भाग :7
रचना: बाबुल हक़ अंसारी
"एक ख़त, जो वक़्त के नीचे दबा था…"
[पिछली रात की खामोशी के बाद…]
अयान के लौटते ही रिया ने चुपचाप आर्यन की ओर देखा।
वो जाना चाहती थी, उसे रोकना भी चाहती थी…
पर उसके कदम उस मोड़ तक पहुँच चुके थे,
जहाँ से लौटना अब मुमकिन न था।
और उधर, आर्यन अपनी धड़कनों से तेज़ चलता हुआ
पुराने रेलवे स्टेशन की बेंच पर बैठ गया — जहाँ वो
पहली बार रिया से मिला था।
तभी उसकी जेब में पड़े पुराने डायरी के पन्ने गिर पड़े।
वो वही पन्ने थे, जो कभी एक लिफाफे में बंद थे —
रिया के लिखे… पर कभी भेजे नहीं गए।
एक पन्ने पर लिखा था:
“मैं नहीं जानती अयान लौटेगा या नहीं,
पर अगर मेरी चुप्पी कभी किसी को सुनी गई,
तो वो बस ‘तुम’ हो, आर्यन…”
आर्यन की उंगलियाँ कांप उठीं…
"तो क्या रिया मुझे चाहती थी…?
और मैं ही देर कर गया…?"
[अचानक एक आहट — और अतीत का तूफ़ान]
आर्यन के सामने एक बुज़ुर्ग आया, जिसकी आँखें बुझी सी थीं।
“बेटा… क्या तुम आर्यन हो?”
“हाँ… पर आप?
बुज़ुर्ग ने कांपते हाथों से एक पुराना टेप रिकॉर्डर आगे किया।
“मैं स्टेशन मास्टर था… एक रात एक लड़का यहाँ आया था —
वो बहुत टूटा हुआ था। उसने एक रिकॉर्डिंग छोड़ी थी…
और कहा था — अगर कभी कोई ‘आर्यन’ आए, तो उसे देना…”
आर्यन के हाथ से टेप फिसल गया…
टेप पर आवाज़ थी — अयान की बहन 'श्रेया' की।
“अगर मैं इस दुनिया में न रही… तो मेरे बाद रिया को बचाना, आर्यन।
क्योंकि तुम ही वो आखिरी इंसान हो… जो रिया को टूटने नहीं देगा…”
[अब कहानी का सिरा बदलने को है…]
श्रेया… अयान की बहन…
रिया की सबसे करीबी…
और शायद आर्यन की पहली चुप मोहब्बत…
अब वो राज़ बाहर आने को है,
जो इन तीनों की तक़दीर एक बार फिर बदल देगा।
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स्टेशन मास्टर की आंखों में जो सन्नाटा था… वो आर्यन के दिल में उतर गया।]
वो टेप हाथों में लिए हुए कमरे में लौटा।
रिया की चिट्ठी अब भी उसकी जेब में थी,
पर अब आवाज़ किसी और की थी — श्रेया की।
टेप में फिर से वो ही आवाज़ गूंजी:
“अगर ये रिकॉर्डिंग तुम्हें मिल रही है,
तो शायद मैं अब इस दुनिया में नहीं हूँ।
अयान को मत बताना… लेकिन मेरी मौत… एक हादसा नहीं थी।”
आर्यन सन्न रह गया।
क्या मतलब था इसका?
टेप की आवाज़ थमती नहीं…
“मैं जानती हूँ… अयान को जिस ‘वेद’ नाम के दोस्त पर सबसे ज़्यादा भरोसा था,
उसी ने उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा दिया है।
वो ही है… जिसने मेरे जाने की वजहें बनाईं।”
[दूसरे दिन सुबह — आर्यन सीधा पहुंचा वेद के पास]
वेद, जो अयान का सबसे करीबी दोस्त था,
अब कुछ छुपा रहा था।
आर्यन: "क्या तू मुझे वो सच बताएगा जो अयान आज तक नहीं जानता?"
वेद: "क्या मतलब है तेरा…?"
आर्यन: "मतलब ये… कि श्रेया की मौत एक एक्सीडेंट नहीं थी, और तू जानता है क्यों!"
वेद का चेहरा पीला पड़ गया।
उसने नज़रें झुका लीं।
“मैं नहीं चाहता था कि वो मरे… पर उस रात… सब कुछ मेरे हाथ से निकल गया था…”
[फ्लैशबैक में एक रात… छत की मुंडेर पर खड़ी श्रेया… और उसके सामने वेद…]
वेद की आंखों में जुनून था… और श्रेया की आंखों में खौफ़।
“मैंने कहा था न श्रेया… कि अगर तुम अयान को सच बताओगी,
तो मैं तुम्हें हमेशा के लिए ख़ामोश कर दूंगा…”
“वेद… प्लीज़… ये पागलपन है…”
“प्यार है… पागलपन नहीं… लेकिन तुमने मेरा मज़ाक उड़ाया… अब देखो, क्या अंजाम होता है…”
अगले ही पल — एक चीख़… और अंधेरा।
[वर्तमान में…]
आर्यन के सामने अब एक नया सच था।
श्रेया की मौत एक हादसा नहीं, एक साज़िश थी।
और वेद… उसका क़ातिल था।
पर क्या अयान को ये सब बताना ठीक होगा?
क्या रिया इस सच्चाई को जान पाएगी?
अब कहानी उस मोड़ पर है, जहाँ हर रिश्ता एक इम्तिहान से गुज़रेगा…
एक दोस्त… एक क़ातिल निकलेगा।
एक बहन… इंसाफ़ की आवाज़ बनेगी।
और एक प्रेम… फिर से लहूलुहान होगा।