छोड़ उन्हे घूरने लगे। लेकिन ज्ञानेद्रीय सर की घूरती नजर को देख सभी बैल की तरह ना में सिर हिलाए।
उनके ना में मुंडी हिलाते ही सभी टीचर्स उनके आखों पर फिर से काली पट्टी बांधने लगे।
सभी कन्फ्यूज होकर मुंह नाक सिकोड़ चुप चाप खड़े बंधवा रहे थे। कैसे कुछ बोलते आखिर ज्ञानेद्रीय सर जो थे उनके सामने आज तक कोई आवाज नहीं उठा पाया खुद प्रिंसिबल सर तक नहीं।
"चलो अब सभी एक दूसरे का हाथ पकड़ लो और आगे बढ़ो" विज्ञेंद्र सर बोले।
"अगर हाथ छूट गया तो,,,?" राहुल सवाल किया तो
"जिसने हाथ छोड़ा तो उसे मै ट्रेन पटरी पर धक्का दे दूंगा"
ज्ञानेद्रीय सर अपनी भयानक आवाज में बड़े आराम से बोले।
उनकी बात और आवाज सुन सभी अंदर तक सहम गए और एक दूसरे का हाथ कस कर पकड़ लिए ऐसे जैसे तूफान भी आए तो इनका हाथ ना छूटे भले ही सब एक दूसरे को लेकर उड़ जाए।
"क्या सर आप भी बच्चो को डरा रहे,,," मोहिंता मेम नाराजगी जताते हुए बोली। उनका साथ देते हुए विज्ञेंद्र सर भी बोल उठे "हा सर बच्चे खास छुट्टी पर मजे करने आए हैं और आप है की,,,(वो इतना ही बोले की ज्ञानेद्रीय सर उन्हे आखें ततेर कर घूरे तो) खैर बच्चो डरो मत सर मजाक कर रहे"
सभी उनकी बात सुन "ओह मजाक,,," ये बोल सभी राहत की सांस लेने ही वाले थे की
ज्ञानेद्रीय सर उनके सामने से गुजरते हुए शर्द आवाज़ में "मेरी डिक्सनरी में मजाक वर्ल्ड नही लिखा है बाकी तुमलोग जो समझो" उनकी आवाज सुन सभी की सास नाक में अटक गई।
"अरे सब कितना डरते हो डरपोको,,,जैसे सर खा जायेंगे तुम्हे हूं" रियुमा सभी को ताना कसी।
10मिनट बाद
सभी अंधे बने चलते हुए स्टेशन से बाहर सड़क पर आ गए थे। सभी एक बस में चढ़े किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था बस किसी गाड़ी में बैठे होने का एहसास हो रहा था सूरज ढल चुका था चांद तारे आसमां में चमक रहे थे ठंडी सुहानी हवाएं चल रही थी।
और सभी उस शहर से अनजान हवा में घुलती उसकी खुशबू महसुस कर रहे थे।
शाम 6 बजे
सभी बस से नीचे उतरे चारों तरफ अंधेरा था और उस अंधेरे में लाल टेन की रौशनी नजर आ रही थी। तभी सब की पट्टी खोली गई और आखें खोलते जैसे ही सबकी नजर सामने गई आंखे और मुंह हैरानी से खुला का खुला रह गया।
सामने एक उजाड़ छोटी सी बस्ती थी एक दम कब्रिस्थान जैसे भेस में चार पांच बरगद के बड़े बड़े पेड़ बीस पच्चीस छोटे छोटे झोपड़े थे जिनके दरवाज़े पर लगे लाल टेन की रौशनी में साफ नजर आ रहे थे उनसे घिरा हुआ बीचों बीच एक बड़ा और डरावने तरीके से सजा हुआ बंगला था जो दिखने में बिलकुल भूत बंगला लगता था।
"Ooh ,,,My,,,God,,," सभी एक साथ चिल्ला पड़े।
"भूत बंगला,,,,मैं यहां कब से आना चाहती थी थैंक्स गॉड आपने मेरी इच्छा पूरी कर दी थैंक्स थैंक्स वेरी वेरी थैंक्स" मस्तानी चहकने लगी तो वही बाकी सब उसे घूर रहे थे सबसे ज्यादा वही जिन्हे भूतो से कुछ ज्यादा ही लगाव म मेरा मतलब तकलीफ है।
पहला तो स्ट्रॉन्ग और दूसरा सॉरी दूसरी राहुल की बहन धनेशी जो अभी भी डर से रिचा से चिपकी खड़ी थी "हे भगवान रिचा ये कैसा सप्राइज है?"
मगर उसकी बेस्ट फ्रेंड तो सबकुछ इग्नोर कर बेपरवाही से अपने चेहरे पर मेकअप से लिपा पोती कर रही थी।
जब उसे महसूस हुआ रिचा उसे इग्नोर कर रही तो वो गुस्से में उसका छोटा मेकअप किट छीन ली
"क्या हुआ ?" रिचा ना समझी से उसे देखते हुए बोली।
धनेशी उसका मुंह सामने कर "सामने देख"
धनेशी के ऐसा करने पर जैसे ही वो सामने देखी ज्यादा ध्यान न देकर बेपरवाही में बोली "हा भुत बंगला है तो क्या हुआ,,,? (फिर अचानक अपने बातो पर गौर कर)भूत बंगलाआ,,,हे भगवान हम यहां कैसे आ गए हम तो ट्रिप पर जा रहें थे ना फिर यहां कैसे आ गए और,,,और मुझे पता भी नहीं चला ???"
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( >💜💌💜 आज के लिए अलविदा मिलते हैं अगले ep में क्या होगा आगे? जानने के लिए बने हमारी रहे स्टोरी के साथ by by टाटा 🤗🥰