Fell in Love with a Girl in Hijab in Hindi Love Stories by Abhay Marbate books and stories PDF | हिजाब वाली लड़की से हुआ प्यार

Featured Books
Categories
Share

हिजाब वाली लड़की से हुआ प्यार

🧕 हिजाब वाली लड़की से हुआ प्यार ❤️


कॉलेज का पहला दिन हमेशा एक नए सफर की शुरुआत होती है। नए चेहरे, नए दोस्त, नई जगह और दिल में हजारों ख्वाब। मैं भी उसी उमंग के साथ क्लास में पहुँचा था।


भीड़ के बीच जब मेरी नज़र पहली बार उस पर पड़ी, तो वक्त जैसे थम गया। सामने बैठी थी — हिजाब में लिपटी एक लड़की, जिसकी बड़ी-बड़ी आँखें किसी रहस्य की तरह गहरी और खूबसूरत थीं। उसके चेहरे पर सादगी का ऐसा नूर था कि चाहकर भी नजरें हटाना मुश्किल हो गया।


वो चुपचाप किताबों में झुकी रहती, बहुत कम बोलती थी। बाकी लड़कियाँ जहाँ स्टाइल और फैशन में मस्त थीं, वहीं उसका हिजाब उसकी पहचान बना हुआ था। और शायद यही अलगपन मुझे उसकी ओर खींच लाया।



---


पहली मुलाकात


एक दिन लाइब्रेरी में उससे टकराव हो गया। मेरी किताबें गिर गईं, और उसने झुककर चुपचाप उठाकर थमा दीं। उसकी आँखों में झलकती मासूमियत ने दिल को छू लिया। मैंने मुस्कुराकर "थैंक्यू" कहा, तो उसने बस हल्की सी मुस्कान के साथ सिर झुका लिया।


उस पल समझ नहीं आया कि ये चुप्पी शर्म है या एक दीवार, लेकिन दिल कह रहा था — इस चुप्पी के पीछे बहुत कुछ छुपा है।



---


दोस्ती की राह


धीरे-धीरे क्लास प्रोजेक्ट्स, ग्रुप असाइनमेंट्स और लाइब्रेरी में मिलने का सिलसिला बढ़ा। वो कम बोलती, मगर जब बोलती तो उसकी आवाज़ बहुत मीठी लगती।


मैंने जाना कि उसका नाम "आयेशा" है। वो छोटे शहर से आई थी और अपने परिवार की उम्मीदों को पूरा करने के लिए डॉक्टर बनना चाहती थी। उसका हिजाब उसके लिए सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि उसकी पहचान और यकीन था।



---


मोहब्बत का एहसास


दिन-ब-दिन उसकी मौजूदगी मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बनने लगी। क्लासरूम में भीड़ हो या कैंपस की चहल-पहल, मेरी नज़रें हमेशा उसे ही ढूँढतीं।


एक दिन कैफ़ेटेरिया में दोस्त ने मज़ाक में कहा —

"यार, तू हर वक़्त उसी हिजाब वाली लड़की को क्यों देखता रहता है?"


मैं हँसकर चुप हो गया, मगर दिल में जवाब साफ था — क्योंकि अब वो मेरी मोहब्बत बन चुकी थी।



---


इज़हार की हिम्मत


काफी दिन सोचने के बाद मैंने तय किया कि उसे अपने दिल की बात कहनी होगी। एक शाम कॉलेज गार्डन में, जब वो अकेली बैठी नोट्स लिख रही थी, मैंने हिम्मत जुटाकर कहा —


"आयेशा, मुझे तुमसे कुछ कहना है…"


वो चौंककर मेरी तरफ देखने लगी। दिल की धड़कन तेज हो गई।


"मुझे नहीं पता तुम मुझे समझ पाओगी या नहीं, मगर… मैं तुम्हें दिल से पसंद करता हूँ। तुम्हारी सादगी, तुम्हारी मासूमियत… और तुम्हारा हिजाब पहनना — यही सब मुझे तुमसे और करीब ले आया।"


कुछ पल खामोशी छाई रही। फिर उसने धीमी आवाज़ में कहा —

"मोहब्बत सिर्फ चेहरे या खूबसूरती से नहीं होनी चाहिए। अगर तुम मुझे मेरी पहचान के साथ स्वीकार कर सकते हो, तो शायद ये रिश्ता आगे बढ़ सकता है।"


उसकी ये बात सुनकर मेरी आँखों में चमक आ गई। मैंने बिना झिझके कहा —

"मुझे तुम्हारा हर अंदाज़ पसंद है। तुम्हारा हिजाब, तुम्हारी सोच… सब कुछ।"



---


रिश्ता और इम्तिहान


हमारी दोस्ती अब मोहब्बत में बदल चुकी थी। पर हर मोहब्बत की तरह हमारी राह आसान नहीं थी। समाज की बातें, दोस्तों की चुटकियाँ और परिवार की उम्मीदें — सब हमारे बीच दीवारें खड़ी कर रही थीं।


कई बार आयेशा डर जाती —

"अगर मेरे घरवालों को पता चला तो? क्या वो मानेंगे?"


मैं उसे हमेशा समझाता —

"सच्ची मोहब्बत कभी किसी धर्म, जात या कपड़े की मोहताज नहीं होती। हम मिलकर सब संभाल लेंगे।"



---


आख़िरी मोड़


कॉलेज का आखिरी दिन आया। सब दोस्त अपनी-अपनी नई मंज़िल की ओर बढ़ रहे थे। मैंने आयेशा का हाथ पकड़कर कहा —


"ये सफर यहीं खत्म नहीं होगा। अब हमारी ज़िंदगी की असली शुरुआत है। चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।"


उसने आँसू भरी आँखों से मुझे देखा और बस इतना कहा —

"अगर नियत सच्ची हो तो खुदा भी मोहब्बत के रिश्ते को मंज़िल तक पहुँचाता है।"



---


निष्कर्ष


आज सालों बाद भी, जब मैं आयेशा को देखता हूँ — उसी हिजाब में, उसी सादगी के साथ — तो लगता है कि मेरी मोहब्बत ने सच में मेरी ज़िंदगी को मुकम्मल बना दिया।



---


👉 Story pasand aaye to follow jarur kare 💖