tanha Safar: jajbaton ki chhanv mein bheega Ishq - 8 in Hindi Love Stories by Babul haq ansari books and stories PDF | तन्हा सफ़र: जज़्बातों की छांव में भीगा इश्क़ - 8

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तन्हा सफ़र: जज़्बातों की छांव में भीगा इश्क़ - 8

                         भाग 8:                         "आख़िरी सच… और वो क़दम, जो सब बदल देगा


               रचना: बाबुल हक़ अंसारी


[सुबह — शहर की सुनसान गली में आर्यन का पीछा]

आर्यन वेद के घर से निकल ही रहा था कि उसने पीछे एक हल्की आहट सुनी।
कदमों की धीमी आवाज़… जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो।

वो पलटा — पर वहां कोई नहीं था।
सिर्फ़ गली के कोने पर एक काली कार खड़ी थी, जिसके शीशे धुंधले थे।

उसके मन में एक ठंडी लहर दौड़ गई।
क्या वेद को सब पता चल चुका है… कि टेप उसके हाथ लग चुका है?


[दूसरा दृश्य — रिया का घर]

रिया खिड़की के पास खड़ी थी, उसकी आंखों में बेचैनी थी।
फोन बार-बार देख रही थी, लेकिन कॉल सिर्फ़ एक नाम को ढूंढ रहा था — आर्यन।

दरवाज़े पर दस्तक हुई।
रिया ने खोला… और सामने अयान खड़ा था।

 अयान: “रिया… हमें बात करनी होगी। लेकिन उससे पहले… ये देखो।”



उसने एक लिफ़ाफ़ा रिया के हाथ में थमा दिया।
अंदर एक फोटो थी — वेद और श्रेया, किसी सुनसान गेस्ट हाउस में, तारीख वही रात की… जिस रात श्रेया मरी थी।

रिया का चेहरा सफ़ेद पड़ गया।
उसने फुसफुसाकर कहा — “तो आर्यन… सच में…”

अयान ने बीच में ही टोका —

“आर्यन को कुछ मत कहना अभी… उसे भी खतरा है।”



[तीसरा दृश्य — वेद की चाल]

उसी वक्त, शहर के बाहरी हिस्से में, वेद फोन पर किसी से बात कर रहा था।

  “टेप उसके पास है… और अगर वो अयान तक पहुंच गई, तो सब खत्म।
आज रात… आर्यन ज़िंदा नहीं बचेगा।”

फोन कटते ही, काली कार फिर से चालू हुई — वही जो सुबह आर्यन के पीछे थी।


[चौथा दृश्य — टकराव की आहट]

शाम ढल रही थी।
आर्यन टेप को अपने बैग में रखकर पुराने स्टेशन की तरफ निकल पड़ा।
यही जगह थी जहां वो अयान को सच बताने का सोच रहा था।

लेकिन प्लेटफॉर्म पर पहुंचते ही उसने देखा —
अयान अकेला खड़ा नहीं था… उसके सामने वेद था।

दोनों के बीच गहरी बातचीत चल रही थी।
आर्यन ने पास जाने की कोशिश की, पर तभी… किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा।

वो पलटा — और सामने काली हुडी पहने एक शख़्स, जिसकी आंखों में सिर्फ़ नफरत थी।



[अंतिम पंक्तियां — सस्पेंस क्लिफहैंगर]

  एक चीख़… स्टेशन की खामोशी चीर गई।
टेप ज़मीन पर गिरकर टूट गया।
और अगले पल… रोशनी गुल हो गई।

अंधेरे में बस एक आवाज़ गूंजी —

 “अब कोई सच नहीं जान पाएगा…

क्या आर्यन बच पाएगा?
क्या अयान को अपने सबसे करीबी दोस्त का असली चेहरा नज़र आएगा?
और रिया… किसे चुनेगी — प्यार को, या इंसाफ़ को?

 "जब सच का ख़ून हुआ…"


[प्लेटफॉर्म का अंधेरा…]

रोशनी गुल होते ही प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी मच गई।
चीख़ों की गूंज और भागते कदमों की आवाज़ें मिलकर एक अजीब डर पैदा कर रही थीं।

आर्यन ने अंधेरे में हाथ बढ़ाकर अपना बैग ढूंढने की कोशिश की —
लेकिन बैग अब वहां नहीं था…
और टेप?
शायद किसी के जूते तले कुचल चुकी थी।


[वेद और अयान — टकराव की शुरुआत]

अंधेरे में अयान की आवाज़ गूंजी —

  “वेद… तू यहां क्यों आया है?”



वेद ने ठंडी हंसी के साथ कहा —

 “तुझसे आख़िरी बार मिलकर, अपनी जीत देखना चाहता था।”

अयान: “जीत? तूने सिर्फ़ अपने हाथ खून से रंगे हैं, और कुछ नहीं।”
वेद: “तू अभी भी श्रेया को लेकर मुझे कसूरवार मानता है? तो सुन — वो मेरी थी… और जिसने बीच में आने की कोशिश की, उसका यही अंजाम होना था।”

अयान की सांसें भारी हो गईं।
उसके मुट्ठी अपने आप भींच गई।

[दूसरी तरफ़ — आर्यन पर हमला]

आर्यन को पीछे से धक्का दिया गया और वो पटरी पर गिर पड़ा।
काली हुडी वाला शख़्स उसके ऊपर झुककर गुर्राया —

  “तेरी जिज्ञासा तुझे महंगी पड़ेगी।”

आर्यन ने पूरी ताकत से लात मारकर खुद को छुड़ाया और प्लेटफॉर्म की सीढ़ियों की तरफ दौड़ा।
पर हुडी वाला उसके पीछे था… और हाथ में चमकता हुआ चाकू।


[टकराव का विस्फोट]

इतने में बिजली वापस आ गई —
रोशनी ने सब कुछ साफ़ कर दिया।

आर्यन सीढ़ियों पर था, हुडी वाला बस दो कदम पीछे…
और प्लेटफॉर्म के बीच में अयान और वेद आमने-सामने खड़े थे।

अयान ने गरजते हुए कहा —

 “ये सब तेरे खेल का हिस्सा था, वेद? मेरी बहन, मेरा भरोसा… सब तूने छीन लिया?”


वेद ने जवाब दिया —

  “और आज… तेरी ज़िंदगी भी।”


वो अयान पर झपटा — लेकिन तभी आर्यन ने दौड़ते हुए आकर वेद को धक्का दिया।
तीनों लड़खड़ा कर गिरे… और चाकू हवा में उछलकर पटरी पर जा गिरा।


[क्लिफहैंगर — मौत किसकी होगी?]

दूर से ट्रेन की सीटी गूंजी।
वो सीधा उसी पटरी पर आ रही थी, जहां चाकू गिरा था…
और वेद, अयान, आर्यन — तीनों एक-दूसरे को रोकने और बचाने की कोशिश में उलझे थे।

एक ही सेकंड में फैसला होना था —
कौन बचेगा… और किसका अंत यहीं होगा?

अगला भाग तय करेगा —
क्या सच बच पाएगा?
या सच के साथ किसी की जान भी दफ़न हो जाएगी?


(जारी........)