Chhaya - Bhram ya Jaal - 14 in Hindi Horror Stories by Meenakshi Mini books and stories PDF | छाया भ्रम या जाल - भाग 14

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छाया भ्रम या जाल - भाग 14

भाग 14

विवेक ने कुएं के गहरे, अंधेरे मुँह को देखा, जहाँ से एक अजीब-सी काली रोशनी निकल रही थी। नीले फूल को पाने की खुशी कुछ ही देर में नई चिंता में बदल गई थी। दुष्ट शक्ति उन्हें निकलने नहीं दे रही थी, और कवच ही उनकी आखिरी उम्मीद लग रहा था।
"यहाँ से कैसे निकलेगा कवच?" अनुराग ने कमज़ोर आवाज़ में पूछा। उसका बुखार अब भी चढ़ा हुआ था, लेकिन उसकी आँखों में डर और सवाल साफ दिख रहे थे।
"मुझे नहीं पता," विवेक ने कहा, उसकी नज़रें कुएं पर जमी थीं। "लेकिन डॉ. मेहता ने कहा था कि कवच उसी जगह पर छुपाया गया था जहाँ दुष्ट शक्ति की ताकत को बांधा गया था। शायद यह कुआँ उसी जगह से जुड़ा है।"
रिया ने अपने फोन पर चमकती हुई, डरावनी पोस्ट्स को देखा। दुष्ट शक्ति लगातार उन्हें घेरे हुए थी, उनकी हिम्मत तोड़ने की कोशिश कर रही थी। "हमें कुछ करना होगा, विवेक। हम यहाँ ज़्यादा देर तक नहीं रुक सकते।"
छाया ने देखा कि कुएं के किनारे पर जो प्राचीन प्रतीक खुदे हुए थे, वे गुफा के अंदर वाले प्रतीक से मिलते-जुलते थे, लेकिन उनमें कुछ फर्क था। "शायद ये प्रतीक हमें कुछ बता रहे हैं," उसने कहा। उसने टॉर्च की रोशनी में प्रतीकों को करीब से देखा। वे मिट्टी और काई से ढके थे, लेकिन उनमें से कुछ साफ दिख रहे थे।
विवेक ने भी प्रतीकों को गौर से देखा। उनमें से एक प्रतीक थोड़ा उभरा हुआ था, जैसे उसे दबाया जा सके। उसने उसे छूने की कोशिश की, लेकिन तभी कुएं के अंदर से एक तेज़, ठंडी हवा का झोंका आया, जो सीधे उसके चेहरे पर लगा। हवा में सड़ी हुई गंध और भी तेज़ हो गई, और उसे लगा जैसे कोई अदृश्य हाथ उसके चेहरे पर फिरा हो।
"यह हमें रोकना चाहती है!" अनुराग चीखा, उसकी आँखों में दहशत थी।
विवेक ने खुद को पीछे खींचा, लेकिन उसने देखा कि वह उभरा हुआ प्रतीक थोड़ा सा हिल गया था। "मुझे लगता है कि यह कोई पहेली है," उसने कहा। "इन प्रतीकों को किसी खास क्रम में दबाना होगा।"
उन्होंने मिलकर प्रतीकों को समझना शुरू किया। कुछ प्रतीक सितारों जैसे थे, कुछ जानवरों जैसे, और कुछ अजीबोगरीब ज्यामितीय आकृतियाँ थीं। रिया ने अपने फोन में उन प्रतीकों की तस्वीरें लेने की कोशिश की, लेकिन उसका कैमरा अपने आप धुंधला हो जाता था या उस जगह पर आते ही काम करना बंद कर देता था। दुष्ट शक्ति नहीं चाहती थी कि वे कोई जानकारी रिकॉर्ड करें।
"यह बहुत मुश्किल है," छाया ने कहा। "ये प्रतीक तो समझ ही नहीं आ रहे।"
तभी, विवेक को याद आया कि गुफा में नीला फूल के पास उसने एक और अनोखा प्रतीक देखा था, जिसे उसने अपने फोन में रिकॉर्ड किया था। उसने तुरंत अपनी गैलरी खोली और उस तस्वीर को देखने लगा। फ़ोन का फ्लैशलाइट अब भी मुश्किल से काम कर रहा था, लेकिन वह प्रतीक साफ दिख रहा था। वह प्रतीक उन सभी प्रतीकों से अलग था जो कुएं के चारों ओर खुदे थे।
"यह देखो!" विवेक ने उत्साह से कहा। "यह प्रतीक! मैंने इसे गुफा में देखा था, जहाँ नीला फूल था। यह किसी खाली जगह के पास था।"
रिया और छाया ने देखा। "हाँ, यह तो अलग है!" रिया ने कहा।
"शायद यह कवच को पाने का पहला कदम है," छाया ने कहा। "हमें इस प्रतीक को खोजना होगा जो यहाँ कुएं के पास है।"
उन्होंने कुएं के चारों ओर खुदे प्रतीकों में उस अनोखे प्रतीक को ढूंढना शुरू किया। दुष्ट शक्ति ने उन्हें और भी भ्रमित करना शुरू कर दिया। उनके कानों में फुसफुसाहटें और तेज़ हो गईं, और उन्हें लगा जैसे कुएं के अंदर से भयानक, विद्रूप चेहरे उन्हें घूर रहे हों। हवा में अजीबोगरीब परछाइयाँ नाचने लगीं, और ऐसा लगा जैसे तापमान और गिर गया हो।
"मुझे ठंड लग रही है," अनुराग ने काँपते हुए कहा। उसकी हालत और बिगड़ रही थी।
आखिरकार, छाया को वह प्रतीक मिल गया। वह कुएं के किनारे पर एक छिपे हुए हिस्से में था, जो एक बड़ी चट्टान से थोड़ा ढका हुआ था। "मुझे मिल गया!" उसने फुसफुसाकर कहा।
विवेक ने ध्यान से उस प्रतीक को दबाया। जैसे ही उसने दबाया, कुएं के अंदर से एक तेज़, गड़गड़ाहट की आवाज़ आई, और कुएं के मुँह से निकलने वाली काली रोशनी और तेज़ हो गई। ज़मीन ज़ोर से काँपी, और उन्हें लगा जैसे मंदिर के कुछ और पत्थर गिरने वाले हों। दुष्ट शक्ति अपनी पूरी शक्ति से प्रतिक्रिया कर रही थी।
"यह काम कर रहा है!" रिया चिल्लाई।
फिर, कुएं के अंदर से, एक हल्की, सुनहरी चमक उठने लगी। काली रोशनी धीरे-धीरे सुनहरी रोशनी में बदलने लगी। और उस सुनहरी रोशनी के बीच, उन्हें एक आकृति दिखाई दी। वह एक चमकदार, प्राचीन ढाल जैसा कुछ था, जिसमें जटिल नक्काशी और चमकते हुए रत्न जड़े हुए थे। यह था कवच!
जैसे ही कवच कुएं से ऊपर उठने लगा, दुष्ट शक्ति की आवाज़ें और तेज़ हो गईं, चीखों में बदल गईं, जो असहनीय थीं। पेड़ अपनी शाखाओं को हिंसक रूप से हिलाने लगे, और ऐसा लगा जैसे ज़मीन उन्हें निगलने वाली हो। कवच का उदय दुष्ट शक्ति के लिए सबसे बड़ा खतरा था।
कवच धीरे-धीरे ऊपर आया और कुएं के किनारे पर आकर रुका। विवेक ने सावधानी से उसे छुआ। यह पत्थर या धातु का नहीं था, बल्कि किसी अज्ञात, चमकदार पदार्थ से बना था, जो छूने में ठंडा और चिकना था। जैसे ही उसने उसे उठाया, कवच उसके हाथ में पूरी तरह से फिट हो गया, और उससे एक हल्की गर्मी फैलने लगी।
जैसे ही विवेक ने कवच को उठाया, दुष्ट शक्ति की भयानक चीखें अचानक बंद हो गईं। हवा में फैली सड़ी हुई गंध कम हो गई, और अजीबोगरीब परछाइयाँ गायब हो गईं। ज़मीन काँपना बंद हो गई, और पेड़ों की शाखाएँ शांत हो गईं। एक अजीब-सी शांति, लेकिन तनाव भरी, पूरे वातावरण में फैल गई।
कवच ने दुष्ट शक्ति के प्रभाव को कुछ हद तक बेअसर कर दिया था। उन्हें महसूस हुआ कि हवा में घुटन कम हो गई है, और वे थोड़ी राहत की साँस ले पा रहे थे।
"यह... यह काम कर गया!" रिया ने अविश्वास में कहा।
अनुराग ने आँखें खोलीं। उसका बुखार थोड़ा कम हो गया था, और वह खुद को थोड़ा बेहतर महसूस कर रहा था। "मुझे... मुझे अब अच्छा लग रहा है," उसने धीमी आवाज़ में कहा।
विवेक ने कवच को कसकर पकड़ा। यह सिर्फ़ एक ढाल नहीं था, यह एक उम्मीद थी। अब उनके पास नीला फूल और कवच दोनों थे। वे पूरी तरह से निहत्थे नहीं थे।
लेकिन दुष्ट शक्ति अभी भी मौजूद थी। उन्हें पता था कि वह शांत हो गई है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। अनुष्ठान अभी बाकी था। उन्हें अब जितनी जल्दी हो सके यहाँ से निकलना था और डॉ. मेहता से संपर्क करना था। कवच ने उन्हें थोड़ी मोहलत दी थी, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं था। उन्हें वापस अपार्टमेंट पहुँचना था और अंतिम लड़ाई की तैयारी करनी थी।
विवेक ने कवच को अपने बैग में सावधानी से रखा, और ग्रुप ने कार की ओर बढ़ना शुरू किया। इस बार रास्ते में कोई बाधा नहीं थी। दुष्ट शक्ति शायद इस हार से उबर रही थी, या शायद उसने उन्हें अस्थायी रूप से जाने दिया था, यह देखने के लिए कि वे आगे क्या करेंगे। वे जानते थे कि उन्हें वापसी में भी सतर्क रहना होगा।