✨सफलता, समाज और संघर्ष✨
("सिर्फ साथ चलने की ख्वाहिश काफी नहीं होती, साथ निभाने के लिए दुनिया से लड़ने का हौसला भी चाहिए।")
अब तक का सफ़र इश्क में डूबा हुआ था, लेकिन अब सामने है वो हकीकत की दीवार, जहाँ मोहब्बत को खुद को साबित करना होगा, प्यार को जज़्बात से निकालकर ज़िम्मेदारी में बदलना होगा। अब वो दौर आएगा जहाँ इम्तहान सिर्फ़ UPSC या PCS नहीं है... बल्कि समाज का, परिवार का, और सबसे ज्यादा खुद अपने इरादों का भी होगा।
PCS का रिजल्ट और जिंदगी की पहली जीत
काफी महीनों बाद... PCS परीक्षा का रिजल्ट आया। एक गर्म दोपहर, जब दानिश लाइब्रेरी में था, उसका फोन बजा- आरजू का नाम चमक रहा था।
दानिश - "हैलो?"
आरजू - "दानिश!... मेरा नाम लिस्ट में है। मैं पास हो गई!"
दानिश - "क्या सच में? कौन सी पोस्ट?"
आरजू - "SDM... मेरी पहली पसंद थी।" उसकी आवाज काँप रही थी, जैसे हर संघर्ष अब मायने रखता हो।
दानिश की आँखें भर आईः "तुमने कर दिखाया... अब तुम उस बच्ची के लिए मिसाल हो गई जो उत्तरकाशी से बड़े सपने लेकर आती है।"
जश्न - पर अधूरा सा
उस शाम दोनों मिले, दिल्ली के एक शांत पार्क में। दानिश ने गुलाब और चॉकलेट दी।
आरजू ने कहा: "काश तुम भी साथ पास हो जाते..."
दानिश - "तुम पास हुई हो, इसका मतलब है हमारा सपना आधा पूरा हो चुका है।"
आरजू - "और दूसरा आधा?"
दानिश - "मेरे इरादे और तुम्हारी दुआ से पूरा होगा।"
परिवार का विरोध - एक नई जंग
रिश्ता अब गंभीर हो चुका था। आरज़ू के माता-पिता को अब जब ये पता चला कि वो एक गैर बिरादरी के लड़के से रिश्ता रखना चाहती है, तो पहले झटका... फिर विरोध।
माता-पिता - "SDM बन गई हो, और अब इस उम्र में ऐसी गलती करोगी?"
आरजू - "ये ग़लती नहीं है, ये मेरा चुनाव है।"
माता-पिता - "जात, बिरादरी कुछ नहीं देखोगी?"
आरजू - "इंसान देखा है, वही काफी है।"
दूसरी तरफ़...
दानिश की माँ, जो बेटे की मेहनत पर गर्व करती थी, अब उस पर एक और उम्मीद लादने लगी थी कि बेटा तू अफ़सर तो बन ही जाएगा उससे पहले हमें अपनी शादी का सुख देदो। मैंने अपने बेटे के लिए एक परी जैसी लड़की देखी है जो एक डॉक्टर भी है। उससे शादी कर ले वें शादी करने के लिए तैयार हैं।
पहले तो दानिश चुप रहा फिर धीरे से बोलाः
"माँ, जो परी मेरे मन में रहती है, उसका नाम आरजू है।"
तो फिर क्या था लावा फूट पड़ा और वैसे ही सवाल होने कि क्या यही सुनने के लिए तुमको लिखाया-पढ़ाया कि अपनी मनमर्जी करेगा, गैर बिरादरी में शादी करेगा, अरे बिरादरी वाले क्या कहेंगे कि क्या बिरादरी में इनको किसी ने अपनी लड़की नहीं दी आदि आदि...........।
फिर दानिश और आरजू दोनों ने शादी के पर्पोजल को कुछ समय टालने के लिए परिवार वालों को जैसे-तैसे मनाया। और अब वो दोनों जोर-ओ-शोर से मन में जुनून की चिंगारी जलाए हुए बुलंद हौसलों के साथ अपनी यूपीएससी की तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए रण में कूद पड़े, क्योंकि उनको समझ आ गया था
कि अब यूपीएससी ही एकमात्र रास्ता है जो हमें एक कर सकता है।
नई आग, नया जुनून - UPSC के लिए आखिरी तैयारी
अब दोनों UPSC के लिए दुगनी ताकत से जुट गए। अब इम्तहान सिर्फ सर्विस का नहीं था - बल्कि प्यार को साबित करने का भी था।
अवनी, जो अब तक दूर से देखती थी, फोन करके बोली:
"मोहब्बत अगर सच्ची हो, तो उसे दुनिया जीतने की वजह बनाओ... रुकने की नहीं।"
दानिश और आरजू ने खुद से वादा कियाः
अब हमें सिर्फ सफल नहीं होना है, हमें वो बनना है जिसे देखकर हमारी मोहब्बत पर कोई उंगली न उठा सके।
उस रात दानिश अपनी डायरी में लिखता है कि-
"प्यार तब तक खूबसूरत होता है जब तक समाज उसमें दखल नहीं देता....
लेकिन जब हम अपने प्यार को खुद की ताकत बना लेते हैं -
तब वही मोहब्बत दुनिया का सबसे बड़ा जवाब बन जाती है।"
(अब मोहब्बत सिर्फ महसूस करने की चीज़ नहीं रही अब वो इरादे का नाम है, संघर्ष का चेहरा है। अब देखना यह होगा कि कैसे वो दोनों प्री और भैंस को पास करते हुए इंटरव्यू की दहलीज तक आ पहुंचते, वो आखिरी मोड, जहाँ सब दांव पर है रिश्ता, संघर्ष, मोहब्बत और भविष्य।)
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