ऐसा कहा जाता है कि जब देवी पार्वती बहुत भूख लगी थी और कुछ खाने के लिए नही मिला तो देवी पार्वती ने शिव को निगल लिया ऐसा कहा जाता है कि इस घटना के बाद भगवान शिव ने देवी पार्वती को अस्वीकार कर दिया था और देवी पार्वती को विधवा का रूप धारण करने का श्राप दिया था।
देवी पार्वती के इस रूप को देवी धूमावती माता के नाम से जाना जाता है।
देवी धूमावती माता का स्वरूप बहुत ही उग्र है ।
एक बुढी स्त्री का है।
देवी धूमावती सफेद वस्त्र धारण करती है और धूमावती देवी मां के बार बिखरे हुए हैं।
और वे कभी कोई आभुषण धारण नहीं करती है ।
देवी धूमावती माता की प्रतिमा।
देवी धूमावती माता एक बुढी और बदस्तूर और विधवा के रूप में दर्शाया गया है।
देवी धूमावती दुवली पतली अस्वस्थता और पीरा रंग में दर्शाईं गई। और देवी धूमावती माता महाविद्याओ के विपरित है। और वे आभूषणों से
अलंकृत है। और वह गंदे और पूराने कपड़े फहनती है, और देवी धूमावती माता के बाल बिखरे हुए दर्शायें गये है।
और देवी धूमावती माता के दो हाथों से चिरित्रत
किया गया है देवी धूमावती माता एक हाथ में टोकरी रखती है।
और दूसरे हाथ से वरदान देने वाली मुद्रा बनाती , है , और और वरदान देने वाली मुद्रा और ज्ञान देने वाली मुद्रा को
क्रमशः वरद मुद्रा और चिन मुद्रा के नाम से जाना जाता है।
और देवी धूमावती माता बिना घोड़े के रथ पर सवार होती है जिस पर कौंवे का चिन्ह बना हुआ है।
देवी धूमावती माता की साधना।
अत्यधिक दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए देवी
धूमावती माता की साधना की जाती है।
और देवी धूमावती माता की साधना से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
देवी धूमावती माता का मुल मंत्र
(ॐ धूं धूं धूमावती दएवयऐ स्वाहा)
(श्री बगलामुखी)
बगलामुखी देवी माता महाविद्या में से आठवीं देवी मां है। और बगलामुखी देवी का नाम बगला और मुखी से मिलकर बना बगलामुखी।
घोड़े को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाने
टोपी को लगाम के नाम से जाना जाता है इसलिए बगलामुखी का अर्थ है वह देवी जो शत्रुओं को नियंत्रित करने और पंगू बनाने की शक्ति रखती है।
अपनी वशीकरण और लकवाग्रस्त शक्तियों के कारण देवी बगलामुखी माता को स्तंभन की ,देवी के रूप में जाना जाता है।
किंवदंतियों के अनुसार जब पृथ्वी पर भयंकर तूफान आया था।
सभी देवता सौराष्ट्र क्षेत्र में हुए एकत्र हुए और देवी से प्रार्थना की देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी बगलामुखी हरिंद्र सरोवर से प्रकट हुई।
और उस तुफान को शांत किया
कहते हैं कि एक बार महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्माण्डीय तुफान उत्पन्न हुआ जिससे सम्पूर्ण विश्व नष्ट होने लगा और इससे चारों ओर हाहाकार मच गया और सारे संसार की रक्षा करना असंभव हो गया और यह तुफान बढ़ता जा रहा था।
और तुफान सबकुछ नष्ट-भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ रहा था । जिसे देखकर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।
इस समस्या का कोई हल ना पा कर वह भगवान शिव जी की आराधना करने लगे और तभ भगवान शिव ने कहा।
ये काम शक्ति रूप के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं कर सकता अतः आप सभी देवी बगलामुखी की शरण में जाएं।
और तब भगवान विष्णु हरिद्रा सरोवर तट के
निकट पहुंच कर,,,,,,
क्रमशः ✍️