Ek Ladki ko Dekha to aisa laga - 17 in Hindi Love Stories by Aradhana books and stories PDF | एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा - 17

Featured Books
  • ओ मेरे हमसफर - 12

    (रिया अपनी बहन प्रिया को उसका प्रेम—कुणाल—देने के लिए त्याग...

  • Chetak: The King's Shadow - 1

    अरावली की पहाड़ियों पर वह सुबह कुछ अलग थी। हलकी गुलाबी धूप ध...

  • त्रिशा... - 8

    "अच्छा????" मैनें उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा। "हां तो अब ब...

  • Kurbaan Hua - Chapter 42

    खोई हुई संजना और लवली के खयालसंजना के अचानक गायब हो जाने से...

  • श्री गुरु नानक देव जी - 7

    इस यात्रा का पहला पड़ाव उन्होंने सैदपुर, जिसे अब ऐमनाबाद कहा...

Categories
Share

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा - 17

प्रकृति (धीरे से, आँखों में पहचान के साथ):
"रिद्धि...? ये तो वही लड़की है जो तीन साल पहले मुझसे मिली थी..."

एक ठंडी आह उसके सीने से निकल गई। इतनी सारी यादें पल भर में लौट आईं। उसके चेहरे का रंग उड़ गया। ये इस हालत में कैसे....? 

तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। वो घबराकर तेजी से पलटी—

प्रकृति (हल्की चीख के साथ):
"मि. रघुवंशी...?!"

पर सामने डॉक्टर मित्तल खड़े थे।

डॉ. मित्तल (हैरानी से):
"आप तो पेशेंट हैं न...? यहाँ क्या कर रही हैं आप?"

प्रकृति (जल्दी से आँखें छुपाते हुए):
"मैं... रास्ता भूल गई थी..."

इतना कहकर वो बिना जवाब सुने वहाँ से निकल गई।

जब वो अपने कमरे में पहुँची, तो रिद्धान वहाँ परेशानी के समंदर में डूबा हुआ था — कुछ रिद्धि की तबियत को लेकर, और कुछ उस राज़ को लेकर जो उनके बीच सिर उठाने लगा था।

वो फोन में कुछ देख ही रहा था कि प्रकृति अंदर आई।

रिद्धान (तेज़ और परेशान आवाज़ में):
"तुम... कहाँ चली गई थी?! यहाँ सब कुछ वैसे ही बिगड़ रहा है..."

प्रकृति (रुक कर, आँखों में थकान लिए हुए):
"क्या...? क्या कहा आपने..."

रिद्धान (थोड़ा संभलते हुए):
"कुछ नहीं... तुम आराम करो।"

उसकी आवाज़ में थकान थी... या ग्लानि?
प्रकृति चुपचाप उसकी आँखों में झांकती रही — जैसे कुछ और कहना चाह रही हो, पर लफ़्ज़ों से पहले उसके दिल ने एक और आह भर ली।

रिद्धान (थोड़ी थकन और ज़िम्मेदारी भरी आवाज़ में):
"मैं... तुम्हारे घरवालों को inform कर देता हूँ। भोपाल में रहते हैं न?"

प्रकृति (तुरंत, लगभग घबराहट में):
"नहीं! ज़रूरत नहीं है... प्लीज़। उन्हें अभी कुछ मत बताना।"

रिद्धान उसकी तरफ देखता है, कुछ कहना चाहता है... पर फिर सिर्फ़ हाँ में सिर हिला देता है।

अगली सुबह, प्रकृति अपने घर की बालकनी में बैठी है। हाथ में चाय का कप है। सुबह की हल्की धूप उसके चेहरे पर पड़ रही है, पर मन में अंधेरा पसरा है।

उसके अंदर एक तूफ़ान है...

"रिद्धि... और रिद्धान... दोनों के बीच क्या कनेक्शन है? रिद्धि ने मुझसे पहले मिलकर कुछ बताने की कोशिश की थी...... उसके कॉलेज के बारे में.....क्या ये सिर्फ़ इत्तेफाक था? या कुछ और?"

उसका दिमाग बार-बार उस रात की तरफ जा रहा है जब तीन साल पहले रिद्धि उससे मिली थी — डर, ग्लानि, और एक ज़रूरी बात कहने की चाहत उसकी आँखों में थी।

और अब... रिद्धान का रिद्धि के लिए इतना इमोशनल होना... क्या वो सिर्फ़ एक दोस्त है? गार्जियन? या कुछ और?

उसका दिल बातों को समझने से ज़्यादा महसूस कर रहा था...
और वो महसूस कर रही थी — जलन।
हल्की सी जलन, हल्की सी चुभन... जो उसे बेचैन कर रही थी।

"क्या मैं रिद्धान को बता दूँ... कि मैं भी रिद्धि को जानती हूँ? या फिर सब कुछ छुपाए रखूँ?"

उसी दिन, रिद्धान अपने केबिन में फाइल्स देख रहा है। दिमाग में बस एक ही सवाल घूम रहा है:

"ये किसने किया? किसने प्रकृति को उस फ्लड ज़ोन में भेजा रिपोर्टिंग के लिए?"

वो इंटरकॉम पर बटन दबाता है।
कबीर केबिन में आता है : ये सब प्रोजेक्ट मैनेजर का किया धारा है ।।

रिद्धान (तेज़ आवाज़ में):
"प्रोजेक्ट मैनेजर को अभी भेजो।"

प्रोजेक्ट मैनेजर आता है, थोड़ा घबराया हुआ।

रिद्धान (सीधे):
"किसने डिसाइड किया था कि प्रकृति ग्राउंड रिपोर्टिंग पर जाए? किसने भेजा उसे वहाँ?"

वो बचने के बहाने ढूंढने लगा !

मैनेजर:
"सर... असल में... प्रकृति मैम ने खुद रिक्वेस्ट की थी। उन्होंने ही कहा था कि उन्हें ग्राउंड पर काम करना है... उन्होंने रिटन अप्रूवल भेजा था।"

रिद्धान थोड़ा शॉक्ड होता है… गुस्से में, लेकिन कंट्रोल करके कहता है:

रिद्धान (तेज़ पर कंट्रोल्ड आवाज़ में):
"अगली बार बिना मेरी परमिशन के किसी रिपोर्टर को डेंजरस लोकेशन पर भेजने का सोचना भी मत। ये आखिरी वार्निंग है।"

मैनेजर चला जाता है।

अगले दिन, प्रकृति ऑफिस में आती है।

ऑफिस का माहौल नॉर्मल है… लोग काम में बिज़ी हैं, मीटिंग्स चल रही हैं… लेकिन प्रकृति के अंदर सिर्फ़ एक ही चीज़ चल रही है:

"रिद्धि... और रिद्धान... का रिश्ता क्या है?"

उसका दिमाग चिल्ला रहा है:

"क्या वो उसकी दोस्त है? या... लवर? या सिर्फ़ एक ज़िम्मेदारी? क्या सच में रिद्धान रिद्धि का गार्जियन है? पर उसके चेहरे की वो चिंता... वो प्यार..."

वो Google खोलती है, और सर्च बार में टाइप करती है:
Riddhaan Raghuvanshi girlfriends

दो-तीन रैंडम गॉसिप लिंक्स आते हैं… पर कुछ ख़ास नहीं। वो फ्रस्ट्रेट होकर लैपटॉप बंद कर देती है।

फिर अचानक उसके दिमाग में एक आइडिया आता है।

"कंपनी का डाटाबेस! अगर रिद्धि कहीं रजिस्टर्ड है तो वहाँ से कुछ तो पता चल ही जाएगा…"

वो अपनी डेस्क पर जाकर सिस्टम लॉगिन करती है। उसके हाथ थोड़े कांप रहे हैं… कर्सर पहले “प्रोजेक्ट्स” टैब पर जाता है… फिर “एम्प्लॉयी रिलेशंस”… फिर “इमर्जेंसी कॉन्टैक्ट्स”…

एक और टैब दिखता है — "पर्सनल रिकॉर्ड्स – HR एडमिन व्यू"

प्रकृति कुछ देर रुकती है… फिर अपने एक्सेस आईडी से बायपास कोड एंटर करती है।
(सिस्टम प्रॉम्प्ट: "Admin Access: Proceed with caution")

वो सर्च बार में टाइप करती है:
Riddhi

मल्टिपल रिजल्ट्स आते हैं। वो ध्यान से स्क्रॉल करती है। तभी एक प्रोफाइल खुलती है:

रिद्धान रघुवंशी 
रिद्धी रिधान की फाइल में क्या कर रही है !


नाम: रिद्धि रघुवंशी
उम्र: 24 साल
कर्मचारी से संबंध: बहन
गार्जियन का नाम: रिद्धान रघुवंशी
पता: वही जो कर्मचारी का
मेडिकल इमरजेंसी नोट: हाई प्रायोरिटी मेडिकल अलर्ट


---

प्रकृति की आँखों में शॉक और हल्की सी राहत — दोनों एक साथ आते हैं।

"रिद्धि... उसकी बहन है?"

उसकी जान में जान आती है। वो चेयर की बैक से सिर टिकाती है और एक ठंडी साँस लेती है...

एक हल्की सी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर आती है — पता नहीं राहत की थी, या ग्लानि की...
पर उसके दिल का बोझ थोड़ा हल्का ज़रूर हुआ था।

(प्रकृति का वॉइसओवर – मन की आवाज़)

"तो यही रिश्ता था... जिसका नाम मुझे समझ नहीं आ रहा था... और मैं उससे लड़ रही थी। शायद अब मैं रिद्धान से खुल कर बात कर सकती हूँ... या... शायद अभी नहीं..."