🌸 तेरे मेरे दरमियाँ – एपिसोड 10
“अब अगला कदम क्या है?”
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“कभी-कभी प्यार मंज़िल तक पहुंच जाता है,
पर रास्ते में पड़ने वाले पड़ाव...
दिल की धड़कनों से ज़्यादा सोच की कसौटी पर परखे जाते हैं।”
आरव और संजना ने जिस तरह एक-दूसरे को अपनाया,
उसके लिए हिम्मत भी चाहिए थी और भरोसा भी।
पर अब बात सिर्फ मोहब्बत की नहीं रही —
अब सवाल था भविष्य का,
परिवार का,
और ज़िम्मेदारी का।
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🌅 सीन: कॉलेज कैंटीन – सुबह 9:30
कॉफी के कप बीच में थे, पर दोनों के मन में बातें बहुत ज़्यादा थीं।
"आरव…"
"हम आगे क्या करने वाले हैं?"
आरव ने थोड़ा मुस्कराते हुए जवाब दिया —
"तुम्हें क्या लगता है?"
"मुझे लगता है हम दोनों को अपने घर वालों से खुलकर बात करनी चाहिए।
अब बस एक रिश्ते में रहना काफी नहीं… हमें उसे नाम देना होगा।"
आरव ने धीरे से सिर हिलाया।
"मैं तैयार हूँ… लेकिन तुम्हें पता है न, मेरी माँ बहुत ज़्यादा परंपरागत सोच रखती हैं।
उन्हें मनाना आसान नहीं होगा।"
"तो चलो, मुश्किल से शुरू करें… ताकि जब कहानी पूरी हो,
तो गर्व हो कि हमने सब पार किया।"
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🏠 सीन: आरव का घर – उसी शाम
डिनर के बाद आरव ने माँ के पास बैठकर हाथ थामा।
"माँ, एक बात करनी है।"
"हाँ बेटा, बोलो।"
"मैं… संजना से शादी करना चाहता हूँ।"
माँ एकदम चुप।
"माँ, वो सिर्फ मेरी मोहब्बत नहीं… मेरी ज़िम्मेदारी भी है।
मैं उसके बिना अब आगे नहीं सोच सकता।"
माँ की आँखों में आँसू आ गए।
"बेटा, तुम्हारी पसंद पर मुझे कोई ऐतराज़ नहीं।
लेकिन शादी सिर्फ दो लोगों का नहीं, दो परिवारों का मेल होती है।
उसके घरवाले क्या कहेंगे?"
"मैं उनसे बात करूंगा, माँ।
बस आप मेरे साथ रहिएगा।"
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🧑💼 सीन: संजना का घर – अगले दिन
पापा ने ऑफिस से जल्दी आकर उसे बैठाया।
"एक बार फिर पूछता हूँ — क्या तुम आरव से शादी करना चाहती हो?"
"हाँ पापा… पूरी सच्चाई और पूरे होश में।"
"उसका बैकग्राउंड हमारे जैसे नहीं है…
उसकी माँ अकेली रहती हैं, और उनकी आमदनी भी सीमित है।
तुम अपने कम्फर्ट छोड़ पाओगी?"
"पापा, मैंने प्यार में कोई सुविधा नहीं देखी थी।
मैंने इंसान देखा था… और उसमें अपनी पूरी दुनिया।"
पापा कुछ देर चुप रहे… फिर बोले:
"ठीक है।
मैं उससे मिलना चाहता हूँ — एक पिता के नाते,
न कि जज बनकर।"
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☕ सीन: आरव और संजना के पापा की मुलाक़ात – एक कैफ़े में
दोनों आमने-सामने बैठे थे।
आरव थोड़ा घबराया, फिर बोला:
"सर, मैं जानता हूँ कि आप मुझसे संतुष्ट नहीं होंगे।
मेरे पास बहुत कुछ नहीं है — न बड़ी नौकरी, न बड़ी संपत्ति।
लेकिन मैं आपकी बेटी को इतना प्यार ज़रूर दे सकता हूँ,
कि वो कभी अकेलापन महसूस न करे।"
संजना के पापा गंभीर थे, फिर बोले:
"प्यार बहुत बड़ी चीज़ है बेटा,
पर शादी उसके अलावा भी बहुत कुछ मांगती है —
सम्मान, धैर्य, समर्पण।"
आरव ने दृढ़ता से जवाब दिया:
"मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा…
आपकी बेटी को कभी सिर झुकाने की ज़रूरत न पड़े।"
पापा मुस्कराए।
"मैं तुम्हारे इरादे पढ़ चुका हूँ…
अब बस एक वादा चाहिए —
कि चाहे जो हो, तुम उसका साथ नहीं छोड़ोगे।"
"कभी नहीं, सर।"
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📆 सीन: कुछ दिन बाद – दो परिवारों की मुलाक़ात
संजना की माँ, पापा
और आरव की माँ — एक ही टेबल पर।
थोड़ा संकोच, थोड़ी चुप्पी, पर फिर आरव की माँ ने बात शुरू की:
"मैं जानती हूँ कि मेरे पास दिखाने को ज़्यादा नहीं है…
पर मेरी परवरिश में कमी नहीं रही।
आरव को मैंने सच्चा और ज़िम्मेदार इंसान बनाया है।"
संजना के पापा बोले:
"और हमें यही चाहिए — एक अच्छा इंसान,
ना कि सिर्फ पैसा या नाम।"
अचानक कमरे में गर्माहट सी आ गई।
चाय के कप भरे जाने लगे…
और एक नई शुरुआत की चुस्कियाँ शुरू हो गईं।
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💌 सीन: सगाई की तैयारी – कॉलेज कैंपस में हलचल
आरव और संजना की सगाई की खबर पूरे कॉलेज में फैल गई थी।
सभी दोस्त, प्रोफेसर्स, और सीनियर्स उन्हें बधाई देने लगे।
टान्या ने भी दूर से मुस्कराकर सिर्फ इतना कहा:
"शायद मैं गलत थी…
मगर तुम दोनों ने मोहब्बत को सच्चा कर दिखाया।"
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💍 सीन: सगाई की रात
हल्की रौशनी, खूबसूरत साज-सज्जा,
और संजना लाल लहंगे में बिल्कुल परी लग रही थी।
आरव ने जैसे ही अंगूठी पहनाई,
फ्लैश चमक उठे —
फोटो खिंच रहे थे, तालियाँ बज रही थीं।
लेकिन उन दोनों की नज़रें सिर्फ एक-दूसरे पर टिकी थीं।
"मैंने तुझमें खुदा देखा है…"
आरव ने कान में कहा।
"और मैंने तुझमें वो घर…
जिसमें मैं उम्रभर रहना चाहती हूँ,"
संजना ने मुस्कराकर जवाब दिया।
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📖 सीन: डायरी एंट्री – रात 12:00
"हमने रिश्तों को समाज से डरते हुए नहीं,
सच के साथ निभाते हुए जीता है।
ये सिर्फ सगाई नहीं…
हमारे मोहब्बत की जीत है।
अब अगला पड़ाव —
ज़िंदगी का साथ।"
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🔚 एपिसोड 10 समाप्त
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🔔 अगले एपिसोड में:
सगाई के बाद नई चुनौतियाँ,
सामाजिक अपेक्षाएँ,
और प्यार के आगे आने वाला पहला बड़ा टेस्ट —
"क्या आरव और संजना अब भी एक ही दिशा में देख रहे हैं?"
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